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नरेन्द्र मोदी का किसानों की आय दोगुनी करने का निर्णय:लागत खर्च में कटौती,फसलों का उचित दाम, उत्पादों को बचाना और आय के वैकल्पिक स्त्रोत Attack News

नयी दिल्ली , 20 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के किसानों से संवाद करते हुए कृषि क्षेत्र का बजट दोगुना करके 2.12 लाख करोड़ रुपये करने समेत इस क्षेत्र में अपनी सरकार के अभूतपूर्व कार्यों का ब्योरा पेश किया।

मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए काम कर रही है।

मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये 600 से अधिक जिलों के किसानों से बातचीत करते हुए बुवाई से लेकर उत्पादों के बाजार में पहुंचने तक में किसानों की मदद के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को गिनाया।

उन्होंने कहा कि सरकार सघन एवं संतुलित नीति के जरिये किसानों की आय बढ़ाने के लिए गुणवत्तायुक्त बीज , उर्वरक , पानी तथा बिजली आदि मुहैया कराने पर ध्यान दे रही है।

मोदी ने कहा , ‘‘ हमने 2022 तक किसानों की बाय दोगुनी करने का निर्णय लिया है। जब मैं किसानों की आय दोगुनी करने की बात की तो , काफी सारे लोगों ने इसका मजाक उड़ाया और कहा कि यह तो संभव ही नहीं है , ऐसा होना बड़ा मुश्किल है। ऐसे लोगों ने निराशा का वातावरण बनाया । पर हमने निर्णय लिया क्योंकि मुझे किसानों पर पूरा भरोसा है। ’’

उन्होंने कहा कि कृषि आय बढ़ाने के लिए सरकारी नीति में चार बड़े कदम ‘ लागत खर्च में कटौती , फसलों की उचित कीमत , उत्पादों को खराब होने से बचाना तथा आय के वैकल्पिक स्रोत सृजित करना ’ उठाये गये हैं।

उन्होंने कहा कि 2018-19 के बजट में किसानों को उनकी लागत के 150 प्रतिशत के समतुल्य कीमत दिलाने के लिए कदम उठाये गये हैं।

उन्होंने कहा , ‘‘ पिछली सरकार के पांच साल में कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन 1.21 करोड़ रुपये था। इसे 2014-19 के दौरान बढ़ाकर 2.12 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया , जो कि लगभग दोगुना है। इससे किसानों के कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखती है। ’’

मोदी ने कहा , ‘‘ हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि हमारे मेहनती किसानों की आय 2022 तक दोगुनी हो जाए। इसके लिए हम जहां भी जरूरत पड़े , समुचित मदद उपलब्ध करा रहे हैं। हमें देश के किसानों पर भरोसा है। ’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में न सिर्फ रिकार्ड फसल उत्पादन हो रहा है बल्कि दूध , फल और सब्जियों का उत्पादन भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। 2010 से 2014 के बीच औसतन 25 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 2017-18 में 28 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है। दालों का उत्पादन औसतन 10.5 प्रतिशत बढ़ा है। मछली एवं दूध का उत्पादन क्रमश : 26 प्रतिशत और 24 प्रतिशत तथा अंडे का उत्पादन 25 प्रतिशत बढ़ा है।

मोदी ने किसानों को बुवाई से लेकर उनके उत्पाद बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया में मदद के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की योजना की बात करते हुए कहा , ‘‘ हमारा प्रयास किसानों को कृषि के हर चरणों ‘ बुवाई , बुवाई के बाद तथा कटाई ’ में सहायता मुहैया कराना है। ’’

उन्होंने कहा कि सबसे पहले किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जा रहा है जिससे उन्हें उनकी जमीन की उर्वरता की जानकारी हो सके तथा उनकों उर्वरकों के सही इस्तेमाल के बारे में सलाह दी जा सके।

इसके बाद उन्हें कर्ज सुलभ कराया जा रहा है जिससे वे अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीद सकते हैं। उन्होंने कहा कि नीम कोटिंग यूरिया ने उर्वरक की कालाबाजारी पर रोक सुनिश्चित की है और किसानों को बिना किसी दिक्कत के इसकी उपलब्धता होने लगी है।

उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम दिलाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई – नाम शुरू किया गया है जिससे बिचौलियों को दूर किया जा सका है।

मोदी ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन , डेयरी , मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दे रही है।

मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत करीब 100 परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं ताकि सभी खेतों तक पानी पहुंच सके। सरकार प्रति बूंद अधिक फसल को बढ़ावा देने तथा लागत में कमी लाने के लिए बूंद सिंचाई पर भी ध्यान दे रही है।

मोदी ने कहा कि किसान फसलों में मूल्यवर्धन कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले चार साल में 500 से अधिक किसान उत्पादक संगठन बनाये गये हैं जिससे किसानों को कम लागत खर्च समेत बेहतर बिक्री में मदद मिली है। इन संगठनों को आयकर से भी छूट दी गयी है।

नयी फसल बीमा योजना के बारे में बातें करते हुए उन्होंने कहा कि पुरानी योजना में किसानों को दावे पर पैसे नहीं मिल पा रहे थे। उन्होंने कहा , ‘‘ हमने प्रीमियम कम किया और बीमा सुरक्षा का दायरा विस्तृत किया। ’’

उन्होंने कहा कि इससे बीमा का दायरा 60-65 प्रतिशत बढ़ा है।

मोदी ने कहा कि सरकार ने पिछले चार साल में 12.5 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड मुहैया कराया है जिससे किसानों को उत्पादकता बढ़ाने तथा लागत खर्च कम करने में मदद मिली है।

पूर्वोत्तर के किसानों के बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि 2013-14 के सात लाख हेक्टेयर की तुलना में 21 लाख हेक्टेयर जमीन को जैविक खेती के दायरे में लाया गया है।attacknews.in

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