श्रीनगर , तीन जून । जम्मू – कश्मीर उच्च न्यायालय ने आतंकवाद से जुड़े एक मामले में, प्रतिबंधित संगठन दुख्तरान – ए – मिलात की प्रमुख आसिया अंद्राबी और चार अन्य को मिली जमानत रद्द कर दी।
अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने जमानत देने के विवेकाधिकार का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया।
कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम के हंजूरा की एक खंड पीठ ने अनंतनाग अतिरिक्त सत्र अदालत द्वारा अंद्राबी और चार अन्य को जमानत देने के पिछले महीने के आदेश को कल खारिज कर दिया।
अनंतनाग पुलिस ने दक्षिण कश्मीर में बड़े स्तर पर एक प्रदर्शन करने और पत्थरबाजी करने की कथित योजना बनाने के लिए इस साल अप्रैल में इन सभी को गिरफ्तार किया था।
अदालत से आसिया को जमानत मिलने के बावजूद पुलिस ने उसे नहीं छोड़ा और उसे एक दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया।
वहीं इस बीच पुलिस ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए कानून विभाग का रुख किया।
पुलिस के जांच रिपोर्ट सौंपने और केस डायरी जमा कराने के बाद उच्च न्यायालय ने आसिया और अन्य की जमानत रद्द की।
जमानत खारिज किए जाने के बाद पुलिस ने अदालत से एक सर्च वारंट हासिल कर लिया और आज आसिया के आवास समेत कई जगहों पर छापेमारी की।
दुख़्तरन-ए-मिल्लात की संस्थापक, अंद्राबी ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की सदस्य भी हैं। उनकी संस्था इस्लामिक अलगाववादी संगठन है जो घाटी के निवासियों को समय-समय पर गाइडलाइन जारी करता रहता है। इनमें वे बातें शामिल होती हैं जिन्हें अंद्राबी और उसका ‘भाई’ जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख हाफिज सईद गैर-इस्लामिक मानता है। अंद्राबी का निकाह आशिक हुसैन फक्तू से हुआ है, जो कि हिजबुल मुजाहिदीन का नेता है और फिलहाल जेल में है।
अलगाववादी संगठन हुर्रियत की महिला विंग दुखतरान-ए-मिल्लत (देश की बेटी) संस्था की प्रमुख आसिया ने ‘पाकिस्तान दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा था , “चाहे वो मुसलमान हो या फिर काफिर, वो पाकिस्तान का नागरिक है। पाकिस्तान का गठन राष्ट्र के आधार पर नहीं, बल्कि इस्लाम की नींव के आधार पर हुआ है।”
बता दें कि दुखतरान-ए-मिल्लत खुले तौर पर जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताता है और इसे पाकिस्तान में शामिल करने की बात करता है।
इसके बाद अंद्राबी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून की धारा 13 के तहत मामला दर्ज हुआ । हालांकि, आसिया अंद्राबी को गिरफ्तार नहीं किया गया।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब आसिया अंद्राबी ने पाकिस्तान परस्ती के भाषण न दिए हो और वहां का झंडा न लहराया हो। इससे पहले अगस्त 2017 में कश्मीर घाटी में पाकिस्तान का झंडा लहराते हुए आसिया पाक का राष्ट्रगान भी गा चुकी हैं। आसिया अंद्राबी ने 14 अगस्त 2015 में श्रीनगर में पहली बार पाकिस्तान का झंडा फहराया था, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था। उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।attacknews.in