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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने की अधिसूचना जारी और J&K तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बने attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 अगस्त । मोदी सरकार ने आज ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को हटाने तथा राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने का निर्णय लिया है। 


केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में विधानसभा का प्रावधान नहीं रखा गया है। राजनीतिक रुप से दूरगामी प्रभाव वाले सरकार के इन असाधारण फैसलों से जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले सप्ताह से चली आ रही अटकलबाजियों पर विराम लग गया। 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार सुबह पहले सुरक्षा मामलों की समिति और फिर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन फैसलों पर मुहर लगायी गयी। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ अपने आवास पर लगभग एक घंटे तक गहन विचार मंथन किया। 


संसद पहुंच कर गृह मंत्री शाह ने विपक्ष के कड़े विरोध और भारी शोरशराबे के बीच राज्य को दो हिस्सों में बांटने से संबंधित ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019’ तथा संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड एक को छोड़कर अन्य सभी खंडों को निष्प्रभावी करने तथा 35 ए को समाप्त करने संंबंधी संकल्प राज्यसभा में पेश किये। 


इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड ‘एक’ के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अनुच्छेद 35 ‘ए’ यानि संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू ) आदेश 1954 को निरस्त कर दिया। अब नये आदेश संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू) आदेश 2019 इसकी जगह ले ली है। यह तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। अनुच्छेद 35 ‘ए’ राज्य के लोगों की पहचान और उनके विशेष अधिकारों से संबंधित था।


पुनर्गठन विधेयक के अनुसार केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की अलग से विधानसभा होगी लेकिन केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। 


अनुच्छेद 35 ए के तहत राज्य के लोगों को स्थायी नागरिक के तौर पर विशेष अधिकार और पहचान मिली हुई थी। इसमें विभाजन के समय पाकिस्तान से आये शरणार्थियों को स्थायी नागरिक नहीं माना गया था। अन्य प्रावधानों के अनुसार देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोग जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते और न ही उन्हें सरकारी विभागों में नौकरी का अधिकार था। जम्मू-कश्मीर की किसी भी महिला को राज्य से बाहर के व्यक्ति के साथ विवाह के बाद अपने इन सभी अधिकारों को छोड़ना पड़ता था। 


राज्यसभा में पेश प्रस्ताव:


सरकार ने जम्मू कश्मीर को दो भागों में विभक्त करने वाला विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को सोमवार को राज्यसभा में पेश किया इससे लद्दाख को अलग कर केन्द्रशासित क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव किया गया । 


गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में इस विधेयक को पेश करते हुये कहा कि जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांटा जायेगा। लद्दाख के लोगों की वर्षाें से यह मांग थी कि उसे अलग राज्य का दर्जा दिया जाये। इसके मद्देजनर लद्दाख को केन्द्रशासित क्षेत्र का दर्जा दिया जायेगा लेकिन उसका विधानमंडल नहीं होगा। 


उन्होंने कहा कि आतंरिक सुरक्षा और सीमापार आंतकवाद के मद्देनजर जम्मू कश्मीर भी केन्द्र शासित प्रदेश होगा लेकिन इसका विधानमंडल होगा। 


इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, पीडीपी और आम आदमी पार्टी के सदस्यों के सदन भारी हंगामा शुरू कर दिया और सदन के बीचाेंबीच पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। इस बीच सदन ने ध्वनिमत से इन विधेयकों को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया। इस दौरान हंगामा कर रहे सदस्य सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में नारे लगाते हुये सभापति के आसन के पास बैठ गये। पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज ने गुस्से में आकर अपना कुर्ता फाड़ लिया जिससे सदन में अजीबो गारीब स्थिति पैदा हो गयी।


लोकसभा में विपक्ष का हंगामा:


कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने कश्मीर के मुद्दे पर सोमवार को सदन में जबरदस्त हंगामा किया और इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बयान देने की मांग की।


सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्य सदन के बीच में आकर हंगामा करने लगे। विपक्षी दलों ने नारेबाजी करते हुए श्री मोदी से बयान देने की मांग की। हंगामे के दौरान सदस्य ‘तानाशाही नहीं चलेगी’, ‘दादागिरी नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाते रहे।


अध्यक्ष ओम बिड़ला के सदस्यों को शांत रहने और अपने स्थान पर बैठने की अपील करने के बावजूद विपक्षी दलों की ओर से हंगामा जारी रहा।


संविधान की प्रति फाड़ी:


विपक्ष के अभूतपूर्व हंगामे , संविधान की प्रति फाड़ने , दो सांसदों को मार्शल द्वारा सदन से बाहर किये जाने और हाथापायी के बाद सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान अनुच्छेद 370 (1) को छोड़कर उसके अन्य सभी प्रावधान हटाने को लेकर संकल्प और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पर चर्चा शुरु हो गयी । 
सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प और विधेयक पेश करते कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी , समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, पीडीपी और आम आदमी पार्टी के सदस्यों के सदन में भारी हंगामा शुरू कर दिया और सदन के बीचाेंबीच पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। 


इस दौरान हंगामा कर रहे सदस्य सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में नारे लगाते हुये सभापति के आसन के निकट धरना पर बैठ गये । पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज ने गुस्से में आकर अपना कुर्ता फाड़ लिया जिससे सदन में अजीबो गारीब स्थिति पैदा हो गयी। इसके बाद पीडीपी के एक सदस्य ने संविधान की प्रति और दूसरे ने विधेयक की प्रति को फाड़कर उछाल दिया । 


सभापति एम वेंकैया नायडु ने पीडीपी के नजीर अहमद और मीर मोहम्मद फैयाज का नाम लिया और मार्शल को उन्हें सदन से बाहर करने का आदेश दिया। इसी दौरान भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने उनके साथ हाथापायी का प्रयास किया। इसके बाद दोनों को सदन से बाहर कर दिया गया। सभापति ने सत्तारुढ दल के सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे किसी सदस्य को छू नहीं सकते हैं । उन्होंने कहा कि राष्ट्र के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा । 


जद यू का बहिष्कार और बसपा का समर्थन करना:



जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के लेकर केन्द्र सरकार का समर्थन करने वाले जनता दल (यू) ने राज्यसभा से आज वाकआउट किया जबकि अधिकांश मौके पर मोदी सरकार का विरोध करने वाली बहुजन समान पार्टी ने इसका समर्थन कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया । 


राज्यसभा में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान जनता दल (यू) के रामनाथ ठाकुर ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 पर न्यायालय के निर्णय या इस मुद्दे पर आपसी समझौते से कोई निर्णय किया जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने वाकआउट की घोषणा की । 


बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम केवल जम्मू कश्मीर में ही नहीं हैं। इससे बहुत अधिक देश के दूसरे हिस्से में हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के समाप्त होने पर अल्पसंख्यक और दलित भी जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं। उनकी पार्टी ने इस कारण इसका समर्थन किया है। 


वाईएसआर कांग्रेस के विजय साय रेड्डी ने भी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया । 


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