नयी दिल्ली, 07 जनवरी । चुनावी वर्ष में मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरियों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है।
संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में अचानक यह फैसला लेने से राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज हो गयी हैं। आम तौर पर मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार को होती है, लेकिन इस बार सोमवार को ही इसकी बैठक बुलाकर आननफानन में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।
हालाँकि, मंत्रिमंडल की बैठक में हुये फैसलों के बारे में अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि बैठक में यह फैसला लिया गया तथा इसके लिए संविधान में जरूरी संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाया जायेगा।
सरकार के इस फैसले से विभिन्न राजनीतिक दलों ने पक्ष और विपक्ष में तीखी प्रतिक्रियाँ देनी शुरू कर दी हैं। इस फैसले की खबर मिलते ही संसद भवन परिसर में भी विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के बीच सनसनी सी फैल गयी और वे चैनलों पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे।।
सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने प्रतिवर्ष आठ लाख रुपये से कम आय वाले परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों की सीधी भर्ती में और उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। सरकार इसके लिए शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा।
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