नयी दिल्ली, 21 जून । दवा कंपनी हेटेरो कोविड-19 के इलाज के लिए वायरल रोधी परीक्षणगत दवा रेमडेसिवीर पेश करेगी। कंपनी ने रविवार को कहा कि उसे इसके लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की अनुमति मिल गई है।
हेटेरो ने बयान में कहा कि कंपनी को डीसीजीआई से रेमडेसिवीर के विनिर्माण और विपणन की अनुमति मिल गई है।
रेमडेसिवीर के जेनेरिक संस्करण की भारत में ब्रिकी ‘कोविफोर’ ब्रांड नाम से की जाएगी।
यह दवा 100 एमजी की शीशी (इंजेक्शन) के रूप में उपलब्ध होगी। अस्पताल में चिकित्सक की देखरेख में यह इंजेक्शन दिया जा सकेगा।
इस दवा कीमत के बारे में पूछे जाने पर हेटेरो ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रबंध निदेशक वाम्सी कृष्ण बांदी ने पीटीआई-भाषा ने कहा कि इसके इंजेक्शन की एक डोज का दाम 5,000 से 6,000 रुपये होगा।
उन्होंने कहा कि अभी इस दवा का विनिर्माण कंपनी के हैदराबाद के फार्मूलेशन संयंत्र में हो रहा है। इसका एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रिडिएंट (एपीआई) कंपनी के विशाखापत्तनम संयंत्र में बनाया जा रहा है।
वाम्सी ने कहा कि यह दवा सिर्फ अस्पतालों और सरकार के जरिये उपलब्ध होगी। अभी इसकी खुदरा बिक्री नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि कंपनी अगले कुछ सप्ताह के दौरान इसकी एक लाख खुराक का उत्पादन करेगी। मांग के आधार पर उत्पादन बढ़ाया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि डीसीजीआई ने बालिगों और बच्चों में संदिग्ध या पुष्ट कोविड-19 के मामलों या फिर इसके संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती लोगों के इलाज के लिए इस दवा को अनुमति दे दी है।
कंपनी ने कहा कि भारत में कोविड-19 के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में कोविफोर को अनुमति पासा पलटने वाली साबित हो सकती है, क्योंकि इसके क्लिनिकल नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं।
हेटेरो ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन बी पार्थ सराधी रेड्डी ने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह उत्पाद जल्द देशभर के मरीजों को उपलब्ध हो सके।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी मौजूदा जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करेगी।
इस उत्पाद को भारतीय बाजार में गिलेड साइंसेज इंक के साथ लाइसेंसिंग करार के तहत उतारा जा रहा है। कंपनी ने कहा कि इस दवा को पेश करने का मकसद निचले या मध्यम आय वाले देशों में कोविड-19 का इलाज उपलब्ध कराना है।
मई में घरेलू कंपनियों…हेटेरो, सिप्ला और जुबिलेंट लाइफ साइंसेज ने दवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी गिलेड साइंसेज के साथ रेमडेसिवीर के विनिर्माण और वितरण के लिए गैर-विशिष्ट लाइसेंसिंग करार किया था।