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गजवा-ए-हिंद यानि भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की योजना में जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान की भूमिका सामने आई, खुफिया रिपोर्ट में खुलासा attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन मार्च । पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दुस्साहसिक आतंकवादी हमले उसके ‘गजवा-ए-हिंद’ (भारत के खिलाफ पवित्र युद्ध) का हिस्सा हैं, जिसने इसे सबसे घातक आतंकवादी समूह में बदल दिया और इस संगठन ने दो दशकों में दो बार भारत और पाकिस्तान को युद्ध की कगार पर ला दिया।

अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

पिछले 20 वर्षों में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे घातक आतंकवादी हमलों में पठानकोट एयरबेस, उरी में सैन्य ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला, श्रीनगर में बादामीबाग कैंट पर हमले और जम्मू कश्मीर विधानसभा के पास बम विस्फोट शामिल हैं।

एक सुरक्षा अधिकारी ने रविवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान 2001 में उस समय युद्ध की कगार पर आ खड़े हुए थे, जब जैश ने भारतीय संसद पर हमला किया था। गत 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर आत्मघाती हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद एक बार फिर यही स्थिति बनी। attacknews.in

अधिकारी ने एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से बताया कि अल-कायदा से जुड़े हुए आतंकवादी संगठन ने 27 नवम्बर,2017 को पाकिस्तान के ओकारा जिले में एक सम्मेलन आयोजित किया था जिसमें भारत-पाकिस्तान संबंधों को ध्यान में रखे बिना ‘गजवा-ए-हिंद’ जारी रखने का संकल्प लिया गया था। attacknews.in

24 दिसम्बर, 1999 में इंडियन एयरलाइन्स की उड़ान आईसी814 का अपहरण किये जाने पर 31 दिसम्बर, 1999 को आतंकी षडयंत्रकर्ता मसूद अजहर को भारतीय जेल से रिहा किये जाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया गया था।

इस संगठन ने जम्मू कश्मीर में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है।

घाटी में अप्रैल 2000 में किये गये हमले में 30 सैनिक शहीद हो गये थे, जून 2000 में श्रीनगर के बटमालू में एक बस स्टैंड पर हुए हमले में तीन पुलिसकर्मी मारे गये थे। एक अक्टूबर, 2001 को जम्मू कश्मीर विधानसभा पर बम विस्फोट में 31 लोगों की मौत हुई थी और 13 दिसम्बर, 2001 को संसद पर हुए हमले में नौ सुरक्षाकर्मी तथा अधिकारी मारे गये थे।

11 सितम्बर 2001 को हुए हमले के ठीक तीन महीने बाद विधानसभा पर हमला और अफगानिस्तान में तोरा बोरा की गुफाओं में लादेन पर नकेल कसने के एक हफ्ते बाद संसद पर हमला हुआ।attacknews.in

गुलाब नबी आजाद के जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से कुछ घंटे पहले दो नवम्बर, 2005 को जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती दस्ते ने श्रीनगर के नौगाम क्षेत्र में एक शक्तिशाली कार बम हमला किया जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गये।

जैश के एक सशस्त्र समूह ने दो जनवरी, 2016 को पठानकोट एयरबेस पर हमला किया जिसमें सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये थे।

जैश-ए-मोहम्मद ने 18 सितम्बर, 2016 को उरी ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला किया जिसमें 17 सैनिक शहीद हो गये थे और 30 अन्य घायल हो गये थे।

पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े शिविर पर हवाई हमला किया जिससे एक बार फिर दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है

पुलवामा आतंकवादी हमले से पाकिस्तान की 3 दशक पुरानी रणनीति असफल:attacknews.in

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जघन्य आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो किरकिरी के बीच अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व राजदूत एवं जानेमाने लेखक ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में ‘आतंकवाद की फैक्ट्री ’को समर्थन देने की पाकिस्तान की तीन दशक पुरानी रणनीति असफल हो गयी है।

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत एवं प्रसिद्ध लेखक हुसैन हक्कानी ने ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में प्रकाशित अपने लेख में यह बात कही है। attacknews.in

पुलवामा में 14 फरवरी को पाकिस्तान स्थित जैश-ए- मोहम्मद के आत्मघाती आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान का एक खेमा भी आतंकवाद के मुद्दे पर उसे ‘बेनाब’ कर रहा है। इस हमले में केन्द्रीय रिजर्व बल के 40 से अधिक जवान शहीद हो गये थे।

श्री हक्कानी ने अपने लेख में कहा,“कुछ पाकिस्तानियों को निगलने में यह कड़वा लग सकता है लेकिन यह सच है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने की पाकिस्तान की तीन दशक पुरानी रणनीति विफल हो गयी है। कश्मीरी मुसलमानों को समर्थन देने का दावा करने वाले पाकिस्तान की नीति ने उनकी (कश्मीरी मुसलमानों) जिंदगी को और कठिन कर दिया है।”attacknews.in

उन्होंने कहा,“ सीमा पार से हिंसा को समर्थन देने से भारत को कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला है। पाकिस्तान आतंकवाद को पूरा समर्थन दे रहा है हालांकि, हमारी सरकारें आधिकारिक तौर पर इसका खंडन करती आ रही हैं।”

लेखक ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन खुले तौर पर आतंकवादी हमलों को अंजाम दे रहे हैं और वे भारत में हुए हमलों की जिम्मेदारी भी ले रहे हैं। attacknews.in

भारत -पाकिस्तान के संबंधों में हाल में आये तनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,“रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार को ‘एक सॉफ्ट स्पॉट ’मिल गया है जिसके तहत वह दो परमाणु सम्पन्न देशों के बीच युद्ध की स्थिति से बचने वाली हर मर्यादा का पालन करते हुए आतंकवादी हमले के प्रतिकार में कदम उठा सकती है। इसे वर्ष 2016 में विशेष सैन्य बलों के माध्यम से आतंकवादियों के खिलाफ जमीन पर होने वाले हमले और इस वर्ष 26 फरवरी को आतंकवादी ठिकाने पर हुई हवाई कार्रवाई के रूप में देखा जा सकता है।”

आतंकी गतिविधियों पर भारत की नजर:

पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक 2 के बाद अब देश के भीतर भी आतंकी स्लीपर मॉड्यूल पर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी चल रही है।

भारत में स्लीपर मॉड्यूल के खिलाफ बड़ी खुफिया कार्रवाई हो सकती है इसके लिए गृह मंत्रालय ने आंतरिक सुरक्षा पर एडवाइजरी जारी की है । attacknews.in

आईबी के अलर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने राजधानी सहित सभी मेट्रो शहरों और धार्मिक स्थलों, मेट्रो, एयरपोर्ट, होटल, गेस्ट हाउसों की खास निगरानी के आदेश दिए हैं. हर दो घंटों में सुरक्षा समीक्षा रिपोर्ट देने को कहा गया है।

भारत में अलकायदा इंडियन सब कांटिनेंट, जैश ए मोहम्मद, आईएसआईएस जेके, जैश लश्कर सिमी समेत 25 संगठनों के स्लीपर मॉड्यूल पर लगाम कसने के लिए विशेष टीम बनाई गई है। टीम में आईबी और एनआईए के अधिकारी शामिल हैं।

इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी संगठन कुछ भारतीयों को सुसाइड बाम्बर बनने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. बांग्लादेश का आतंकी संगठन जेएमबी भी असम और बंगाल में हमले कर सकता है. गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, असम, पंजाब और पश्चिम बंगाल में सिमी सहित दूसरे आतंकी संगठन बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. आतंकी संगठनों के संदिग्ध स्लीपर सेल की लिस्ट राज्यों की खुफिया इकाइयों को सौंपी गई है। attacknews.in

खास तौर पर दिल्ली, हैदराबाद, यूपी, महाराष्ट्र, जम्मू और पंजाब की इंटेलिजेंस पुलिस को अलर्ट रहने को कहा गया।राज्यों की एजेंसियों को जल्दबाजी में कोई कदम न उठाने बल्कि इन पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. अगर उन्हें कोई जानकारी मिलती है तो फौरन आंतरिक विभाग को देने को कहा गया, ताकि सूचना को और पुख्ता किया जाए।वहीं सोशल मीडिया पर होने वाली सभी गतिविधियों पर खास नजर रखने के निर्देश गए हैं।

करीब 2 हजार से ज्यादा आतंकी गतिविधियों में लिप्त वेबसाइट्स को ब्लॉक किया गया है ।स्लीपर सेल मॉडयूल को हवाला और बैंकों के माध्यम से पैसा मिलता है।सभी बैंकों से संदिग्ध खातों की सूची मांगी गई है. ऐप्स के जरिए संदिग्ध लेनदेन पर भी खास नजर रखी जा रही है. पाकिस्तान सहित कुछ और देशों की सूची सभी निजी व सरकारी बैंकों को दी गई है. इन देशों से हुए किसी भी ट्रांसफर के बारे में फौरन एजेंसियों को जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं.

गौरतलब है कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले का मंगलवार को भारत ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक कर बदला ले लिया।भारत की इस जवाबी कार्रवाई में करीब 350 आतंकी मारे गए. हमले की जानकारी सबसे पहले पाकिस्‍तान ने ही ट्वीटर के जरिए दी थी।

क्या है गजवा-ए-हिंद और भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की योजना:

भारत का इतिहास कितना पुराना एवं समृद्ध रहा है। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है, क्योंकि भारत हमेशा से साहित्यिक, आध्यात्मिक एवं आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र रहा है। इसीलिए भारत ने सदियों से विदेशी आक्रमण झेले हैं तथा उनका सशक्त रूप से सामना किया है। attacknews.in

महमूद ग़ज़नवी ने भारत पर 17 बार भारत पर आक्रमण किया था। इसी प्रकार कई मुस्लिम आक्रांता भारत सिर्फ लूटमार करने के लिए आये थे, क्योंकि भारत इतना समृद्ध था।

“गजवा-ए-हिन्द” का अर्थ है, भारत पर विजय प्राप्त कर यहाँ पर इस्लाम का शासन स्थापित करना। कई मुस्लिम आक्रांताओं का भारत पर आने का यही उद्देश्य था, जिनमे मुग़ल वंश और अकबर भी शामिल था।

गजवा-ए-हिन्द (इस्लाम का भारत विजय) की तैयारी जोरो पर : attacknews.in

यह जाने कि, गजवा-ए-हिन्द का मतलब क्या है, काफिरों को जीतने के लिए किये जाने वाले युद्ध को “गजवा” कहते हैं और जो इस युद्ध में विजयी रहता है उसे “गाजी” कहते हैं, जिस भी आक्रान्ता और अक्रमंनकारी के नाम के सामने गाजी लगा हो या जिसे गाजी की उपाधि दी गयी हो निश्चय हो वह हिन्दुओ का व्यापक नर संहार करके इस्लाम के फैलाव में लगा था। attacknews.in

हिन्दुओ की सबसे बड़ी कमजोरी है की हम धर्म के बारे में बहुत कम जानते हैं और और अपने को सेकुलर कहते है और सेकुलर का मतलब भी नहीं जानते जबकि एक मुस्लिम अपने को कभी भी सेकुलर नहीं कहता है चाहे वह नेता हो या आम नागरिक , हां, वह हिन्दू भीड़ में सेकुलर का भाषण जरुर देता है. ११ साल पहले एक जानकर मुस्लिम ने बताया था की हमारे लडाके इस तरह तैयार किये जा रहे हैं कि उन्हें पुलिस और फ़ौज से मुकाबला करना है, आम गैर मुस्लिमो पर हम ऐसी ही भारी पड़ेंगे।

गजवा-ए- हिंद के लिए बनाई गई योजना:

गजवा-ए-हिन्द का मतलब है की भारत में सभी गैर मुस्लिमो पर इस्लामिक शरिया कानून लागु करना जिसके लिए या तो इनको मारकर ख़तम कर दो या इनको इस्लाम स्वीकार कराओ या उन्हें तब तक जिन्दा रखो जब तक अपनी कमाई का एक हिस्सा “जजिया कर” के रूप में इस्लामिक सरकार को देते रहे जैसा मुग़ल करते रहे. भारत में यह एक बार हो चूका है हलाकि यह टुकड़े- टुकड़े में हुआ जिसका परिणाम यह हुआ कि अरबो रुपये से बनाई गयी सभी धार्मिक और राजसी हिन्दू इमारते और पूजा स्थल मुस्लिमो ने कब्जे कर लिए और उन्हें अपना बनाकर रख लिया जिसका सबसे बड़ा उदाहरन “ताजमहल” है ।

गजवा-ए-हिन्द के ७ मुख्य प्रक्रिया स्तर होते हैं— १- अल-तकिय्या : यह वह अवस्था है जब मुस्लिम कमजोर या कम संख्या में होता है, इस स्थिति में काफिरों (गैर-मुस्लिमो) से झूठ बोलना और उन्हें धोखा देना जायज माना जाता है. यह अवस्था अपने को अंदरूनी तौर से मजबूत रखना और काफिरों से अपनी अंदरूनी जानकारियों से देय रखना।

२-काफिरों के मन में भय भरना : इस काम के लिए काफिरों पर धोखे से हमला करना और उनकी हत्या करना, झुण्ड बनाकर किसी एक जगह पर काफिरों (गैर मुस्लिमो) पर हमले करना । attacknews.in

3 हथियारों का जखीरा इकठ्ठा करना : यह काम बहुत ही निर्णायक होता है और इसमें धर्म युद्ध जैसे कोई नियम नहीं होते. काफ़िर को जितनी पीड़ा दायक मृत्यु दी जाये दुसरे काफ़िर को दिखाकर वह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है. हथियार इकठ्ठा करने का काम “अदनान खगोसी और उसके बाद बहुत से मुस्लिम तस्कर” पिछले कई साल से कर रहे हैं. सबसे ज्यादा हथियार सोवियत संघ से मुस्लिम देशो के टूटने के बाद भारत में लाये गए, अनुमान के अनुसार पूर्व सोवियत देशो से १ करोड़ AK-47 गायब हुए उनका कोई पता नहीं है ये हथियार मुख्यतः भारत-अफगानिस्तान-पाकिस्तान गए।

4 समय समय पर काफिरों की ताकत का अन्दाज़ा करना : इसके लिए दंगो का सहारा लेकर अपने आक्रमणों का काफिरों की तरफ से प्रतिरोध आंकना जो बहुत दिनों से चल रहा है।

5 ठिकाने या शिविर बनाना : इस काम के लिए धर्म का सहारा और दुसरे धर्म पर इस्लाम को सच्चा धर्म बताकर लोगो को आस्थावान बनाकर किया जाता है जिससे लोग मुस्लिमो पर विश्वास करे और उन पर शक न करे. इसके लिए बस्ती और मस्जिद को इस्तेमाल किया जाता है जहा पर लोगो को इकठा करना और हथियार रखना और भीड़ को भड़काकर काफिरों का उस खित्ते में सफाया कर देना. गतिविधि वाले शिविर इलाके में किसी न किसी बहाने सभी काफिरों को भगाना जरुरी होता है जिससे सवेदनशील सुचनाये काफिरों को लीक न हो जाये क्योकि इस्लाम की असली ताकत “अल-तकिय्या” ही है. attacknews.in

6 सरकारी सुरक्षा तंत्र को कंमजोर करना : इस काम में तो खुद सरकारे शामिल हैं, हर शुक्रवार को नमाज के बाद पुलिस की पिटाई उनके मनोबल को तोड़कर पुरे तंत्र को कमजोर करने का हिस्सा है जो जोर शोर से चल रहा है. सेकुलर सरकारे खुद इस काम को समर्थन दे रही है. जिस फौजी के पास १२०० गज कारगर रेंज की असाल्ट रायफल है, वह इन जेहादियों पर गुलेल चला रहा है.,सेना की संख्या कम रखना, उनके पास साधनों का अभाव, उनके ऊपर क़ानूनी शिकंजा, नौकरी को मजबूरी बनाना यह इसी का हिस्सा है कि व्यापक दंगे की स्थिति में जिसमे मशीन गन और ग्रेनेड प्रयोग किये जाये, सेना का काम सिर्फ कर्फ्यू लगाने तक ही सीमित रहे.

7 व्यापक दंगे : यह गजवा-ए-हिन्द का अंतिम पड़ाव है जिसमे बहुत कम समय में ज्यादा से ज्यादा काफ़िर या गैर मुस्लिम मर्दों को मौत के घाट उतरना और उनके प्रतिरोध को कम कर देना. इस काम के लिए जेहादी लड़को से मरने पर युवा जेहादियों को ७२ सुन्दर जवान हूर मिलने की बात की जाती है और जीत गए तो जवान काफ़िर महिलाओं के साथ सहवास का अनंत मौका. यही अंतहीन सिलसिला सालो से चल रहा है।झूठे इतिहास और गलत पढाई तथा चर्च-अरब नियत्रित टीवी / मीडिया के प्रभाव को बढाने ।

गजवा-ए-हिन्द के यह प्रक्रिया कश्मीर में जमाई जा चुकी है जो १००% सफल है, जम्मू में इसका ट्रायल चल रहा है. बीच में इसाइयत के खेल ने इसे कमजोर किया लेकिन अब दुबारा इसने गति पकड़ी थी और इसमे सबसे बड़ा रोड़ा जानकारी बाटने के रूप में फेसबुक है लेकिन फिर भी तस्करी के हथियार तो आते रहते हैं ।

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