मुंबई 13 जुलाई। भाजपा नेता हरेन पंड्या की हत्या का आरोपी और डी कंपनी के सरगना दाऊद इब्राहिम के करीबी गुर्गे फारुक देवड़ीवाला को भारतीय खुफिया एजेंसियों की सूचना पर दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब उसे भारत को सौंपने के बजाय दुबई सरकार ने पाकिस्तान को सौंप दिया है.
हरेन पंड्या की हत्या के अलावा आतंकी गतिविधियों में शामिल फारुख देवड़ीवाला के दुबई में गिरफ्तार होने के बाद जब पाकिस्तान को लगा कि भारत फारूक़ के कन्फेशन से पाकिस्तान के राज बेपर्दा कर सकता है तो पाकिस्तान ने फर्जी दस्तावेज की मदद से फारुख देवड़ीवाला को पाकिस्तानी नागरिक बताकर दुबई हुकूमत से उसकी कस्टडी मांगी. तो वहीं दुबई सरकार ने भी पाकिस्तान के दावे को सच मानते हुए भारत से धोखा कर फारूख की कस्टडी पाकिस्तान को दे दी।
सूत्रों के अनुसार, फारुख के साथ गिरफ्तार हुआ मुंबई के जोगेश्वरी इलाके का रहने वाला सैम नाम का आरोपी भी फारुख के साथ इंडिया की बजाय पाकिस्तान पहुंच गया.
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के भीतर एक खास सेल भी बनाया है, जिसकी जिम्मेदारी होती है कि वह भारत में वॉन्टेड आरोपियों की विदेश में गिरफ्तारी के बाद उनके फर्जी दस्तावेज बनाएं. भारत उस आरोपी को हिंदुस्तानी होने का दावा करने से पहले ही उस आरोपी के पाकिस्तानी होने का दावा कर उसकी कस्टडी हासिल की जाए. इस सेल की पूरी कोशिश सिर्फ यही होती है कि विदेश में गिरफ्तार किया गया वांटेड आरोपी किसी भी हालात में वापस भारत ना पहुंचे.
कौन है फारुक देवड़ीवाला?
तकरीबन डेढ़ दशक पहले हुई भाजपा नेता हरेन पंड्या की हत्या के मामले में दाऊद इब्राहिम का करीबी गुर्गा हाल ही में महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई के फैजल खान और गांधीधाम के अल्लारखा नाम के दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने रेलवे ट्रैक को उड़ाने की ट्रेनिंग पाकिस्तान में ली थी. इन दोनों से हुई पूछताछ में भी फारुक देवाड़ीवाला और सेम का नाम सामने आया था, जिन्होंने इनके साथ पाकिस्तान में फिदायीन हमले की ट्रेनिंग ली थी।
इससे पहले भी पाकिस्तान कर चुका है ऐसी कारगुजारी
इससे पहले थाईलैंड पुलिस ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन पर गोली चलाने के मामले में दाऊद के शूटर मुदस्सर हुसैन सय्यद उर्फ मुन्ना झिंगाड़ा को साल 2001 में गिरफ्तार किया था. मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में रहने वाले मुन्ना झिंगाड़ा को बैंकॉक की अदालत ने 8 साल की सजा सुनाई थी, जो साल 2008 में पूरी हो गई. तब से लेकर अब तक पिछले 10 सालों से थाईलैंड की अदालत में मुन्ना झिंगाड़ा के प्रत्यर्पण का मामला इसलिए फंसा हुआ है क्योंकि पाकिस्तान ने थाईलैंड की अदालत में भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दावा किया कि मुन्ना झिंगाड़ा भारतीय नहीं बल्कि पाकिस्तानी नागरिक है. और ठीक इसी मॉडस ऑपरेंडी का इस्तेमाल पाकिस्तान ने अब दुबई में भी फारुक देवड़ीवाला के मामले में किया और उसे इस बार कामयाबी भी मिल गई।
हालांकि दुबई प्रशासन भारत का पक्ष जाने बगैर ही फारूक को पाकिस्तान को कैसे सौंप दिया. भारतीय एजेंसियां इस माथापच्ची में जुटी हैं कि आखिर दाऊद और पाकिस्तान के कई राज छुपाए बैठे फारूक को दोबारा भारत कैसे लाया जाए।attacknews.in