भोपाल 19 जून ।भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक श्री अनुपम बी व्यास ने बताया कि मध्यप्रदेश की उपजाऊ जमीन ने पिछले वर्षो मे गेंहू के क्षेत्र मे उत्पादन के साथ आत्मनिर्भरता प्राप्त करते हुए रबी विपणन वर्ष 2020-21 मे 129 लाख मी. टन का रिकार्ड गेंहू खरीद करते हुए पंजाब को पछाड़ दिया है ।
भारत के राष्ट्रीय उपार्जन मे मध्यप्रदेश ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे भारत के अन्य राज्यों को विभिन्न योजनाओं मे गेंहू प्रदाय करने मे मध्यप्रदेश का अत्यधिक योगदान रहेगा।
सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से गेहूं की खरीद दिनांक 16.06.2020 तक एक सर्वकालिक रिकॉर्ड आंकड़े को छू चुका है, जब सेंट्रल पूल के लिए कुल उपार्जन 382.4 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक पहुंच गया, जोकि वर्ष 2012-13 के दौरान प्राप्त 381.48 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है। यह कोविड -19 महामारी के दौरान पूरा किया गया है जब पूरे देश में तालाबंदी चल रही थी।
पहले तालाबंदी के कारण उपार्जन शुरू होने में एक पखवाड़े की देरी हुई और 1 अप्रैल के मानक तिथि के विपरीत 15 अप्रैल से गेहूं अधिशेष राज्यों में बंद कर दिया गया। भारतीय खाद्य निगम (FCI) की अगुवाई में राज्य सरकारों और सभी सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा असाधारण प्रयास किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिना किसी देरी और सुरक्षित तरीके से किसानों से गेहूं की खरीद की जा सके।
इस वर्ष पारंपरिक केंद्रों के अतिरिक्त सभी संभावित स्थानों में उपार्जन केंद्र खोलकर खरीद केंद्रों की संख्या 14,838 से बढ़ाकर 21,869 कर दी गई। इससे मंडियों में किसानों की आवाजाही को कम करने में मदद मिली है और उचित सामाजिक दूरी बनाए रखना सुनिश्चित किया गया है। टोकन सिस्टम के माध्यम से मंडियों में दैनिक प्रवाह को विनियमित करने के लिए तकनीकी समाधान अपनाए गए| जमीन पर नियमित सैनीटाइज करना, प्रत्येक किसान के लिए डंपिंग क्षेत्रों को चिह्नित करना आदि की कार्रवाई ने यह सुनिश्चित किया कि देश में कहीं भी खाद्यान्न खरीद केंद्रों में से कोई भी कोविड -19 का हॉटस्पॉट नहीं बने।
इस वर्ष मध्यप्रदेश पूरे देश मे 129 लाख मी.टन गेंहू उपार्जन के साथ सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया है जबकि पंजाब 127 एलएमटी का उपार्जन कर दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने भी गेहूं की राष्ट्रीय उपार्जन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
पूरे भारत में, 42 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं और गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य से उन्हें कुल राशि रु.73,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। केंद्रीय पूल में खाद्यान्न की भारी आमद ने सुनिश्चित किया है कि भारतीय खाद्य निगम आने वाले महीनों में देश के लोगों के लिए खाद्यान्न की किसी भी अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए तैयार है।
इसी अवधि के दौरान, 13,606 खरीद केंद्रों के माध्यम से सरकारी एजेंसियों द्वारा 119 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद भी की गई। सर्वाधिक उपार्जन तेलंगाना राज्य द्वारा किया गया जो 64 लाख मीट्रिक टन था, उसके बाद आंध्र प्रदेश ने, जिसका 31 लाख मीट्रिक टन था ।