भोपाल, 23 नवंबर । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऐसी बाजार व्यवस्था विकसित की जाए, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले। सब्जियों के थोक और खुदरा मूल्य में अधिक अंतर नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में सब्जियों के दाम के संबंध में उद्यानिकी विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि कि किसान दिन-रात पसीना बहाकर उत्पादन करता है परन्तु अधिक मुनाफा बिचौलिए ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी सब्जियों आदि उपज का समुचित मूल्य दिलवाना सरकार का लक्ष्य है। इसके लिए अन्य राज्यों की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर सब्जियों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किए जाने संबंधी रिपोर्ट तैयार कर उनके समक्ष दो दिन में प्रस्तुत की जाए।
इस बैठक में बताया गया कि केरल आदि राज्यों में सब्जियों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने की व्यवस्था है। केरल में इसके लिए किसानों का पंजीयन किया जा रहा है। प्रदेश में सब्जियों आदि के परिवहन पर कहीं भी किसी प्रकार की रोक नहीं है। किसान आसानी से किसी भी मंडी अथवा स्थान पर अपनी फसलें लाना-ले जाना कर सकते हैं। इसके बाद श्री चौहान ने निर्देश दिए कि पशुपालन और संबंधित विभागों के अधिकारी सब्जी मंडियों आदि का औचक निरीक्षण कर देखें कि किसानों से सब्जी किस मूल्य पर खरीदी जा रही है और उपभोक्ता को किस मूल्य पर मिल रही है।
जनकल्याणकारी योजनाओं की स्थिति का जायजा लेगें शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के विभिन्न नगरों और ग्रामों का भ्रमण कर जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति देखेंगे।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसकी शुरुआत करते हुए आज भोपाल के विभिन्न क्षेत्र में जाकर जनता को मिल रही सुविधाओं और निर्माणाधीन कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में लोक सेवा केन्द्र, राजधानी के नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कोकता क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने इन कार्यों का अवलोकन करने के बाद संबंधित अधिकारियों को समय-सीमा में इन कार्यों की पूर्णता सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि आम जनता को उन्हें मिलने वाली सुविधाओं से वंचित करने वालों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
श्री चौहान निरीक्षण के दौरान सबसे पहले यहाँ कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित लोक सेवा केन्द्र पहुंचे और लोगों से भेंट कर आवेदकों से जानकारी प्राप्त की कि उनके कार्य एक दिन में हो रहे हैं या नहीं।
उन्होंने कहा कि लोक सेवा केन्द्रों पर लगने वाले इस शुल्क में कमी के लिए नई नीति बनाई जाएगी। उन्होंने जिला कलेक्टर अविनाश लवानिया को केन्द्र में शुल्क की व्यवस्था को परिवर्तित कर जनता को राहत प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने केन्द्र में तैनात कर्मचारियों से चर्चा कर जनता को उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की। कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के लिए कर्मचारियों की सराहना भी की।
इसके बाद श्री चौहान ने भोजताल के पास कोहेफिजा अहमदाबाद क्षेत्र में नवनिर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया और प्लांट के निर्माण में हो रहे विलंब की जानकारी प्राप्त की। इस प्लांट का निर्माण वर्ष 2019 में पूर्ण होना था।
उन्हाेंने प्लांट से संबंधित प्रक्रियाओं को पूरा कर लोकार्पण की तिथि तय करने के निर्देश देते हुए कहा कि जलस्रोतों की शुद्धि के लिए इस तरह के प्लांट अपनी पूरी क्षमता से कार्य करें और इनका लाभ नागरिकों को प्राप्त हो, इस दिशा में अधिकारी गंभीर रहें। उन्हाेंने अन्य स्थानों पर निर्मित हो रहे तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के अधूरे कार्यों को भी शीघ्रता से पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
सरकारी खरीद में एक हिस्सा महिला स्व-सहायता समूहों के उत्पादों का होगा- शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में सरकारी खरीद का एक हिस्सा महिला स्व-सहायता समूहों के उत्पादों का होगा और उनकी बनाई सामग्रियों को बाजार प्रदान करने तथा प्रोत्साहित करने के लिए शहरों में ‘मॉल्स’ में भी रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज मंत्रालय से वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के वर्चुअल क्रेडिट कैम्प को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता महिलाओं का सशक्तीकरण है। इसके लिए सरकार उन्हें विभिन्न गतिविधियों के लिए 4 प्रतिशत ब्याज पर बैंकों से ऋण दिला रही है और शेष ब्याज की राशि सरकार भर रही है। इस वर्ष महिलाओं को उनकी आर्थिक गतिविधियों के लिए 1400 करोड़ की राशि दिलाई जा रही है। इस मौके पर श्री चौहान ने उन्हें 150 करोड़ रूपए की ऋण राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरित की।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 35 लाख बहनें स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं तथा विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित कर रही हैं। इस बार बहनों को स्कूल गणवेश का कार्य दिया गया है। इसी के साथ कई स्थानों पर वे ‘रेडी टू ईट’ पोषण आहार का निर्माण भी कर रही हैं। हमें इस वर्ष 30 लाख और महिलाओं का आवश्यक प्रशिक्षण देकर स्व-सहायता समूहों से जोड़ना है। ये महिलाएं ‘लोकल को वोकल बनाएंगी’ और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण करेंगी।
उन्हाेंने कहा कि स्व-सहायता समूह की बहनें न केवल आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से गांव को स्वावलंबी एवं मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएं बल्कि ग्रामीण नेतृत्व में हिस्सा लेकर गांवों का विकास भी करें। प्रदेश में स्व-सहायता समूहों को सशक्त बनाने के लिए सरकार अधिक से अधिक सहायता कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि स्व-सहायता समूहों की प्रत्येक महिला को कम से कम 10 हजार रूपए की मासिक आमदनी हो। इस अवसर पर स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी अपनी आर्थिक गतिविधियों की जानकारी दी और अपने विचारों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।