श्रीनगर, दो मार्च । केंद्र द्वारा ‘जमात-ए-इस्लामी’ संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अधिकारियों ने कश्मीर में संगठन से जुड़ी कई सम्पत्तियों को सील कर दिया है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ‘जमात-ए-इस्लामी’ के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के आवास सहित कई अन्य सम्पत्तियां शुक्रवार रात को शहर और घाटी के कई इलाकों में सील कर दी गईं।
उन्होंने बताया कि ‘जमात-ए-इस्लामी’ के नेताओं के बैंक खाते भी सील कर दिए गए हैं।
अधिकारी ने बताया कि विभिन्न जिलाधिकारियों ने भी जमात नेताओं की चल एवं अचल संपत्तियों की सूची मांगी है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि संगठन पर प्रतिबंध या धनशोधन मामलों में एनआईए द्वारा की गई जांच से इसका कोई संबंध है या नहीं।
गौरतलब है कि जमात-ए-इस्लामी पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है।
सुरक्षाबलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया है।
रिपोर्ट की माने तो जमात-ए-इस्लामी के पास करीब 4500 करोड़ी की संपत्ति है। सरकारी अधिकारियों के हवाले से दावा किया जाता है कि जम्मू-कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन और हुर्रियत कांफ्रेंस जैसी संगठनों के लिए जमात-ए-इस्लामी ही जिम्मेदार है। यह संगठन आतंकी संगठनों को धन और बल हर तरह से मदद पहुंचाने के मामले को लेकर भी सवालों के घेरे में रहा है।
श्रीनगर से रिपोर्ट है कि,जम्मू-कश्मीर के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर बैन के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और पीडीपी कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है।
बता दें कि सरकार ने देश विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में जुटे होने के कारण अलगाववादी समूह जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिये गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत गुरुवार को प्रतिबंधित कर दिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ‘जमात-ए-इस्लामी’ के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के आवास सहित कई अन्य सम्पत्तियां शुक्रवार रात को शहर और घाटी के कई इलाकों में सील कर दी गईं. साथ ही ‘जमात-ए-इस्लामी’ के नेताओं के बैंक खाते भी सील कर दिए गए हैं।
जमात-ए-इस्लामी के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महबूबा मुफ्ती ने इससे पहले ट्वीट किया था, ‘लोकतंत्र विचारों का संघर्ष होता है, ऐसे में जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने की दमनात्मक कार्रवाई निंदनीय है और यह जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मुद्दे से अक्खड़ और धौंस से निपटने की भारत सरकार की पहल का एक अन्य उदाहरण है.’
महबूबा ने कहा, ‘जमात-ए-इस्लामी से भारत की सरकार इतनी असुविधाजनक नहीं है. कश्मीरियों के लिए अथक परिश्रम करने वाले एक संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. क्या अब बीजेपी विरोधी राष्ट्र विरोधी हो रहा है?’
क्या है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, इसकी स्थापना 1941 में मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के मकसद से की थी।उन्होंने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था. जमात-ए-इस्लामी के तीन धड़े हैं । जमात-ए-इस्लामी हिंद, जमात-ए-इस्लामी-पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी कश्मीर. जमात-ए-इस्लामी हिंद को छोड़कर अन्य दोनों धड़े आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं.
जमात-ए-इस्लामी पर पहली बार बड़ी कार्रवाई हुई है. संगठन पर पूर्व में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करने का आरोप है हालांकि, संगठन हमेशा से खुद को एक सामाजिक और धार्मिक संगठन बताता आया है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में देश विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है.
attacknews.in