1983 बैच के मध्य प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी फिलहाल मध्य प्रदेश पुलिस आवास निगम के अध्यक्ष हैं।
वह आलोक वर्मा का स्थान लेंगे, जिन्हें 10 जनवरी को इस पद से हटा दिया गया था।
सबसे चौंकाने वाली बात विधानसभा चुनाव के दौरान सामने आई थी, जब वह स्वास्थ्य कारणों से करीब डेढ़ महीने की लंबी छुट्टी पर चले गए थे।
चुनाव के समय इतनी लंबी छुट्टी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं थीं। उनके इस फैसले से चुनाव आयोग को उनकी जगह 1984 बैच के आईपीएस वीके सिंह को कार्यवाहक डीजीपी बनाना पड़ा था।
विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी और सत्ता की बागडोर कमलनाथ के हाथों आई तो शुक्ला के डीजीपी पद से हटने की अटकलें लगने लगीं।
पांच दिन पहले 29 जनवरी को कमलनाथ सरकार ने ऋषि शुक्ला को डीजीपी पद से हटाकर हाउसिंग बोर्ड का मुखिया बना दिया।
डीजीपी जैसे पद से हटाकर हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष बनाने का मतलब है सरकार की ओर से साइडलाइन किया जाना।उन्हें हटाए जाने के पीछे सरकार के सूत्रों ने कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने का हवाला दिया था.
इनके करीबी माना जाता है:
अगर मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार न बनती तो ऋषि कुमार शुक्ला के नाम एक रिकॉर्ड जुड़ता।यह रिकॉर्ड चार साल तक डीजीपी रहने का बनता।
दरअसल, शुक्ला अगस्त 2020 में रिटायर होने वाले हैं।शिवराज सिंह चौहान सरकार ने उन्हें 18 जून 2016 को डीजीपी बनाया था। इस प्रकार अगर वह चार साल तक डीजीपी पद पर रह सकते थे।
हालांकि मुख्यमंत्री के बदलने पर उन्हें पद से हटना पड़ा।सीबीआई में उनकी नियुक्ति दो साल के लिए हुई है।
मध्य प्रदेश में वह यह डीजीपी सुरेंद्र सिंह के रिटायरमेंट के बाद पुलिस महानिदेशक बने थे।बताया जाता है कि बीजेपी की सरकार में वह इतने भरोसेमंद रहे हैं कि डीजीपी बनने से पहले भी वह कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान के सलाहकार की भूमिका निभाते थे ।
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