नयी दिल्ली, आठ फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल’’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में सुधार होते हैं तो उसका विरोध होता है। उन्होंने कहा कि जब देश में हरित क्रांति आई थी उस समय भी कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों का विरोध हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।’’
मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी और इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में कुछ समय बाद सुधार होते रहे हैं और अच्छे सुझावों को स्वीकार करना तो लोकतंत्र की परंपरा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। मैं आप सब को निमंत्रण देता हूं कि देश को आगे ले जाने के लिए साथ आएं। कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, देश को आगे ले जाना होगा।’’
मोदी ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और अभी तक वार्ता में कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक दूसरे की बात को समझने, समझाने का प्रयास चल रहा है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा देश है और जब भी कोई नई चीज आती है तो थोड़ा बहुत असमंजस होता है, हालांकि असमंजस की भी स्थिति थोड़ी देर होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्रांति के समय जब कृषि सुधार हुए तब भी ऐसा हुआ था। आंदोलन हुए थे। लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे और कैबिनेट में भी विरोध के स्वर उठे थे। लेकिन शास्त्री जी आगे बढ़े। उन पर अमेरिका के इशारे पर चलने के आरोप लगे। कांग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट तक करार दिया गया था। ’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमे आगे बढ़ना होगा।’’
राष्ट्रपति का अभिभाषण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राह दिखाने वाला है: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण को विश्व में एक नयी आशा जगाने वाला और आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला करार दिया।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी के इस कालखंड में आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और वह भारत से अपेक्षाएं भी रखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्व आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच….। इन चुनौतियों के बीच इस दशक के प्रारंभ में ही राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो अपना उद्बोधन दिया, वह अपने आप में इस चुनौती भरे विश्व में एक नई आशा जगाने वाला, नयी उमंग पैदा करने वाला और नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला है।’’
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता, राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते… तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती।’’
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ताकत इतनी थी कि न सुनने के बावजूद भी विपक्षी सदस्य सदन में ‘‘बहुत कुछ’’ बोल पा रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अपने आप में उनके भाषण की ताकत है, उन विचारों की ताकत है, उन आदर्शों की ताकत है जो न सुनने के बाद भी पहुंच गई।’’
कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और वह भारत से अपेक्षाएं भी रखता है।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रति दुनिया का विश्वास बढ़ा है।
‘आंदोलनजीवी’ लोगों से बचे देश: मोदी
किसान आंदोलन के चलते देश और दुनिया में सरकार की आलोचना करने वालों को आडे हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि लोगों को गुमराह करने वाली ताकतों को पहचानने तथा इनसे बचने की जरूरत है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए श्री मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्द तो सबने सुने होंगे लेकिन अब एक नयी जमात और एक नयी बिरादरी सामने आयी है और वह है ‘आंदोलनजीवी’।
उन्होंने कहा कि ये लोग हर आंदोलन में नजर आयेंगे चाहे वह वकीलों , छात्रों या किसी अन्य का आंदोलन हो। उन्होंने कहा कि ये हर आंदोलन में घुस जाते हैं कहीं आगे से तो कहीं पीछे से और यह पूरी टोली है।
उन्होंने कहा, “ ये लोग आंदोलन के बिना नहीं जी सकते इन्हें पहचानने तथा इनसे बचने की जरूरत है। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचें। ”
प्रधानमंत्री ने इन लोगों को परजीवी की संज्ञा देते हुए कहा कि ये परजीवी हर राज्य में होते हैं और वहां की सरकारों को भी विभिन्न आंदोलनों के समय इनसे दो-चार होना पड़ता है।
हाल ही में कुछ विदेशियों द्वारा किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर की गयी टिप्पणियों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से देश में विकास होता है लेकिन अभी देश को एक नये तरह के एफडीआई से दो-चार होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यह एफडीआई ‘फोरन डिस्ट्रक्टीव आइडियोलॉजी’ है और देश को इससे बचना है। इसके लिए सभी को जागरूक रहने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि कृषि सुधारों को लेकर बनाये गये कानूनों के विरोध में देश के किसान और कुछ संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन की आड में कुछ निहित स्वार्थी तत्व भी अपना एजेंडा चला रहे हैं और वे किसान आंदोलन के बहाने सरकार पर हमला कर रहे हैं। कुछ विदेशियों ने भी किसानों के समर्थन में टिप्पणी की हैं।