नयी दिल्ली, 14 अगस्त । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को विश्वास जताया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले से ‘वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे।’
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कोविंद ने कहा, ‘‘…मुझे विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए हाल ही में किए गए बदलावों से वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे। वे भी अब उन सभी अधिकारों और सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे जो देश के दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को मिलती हैं।’’
कोविंद ने कहा, ‘‘वे भी अब समानता को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील क़ानूनों और प्रावधानों का उपयोग कर सकेंगे। ‘शिक्षा का अधिकार’ (आरटीई) कानून लागू होने से सभी बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। ‘सूचना का अधिकार’ मिल जाने से, अब वहां के लोग जनहित से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे; पारंपरिक रूप से वंचित रहे वर्गों के लोगों को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण तथा अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी।’’
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने और राज्य को विभाजित करने का फैसला लिया था। इससे जुड़े संकल्प एवं विधेयक को संसद की मंजूरी मिल चुकी है। दोनों केंद्र शासित प्रदेश — जम्मू कश्मीर और लद्दाख– 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आएंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लोकतन्त्र को मजबूत बनाने के लिए, संसद और विधानसभाओं में, आदर्श कार्य-संस्कृति का उदाहरण पेश करने के लिए कहा है ताकि निर्वाचित सदस्य अपने मतदाताओं के विश्वास पर खरे उतरें।
श्री काेविंद ने आज 73 वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबाेधन में यह आह्वान करते हुए कहा कि हाल ही में सम्पन्न संसद सत्र में लद्दाख को नया केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने , तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी कानून बनाने और सूचना के अधिकार संशोधन कानून से लोगों के अधिकार मिल सकेंगे और राष्ट्र-निर्माण का काम सुदृढ होगा ।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के इस अभियान में हर संस्था और हितधारक को एक-जुट होकर काम करने की आवश्यकता होती है। एक-जुट होकर आगे बढ़ने की इसी भावना के बल पर हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई थी। मतदाताओं और जन-प्रतिनिधियों के बीच, नागरिकों और सरकारों के बीच, तथा सिविल सोसायटी और प्रशासन के बीच आदर्श साझेदारी से ही राष्ट्र-निर्माण का हमारा अभियान और मजबूत होगा।
उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को 150 वे जयंती वर्ष में याद करते हुए कहा कि गांधीजी का मार्गदर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने हमारी आज की गंभीर चुनौतियों का अनुमान पहले ही कर लिया था। गांधीजी मानते थे कि हमें प्रकृति के संसाधनों का उपयोग विवेक के साथ करना चाहिए ताकि विकास और प्रकृति का संतुलन हमेशा बना रहे।
उन्होंने पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता पर ज़ोर दिया और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीवन जीने की शिक्षा भी दी। वर्तमान में चल रहे हमारे अनेक प्रयास गांधीजी के विचारों को ही यथार्थ रूप देते हैं। अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे देशवासियों का जीवन बेहतर बनाया जा रहा है। सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देना भी गांधीजी की सोच के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि 2019 का यह साल, गुरु नानक देवजी का 550वां जयंती वर्ष भी है। वे भारत के सबसे महान संतों में से एक हैं। मानवता पर उनका प्रभाव बहुत ही व्यापक है। सिख पंथ के संस्थापक के रूप में लोगों के हृदय में उनके लिए जो आदर का भाव है, वह केवल हमारे सिख भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है। भारत और पूरी दुनिया में रहने वाले करोड़ों श्रद्धालु उन पर गहरी आस्था रखते हैं।