नयी दिल्ली, 24 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि मार्च और अप्रैल के महीनों में आम चुनावों के मद्देनजर ‘मन की बात’ कार्यक्रम का प्रसारण नहीं होगा। हालांकि उन्होंने मई, 2019 के अंतिम रविवार से वापसी की घोषणा भी की।
यदि आम चुनाव मार्च और अप्रैल में होते हैं तो मई के अंतिम रविवार से पहले यह स्पष्ट हो जाएगा कि अगली सरकार किसकी बनेगी।
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रहे हैं। 2014 में सत्ता में मोदी के आने के बाद से यह कार्यक्रम का 53वां प्रसारण था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है। अगले दो महीनों में, हम आम चुनावों में व्यस्त रहेंगे। मैं भी उम्मीदवार होऊंगा। स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हुए, मन की बात का अगला संस्करण मई के अंतिम रविवार (26 मई) को प्रसारित होगा।’’
विपक्षी दल चुनाव के दौरान ‘मन की बात’ के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करते रहे हैं। उनका कहना है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है क्योंकि इस संवाद से प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरूपयोग होता है।
सत्ता में वापसी का विश्वास जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आपके आशीर्वाद की ताकत’ से वह मई से कार्यक्रम के तहत संवाद की श्रृंखला शुरू करेंगे और ‘मन की बात’ के माध्यम से लोगों के साथ आने वाले वर्षों में बातचीत करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के समूल नाश के लिए जातिवाद और सम्प्रदायवाद सहित सभी मतभेदों को भुलाकर एकजुट होने की देशवासियों से अपील की है।
श्री मोदी ने रविवार को रेडियो से प्रसारित मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भारत माता की रक्षा की खातिर प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों को नमन करते हुए कहा कि यह शहादत आतंक को समूल नष्ट करने के लिए निरन्तर प्रेरित करेगी तथा संकल्प को और मजबूत करेगी।
उन्होंने कहा, “देश के सामने आयी इस चुनौती का सामना हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकी सभी मतभेदों को भुलाकर करना है, ताकि आतंक के खिलाफ़ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों।”
उन्होंने देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे पुलवामा आतंकवादी हमले में जवानों की शहादत से देश के नागरिकों में उत्पन्न जज्बे और भावनाओं को जानने, समझने और जीवन में उतारने का प्रयास करें।
श्री मोदी ने कहा कि पुलवामा के आतंकवादी हमले में वीर जवानों की शहादत के बाद देश-भर में लोगों के मन में आघात और आक्रोश है।
उन्होंने कहा, “शहीदों और उनके परिवारों के प्रति चारों तरफ संवेदनाएं उमड़ पड़ी हैं। इस आतंकी हिंसा के विरोध में जो आवेग आपके और मेरे मन में है, वही भाव हर देशवासी के अंतर्मन में है और मानवता में विश्वास रखने वाले विश्व के भी मानवतावादी समुदायों में है।”
आतंकवादियों और उनके मददगारों के समूल नाश के सेना के संकल्प का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं। शांति की स्थापना के लिए जहां उन्होंने अद्भुत क्षमता दिखायी है वहीं हमलावरों को भी उन्हीं की भाषा में जवाब देने का काम किया है। हमले के 100 घंटे के भीतर ही मिले परिणाम इसका परिचायक हैं।
उन्होंने कहा, “वीर सैनिकों की शहादत के बाद, उनके परिजनों की जो प्रेरणादायी बातें सामने आयी हैं उसने पूरे देश के हौंसले को और बल दिया है| बिहार के भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने, दुःख की इस घड़ी में भी जिस ज़ज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है।”
प्रधानमंत्री ने झारखंड के विजय सोरेन की शहादत और उनके मासूम बेटे के जज्बे का जिक्र करते हुए कहा, “जब तिरंगे में लिपटे शहीद विजय सोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुंचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज़ में जाऊँगा| इस मासूम का जज़्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है| ऐसी ही भावनाएं हमारे वीर, पराक्रमी शहीदों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारा एक भी वीर शहीद इसमें अपवाद नहीं है, उनका परिवार अपवाद नहीं है| चाहे वह देवरिया के शहीद विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के शहीद हेमराज का छह साल का बेटा हो – शहीदों के हर परिवार की कहानी, प्रेरणा से भरी हुई है।’’
श्री मोदी ने देशभक्ति और त्याग तपस्या को जानने के लिए इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने के बजाय शहीद परिवारों के जज्बे को जानने और समझने का युवा-पीढ़ी से अनुरोध किया। उन्होंने कहा, “देशभक्ति क्या होती है, त्याग-तपस्या क्या होती है- उसके लिए हमें इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”
उन्होंने इस कार्यक्रम के जरिये पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।
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