नयी दिल्ली 04 फरवरी । भारतीय सामाज विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई सी एस एस आर) के अध्यक्ष डॉ बी बी कुमार ने देश की समस्यायों को सुलझाने वाले विषयों पर मौलिक शोध कार्यों पर जोर देते हुए कहा है कि वह इस संस्थान में पहले से चली आ रही गड़बड़ियों को ठीक करने में लगे है तथा नियमों का उल्लंघन कर दी गई शोध परियोजनाओं की जांच करवा रहे हैं।attacknews.in
बिहार के बक्सर जिले के डुमरी गाँव मे जन्में डॉ कुमार ने एक विशेष भेंटवार्ता में यह भी कहा कि देश में शोध एवं अनुसंधान कार्यों का भी राजनीतिकीकरण हुआ है और एक ही विषय पर बार-बार शोध से दुहराव हुआ है। इसलिए आज मौलिक शोध कार्य करने की अधिक जरूरत है।
उन्होंने भारतीय चिंतन परंपरा की चर्चा करते हुए बताया कि वह संत रविदास और आनंद कुमारस्वामी जैसे भारतीय मनीषियों पर नयी राष्ट्रीय फ़ेलोशिप शुरू करेंगे ।attacknews.in
धर्म भाषा संस्कृति से जुड़े विषयों पर अनेक ग्रंथ लिखनेवाले डॉ कुमार ने कहा कि इस समय इस संस्थान में 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े है और वह इस संस्थान को दुरुस्त करने के लिए इन पदों को भरने का काम कर रहे हैं।attacknews.in
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं दलित चिंतक सुखदेव थोराट का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष बने डॉ कुमार ने कहा कि देश मे समाज विज्ञान के क्षेत्र में मौलिक शोध कार्य बहुत कम होते हैं। अधिकतर लोग केवल अपने करियर के लिए शोध कार्य करते है। अब तक जो शोध कार्य हुए हैं उनमें से अधिक समाज को तोड़ने वाले शोध कार्य हुए हैं। आज जरूरत समाज को जोड़ने वाले शोध कार्य करने की है।attacknews.in
उन्होंने कहा कि शोध कार्य ऐसे विषयों पर होने चाहिए जिस से समाज और देश को फ़ायदा हो देश की समस्यायों को सुलझाने में मदद मिले।
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षों तक आदिवासी जीवन का अध्ययन करनेवाले डॉ कुमार ने कहा कि आईसीएसएसआर देश के 24 संस्थानों की फंडिंग करता है और सरकार से उसे 250 करोड़ रुपए का ही अनुदान मिलता है जबकि नैय्यर समिति ने दो हज़ार करोड़ रुपए देने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि सरकार की कोई ढिलाई नही रही बल्कि यह हमारी ढिलाई रही कि हम इस मामले को पुरजोर ढंग से आगे नही बढ़ा सकें।attacknews.in
उन्होंने बताया कि संस्थान में 208 पद हैं जिनमे से करीब 50 प्रतिशत खाली पड़े हैं इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई हैं। उप निदेशक के छह पद हैं पर आज केवल एक उप निदेशक हैं।
चौंसठ आदिवासी भाषाओं का कोष संपादित करने वाले इस शिक्षा शास्त्री ने यह भी कहा कि उनसे पहले इस संस्थान में कई तरह की गड़बड़ियां हुई हैं जिन्हें दूर करने का काम वह कर रहे है और इस संस्थान को पटरी पर लेने की कोशिश कर रहे हैं।attacknews.in