कराची, 13 अप्रैल । पाकिस्तानी सीनेट की एक समिति ने हजारा समुदाय के लोगों की हत्या में शामिल आतंकवादियों एवं प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर आंतरिक मामलों के मंत्रालय से शनिवार को एक रिपोर्ट तलब की।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में मांगी गई है जब शुक्रवार को ही बलूचिस्तान प्रांत में अल्पसंख्यक शिया समुदाय को निशाना बनाकर किए गए एक फिदायी हमले में 21 लोगों की मौत हो गई।
आंतरिक मामलों से जुड़ी सीनेट की स्थायी समिति की एक बैठक में शुक्रवार को बलूचिस्तान में हुए दो जानलेवा आतंकी हमलों को काफी गंभीरता से लिया गया।
पहले हमले में प्रांतीय राजधानी क्वेटा के हजारगंज बाजार में एक फिदायी बम हमलावर ने बम विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया, जिसमें करीब 21 लोग मारे गए और 60 अन्य जख्मी हो गए। मृतकों में हजारा शिया समुदाय के 10 लोग शामिल थे। इस हमले में दो बच्चे और सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे।
चमन में शाम को हुए दूसरे हमले में आतंकवादियों ने मॉल रोड पर खड़ी एक मोटरसाइकिल में एक आईईडी डाल दी। इसमें विस्फोट के कारण दो लोग मारे गए और 10 लोग जख्मी हो गए। यह धमाका उस वक्त हुआ जब फ्रंटियर कोर का एक वाहन घटनास्थल के पास से गुजर रहा था।
बाद में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने हजारगंज धमाके की जिम्मेदारी ली। इसमें कहा गया कि इस धमाके को प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-झंगवी के साथ मिलकर अंजाम दिया गया, लेकिन संगठन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
लश्कर-ए-झंगवी एक सुन्नी आतंकवादी संगठन है, जिसने पाकिस्तान में शिया समुदाय के खिलाफ कई जानलेवा हमलों की जिम्मेदारी ली है। इसमें क्वेटा में 2013 में हुए धमाके भी शामिल हैं जिनमें 200 से ज्यादा हजारा शिया मारे गए थे।
सीनेट की समिति ने बलूचिस्तान में हालिया दिनों में रिहा किए गए प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों के बारे में भी जानकारी मांगी।
समिति के अध्यक्ष सीनेटर रहमान मलिक ने कहा कि ‘‘दुश्मन पड़ोसी और अन्य बाहरी ताकतों’’ की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसे धमाके सांप्रदायिक झड़पें भड़काने और पाकिस्तान को अस्थिर करने की साजिश नजर आती है।
इस बीच, हजारा समुदाय के लोग क्वेटा में मुख्य वेस्टर्न बाइपास रोड पर धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में बार-बार नाकाम हुई हैं।
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