Home / अंतराष्ट्रीय / राम मंदिर भूमि पूजन पर नरेन्द्र मोदी ने बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे ‘‘हमारे रामलला’’ के लिए होने वाले भव्य मंदिर निर्माण को भारतीय संस्कृति का आधुनिक ,शाश्वत आस्था और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बताया attacknews.in

राम मंदिर भूमि पूजन पर नरेन्द्र मोदी ने बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे ‘‘हमारे रामलला’’ के लिए होने वाले भव्य मंदिर निर्माण को भारतीय संस्कृति का आधुनिक ,शाश्वत आस्था और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बताया attacknews.in

अयोध्या, पांच अगस्त । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ का शिलान्यास करने के बाद कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है तथा इससे समूचे अयोध्या क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वतंत्रता दिवस लाखों बलिदानों और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है, उसी तरह राम मंदिर का निर्माण कई पीढ़ियों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।

मोदी ने कहा कि यह मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा तथा करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। यह आने वाली पीढ़ियों को आस्था और संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। इससे समूचे अयोध्या क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने एक समारोह को संबोधित किया और इसकी शुरुआत ‘‘सियावर रामचंद्र की जय’’ के उद्घोष से की।

उन्होंने कहा कि यह उद्घोष सिर्फ राम की नगरी में ही नहीं, बल्कि इसकी गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही है। उन्होंने सभी देशवासियों को और विश्व में फैले करोड़ों राम भक्तों को इस ‘‘पवित्र’’ अवसर पर ‘‘कोटि कोटि’’ बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे ‘‘हमारे रामलला’’ के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो।

उन्होंने कहा, ‘‘15 अगस्त का दिन लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई सदियों तक कई पीढ़ियों ने लगातार प्रयास किया और आज का यह दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।’’

उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था।

उन्होंने कहा, ‘‘जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सबको आज 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं।’’

मोदी ने कहा कि राम का मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ये मंदिर करोड़ों-करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा।’’

रामजन्म भूमि का पूजन करने के अवसर पर कहा कि राममंदिर के निर्माण की यह प्रक्रिया राष्ट्र को जोडऩे का उपक्रम है। यह विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का,नर को नारायण से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का,वर्तमान को अतीत से जोड़ने का और स्वयं को संस्कार से जोडऩे का महोत्सव है।

उन्होने कहा “ आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है. मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी।”

श्री मोदी ने कहा कि जो राम तुलसी और कबीर के समय से भजनों में विश्वास दे रहे हैं वहीं स्वतंत्रता आंदोलन के समय में महात्मा गांधी के वचनों में देशवासियों को शक्ति दे रहे हैं। राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था ,तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था. जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राममंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है। मैं उन सबको आज 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं।

उन्होने कहा कि कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का ये कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। श्रीराम के काम में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था, जब उच्चतम न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। हमने तब भी देखा था कि कैसे सभी देशवासियों ने शांति के साथ, सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। आज भी हम हर तरफ वही मर्यादा देख रहे हैं।

श्री मोदी ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम बनेगी। मंदिर के बनने के बाद पौराणिक नगरी की न सिर्फ भव्यता बढ़ेगी बल्कि इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र भी बदल जाएगा। श्रीराम का मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। यहां हर क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे। पूरी दुनिया प्रभु राम और माता जानकी का दर्शन करने आएगी।

उन्होने कहा कि जो राम तुलसी और कबीर के समय से भजनों में विश्वास दे रहे हैं वहीं स्वतंत्रता आंदोलन के समय में महात्मा गांधी के वचनों में देशवासियों को शक्ति दे रहे हैं।

उन्होने कहा कि श्रीराम का संदेश है अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। यह भी श्री राम की नीति है भय बिन होय न प्रीति। देश जितना ताकतवर होगा उतनी ही शांति ही बनी रहेगी। राम की यही नीति यही रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है।

उन्होने कहा “ राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, समय के साथ चलना सिखाते हैं। कोई भी दुखी ना हो, कोई भी गरीब ना हो, नर नारी सभी समान रूप से सुखी हों। जो शरण में आए उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। महात्मा गांधी ने इन्हीं मंत्रों के आलोक में रामराज्य का सपना देखा था। राम का जीवन उनका चरित्र ही गांधी जी के राम राज्य का रास्ता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रभु राम ने लंका विजय के लिये समाज के हर वर्ग का साथ लिया। उन्होने केवट से लेकर वनवासी बंधुओ को अपनी विजय का माध्यम बनाया। जिस तरह दलितों पिछड़ों आदिवासियों समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गांधी को सहयोग दिया, उसी तरह आज देश भर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का यह पुनीत कार्य शुरू हुआ है।

उन्होने कहा “ आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है। मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी।”

अपने संबोधन से पहले, प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण की आधारशिला से संबंधित एक पट्टिका का अनावरण किया और इस मौके पर ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ से संबंधित विशेष डाक टिकट भी जारी किया।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में ‘सियापति रामचंद्र’ का जयकारा लगाया।

पारंपरिक धोती-कुर्ता पहने प्रधानमंत्री ने इससे पहले भूमि पूजन कर राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी।

अयोध्या पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमान जी की पूजा-अर्चना की और फिर राम जन्मभूमि क्षेत्र पहुंचकर भगवान राम को दंडवत प्रणाम किया और पारिजात का पौधा लगाया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास सहित बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद थे।

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