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ब्रिटेन से आये यात्रियों में 114 कोरोना पॉजिटिव, छह नये वैरिएंट से संक्रमित,कर्नाटक आए तीन लोगों में नए संक्रमण की पुष्टि;भारत सरकार हुई अलर्ट attacknews.in

नयी दिल्ली/बेंगलुरु 29 दिसंबर । डेनमार्क, नीदरलैंड, इटली, फ्रांस, जर्मनी आदि कई देशों में ब्रिटेन का कोरोना वायरस का नया वैरिएंट पाये जाने पर केंद्र सरकार ने भी ब्रिटेन से 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच भारत आये यात्रियों की ट्रैकिंग शुरू कर दी है और इनमें से छह यात्री अब तक नये वैरिएंट से संक्रमित पाये गये हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच भारत में करीब 33 हजार यात्री आये। विभिन्न राज्य और केेंद्र शासित प्रदेश इन यात्रियों की ट्रैकिंग करके आरटी-पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं। अब तक इनमें से 114 यात्री कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं।

ब्रिटेन से कर्नाटक आए तीन लोगों में नए कोरोना वायरस से संक्रमण की पुष्टि : कनार्टक के मंत्री

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने मंगलवार को कहा कि नए प्रकार के कोरोना वायरस से शहर में तीन लोग संक्रमित पाए गए हैं और मरीजों के उपचार तथा संक्रमण रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं।

सुधाकर ने कहा, ‘‘ब्रिटेन से आए कुल 1,614 लोगों में से 26 में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहांस) में संक्रमित मरीजों के नमूनों की जांच में तीन में वायरस के नए स्वरूप से संक्रमण की पुष्टि हुई है।’’

उन्होंने बेंगलुरु में संवाददाताओं को बताया कि निमहांस के चिकित्सा विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उठाए जाने वाले कदमों के बारे में चर्चा की है।

मंत्री ने कहा कि तीन लोगों में वायरस के नए स्वरूप के संक्रमण के मामले आए हैं। इनमें एक महिला और उसका बच्चा शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘परिवार के सदस्य नहीं थे लेकिन उनके संपर्क में आए लोगों मसलन ड्राइवर और घरेलू स्टाफ की पहचान की गयी और जांच के बाद उन सबको पृथक-वास में भेज दिया गया।’’

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ब्रिटेन से भारत लौटे छह लोगों के नमूनों में सार्स-सीओवी2 का नया स्वरूप (स्ट्रेन) पाया गया है। उनमें से तीन लोग बेंगलुरु के हैं।

उन्होंने बताया कि तत्काल कदम उठाए गए। यात्रियों तथा उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाया गया और उनकी भी जांच कराने का निर्णय किया गया है।

ब्रिटेन से एअर इंडिया और ब्रिटिश एयरवेज के विमान से 25 नवंबर से 22 दिसंबर तक 2,500 लोग कर्नाटक आए हैं।

ब्रिटेन से आए ऐसे लोगों जिनका अब तक पता नहीं चल पाया है, इसके बारे में पूछे जाने पर सुधाकर ने कहा कि राज्य के गृह मंत्री और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि 48 घंटे के भीतर उनका पता लगा लिया जाएगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘यह सरकार की नाकामी नहीं है। अगर उन्होंने फोन ही बंद कर लिया है तो उन्हें कैसे ढूंढा जाए? इसलिए हमने पुलिस विभाग से संपर्क किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने 1,614 लोगों का पता लगाया। इनकी जांच हुई है। हमने उनके संपर्क की भी पहचान की है।’’

मंत्री ने ब्रिटेन से आए लोगों से अपनी जानकारी देने और निकट के अस्पताल में जांच कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं करना कानून के विरूद्ध होगा और इस पर कार्रवाई होगी।’’

भारत सरकार हुई अलर्ट:

भारतीय सार्स कोविड-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) प्रयोगशालाओं ने सार्स कोविड-2 के उत्परिवर्ती (म्यूटेंट) रूप के जीनोम अनुक्रमण जांच के आरंभिक परिणाम जारी किए

भारत सरकार ने ब्रिटेन में कोविड-19 विषाणु की नई प्रजाति सार्स कोविड-2 के पाए जाने की खबरों का संज्ञान लेते हुए इसके जीनोमअनुक्रमण का पता लगाने और तथा इसके नियंत्रण और बचाव के लिए समय से पहले ही एक सक्रिय रणनीति तैयार कर ली है।

इस रणनीति में निम्नलिखित बातें शामिल हैं, लेकिन यह इतने तक ही सीमित नहीं है :

23 दिसंबर, 2020 की मध्यरात्रि से 31 दिसंबर, 2020 तक ब्रिटेन से आने वाली सभी उड़ानों पर अस्थायी रोक।

ब्रिटेन से आने वाले सभी विमान यात्रियों का अनिवार्य रूप से आरटी-पीसीआर परीक्षण।

आरटी-पीसीआर परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए सभी नमूनों के जीनोम अनुक्रमण का पता लगाने के लिए इन्हें इस काम के लिए चिन्हित दस सरकारी प्रयोगशालाओं अर्थात आईएनएसएसीओजी में भेजा जाना

परीक्षण, उपचार, निगरानी और नियंत्रण रणनीति पर विचार करने और सुझाव देने के लिए कोविड-19 के संबंध में 26 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की बैठक का आयोजन।

ब्रिटेन में पाए गए सार्स कोविड-2 के म्‍यूटेंट रूप से निपटने के लिए 22 दिसंबर, 2020 को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को जारी मानक संचालन प्रोटोकॉल।

26 दिसंबर, 2020 की बैठक में राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) की ओर से इस पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा की गई और यह निष्कर्ष निकाला गया कि सार्स कोविड-2 के नए म्यूटेंट रूप को देखते हुए मौजूदा राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल या मौजूदा परीक्षण प्रोटोकॉल में किसी तरह के बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है। एनटीएफ ने यह भी सुझाव दिया कि मौजूदा निगरानी रणनीति के अतिरिक्त यदि कुछ करना है तो कोविड के नए रूप के जीनोम अनुक्रमण की निगरानी बढ़ाने पर ज्यादा जोर देना बेहतर होगा।

25 नवंबर से 23 दिसंबर, 2020 की मध्यरात्रि तक लगभग 33,000 यात्री ब्रिटेन से भारत के अलग अलग हवाई अड्डों पर पहुंचे थे। इन सभी यात्रियों का राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों की ओर से अपने यहां पता लगया जा रहा है और उन्हें आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। इन यात्रियों में से अब तक केवल 114 के नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं। इन नमूनों के जीनोम अनुक्रमण का पता लगाने के लिए इन सभी को इस काम के लिए चिन्हित दस (आईएनएसएसीओजी) प्रयोगशालाओं (एनआईबीएमजी कोलकाता, आईएलएस भुवनेश्वर, एनआईवी-पुणे, सीसीएस-पुणे, सीसीएमबी-हैदराबाद, सीडीएफडी-हैदराबाद, इनस्टेम-बेंगलुरु, निमहास-बेंगलुरु, आईजीआईबी-दिल्ली और एनसीडीसी दिल्ली) भेजा गया है।

ब्रिटेन से लौटे 6 विमान यात्रियों के नमूने सार्स-2 से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से तीन का बेंगलुरु की निमहास प्रयोगशाला में, दो का हैदराबाद की सीसीएमबी प्रयोगशाला में और एक का पुणे की एनआईवी प्रयोगशाला में संक्रमित होने का पता चला है।

इन सभी व्यक्तियों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा की गई व्यवस्थाओं के अनुरुप स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में अलग अलग कमरों में रखा गया है। इन लोगों के साथ निकट संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटीन कर दिया गया है। इनके परिवार वालों, इनके साथ विमान में आए अन्य यात्रियों और दूसरे लोगों का भी पता लगाने के लिए सघन अभियान चलाया गया है। अन्य नमूनों के जीनोम अनुक्रमण का पता लगाने का काम भी चल रहा है।

स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी की जा रही है और साथ ही नियमित रूप से राज्यों को इस बात की सलाह दी जा रही है कि वह निगरानी और नियंत्रण की अपनी व्यवस्था दुरुस्त बनाए रखें और नमूनों की जांच कराने के लिए इन्हें चिन्हित प्रयोगशालाओं में भेजें।

यह महत्‍वपूर्ण है कि अभी तक ब्रिटेन में कोविड का नया म्यूटेंट रुप सार्स कोविड-2 डेनमार्क, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, जापान, लेबनान और सिंगापुर में पाया गया है।

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