लंदन/वारसा (पोलैंड), 27 दिसम्बर (स्पूतनिक) ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी के संयोजन में दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन ब्रिटेन के लोगों को जनवरी से मिलने लगेगी।संडे टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी।उधर यूरोपीय संघ (ईयू) में समन्वित एवं समान रूप से कोविड-19 टीकाकरण शुरुआत के तहत रविवार को मेडिकल कर्मियों, नर्सिंग होम के कर्मियों और नेताओं को कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीके लगाये जा रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में ऑक्सफोड वैक्सीन की आपूर्ति जनवरी से शुरू कर दी जायेगी। सरकार की मंशा है कि एक पखवाड़े के भीतर 20 लोगों को ऑक्सफोर्ड अथवा फाइजर वैक्सीन की पहली खुराक दिलवा दी जाये।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को ब्रिटिश नियामकों की मंजूरी की प्रतीक्षा है , जो संभवत: सोमवार को मिल सकती है। मंजूरी मिलने के बाद संभवत: जनवरी के दूसरे सप्ताह तक प्रमुख स्थानों पर टीकाकरण केंद्र खोल दिये जायेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक फाइजर वैक्सीन की तुलना में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को संग्रहित करना आसान है और यह कम खर्चीला भी है। इसलिए माना जा सकता है कि दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को इससे अधिक फायदा होगा।
यूरोपीय संघ में कोविड-19 टीकाकरण प्रारंभ, वायरस के खिलाफ लड़ाई में ऐतिहासिक दिन
वारसा (पोलैंड),से खबर है कि,यूरोपीय संघ (ईयू) में समन्वित एवं समान रूप से कोविड-19 टीकाकरण शुरुआत के तहत रविवार को मेडिकल कर्मियों, नर्सिंग होम के कर्मियों और नेताओं को कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीके लगाये जा रहे हैं।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेन ने टीकाकरण अभियान का एक वीडियो जारी किया और इसे इस सदी के सबसे बुरे जनस्वास्थ्य संकट से संघ के करीब 45 करोड़ लोगों को बचाने की लड़ाई में ‘एकता का दिल को छू लेने वाला पल’ बताया।
वैसे यूरोपीय संघ के कुछ देशों जैसे जर्मनी, हंगरी और स्लोवाकिया में कल ही टीकाकरण शुरू हो गया था। एक जर्मन नर्सिंग होम, जहां शनिवार को 101 साल की एक महिला समेत दर्जनों लोगों को टीका लगाया गया, के संचालक ने कहा, ‘‘ हम रोजाना जिस चीज का इंतजार करते हैं, उसके लिए एक दिन भी बहुत ज्यादा लगता है। ’’
टीकाकरण की शुरूआत एक ऐसे भूक्षेत्र के लिए आशा के पल का प्रतीक है जो दुनिया में इस वायरस से सबसे पहले और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में एक था। इटली और स्पेन तथा चेक गणराज्य जैसे अन्य देशों में इस साल के प्रारंभ में स्थिति ऐसी हो गयी थी कि समूचा स्वास्थ्य तंत्र चरमरा गया लग रहा था।
यूरीपीय संघ के 27 देशों में कोरोना वायरस के कम से कम 1.6 करोड़ मामले सामने आये हैं और 3,36,000 लोगों की जान चली गयी।