Home / Parliament/ Assembly / कृषि कानूनों की खिलाफत करते हुए विपक्ष द्वारा  लाया गया हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा;प्रस्ताव के पक्ष में 32 तो विरोध में 55 मत पड़े attacknews.in

कृषि कानूनों की खिलाफत करते हुए विपक्ष द्वारा  लाया गया हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा;प्रस्ताव के पक्ष में 32 तो विरोध में 55 मत पड़े attacknews.in

चंडीगढ़,10 मार्च । हरियाणा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) गठबंधन सरकार के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बुधवार को गिर गया।

सदन में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव उसकी संख्या बल के आधार पर पहले से ही कमजोर माना जा रहा था।
सदन में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 30 है और मतदान के दौरान उसके सभी सदस्य सदन में मौजूद थे। इसके अलावा दो निर्दलीय विधायक सोमगीर सांगवान और बलराज कुंडू ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया।

सदन में भाजपा के 40, जजपा के 10 सदस्य हैं। इसके अलावा सरकार को पांच निर्दलीय विधायकों और हरियाणा लोकतांत्रिक पार्टी के एक विधायक का समर्थन मिला। सदन के कुल सदस्यों की संख्या 90 है जिनमें से दो सीट रिक्त हैं और एक सदस्य विधानसभा अध्यक्ष हैं।

प्रस्ताव के पक्ष में 32 तो विरोध में 55 मत पड़े। कांग्रेस यह प्रस्ताव केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध तथा किसान आंदोलन के समर्थन में लेकर आई थी।

सदन में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव उसकी संख्या बल के आधार पर पहले से ही कमजोर महज राजनीतिक शंगूफा माना जा रहा था। हालांकि उसका यह दावा था कि इस अविश्वास प्रस्ताव के लाने से वे सदस्य बेनकाब होंगे जो कृषि कानूनों के पक्ष और किसान आंदोलन के विरोध में हैं। सदन में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 30 है और मतदान के दौरान उसके सभी सदस्य सदन में मौजूद थे। इसके अलावा दो निर्दलीय विधायकों सोमगीर सांगवान और बलराज कुंडू ने भी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया।

वहीं विधानसभा अध्यक्ष को छोड़ कर सदन में भाजपा के 39, जजपा के 10 सदस्य हैं। इसके अलावा सरकार को पांच निर्दलीय विधायकों और हरियाणा लोकतांत्रिक पार्टी के एक विधायक गोपाल कांडा का समर्थन मिला। सदन के कुल सदस्यों की संख्या 90 है जिनमें से दो सीटें रिक्त हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के सदन में लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के जबाव में कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुये उस पर किसानों को कृषि कानूनों को लेकर गुमराह करने और भड़काने के आरोप लगाते हुये उसे आड़े हाथ लिया।

उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाये गये कदमों और योजनाओं की भी विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये कांग्रेस का धन्यवाद व्यक्त कर उस पर तंज कसते हुये कहा कि इससे उन्हें उनकी सरकार के किये गये कार्यों और उपलब्धियों के बारे में सदन में विस्तार से जानकारी देने का मौका मिलेगा और अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने तक विपक्ष को भी उनकी पूरी बात सुननी पड़ेगी अन्यथा सदन में अपनी बात कहने के बाद जबाव सुनने की बारी आती है तो वह बहिर्गमन कर जाता है।

उन्होंने कहा कि किसान और विपक्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं जबकि वह आंकड़ों के आधार पर बताना चाहते हैं कि अगर केंद्र सरकार सारी फसल की एमएसपी पर खरीदने को लेकर कोई कानून बनाती है तो यह खरीद लगभग 17 लाख करोड़ रूपये की होगी जबकि देश का कुल बजट ही 27-28 लाख करोड़ रूपये है। एमएसपी गारंटी कानून से हरियाणा और पंजाब के किसानों को भारी नुकसान होगा क्योंकि ऐसे कानून के बनने और कोटा निर्धारित होने से अन्य राज्यों की भी इस राशि भागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस समय देश के कुछेक राज्यों के लगभग छह प्रतिशत किसानों से लगभग 1.50 लाख करोड़ रूपये की खरीद कर रही है। श्री हुड्डा ने इस दौरान हस्तक्षेप करते हुये दावा किया कि किसानों की यह संख्या लगभग 16 प्रतिशत है।

श्री खट्टर ने कहा कि अविश्वास कांग्रेस की संस्कृति है। इस पार्टी में अपने ही नेताओं का एक दूसरे के प्रति अविश्वास है। सर्जीकल स्ट्राईक, इवीएम, गलवान घाटी में सैनिकों जज्बा, पुलवामा हमला, कोविड वैक्सीन जैसे अनेक ऐसे विषय है जिनके प्रति कांग्रेस में अविश्वास है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि कानून कदापि वापिस नहीं होंगे अलबत्ता इनमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने और आंदोलन करने अधिकार है लेकिन इसमें यह भी ध्यान रखा जाना चाहिये इससे अन्य नागरिकों के अधिकारों का तो हनन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के गत लगभग 100 दिनों में राज्य के उद्योगों को लगभग आठ हजार करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है तथा इस मार्च के अंत तक यह बढ़ कर 11000 करोड़ रूपये हो जाएगा। राज्य में टौल फ्री किये जाने से भी 212 करोड़ रूपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है और यह बोझ आखिरकार जनता पर ही पड़ने वाला है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे आंदोलन का नेतृत्व करने वालों के बहकावे में आकर अपनी फसलें नष्ट कर खुद का नुकसान न करें।

उन्होंने कहा कि इस आंदोलन से किसी का लाभ नहीं होगा। उन्होंने विपक्ष से भी आग में घी डालने के वजाय आंदोलन समाप्त करने में मदद और किसानों को इसके लिये प्ररित करने की अपील की। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुये कहा ‘ आग लगाने वालों को नहीं है इसकी खबर, गर रूख हवाओं का बदला ताे खुद ही खाक हो जाओगे ‘।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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