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राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित,हंगामें के कारण सरकारी विधेयक तो क्या महत्वपूर्ण विधेयकों पर भी चर्चा नहीं हुई Attack News

नयी दिल्ली, छह अप्रैल। गत 29 जनवरी से शुरु हुए बजट सत्र की राज्यसभा की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिये स्थगित हो गयी, जिसमें सत्र का दूसरा चरण विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर खेद जताते हुये कहा कि लोगों की चिंताओं और उनकी वास्तविक अपेक्षाओं को पूरा करने में हमारा योगदान नगण्य रहा। पीएनबी घोटाला मामले, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तथा कावेरी जल विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण पांच मार्च से शुरु हुये बजट सत्र के दूसरे चरण में लगातार गतिरोध बना रहा। जिसके कारण सरकारी विधेयक तो क्या बजट के महत्वपूर्ण अंग, वित्त विधेयक पर भी उच्च सदन में चर्चा नहीं हो सकी।

सभापति ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने से पूर्व अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि गतिरोध के कारण सदन के बहुमूल्य 120 घंटे बर्बाद हो गये जबकि मात्र 45 घंटे कामकाज हुआ। नायडू ने कहा कि ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक को बिना चर्चा के पारित करने के अलावा सदन में कोई विधायी कार्य नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के बारे में एक फैसला सुनाया था, इसके परिणामस्वरूप देश में उभरी जनधारणा के चलते आंदोलन हुये और देश के कुछ हिस्सों में हिंसा भी हुई।

उन्होंने सदस्यों से कहा ‘‘आप ने इस पर भी चर्चा नहीं की।’’ नायडू ने कहा ‘‘मैं इस बात पर गौर करके दुखी हूं कि इस महत्वपूर्ण संसदीय संस्थान और इसकी जिम्मेदारियों के जनादेश के प्रति असम्मान और गंवाये गये अवसरों के कारण यह सत्र व्यर्थ चला गया।’’ उन्होंने कहा कि संसदीय संस्थानों के कामकाज को लेकर यह दुखी कर देने वाली व्याख्या है और ऐसी धारणा है जिसमें लगातार गिरावट आ रही है। नायडू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधन एवं निगरानी में स्पष्ट कमजोरी के बारे में भी चर्चा नहीं हो सकी जिसके कारण देश में व्यापक स्तर पर चिंता व्याप्त है।

सभापति ने कहा ‘‘आपके पास दूसरी प्राथमिकताएं है और इस पर चर्चा का समय नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश के सदस्य अपने राज्यों से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर उद्वेलित थे, हालांकि इन मुद्दों पर भी चर्चा नहीं हो सकी।

नायडू ने उच्च सदन के महत्व के बारे में राज्यसभा के पहले सभापति सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुये कहा ‘‘इस लंबे सत्र के अंत में हमारे देश के लोगों की चिंताओं को संबोधित करने और उनकी वास्तविक आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में हमारे योगदान के रुप में हमारे पास बताने को कुछ नहीं है।… परिणामस्वरूप हम सब गंवाने वाले हैं इनमें विपक्ष, सत्तापक्ष, सरकार तथा सबसे महत्वपूर्ण जनता एवं राष्ट्र शामिल हैं, आप सबको यह विचार करने की जरूरत है कि हम सब मिल कर सभी पक्षों के लिये गंवा देने वाली स्थिति में कैसे पहुंच गये जबकि हम इसे सभी पक्षों के लिये हासिल करने वाली स्थिति बना सकते थे। अब जागने और आगे बढ़ने का समय आ गया है।’’

उल्लेखनीय है कि बजट सत्र की शुरुआत 29 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ हुई थी। कोविंद ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को वित्तीय वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश किया था। इसमें रेल बजट भी शामिल था। बजट सत्र का पहला चरण नौ फरवरी को पूरा हुआ था। दूसरा चरण पांच मार्च को शुरू हुआ। दूसरे चरण के दौरान उच्च सदन में लगभग 60 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हुआ और उन्हें सदन में विदाई दी गयी। सत्र के दौरान विभिन्न राज्यों से 58 सदस्य निर्वाचित होकर आये इनमें केन्द्रीय मंत्रियों जेटली, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, धर्मेन्द्र प्रधान, थावरचंद गहलोत, सपा की जया बच्चन, राकांपा की वंदना चह्वाण सहित कई सदस्य पुनर्निर्वाचित होकर उच्च सदन में आये हैं।

सत्र के दूसरे चरण में पीएनबी बैंक घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तथा कावेरी जल विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्य बार बार आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे। हंगामे के कारण एक भी दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चल सका। कल सदन स्थगित होने के बाद भी तेदेपा के सदस्य आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर आसन के समक्ष धरना देकर करीब पांच घंटे तक बैठे रहे। बाद में उन्हें मार्शल के जरिये सदन से बाहर करवाया गया।

सत्र के दौरान भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक चर्चा और पारित करने के लिये सदन के पटल पर रख भी दिया गया किंतु विपक्ष के हंगामे के कारण इस पर मतविभाजन नहीं होने से सरकार इसे पारित कराने में नाकाम रही। इस विधेयक पर सदन की प्रवर समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी थी।attacknews.in

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