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सन् 2009 का 15वां लोकसभा चुनाव: भाजपा ने लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद के लिए घोषित किया लेकिन सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को 206 सीटें मिली और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में फिर से बनी यूपीए की सरकार attacknews.in

नयी दिल्ली 12 अप्रैल । पांच वर्ष तक केंद्र में सफलतापूर्वक साझा सरकार चलाने वाली कांग्रेस ने 2009 के आम चुनाव में पिछले बार से बेहतर प्रदर्शन किया और सहयोगी दलों के साथ मिलकर फिर से सरकार बनायी जबकि वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी कोई करिश्मा नहीं कर सकी।

कांग्रेस ने इस चुनाव में श्री मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था और वह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस चुनाव में भी यद्यपि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला लेकिन कांग्रेस की सीटें बढ़कर 206 हो गयी और उसके नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की फिर से सरकार बनी। कांग्रेस ने इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति थोड़ी मजबूत कर ली लेकिन बिहार में वह केवल दो सीटों पर सिमटने को मजबूर हुयी थी । भाजपा बिहार में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही लेकिन राजस्थान में वह पिछले प्रदर्शन को दोहराने में विफल रही थी।

इस चुनाव की एक और खास बात यह रही कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक वर्चस्व वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को तगड़ा झटका लगा और वहां तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था । समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में तथा जनता दल (यू) को बिहार मेें एवं बीजू जनता दल को ओडिशा में अच्छी सफलता मिली थी। राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने में दो क्षेत्रों सारण और पाटलीपुत्र से चुनाव लड़ा लेकिन पाटलपुत्र सीट पर वह हार गये थे । लोक जनशक्ति पार्टी के नेता राम विलास पासवान हाजीपुर सीट पर हार गये थे।

लोकसभा की 543 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में सात राष्ट्रीय, 34 राज्य स्तरीय, 322 निबंधित पार्टियों ने चुनाव लड़ा। राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस, भाजपा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल शामिल थे । कुल 8070 उम्मीदवारों ने अपने राजनीतिक किस्मत को आजमाया था ।

राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1623 स्थानों पर उम्मीदवार खड़े किये थे जिनमें से 376 सीटों पर उन्हें सफलता मिली। इन पार्टियों को 63.58 प्रतिशत वोट मिले थे। राज्य स्तरीय पार्टियों ने 394 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे जिनमें से 146 निर्वाचित हुये थे। निबंधित पार्टियों ने 6053 उम्मीदवार लड़ाये थे जिनमें से 21 जीत गये थे। कांग्रेस के 440 उम्मीदवारों में से 206, भाजपा के 433 में से 116 और बसपा के 500 उम्मीदवारों में से 21 ही जीत सके थे। भाकपा और माकपा को बड़ा झटका लगा था। भाकपा के 56 में से चार तथा माकपा के 82 में से 16 उम्मीदवार ही निर्वाचित हो पाये थे । राकपा के 68 में नौ और राजद के 44 में से चार प्रत्याशी विजयी हो पाये थे ।

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 21, आन्ध्र प्रदेश में 33, बिहार में दो, असम में सात, अरुणाचल प्रदेश में दो, गोवा में एक, गुजरात में 11, हरियाणा में नौ, कर्नाटक में छह, केरल में 13, मध्य प्रदेश में 12, महाराष्ट्र में 17, हिमाचल प्रदेश में एक, जम्मू कश्मीर में दो, मणिपुर दो, मेघालय में एक, मिजोरम में एक, ओडिसा में छह, पंजाब में आठ, राजस्थान में 20, तमिलनाडु में आठ, पश्चिम बंगाल में छह, उत्तराखंड में पांच, दिल्ली में सात, झारखंड, छत्तीसगढ, चंडीगढ, लक्ष्यद्वीप और पुड्डुचेरी में एक-एक सीट मिली थी ।

भाजपा को उत्तर प्रदेश में दस, बिहार में 12, असम में चार, गोवा में एक, गुजरात में 15, हिमाचल प्रदेश में तीन, कर्नाटक में 19, मध्य प्रदेश में 16, महाराष्ट्र में नौ, राजस्थान में चार, पंजाब में एक, पश्चिम बंगाल में एक, छत्तीसगढ में दस, झारखंड में आठ, अंडमान निकोबार, दादर नागर हवेली और दामनदीव में एक-एक सीट मिली थी। भाकपा को पश्चिम बंगाल में दो तथा ओडिशा और तमिलनाडु में एक-एक सीट मिली थी। माकपा को पश्चिम बंगाल में नौ, केरल में चार, त्रिपुरा में दो तथा तमिलनाडु में एक सीट मिली थी। बसपा को उत्तर प्रदेश में 20 और मध्य प्रदेश में एक तथा राकपा को महाराष्ट्र में आठ और मेघालय में एक सीट मिली थी।

राजद को बिहार में चार, तेलंगना राष्ट्र समिति को आन्ध्र प्रदेश में दो, तेलगू देशम पार्टी को आन्ध्र प्रदेश में ही छह, जनता दल (यू) को बिहार में 20, शिवसेना को महाराष्ट्र में 11, बीजद को ओडिशा में 14, अकाली दल को पंजाब में चार, अन्ना द्रमुक और द्रमुक को तमिलनाडु में क्रमश: नौ और 18, समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 23 तथा तृणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल मं 19 सीटें मिली थी । इसके अलावा कुछ सीटें अन्य पार्टियों को भी मिली थी।

उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट पर कांग्रेस की सोनिया गांधी बसपा के आर एस कुशवाहा से भारी मतों से जीती थी। श्रीमती गांधी को चार लाख 81 हजार से अधिक मत आया था जबकि श्री कुशवाहा 109325 वोट ही ला सके। अमेठी में राहुल गांधी ने बसपा के ही आशीष शुक्ला को हराया था। श्री गांधी को 464195 वोट और श्री शुक्ला को 93997 वोट ही मिले थे। भाजपा के टिकट पर लालजी टंडन लखनऊ से, मेनका गांधी आंवला से और वरुण गांधी पीलीभीत से निर्वाचित हुये थे। समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट से विजयी हुये थे । गोरखपुर से भाजपा के टिकट पर आदित्यनाथ, राष्ट्रीय लोकदल के अजीत सिंह बागपत से तथा सपा के टिकट पर रामपुर से अभिनेत्री जयाप्रदा निर्वाचित हुयी थी।

बिहार में राजद नेता लालू प्रसाद यादव सारण में भाजपा के राजीव प्रताप रुडी से चुनाव जीत गये थे जबकि श्री यादव पाटलीपुत्र सीट पर जनता दल (यू) के रंजन प्रसाद यादव से चुनाव हार गये थे। मधेपुरा में जनता दल (यू) नेता शरद यादव ने राजद नेता रविन्द्र चरण यादव को पराजित किया था। हाजीपुर में जद (यू) नेता राम सुन्दर दास ने लोजपा नेता राम विलास पासवान को हराया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश पटेल को एक लाख से अधिक मतों से हराया था। हरियाणा के अंबाला में कांग्रेस की कुमारी सैलजा तथा कर्नाटक के हासन सीट पर जनता दल (एस) के एच डी देवगौड़ा चुने गये थे। बेंगलुरु दक्षिण सीट पर भाजपा नेता अनंत कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भाजपा की यशोधरा राजे , गुना में कांग्रेस के ज्योर्तिरादित्य सिंधिया तथा छिंदवाड़ा में इसी पार्टी के कमलनाथ विजयी हुये थे। विदिशा में भाजपा नेता सुषमा स्वराज और इंदौर में इसी पार्टी की सुमित्रा महाजन निर्वाचित हुयी थी।

पंजाब के भटिंडा में शरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और लुधियाना में कांग्रेस के मनीष तिवारी तथा अमृतसर में भाजपा के टिकट पर नवजोत सिंह सिद्धू ने जीत का परचम फहराया था । महाराष्ट्र में मुंबई उत्तर मध्य सीट पर कांग्रेस के टिकट पर प्रिया दत्त निर्वाचित हुयी थी ।

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