भोपाल 24 अक्टूबर। प्रदेश में कई सालों बाद छात्रसंघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जा रहे हैं, लेकिन चुनाव को लेकर विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। एनएसयूआई ने शिवराज सरकार पर चुनाव में हार के डर से मनमाने नियम बनाने का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
एनएसयूआई ने सरकार पर प्राइवेट, अनुदान प्राप्त और तकनीकी कॉलेजों में चुनाव न कराने पर सवाल खड़े किए हैं। एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप चुनाव नहीं करवा रही है। एनएसयूआई का कहना है कि प्रदेश में 457 सरकारी कॉलेज, 76 अनुदान प्राप्त और 840 निजी कॉलेज है।
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विपिन वानखेड़े ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए जो अनुमोदन राजभवन भेजा था, उसमें प्राइवेट कॉलेजों को शामिल किया गया था, लेकिन इसके बाद राज्य सरकार ने राजभवन को बिना बताए प्राइवेट कॉलेज को हटा दिया। एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि भाजपा हार के डर से सिर्फ गिने चुने कालेजों में छात्रसंघ चुनाव करा रही है। जो कि छात्रों के साथ छलावा है। चुनाव की प्रक्रिया को लेकर एनएसयूआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
एनएसयूआई का आरोप है कि प्रदेश सरकार लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप चुनाव नहीं करवा रही है। नियम अनुसार सभी कॉलेज में चुनाव करवाना चाहिए था, जो नहीं करवाए गए। इसके अलावा हार के डर से बीजेपी सरकार अपने प्रभाव के चलते कॉलेज में चुनाव कराने के लिए समितियों में उन प्रोफेसर और लेक्चरर को चुनाव अधिकारी बना रही है, जिसकी वजह से चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे।
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