विधायकों के कथित अपमान का मामला विधानसभा में उठाया गया
भोपाल, 16 मार्च । मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के एक विधायक प्रताप ग्रेवाल की ओर से सरकारी आयोजनों में उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा आमंत्रित नहीं किए जाने का मामला उठाने पर सत्तारुढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों के बीच जमकर नोंकझोंक हुयी और हंगामे के चलते कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित रही।
प्रश्नकाल की समाप्ति के बाद धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री ग्रेवाल ने कहा कि आज वे सदन में हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में सरकारी आयोजन हो रहा है और उन्हें आमंत्रित तक नहीं किया गया। वे इस बात को लगातार बोल रहे थे, तभी कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने भी उनका साथ दिया। अपनी बात करते हुए कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के समक्ष पहुंच गए।
वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा के सदस्यों ने कहा कि जब 15 माह कांग्रेस की सरकार रही, तब भाजपा के सदस्यों को सरकारी आयोजनों में तवज्जो नहीं दी जाती थी।
इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में आरोप प्रत्यारोप का दौर चला और हंगामे के चलते आसंदी पर आसीन सभापति लक्ष्मण सिंह ने कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन समवेत होने पर वरिष्ठ कांग्रेस विधायक डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि स्थानीय विधायकों को सरकारी आयोजनों में बुलाना चाहिए। इस मुद्दे पर पक्ष विपक्ष पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने ही मंत्री होने के नाते स्थानीय विधायकों काे यथोचित सम्मान देने के निर्देश मुख्य सचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों को दिए थे। उन्होंने कहा कि इसका पालन वर्तमान सरकार में भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इसका समर्थन किया।
वहीं संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में यह निर्देश थे और उनका पालन कराया जा रहा था। लेकिन कांग्रेस सरकार के 15 माह में नयी परंपरा शुरू हुयी और तब भाजपा के अनेक सदस्यों को बुलाया नहीं गया था और इन विधायकों ने स्वयं इसकी पीड़ा सदन में व्यक्त की है। सभापति के निर्देश पर श्री मिश्रा ने कहा कि वे इस संबंध में जारी आदेशों का पालन सुनिश्चित करेंगे।
इसके पहले भाजपा के रामपाल सिंह, रामेश्वर शर्मा और कुछ अन्य विधायकों ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में होने वाले सरकारी आयोजनों में स्थानीय विधायक होने के बावजूद उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता था। कांग्रेस को उस समय क्यों विधायकों के सम्मान की बात याद नहीं आयी। हालाकि तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि जब भी उनकी जानकारी में ऐसे मामले आए, उन्होंने तत्काल दिखवाया। ऐसे प्रकरणों में स्थानीय प्रशासन की गल्तियां सामने आती हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।