नयी दिल्ली, 30 अगस्त । केंद्र सरकार गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए नया कानून लाएगी और इसके लिए राष्ट्रीय गंगा नदी पुनरुद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन विधेयक के मसौदे पर काम जारी है।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत गंगा नदी के संरक्षण के लिए प्रस्तावित कानून के मसौदे पर काम चल रहा है। इस संबंध में विभिन्न मंत्रालयों, संबंधित प्राधिकार एवं विभागों से विचार-विमर्श कर प्रतिक्रिया प्राप्त की गई है।
उन्होंने बताया कि अब इन मंत्रालयों एवं विभागों की टिप्पणियों को समाहित कर फिर से मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके बाद इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
पूर्ववर्ती जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने जुलाई 2016 में गंगा की निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने के लिए इस विधेयक के मसौदे को तैयार करने के वास्ते न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने इस विधेयक का मसौदा 12 अप्रैल 2017 को मंत्रालय को सौंप दिया था।
मालवीय ने इस संबंध में वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘मैंने मसौदा सौंप दिया था और उसके बाद मुझे मालूम नहीं है कि स्थिति क्या है। इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई है कि क्या उस मसौदे में कोई परिवर्तन किया गया है।’’
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में इस बात का व्यापक उल्लेख है कि गंगा नदी को कैसे सुरक्षित रखा जाए। गंदगी कैसे दूर की जाए, जल का प्रवाह कैसे बरकरार रखा जाए। इसमें नदी की सम्पूर्ण निगरानी व्यवस्था का खाका है और इसमें क्या वर्जित रखना है, इसका बिन्दुवार उल्लेख है।
मालवीय ने कहा कि इसमें किसी प्रकार का विरुद्ध कार्य पर दंड का भी प्रावधान किया गया है।
गौरतलब है कि मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय नदी गंगा (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) विधेयक 2017’ के मसौदे के विभिन्न प्रावधानों पर विचार-विमर्श के लिए समिति का गठन किया था। इस समिति को कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की मांग के चलते गंगा नदी पर बढ़ते दबाव एवं उसकी धारा की निरंतरता को बनाए रखने जैसी चुनौतियों पर भी विचार करने का दायित्व सौंपा गया था ।
प्रस्तावित विधेयक के तहत पहली बार गंगा नदी के संरक्षण और सुरक्षा के लिए अत्यधिक कठोर प्रावधान का प्रयास किया जा रहा है। इसमें गंगा नदी के संबंध में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्णयों को भी समाहित किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्तावित विधेयक का मसौदा इस प्रकार तैयार किया जा रहा है जिससे कि यह आने वाले दिनों में देश की अन्य नदियों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए भी एक आदर्श विधेयक साबित हो।