नयी दिल्ली, 02 अक्टूबर । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए आतंकवादियों की भर्ती मामले के तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
इन तीनों आरोपियों के खिलाफ जम्मू की विशेष अदालत में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) और धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किए गए।
एनआईए अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में कुलगाम जिले के रहने वाले तीनों आरोपियों मुनीब हमीद भट्ट, जुनैद अहमद मट्टू और उमर रशीद वानी के खिलाफ लश्कर-ए-तैयबा के सदस्यों के तौर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप हैं।
मट्टू और वानी 2017 और 2018 में हुई मुठभेड़ में पहले ही मारे जा चुके हैं।
एनआईए अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने स्थानीय युवाओं को बरगलाकर लश्कर में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के प्रशिक्षण के लिए वैध दस्तावेजों के साथ पाकिस्तान भेजने की कोशिशें की जिसके लिए अलगाववादी नेताओं ने सिफारिश की। इस मामले में नौ नवंबर 2017 को कुलगाम पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एनआईए ने ये मामला 25 सितंबर 2018 को अपने हाथों में लिया और जांच शुरू की।
एनआईए के आरोपपत्र में कहा गया है कि एनआईए की जांच में साबित हुआ कि लश्कर के आतंकवादी जुनैद अहमद मट्टू ने अन्य आरोपी मुनीब हमीद भट्ट को लश्कर में शामिल होने और पाकिस्तान जाकर आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए तैयार किया, जबकि तीसरे आरोपी उमर रशीद वानी ने मुनीब के पाकिस्तान जाने के लिए पैसों का इंतज़ाम किया।
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि जुलाई-अगस्त 2017 के महीनों में आरोपी मुनीब भट्ट अलगाववादी नेताओं की सहायता से वैध दस्तावेजों के साथ आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान गया, जहां उसने हथियारों और गोपनीय सोशल मीडिया माध्यमों की ट्रेनिंग ली। पाकिस्तान से लौटने के बाद मुनीब गोपनीय सूचना माध्यमों के जरिए लगातार पाकिस्तान में बैठे लश्कर और कुलगाम के सक्रिय आतंकियों के संपर्क में रहा और कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया।
अधिकारियों ने बताया कि आरोपी मुनीब भट्ट प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर के लिए स्लिपर सेल के तौर पर सक्रिय रहा है। उन्होंने बताया कि साल 2016 से 2018 के बीच कश्मीर घाटी के कई युवाओं को अलगाववादी नेताओं ने वैध दस्तावेजों के साथ पाकिस्तान भेजकर आतंकवादी संगठनों की मदद से प्रशिक्षण दिलवाया। इन युवाओं ने पाकिस्तान में पांच से लेकर 15 दिनों तक का प्रशिक्षण लिया और वापस लौटकर आतंकवादी संगठनों के पहले स्लिपर सेल में सक्रिय रहे बाद में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किए गए। जांच एजेंसी के मुताबिक इस मामले में अभी और जांच जारी है।