नई दिल्ली, तीन अक्टूबर। किसान क्रांति पदयात्रा के तहत हरिद्वार से दिल्ली के लिये कूच करने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार तड़के दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिलने के बाद यहां किसान घाट पर अपना मार्च समाप्त कर दिया। इससे पहले कल उन्हें दिल्ली-उप्र सीमा पर रोक दिया गया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद करीब 12:30 बजे बैरिकेड हटा दिए और किसान क्रांति पदयात्रा के दौरान रोके गए किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने और किसान घाट की ओर जाने की अनुमति दे दी।
कुछ ही घंटों में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी ‘किसान घाट’ पर पहुंच गए। यह पूर्व किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का स्मारक है।
किसानों ने यहां श्रद्धांजलि अर्पित की।
अधिकारी ने बताया कि किसान अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर सवार होकर राष्ट्रीय राजधानी में घुसे और किसान घाट की ओर बढ़े। वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता पवन खटाना ने बताया कि पुलिस ने रात साढ़़े बारह बजे बैरिकेड हटा लिये।
उन्होंने बताया, ‘‘ अगले कुछ घंटे में हम किसान घाट पहुंचे। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए किसान तड़के पांच बजे तक अपने-अपने घरों की ओर लौटने लगे।’’
आंदोलन में शामिल सभी किसान दिल्ली से जा चुके हैं। हालांकि भाकियू प्रमुख नरेश सिंह टिकैत समेत कई किसान अब भी उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा के पास डटे हुए हैं। इसी जगह कल सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़प हुई थी।
खटाना ने कहा कि कुछ किसान अब भी यूपी गेट पर हैं और अपने ट्रैक्टरों की मरम्मत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी यात्रा हरिद्वार के टिकैत घाट से शुरू होकर दिल्ली के किसान घाट पर समाप्त होनी थी। किसान वहां पहुंचे और उसके बाद लौटने लगे। हमारा मुख्य उद्देश्य था कि हमसे जुड़े मुद्दे सामने आएं और यह हुआ भी। अब सरकार क्या करना चाहती है, यह फैसला तो उसी को लेना है। किसानों ने अपना काम कर दिया। अगर वे हमारी मांगों पर सहमत होते हैं तो बहुत बढ़िया है, नहीं तो चुनाव के दौरान तो उन्हें हमारे पास आना ही होगा।’’
कृषि ऋण माफी से लेकर ईंधन की कीमतों में कटौती समेत विभिन्न मांगों को लेकर हजारों किसानों ने मंगलवार को दिल्ली की तरफ कूच किया था। इससे दिल्ली की ओर आने वाली सड़कों पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
भाकियू का प्रदर्शन समाप्त होने के करीब छह घंटे बाद एक और समूह ने दिल्ली-नोएडा सीमा पर प्रदर्शन किया और कर्ज माफी और पेंशन समेत अनेक मांगें उठाईं। बाद में उन्होंने बुधवार शाम को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जंतर मंतर पर करीब 200 किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के बैनर तले किसान मयूर विहार जाने वाली सड़क पर नोएडा के पास प्रदर्शन करने के बाद शाम को दिल्ली पहुंचे। संगठन का मुख्यालय मथुरा में है।
इस संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजब सिंह कसाना ने कहा कि हम केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भानु प्रताप सिंह की अगुवाई वाला संगठन मंगलवार को भाकियू के प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सका लेकिन किसानों के मुद्दे पर उनके संघर्ष का समर्थन किया है।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि किसान क्रांति यात्रा सफल रही और किसानों के दिल्ली में किसान घाट पहुंचने के बाद समाप्त हो गयी।
घर जाते समय फोन पर बातचीत में टिकैत ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि दिल्ली में अब किसानों का कौन सा समूह प्रदर्शन कर रहा है। हमारे किसान आज सुबह ही दिल्ली से जा चुके हैं। पता चलेगा कि क्या बात है।’’
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की ओर से आने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा था। वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोंडा, बस्ती और गोरखपुर तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए थे।
पुलिस ने उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमा को सील कर दिया था। निषेधाज्ञा लगाते हुए पांच या उससे अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने, एंप्लीफायर, लाउडस्पीकरों और इस तरह के उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी।
किसान क्रांति पदयात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार में टिकैत घाट से शुरू हुई थी। इसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसान शामिल हुए थे। किसान पैदल, बस और ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार होकर पहुंचे थे।
उनके हाथों में भारतीय किसान संघ (भाकियू) के बैनर थे। भाकियू ने कई मांगों को लेकर मार्च का आह्वान किया था।attacknews.in