नयी दिल्ली, 14 अगस्त ।राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को पड़ोसी देशों को आगाह किया कि भारत की आस्था शांति में है, लेकिन यदि कोई अशांति पैदा करने की कोशिश करेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
श्री कोविंद ने 74वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम सम्बोधन में चीन का नाम लिये बिना कहा कि जब कोरोना जैसी महामारी से विश्व समुदाय को एक साथ निपटने की आवश्यकता है, तब पड़ोसी देश ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया।
उन्होंने कहा, “आज विश्व समुदाय, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’, अर्थात् ‘समस्त विश्व एक ही परिवार है’ की उस मान्यता को स्वीकार कर रहा है, जिसका उद्घोष हमारी परंपरा में बहुत पहले ही कर दिया गया था। आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया। सीमाओं की रक्षा करते हुए, हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत माता के वे सपूत, राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे।”
राष्ट्रपति ने गलवान घाटी में शहीदोंं को नमन करते हुए कहा, “पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है। हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।”
राम मंदिर पर निर्णय स्वीकारना सौहार्द का बेहतरीन उदाहरण : कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि देशवासियों ने न्यायिक निर्णय को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हुए विश्व समुदाय के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया।
श्री कोविंद ने कहा कि 10 दिन पहले ही अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ है और इससे देशवासियों को गौरव की अनुभूति हुई है। देशवासियों ने लंबे समय तक धैर्य और संयम का परिचय दिया और देश की न्याय व्यवस्था में सदैव आस्था बनाए रखी।
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से प्रशस्त होगा नये भारत का मार्ग : कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने देश में हाल ही में लागू नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दूरदर्शी और दूरगामी परिणाम वाली नीति करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे नये भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।
श्री कोविंद ने कहा कि देश के नौनिहालों और युवाओं को भविष्य की जरूरतों के अनुसार शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से केंद्र सरकार ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ लागू करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नयी शिक्षा नीति से गुणवत्ता युक्त एक नयी शिक्षा व्यवस्था विकसित होगी जो भविष्य में आने वाली चुनौतियों को अवसर में बदलकर नये भारत का मार्ग प्रशस्त करेगी।
उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं को अपनी रूचि और प्रतिभा के अनुसार अपने विषयों को चुनने की आजादी होगी। उन्हें अपनी क्षमताओं को विकसित करने का अवसर मिलेगा। हमारी भावी पीढ़ी, इन योग्यताओं के बल पर न केवल रोजगार पाने में समर्थ होगी, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी।”
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक दूरदर्शी और दूरगामी परिणाम वाली नीति है। इससे शिक्षा में ‘समावेशन (इन्क्लूजन)’, ‘नवाचार (इनोवेशन)’ और ‘संस्था (इंस्टीट्यूशन)’ की संस्कृति को मजबूती मिलेगी। नयी शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में अध्ययन को महत्व दिया गया है, जिससे बालमन सहजता से पुष्पित-पल्लवित हो सकेगा। साथ ही इससे सभी भारतीय भाषाओं और भारत की एकता को आवश्यक बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए उसके युवाओं का सशक्तीकरण आवश्यक होता है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में एक बड़ा कदम है।
कोरोना का सर्वाधिक असर गरीबों पर, केंद्र ने उठाये कई कदम : कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने देश में कोरोना महामारी के प्रकोप पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि इसका सबसे कठोर प्रहार गरीबों पर हुआ है और सरकार ने इसके प्रभाव से उबारने के लिए कई कल्याणकारी कदम उठाये हैं, जिसने अस्त-व्यस्त जीवन का कष्ट कम किया है।
श्री कोविंद ने कहा कि कोरोना का प्रभाव गरीबों और राेजाना आजीविका कमाने वालों पर सबसे अधिक हुआ है। संकट के इस दौर में, उन्हें सहारा देने के लिए, वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं।
‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ की शुरूआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है, ताकि महामारी के कारण नौकरी गंवाने, एक जगह से दूसरी जगह जाने तथा जीवन के अस्त-व्यस्त होने के कष्ट को कम किया जा सके।