इंदौर, 21 दिसंबर । मध्यप्रदेश के इंदौर में रह रही पाकिस्तान से आई मूकबधिर युवती गीता के माता-पिता की खोजबीन के उद्देश्य से महाराष्ट्र- तेलांगना के सीमावर्ती पांच जिलों में चलाया गया भ्रमण अभियान बे-नतीजा रहा है।
गीता के माता पिता की खोजबीन के दल का नेतृत्व कर रहे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि अपनी धुंदली यादों में झाक कर गीता ने कुछ संकेत दिए थे। उन्ही संकेतों के आधार पर एक समझ बनी थी कि गीता महाराष्ट्र और तेलंगाना के उन सीमावर्ती इलाकों से हो सकती है, जहां रेलवे स्टेशन हो। इसी क्रम में गीता को लासुर, औरंगाबाद, जलान, पर्वणी नांदेड़ और बासर में ले जाकर भ्रमण कराया गया। श्री पुरोहित ने बताया लेकिन इन स्थानों पर संभवता बीते वर्षो में हुए फेरबदल के चलते गीता अपने गृह स्थान को पहचान नहीं सकी है।
माता-पिता की तलाश जारी
उधर इंदौर से 15 दिसंबर की खबर थी कि, पाकिस्तान से भारत लौटी मूकबधिर युवती गीता के माता-पिता को तलाशने के लिए अभियान जारी है। इसी क्रम में गीता को महाराष्ट्र-तेलांगना के सीमावर्ती क्षेत्रों में भ्रमण कराकर उसके अपनों की तलाश के प्रयास किए जा रहे हैं।
वर्ष 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से गीता भारत लौटी थी। इसके बाद से उसे मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) में संस्थागत पुनर्वास के लिए रखा गया था।
तीन माह पहले गीता को इंदौर जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस विभाग की पहल पर सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित को सौंपकर योजनाबद्ध तरीके से उसके माता-पिता की खोजबीन के प्रयास तेज किये गए ।
तीस वर्षीय गीता के माता-पिता की खोजबीन संबंधी दल का नेतृत्व कर रहे श्री पुरोहित ने बताया था कि 12 दिसंबर को वे गीता को एक चारपहिया वाहन से लेकर इंदौर से महाराष्ट्र के औरंगाबाद के लिए निकले हैं। यहां स्थानीय पुलिस और कुछ एनजीओ की मदद से संभावित स्थानों पर गीता को ले जाया गया है।
श्री पुरोहित के अनुसार लगभग 22-23 वर्ष पहले अपनों से बिछड़कर महज 7-8 वर्ष की आयु में पाकिस्तान पहुंची गीता ने महाराष्ट्र के इन क्षेत्रों को लेकर कुछ संकेत दिए थे। उन्हीं संकेतों के आधार पर उसे यहां नांदेड़, जालना और पांच अन्य जिलों में भ्रमण कराया जाएगा।