नयी दिल्ली 25 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि कोरोना की पहली लहर को परास्त करने के बाद हौसले से भरे देश को दूसरी लहर के तूफान ने झकझोर दिया है लेकिन वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की सलाह पर चलकर हम इस तूफान से भी पार पा लेंगे।
प्रधानमंत्री ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कहा , “ आज ‘मन की बात’, एक ऐसे समय कर रहा हूँ जब कोरोना, हम सभी के धैर्य, हम सभी के दुःख बर्दाश्त करने की सीमा की परीक्षा ले रहा है । बहुत से अपने, हमें, असमय, छोड़ कर चले गए हैं । कोरोना की पहली वेव का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के बाद देश हौंसले से भरा हुआ था, आत्मविश्वास से भरा हुआ था, लेकिन इस तूफ़ान ने देश को झकझोर दिया है।”
उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले दिनों उनकी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से बात हुई है जिन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं जिन्हें हमें प्राथमिकता देनी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी केन्द्र के साथ मिलकर पूरी शक्ति से जुटी हैं।
उन्होंने कहा , “ अलग-अलग सेक्टर के एक्सपर्ट के साथ, विशेषज्ञों के साथ मेरी लम्बी चर्चा हुई है । हमारी फार्मा इंडस्ट्री के लोग हों, वैक्सीन निर्माता हों , आक्सीजन के उत्पादन से जुड़े लोग हों या फिर चिकित्सा क्षेत्र के जानकार, उन्होंने, अपने महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को दिए हैं । इस समय, हमें इस लड़ाई को जीतने के लिए विशेषज्ञों और वैज्ञानिक सलाह को प्राथमिकता देनी है । ”
कार्यक्रम में उन्होंने क्षेत्र के अलग अलग हिस्सों में तैनात डाक्टरों , नर्सों , एंबुलेंसकर्मियों और कोरोना से जंग जीत चुके लोगों के साथ चर्चा की और उनके अनुभव लोगों के साथ साझा किये जिससे कि लोग इन अनुभवों से सीख लेकर कोरोना संक्रमण का मुकाबला कर सकें।
प्रधानमंत्री ने कोरोना की वैक्सीन की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और ज्यादा से ज्यादा लोग ये वैक्सीन लगवायें।
उन्होंने कहा , “ कोरोना के इस संकट काल में वैक्सीन की अहमियत सभी को पता चल रही है, इसलिए, मेरा आग्रह है कि वैक्सीन को लेकर किसी भी अफ़वाह में न आयें । ” उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि वे केन्द्र सरकार के कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचायें। ”
श्री मोदी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ अभियान में एक ओर हमारे मेडिकल क्षेत्र के लोग जंग लड रहे हैं तो दूसरी ओर समाज के विभिन्न वर्गों के लोग भी इसमें अपना योगदान दे रहे हैं। देश एक बार फिर एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहा है ।
उन्होंने कहा , “ इन दिनों मैं देख रहा हूँ कोई क्वारंटाइन में रह रहे परिवारों के लिए दवा पहुँचा रहा है, कोई, सब्जियाँ, दूध, फल आदि पहुँचा रहा है । कोई एंबुलेंस की मुफ़्त सेवाएँ मरीजों को दे रहा है । देश के अलग-अलग कोने में इस चुनौतीपूर्ण समय में भी स्वयं सेवी संगठन आगे आकर दूसरों की मदद के लिए जो भी कर सकते हैं वो करने का प्रयास कर रहे हैं । इस बार, गाँवों में भी नई जागरूकता देखी जा रही है । कोविड नियमों का सख्ती से पालन करते हुए लोग अपने गाँव की कोरोना से रक्षा कर रहे हैं, जो लोग, बाहर से आ रहे हैं उनके लिए सही व्यवस्थायें भी बनाई जा रही हैं । शहरों में भी कई नौजवान सामने आये हैं, जो अपने क्षेत्र में, कोरोना के केस न बढ़े, इसके लिए, स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं, यानि एक तरफ देश, दिन-रात अस्पतालों, वेंटीलेटरों और दवाईयों के लिए काम कर रहा है, तो दूसरी ओर, देशवासी भी, जी-जान से कोरोना की चुनौती का मुकाबला कर रहें हैं । ये भावना हमें कितनी ताकत देती है, कितना विश्वास देती है । ये जो भी प्रयास हो रहे हैं, समाज की बहुत बड़ी सेवा है । ये समाज की शक्ति बढ़ाते हैं ।”
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरोना के दूसरे तूफान ने देश के हौसले एवं आत्मविश्वास को झकझोर दिया है लेकिन डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों की राय पर चलते हुए सरकार एवं समाज के धैर्य और अनुशासन पूर्वक सामूहिक प्रयासों से इसे भी परास्त करेंगे।
श्री मोदी ने ‘मन की बात’ के आज के अंक को केवल पर कोरोना पर केन्द्रित रखा और कहा कि आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता कोरोना को हराना है।
उन्होंने कहा, “मैं आपसे मन की बात एक ऐसे समय कर रहा हूं जब कोरोना हम सभी के धैर्य हम सभी के दुख बर्दाश्त करने की सीमा की परीक्षा ले रहा है। बहुत से अपने हमें असमय छोड़कर चले गए। कोरोना की पहली लहर के समय देश हौसले एवं आत्मविश्वास से भरा हुआ था लेकिन इस तूफान ने हमें झकझोर कर रख दिया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय हमें इस लड़ाई को जीतने के लिए विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सलाह को प्राथमिकता देनी है। राज्य सरकार के प्रयत्नों को आगे बढ़ाने में केन्द्र सरकार पूरी शक्ति से जुटी हुई है। राज्य सरकारें भी अपना दायित्व निभाने की पूरी कोशिश कर रहीं हैं।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि उन्हें अगर कोई भी जानकारी चाहिए हो, कोई और आशंका हो तो सही स्रोत से ही जानकारी लें। उन्होंने कहा, “आपके जो पारिवारिक डॉक्टर हो, आस-पास के डॉक्टर हों, आप उनसे फोन से संपर्क करके सलाह लीजिए। मैं देख रहा हूं कि कई डाक्टर खुद भी ये जिम्मेदारी उठा रहे हैं। वे सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारियां दे रहे हैं। यह पहल बहुत ही सराहनीय है।”
श्री मोदी ने कहा कि कोरोना के इस संकट काल में टीके की अहमियत सभी को पता चल रही है, इसलिए लोग टीके को लेकर किसी भी अफवाह में न आएं। केन्द्र सरकार की ओर से राज्यों में निशुल्क टीका भेजा गया है जिसका 45 वर्ष के ऊपर के लोग लाभ ले सकते हैं। एक मई से 18 से 45 वर्ष के लोगों को भी टीका लगाने का अभियान शुरू होगा। देश का कारपोरेट क्षेत्र भी अपने कर्मचारियों को टीका लगवा सकेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से मुफ्त टीका का जो कार्यक्रम अभी चल रहा है, वो आगे भी चलता रहेगा। राज्यों से भी आग्रह है कि वो केन्द्र सरकार के इस मुफ्त टीका अभियान का लाभ अपने राज्य के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में लोगों की मदद में जुटे डॉक्टरों एवं अन्य फ्रंटलाइन पेशेवरों की सराहना करते हुए कहा, “ जैसे आज हमारे चिकित्सा क्षेत्र के लोग, फ्रंटलाइन पेशेवर दिन-रात सेवा कार्यों में लगे हैं। वैसे ही समाज के अन्य लोग भी, इस समय, पीछे नहीं हैं। देश एक बार फिर एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। कोई क्वारेंटाइन में रह रहे परिवारों को भाेजन दवा आदि पहुंचा रहा है तो कोई निशुल्क एंबुलेंस की सुविधा दे रहा है। देश में अलग अलग स्वयंसेवी संगठन भी दूसरों की मदद के लिए जुटे हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है और उन्हें यह भी देखना चाहिए कि कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या ज्यादा है तो कोरोना को हरा कर ठीक होने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा है।
श्री मोदी ने इस कार्यक्रम में दो डॉक्टरों, दो नर्सों, एक एंबुलैंस ड्राइवर और एक ठीक हुए रोगी से बात करायी और लोगों को आत्मविश्वास दिलाने का प्रयास किया कि इस लहर को भी आसानी से हराया जा सकता है।
मोदी ने कहा, ‘‘आज आपसे ‘मन की बात’ ऐसे समय कर रहा हूं जब कोरोना हम सभी के धैर्य, हम सभी के दुःख बर्दाश्त करने की सीमा की परीक्षा ले रहा है। बहुत से अपने हमें असमय, छोड़कर चले गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना की पहली लहर का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के बाद देश हौंसले से भरा हुआ था, आत्मविश्वास से भरा हुआ था लेकिन इस तूफान ने देश को झकझोर दिया है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने देश के चिकित्सा जगत से लेकर दवा निर्माताओं और टीका निर्माताओं सहित अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से चर्चा की और इस दौरान उन्होंने सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय हमें इस लड़ाई को जीतने के लिए विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की सलाह को प्राथमिकता देनी है।’’
मोदी ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में राज्य सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाने में केंद्र सरकार पूरी शक्ति से जुटी हुई है और राज्यों की सरकारें भी अपना दायित्व निभाने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए ‘‘सकारात्मक भाव’’ बहुत ज्यादा जरूरी है और देशवासियों को इसे बनाए रखना है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना के इस संकट काल में टीके की अहमियत सभी को पता चल रही है, इसलिए मेरा आग्रह है कि टीके को लेकर किसी भी अफ़वाह में न आएं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से सभी राज्य सरकारों को मुफ्त टीके भेजे गए हैं जिसका लाभ 45 साल की उम्र के ऊपर के लोग ले सकते हैं और अब एक मई से देश में 18 साल के ऊपर के हर व्यक्ति के लिए टीके उपलब्ध होने वाले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार की तरफ से मुफ्त टीके का जो कार्यक्रम अभी चल रहा है, वह आगे भी चलता रहेगा।’’
मोदी ने राज्यों से आग्रह किया कि वह इस मुफ्त टीका अभियान का लाभ अपने राज्य के ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
प्रधानमंत्री ने इस बार की कड़ी में कोरोना से मुकाबला कर रहे चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य कोरोना योद्धाओं से बात की और उनके अनुभव सुने।
मुंबई के चिकित्सक शशांक से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर का फर्क जानना चाहा।
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन इसके साथ ही इससे ठीक होने की रफ्तार भी ज्यादा है और मृत्यु दर काफी कम है।
शशांक ने कहा कि जैसे लोग कपड़े बदलते हैं, वैसे ही कोरोना का वायरस भी अपना रंग बदल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए बिलकुल डरने की बात नहीं है और इस लहर को भी हम पार कर लेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही है कि कोरोना से बहुत लोग संक्रमित हो रहे हैं लेकिन, कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की संख्या भी उतनी ही ज्यादा है।
उन्होंने कोरोना को मात देकर स्वस्थ हो चुकीं गुरुग्राम की प्रीति चतुर्वेदी से बात की और उनके अनुभव सुने।
मोदी ने कहा कि इस बार की ‘मन की बात’ की कड़ी की पूरी चर्चा को उन्होंने कोरोना महामारी पर ही रखा क्योंकि आज सबसे बड़ी प्राथमिकता इस बीमारी को हराना है।
मोदी ने महावीर जयंती, रमजान, बुद्ध पूर्णिमा, गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व और टैगोर जयंती का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी हमें अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक नागरिक के तौर पर हम अपने जीवन में जितनी कुशलता से अपने कर्तव्यों को निभाएंगे, कोरोना के ताजा संकट से मुक्त होकर भविष्य के रास्ते पर उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेंगे।’’
मोदी ने लोगों से टीका लगवाने और कोरोना से बचाव के सभी उपायों का पालन करने का आग्रह करते हुए कहा कि ‘‘दवाई भी-कड़ाई भी’’ के मंत्र को कभी भी नहीं भूलना है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि देश जल्द ही साथ मिलकर इस आपदा से बाहर निकलेगा।