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झारखंड में स्वतंत्रता सेनानी की याद में आदिवासियों की करवा दी “चुंबन प्रतियोगिता”,मचा बवाल Attack News 

रांची 13 दिसम्बर। आदिवासी संकोची स्वभाव के होते हैं और उनकी झिझक तोड़ने के लिए चुंबन प्रतियोगिता कराई गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक विधायक ने यही तर्क देकर चुंबन प्रतियोगिता कराई. अब उस पर हंगामा हो रहा है.

राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने आदिवासियों के लिए ‘चुंबन प्रतियोगिता’ का आयोजन करने के मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक साइमन मरांडी को विधानसभा से बर्खास्त करने की मांग की है।

बीजेपी की झारखंड इकाई के उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू ने आरोप लगाया कि झामुमो विधायक साइमन मरांडी ने चर्च और ईसाई मिशनरियों की तरह इस कार्यक्रम का आयोजन किया.

संथाल परगना के रहने वाले मुर्मू ने कहा कि संथाल जनजाति में ‘चुंबन’ की ऐसी कोई परंपरा नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज के लिए ‘धब्बा’ हैं.

मुर्मू ने कहा, “हम विधानसभा अध्यक्ष से साइमन मरांडी को विधानसभा की सदस्यता से बर्खास्त करने की मांग करते हैं. संथाल जनजाति अभिवादन स्वीकार करते समय भी एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाते हैं. संथाल में, आदिवासी ‘दोबो जोहर’ कहते हुए अभिवादन करते हैं, जिसमें माथे पर मुट्ठी रखकर अभिवादन स्वीकार करते हैं.”

यह कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों सिद्दो-कान्हू के नाम पर आयोजित किया गया था. पाकुर जिले के जिला प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है.

साइमन मरांडी ने शनिवार रात अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र लितिपारा के तहत तल्पाहारी गांव में आदिवासी दंपतियों की एक चुंबन प्रतियोगिता का आयोजन किया था. कार्यक्रम के बाद तीन आदिवासी दंपतियों को पुरस्कृत किया गया था.

झामुमो विधायक ने संवाददाताओं से सोमवार को बताया, “प्यार और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए चुंबन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जनजाति लोग संकोची होते हैं. प्रतियोगिता में खुले में चुंबन करने से आदिवासी दंपतियों की झिझक खत्म होगी.”

खुलेआम चुंबन का इतिहास –

चुंबन की शुरुआत कहां से हुई यह पक्के तौर पर कहना कठिन है. टेक्सास के मशहूर मानवशास्त्री वॉन ब्रायंट ने चुंबन या किस पर लम्बा शोध किया और पाया कि ऐसी किसी क्रिया के सबसे पहले लिखित प्रमाण 3,500 साल पुराने वेद, पुराणों और संस्कृत पाण्डुलिपियों में मिलते हैं.

हिन्दू महाकाव्य

करीब आधी सदी बाद हिंदू महाकाव्य महाभारत में होठों से होठों पर स्नेहमयी कोमल चुंबन का पहला जिक्र मिलता है. भारत में इस पर शोध करने वाले लोगों ने बताया कि 326 ईसा पूर्व जब सिकंदर महान ने उत्तरी भारत के पंजाब प्रांत के कुछ हिस्सों पर कब्जा किया तब वहां से ही वह किसिंग को दुनिया के बाकी हिस्सों में ले गया.

बूसा या बोसा

अमेरिकी मानवशास्त्री वॉन ब्रायंट बताते हैं कि किस शब्द की उत्पत्ति भी प्राचीन भारत में ही हुई होगी. प्राचीन काल में किसिंग को “बूसा” या “बोसा” भी कहा गया, जिससे इसका प्राचीन लैटिन नाम ”बासियम” निकला. इसका आधुनिक जर्मन नाम “कुस” और अंग्रेजी नाम “किस” भी यहीं से निकला

मनुस्मृति

विश्व को कामसूत्र देने वाले देश में आज भी सार्वजनिक जगहों पर युगल जोड़ों का हाथ में हाथ डालकर चलते दिखना आम नहीं है. “मनुस्मृति” नाम के ग्रंथ में कई सौ सालों में स्थापित हुए हिंदुओं के सामाजिक आचार व्यवहार का ब्यौरा था. काफी हद तक इसे ही हिंदुओं के जीवन जीने का आधार मान लिया गया. कुछ लोगों ने आगे चलकर इसका मतलब महिलाओं की कामुकता पर नियंत्रण करना समझ लिया.

देविका रानी

1933 में आई हिन्दी फिल्म “कर्मा” में उस समय की मशहूर अदाकारा देविका रानी ने पर्दे पर एक्टर और असली जीवन में अपने पति हिमांशु राय को किस किया था.

शिल्पा शेट्टी

2007 में मशहूर बॉलीवुड एक्टर शिल्पा शेट्टी को हॉलीवुड एक्टर रिचर्ड गेयर के गालों पर किस करने के कारण काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए और उन कलाकारों के पुतले तक जलाए गए.

पद्मिनी कोल्हापुरे

1980 में पद्मिनी कोल्हापुरे के ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को पश्चिमी अंदाज में अभिवादन करने के दौरान किस किया था जिसके कारण उनकी खूब आलोचना हुई. इसके अलावा 1993 में अभिनेत्री शबाना आजमी के नेल्सन मंडेला को किस करने पर भी ऐसी ही प्रतिक्रिया हुई.

और अदालत

2008 में दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन के पास किस करते पाए गए एक विवाहित जोड़े पर अश्लीलता फैलाने के आरोप में मुकदमा जड़ दिया गया. इस बार अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए साफ किया कि प्रेम जताना कोई गैरकानूनी काम नहीं हैं.attacknews.in

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