लाहौर, सात दिसंबर ।लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड और प्रतिबंधित जमाद-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के वित्त पोषण को लेकर आरोप तय नहीं कर सकी क्योंकि अधिकारी आश्चर्यजनक रूप से शनिवार को इस हाई प्रोफाइल सुनवाई में एक सह-आरोपी को पेश करने में नाकाम रहे।
इससे एक दिन पहले भारत ने कहा था कि उसे मालूम है कि मुंबई आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड ‘‘आजादी से घूम रहा है’’ और ‘‘पाकिस्तान के आतिथ्य सत्कार’’ का आनंद उठा रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी सबूत साझा किए थे और यह इस्लामाबाद की जिम्मेदारी है कि वह हमले के दोषियों के खिलाफ ‘‘कार्रवाई करें।’’
यहां आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और एक अन्य सह-आरोपी मलिक जफर इकबाल के खिलाफ आरोपों को तय करने के लिए अब 11 दिसंबर की तारीख तय की है।
अदालत के एक अधिकारी ने सुनवाई के बाद ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘पंजाब पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग की प्राथमिकी 30/19 के तहत हाफिज सईद और अन्यों के खिलाफ मामले पर आतंकवाद के वित्त पोषण के संबंध में आतंकवाद रोधी अदालत-1 में आरोप तय किए जाने थे लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सह-आरोपी मलिक जफर इकबाल को जेल से पेश नहीं किया गया। इसके कारण मामले को आरोप तय करने के लिए 11 दिसंबर तक मुल्तवी किया जाता है।’’
सईद को लाहौर की कोट लखपत जेल से उच्च सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया।
पत्रकारों को सुरक्षा कारणों से सुनवाई की रिपोर्टिंग करने के लिए अदालत परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।
अदालत के अधिकारी ने बताया कि न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि इकबाल 11 दिसंबर को अगली सुनवाई में पेश हो।
पंजाब पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) ने पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में ‘‘आतंकवाद के वित्त पोषण’’ के आरोपों पर सईद और उसके साथियों के खिलाफ 23 प्राथमिकियां दर्ज की थी और जमात-उद-दावा (जेयूडी) सरगना को 17 जुलाई को गिरफ्तार किया था।