अटैक न्यूज संवाददाता दिलीप शर्मा ने गुरू-राहू के चांडाल योग पर फलित ज्यौतिषाचार्य पं‐ आशीष ममगार्इ से जाना इस योग पर उनका ज्यौतिषीय दृषिटकोण और आगामी प्रभाव।
महाराष्ट्र में भूमाता बि्रगेड द्वारा शनिशिंगणापूर में महिलाओं के द्वारा पूजा करने की बात को लेकर आंदोलन, नर्इ दिल्ली में आध्यात्म गुरू श्री श्री रविशंकर के धार्मिक आयोजन के हो पाने को लेकर संशय, दबाव फिर जुर्माना, उज्जैन में कुछेक संतों द्वारा सरकार से भूमि आवंटन न मिलने को लेकर चक्काजाम, जेएनयू में कन्हैया द्वारा देशपे्रमियों की भावनाओं को आघात पहुंचाना, औवेसी द्वारा भारत माता की जय न बोले जाने को लेकर विवाद यह सब दरअसल गुरू-राहू के चांडाल योग का ही परिणाम है। इस योग का प्रभाव अगस्त 2016 तक न सिर्फ पडेगा, बलिक बढ‐ भी सकता है। चांडाल योग के प्रभाव ने कुंभ से पूर्व अन्य प्रकार के देशव्यापि इवेंट खडे कर दिये हैं। जो ना सिर्फ राज्य सरकार, बलिक केन्द्र सरकार को भी खासे मानसिक तनाव देते नजर आ रहे हैं।
क्या होता है गुरू चांडाल-योग
ज्योतिष के अनुसार जब गौचर में गुरू एवं राहू की युति हो जाती है, तो उसे गुरू चांडाल योग कहा जाता है। फलित ज्यौतिष के हिसाब से जिन व्यकितयों की जन्म पत्रिकाओं में यह युति होती है, उनका धर्म के प्रति कम तथा अर्थ के प्रति रूझान होना ज्यादा देखा गया है। सरल भाषा में इस योग को थोडा यूं भी समझा जा सकता है कि राहू का काम ही होता है ग्रहण लगाया यानी अपना नकारात्मक प्रभाव छोडना। राहू के द्वारा सूर्य एवं चंद्र को ग्रहण लगाया जाता है। वर्तमान में इस योग के तहत राहू अपना पूर्ण प्रभाव गुरू ग्रह पर छोडेंगे। यानी गुरू जितनी शुभता एवं रक्षा संसार को दे पाते उसमें कमी होगी, गुरू तत्व प्रभावित होगा। गुरू चूंकि ज्ञान एवं आध्यात्म के कारक ग्रह है अत: गुरू ग्रह के क्षेत्रों से जुडे जातकों जिसमें धार्मिक एवं आध्यातिमक गुरू एवं संतजन शामिल हैं, की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती है, उन्हें अनावश्यक रूप से तनाव का सामना करना पड सकता है।
मीडिया पर भी पडेगा असर
दरअसल तात्कालिक घटना, दुर्घटना एवं सनसनी मचाने वाला ग्रह है। इन सब चीजों को चूंकि मीडिया द्वारा खबर के रूप में संजोया एवं प्रसारित किया जाता है अत: नकनीक एवं कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में राहू का खासा रोल रहता है। कम्यूनिकेशन के क्षेत्रों की यदि बात करें तो प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन तथा तेजी से उभरता सोशल मीडिया भी शामिल हैंं। चांडाल योग की अवधि में मीडिया एवं मीडियाकर्मी भी अछूते नहीं रहेंगे! इसके तहत सोशल मीडिया सहित अन्य मीडिया में कुछेक ऐसे बयान एवं घटनाएं प्रकाशित हो सकती है जो तिल का ताड बना सकती हैं, साथ ही भ्रम भी पैदा कर सकती हैं। उपरोक्त योग के प्रभाव से मीडियाकर्मियों को राहू कुछ लीक से हटकर करने के लिए उकसा भी सकता है! साथ ही, मीडियाकर्मियों को आगामी माहों में विशेष एवं बडे इवेंट को कवर करने के मौके भी प्रदान कर सकता है जिससे उनकी ख्याति अंतरराष्टीय स्तर पर पहुंच सकती है। मीडियाकर्मियों के लिए सलाह रहेगी कि छ: माह रिर्पोंटिंग के क्षेत्र में ज्यादा विवेक एवं सजगता बरतें।
राहू ही करवाता है असाधारण रिपोर्टिंग
हमने अपने अनुभवों में यह पाया है राहू ही जातक को सफल एवं प्रभावी पत्रकार बनाता है। अभी हाल की यदि बात करें तो भोपाल मध्यप्रदेश के एक पत्रकार के द्वारा एक्सक्लूसिव खबर के लिए पूरा एक दिन जेल में बिताया गया। एक पूरा दिन वह जेल में बिता सकें, इसके लिये उन्होंने योजनाबद्ध छोटा-मोटा जुर्म किया। फलित ज्यौतिष के हिसाब से इसे समझें, तो संबंधित पत्रकार की मीन राशि है। इस हिसाब से उनकी कुंडली में छटवे भाव में चांडाल योग घटित हो रहा है तथा जिसका पूर्ण प्रभाव दशम यानी कर्मभाव पर पड रहा है। कुल मिलाकर लीक से हटकर करने और करवाने वाले राहू ग्रह ने ही इस प्रकार की असाधारण रिपोर्टिंग इनसे करवा दी।
थल के साथ नभ में भी दिखेगा असर
गुरू की सत्ता चूंकि आकाश तत्व में भी है इसलिए इस योग का प्रभाव आकाश में भी दिख सकता है जिसके तहत कुछ विशेष खगोलीय घटना, दुर्घटना संभव है। आगामी छ: माहों में अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष्य में आतंकी संगठनों द्वारा अंजाने से संकट उत्पन्न करने संबंधी आशंका से लगभग सभी विकासशील देश ग्रसित हो सकते हैं! भले ही बडे स्तर पर कोर्इ घटना ना घटे, मगर बड‐े स्तर पर कुछ होने जैसा भ्रम एवं खबर रूपी माहौल जरूर यह योग बना देगा।
मेष, सिंह, धनु एवं कुंभ राशि वाले रहें विशेष सावधान
गुरू एवं राहू का वर्तमान गौचर सिंहराशि पर रहेगा। अत: आगामी अगस्त माह तक सिंहराशि के जातक तो इस योग से प्रभावित होंगे हीं, साथ ही चूंकि उपरोक्त दोनों ग्रहों की युतिपूर्ण दृषिट मेष, धनु एवं कुंभराशि पर रहने वाली है अत: इन सभी राशियों के जातकों के साथ-साथ जिनकी जन्मपत्रिका में उपरोक्त युति है, उन्हें शुभाशुभ फल मिल सकते हैं। राहू मुख्य रूप से चूंकि अहंकार देता है, अत: उपाय के तौर पर हमें अपने अहंकार को लेकर आत्मचिंतन करना चाहिए। कुछ लोग चांडाल योग के चलते अधर्म के कामों को भी अंजाम दे सकते हैं। शास्त्र के अनुसार धर्मों रक्षति रक्षित: यानी जो धर्म पथ पर चलते हैं अथवा धर्म की रक्षा करते हैं, धर्म भी उनकी रक्षा करता है! अत: चांडाल योग के प्रभाव को धर्मकर्म करके कम किया जा सकता है। इसके साथ ही मौन एवं धैर्य की साधना भी विशेष फलदायी रहेगी।
कुंभपर्व घटा देगा चाडांल योग के दुष्परिणाम
अच्छी बात यह है कि धर्मकर्म करने का तात्कालिक विशालपर्व कुंभ हमारे सामने हैं। इस दौरान जो सामूहिक ध्यान, आव्हान, पूजन इत्यादि धर्मकर्म सम्पन्न होंगे, उसके प्रभाव से निशिचत रूप से चाडांल योग के प्रभाव में कमी आएगी। जातकों को सकारात्मक उर्जा की प्रापित होगी एवं उनके गुरूत्व में वृद्धि होगी। इस युति के शुभ परिणामों के तहत इस वर्षांत तक कुछ विशेष ज्यौतिषीय एवं तकनीकी अनुसंधान हो सकते है। धर्म से संबंधित नर्इ परिपाटी को उठाने वाले व्यकित सामने आ सकते हैं, जिन्हें जनमानस का अद्वितीय समर्थन मिल सकता है।
Like this:
Like Loading...