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संसद का 16वां दिन भी हंगामें की भेंट चढ़ा ,नहीं हो सका राज्यसभा के सेवानिवृत्त सदस्यों का बिदाई भाषण Attack News

नयी दिल्ली, 27 मार्च। संसद के दोनों सदनों में पिछले तीन सप्ताह से जारी गतिरोध आज भी जारी रहा और लगातार 16वें दिन भी कार्यवाही बाधित रही। लोकसभा में सरकार के खिलाफ विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामे के कारण आगे की कार्यवाही नहीं हो सकी वहीं राज्यसभा में अन्नाद्रमुक सदस्यों के व्यवधान के कारण सेवानिवृत्त हो रहे करीब 40 सदस्यों का विदाई भाषण नहीं हो सका।

सुबह, लोकसभा की बैठक शुरू होने पर अन्नाद्रमुक के सदस्य पिछले दिनों की तरह आसन के समीप आकर कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। उधर तेदेपा के सदस्य अपने स्थानों पर बैनर लेकर खड़े थे। इस दौरान कांग्रेस के सदस्यों को भी शोर-शराबा करते हुए देखा गया।

हंगामे के बीच ही लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया लेकिन नारेबाजी थमते नहीं देख उन्होंने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में हंगामा जारी रहा। अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे।

लोकसभाध्यक्ष ने आवश्यक कागजात पेश करवाने के बाद विपक्षी सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख किया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में कम से कम 50 सदस्य होने चाहिए और हमारी संख्या इससे भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हम चर्चा से नहीं भाग रहे हैं। हम चर्चा के लिए तैयार हैं।

इस दौरान कांग्रेस के साथ ही राजद, रांकापा, माकपा और अन्य वामपंथी दलों के सदस्य ‘नो-कांफिडेंस’ लिखे पोस्टर हाथ में लेकर खड़े थे जिन पर संख्या लिखी हुई थी। उधर तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य भी इस तरह के पोस्टर लेकर खड़े थे।

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सरकार का रुख दोहराया कि मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है। उसे सदन में भी और बाहर भी बहुमत प्राप्त है।

उन्होंने कांग्रेस पर अन्य विपक्षी दलों की ‘पिछलग्गू’ होने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल अब अविश्वास प्रस्ताव में भी पिछलग्गू बना हुआ है।

इस बीच लोकसभाध्यक्ष ने सदन में अव्यवस्था का हवाला देते हुए तेदेपा के टी नरसिंहन, वाईएसआर कांग्रेस के वाई बी सुब्बारेड्डी, कांग्रेस के खड़गे, माकपा के मोहम्मद सलीम, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और केरल कांग्रेस (एम) के जोस के मणि आदि के द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर आगे कार्यवाही करने में असमर्थता प्रकट की।

हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने करीब 12:30 बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

उधर राज्यसभा की कार्यवाही भी बाधित रही। सुबह, 11 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने के कुछ समय बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में आए। इसके बाद तेदेपा और अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने आसन के समीप आकर क्रमश: आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।

सदन में हंगामे पर सभापति वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘हमारे मन में सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों के प्रति भी सद्भाव नहीं बचा है कि हम उनके अनुभव भी साझा कर सकें।’’ नायडू ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का अनुरोध नहीं मानने पर कहा कि सदस्यों के इस रवैये के कारण सदन की गरिमा दांव पर लग गयी है। सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों का विदाई भाषण सदन की कार्यवाही का अनिवार्य अंग है। नारेबाजी के लिये यह उपयुक्त समय नहीं है। नायडू ने अपनी अपील को बेअसर होते देख बैठक को 15 मिनट के लिये स्थगित कर सदन में गतिरोध दूर करने के लिये विभिन्न दलों के नेताओं को अपने कक्ष में बुलाया।

एक बार के स्थगन के बाद बैठक फिर शुरू होने पर नायडू ने परंपरा और अवसर की विशिष्टता का हवाला देते हुये सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को विदाई भाषण देने के लिये समूचे सदन से शांति बनाये रखने की पुन: अपील की। इस पर तेदेपा के सदस्य मान गये लेकिन अन्नाद्रमुक सदस्य अपने स्थानों पर खड़े रहे।

नायडू ने सत्तापक्ष और नेता प्रतिपक्ष से सदन के संचालन में सहयोग करने की अपील की। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने अन्नाद्रमुक सदस्यों से अपने स्थान पर बैठने की अपील करते हुये कहा कि सभी दल सदन के शांतिपूर्वक संचालन के पक्षधर हैं।

अन्नाद्रमुक सदस्यों ने अपने स्थान पर बैठने के सत्तापक्ष और विपक्ष के अनुरोध को ठुकराते हुये कहा कि वे तमिलनाडु के मुद्दे को उठाना चाहते है। प्रधानमंत्री को इसमें हस्तक्षेप कर कावेरी मामले का हल निकालना चाहिये।

नायडू ने कहा कि ऐसे में अब उनके पास दो ही विकल्प हैं, पहला अपने स्थान पर नहीं बैठ रहे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करें और दूसरा बैठक को स्थगित कर सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को विदाई भाषण देने के अधिकार से वंचित कर दें।

इसके बाद भी अन्नाद्रमुक सदस्यों के अपने रवैये पर अड़े रहने के कारण नायडू ने समूचे घटनाक्रम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये बैठक दिन भर के लिये स्थगित कर दी।attacknews.in

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