नयी दिल्ली, 18 अगस्त । केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तुष्टीकरण की सतत राजनीति के लिए कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए रविवार को कहा कि इसके कारण वोट बैंक की राजनीति को बल मिला है और राष्ट्र का बहुत नुकसान हुआ है।
श्री शाह ने तीन तलाक के मुद्दे पर यहां आयोजित एक व्याख्यान में कहा, “कुछ राजनीतिक दलों ने तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) निषेध कानून बनाने में लगातार रोड़े अटकाये। इसकी मुख्य वजह तुष्टीकरण की राजनीति थी। तुष्टीकरण की राजनीति धीरे-धीरे वोट बैंक तैयार करने का औजार बन गया। तीन तलाक तो बस एक उदाहरण है। वोट बैंक की नीतियों ने देश को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाया है।”
उन्होंने कहा, “वोट बैंक की राजनीति ने दशकों से राष्ट्र को नुकसान पहुंचाया है और समावेशी विकास के रास्ते में बाधा पहुंचायी है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शाह बानो मामला अस्सी के दशक में सामने आया था, लेकिन तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कदम उठाने के वास्ते संकल्प शक्ति और राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय नहीं दिया।
उन्होंने कहा, “लेकिन अब स्थिति बदल गयी है। अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिसने कानून बनाया है।”
श्री शाह ने सामाजिक बुराइयों और कुप्रथाओं को लेकर न्यायाधीशों के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जब कुरान में तीन तलाक पाप है तो इसे क्यों (शरीयत) कानूनी माना जाये?
उन्होंने कहा कि इस्लामिक राष्ट्रों सहित दुनिया के कम से कम 19 देशों ने तीन तलाक को साठ के दशक में ही प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन तुष्टीकरण की राजनीति के कारण ही भारत में इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया।
उन्होंने कहा कि गरीबी और पिछड़ेपन का कोई धार्मिक रंग नहीं होता तथा इनसे लड़ने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति की आवश्यकता नहीं है।
श्री शाह ने कहा, “लेकिन यह कांग्रेस पार्टी ही थी, जिसने साठ के दशक में तुष्टीकरण की राजनीति शुरू की थी, और बाद में कई अन्य दलों ने यही रास्ता अपनाया। इसने भारत में सामान्य जनजीवन प्रभावित किया है। इसने हमारे लोकतंत्र को प्रभावित किया है। इसलिए इस तरह की तुष्टीकरण की राजनीति से लड़ने के लिए एकजुट प्रयास की आवश्यकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर श्री नरेन्द्र मोदी का चयन तुष्टीकरण की राजनीति के अंत का आरम्भ था और 2019 के जनादेश ने इसे सदा के लिए समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तीन तलाक को अपराध बनाया जाना केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए लाभदायक होगा। इससे हिन्दू, जैन अथवा ईसाई समुदायों का कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने कहा कि तीन तलाक को समाप्त करने के साथ ही श्री मोदी एक समाज सुधारक के रूप में याद किये जायेंगे और इस कुरीतियों के खात्मे से संबंधित समाज सुधार देश के लिए क्रांतिकारी साबित होगा।
गृह मंत्री शाह ने तुष्टिकरण की राजनीति को विकास एवं सामाजिक समरसता के मार्ग में बाधक बताया।
शाह ने कहा कि कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता बल्कि उसका स्वागत होता है लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ। इसके लिए तुष्टिकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के वोटबैंक के आधार पर सालोंसाल तक सत्ता में आने की आदत के कारण देश में तीन तलाक जैसी कुप्रथाएं चलती रहीं। इस देश के विकास और सामाजिक समरसता के आड़े भी तुष्टिकरण की राजनीति आई है ।
‘‘तीन तलाक की समाप्ति : एक ऐतिहासिक गलती में सुधार ’’विषय पर अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा, ‘‘जो राजनीति 60 के दशक के बाद कांग्रेस ने शुरू की और बाकी दलों ने भी उसका अनुसरण किया, उसका असर देश के लोकतंत्र, सामाजिक जीवन और गरीबों के उत्थान पर पड़ा है। 2014 में इस देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर तुष्टिकरण की राजनीति के अंत की शुरूआत कर दी ।’’
उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति सामाजिक समरसता और देश के विकास के आड़े भी आई है। इसके पक्ष में बात करने वाले कई तरह के तर्क देते हैं। उसके मूल में वोटबैंक की राजनीति और शॉर्टकट लेकर सत्ता हासिल करने की राजनीति है ।
उन्होंने कहा कि जो अभाव में जी रहा है, जो गरीब-पिछड़ा, वो किसी भी धर्म का हो। विकास के दौर में जो पिछड़ गया है, उसे ऊपर उठाओ, अपने आप समाज सर्वस्पर्शी-सर्वसमावेशी मार्ग पर आगे बढ़ जाएगा ।
शाह ने कहा कि बगैर तुष्टिकरण यह सरकार समविकास, सर्वस्पर्शी विकास, सर्वसमावेशी विकास के आधार पर पांच साल चली। इसी थ्योरी पर 2019 में इस देश की जनता ने तुष्टिकरण से देश को हमेशा के लिए मुक्त करने के लिए दोबारा नरेन्द्र मोदी को जनादेश दिया है ।
उन्होंने कहा कि इसी बहुमत के आधार पर भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म करने का काम किया है ।