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कुत्तों के आतंक के कारण नगर निगम का फरमान:”कुत्तों के घेरने पर भागे नहीं,हाथों को मोड़कर सीने पर रखे”Attack News 

श्रीनगर, तीन नवंबर । अगली बार जब श्रीनगर में आप आक्रामक कुत्तों के झुंड से घिर जाएं तो आप भागें नहीं, बल्कि अपने हाथों को मोड़कर सीने पर रख लें और कुत्ते की तरफ न देखें। इससे कुत्तों की आपमें दिलचस्पी खत्म हो जाएगी। श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी) ने यह परामर्श जारी किया है।

श्रीनगर में कुत्तों का जबरदस्त आतंक है और यहां पिछले तीन वर्षों में तकरीबन 16,000 लोगों को कुत्तों ने काटा है। शहर में कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने में नाकाम रहने पर अकसर एसएमसी की आलोचना होती रहती है।

कल यहां के कई स्थानीय अखबारों में इस संबंध में प्रकाशित परामर्श में एसएमसी ने कई बातों की सूची बनाई है कि क्या करें और क्या नहीं।

परामर्श में कहा गया है, ‘‘अगर कोई आक्रामक कुत्ता आपके सामने आ जाए तो भागें नहीं या कुत्ते पर चिल्लाएं नहीं। सीधे खड़े रहें, अपने हाथों को मोड़कर सीने पर रखें और कुत्ते के बजाय कहीं और देखें, बिल्कुल नहीं घबराएं, कुत्ते को अपने चारों ओर सूंघने दें। इससे उसकी दिलचस्पी आपमें खत्म हो जाएगी और वह आगे बढ़ जाएगा।’’ एसएमसी ने लोगों से कहा है कि वे कुत्तों का सामना करने पर खास तरह की मुद्रा अपनाएं।

इसने कहा, ‘‘किसी आक्रामक कुत्ते की पहचान यह हो सकती है कि उसकी नाक सिकुड़ी हुई होती है जिससे उसके दांत दिखने लगते हैं, गर्दन के नीचे उसके लंबे बाल खड़े हो जाते हैं, उसके कान पीछे की ओर मुड़ सकते हैं, वह गुर्रा सकता है। किसी कुत्ते में ऐसे संकेत दिखें तो उससे बचें।’’ एसएमसी के पशु चिकित्सक अधिकारी जावेद राठर द्वारा जारी किए परामर्श में कहा गया है कि चार से नौ वर्ष की आयु के बच्चे कुत्तों का अधिक शिकार बनते हैं। बहरहाल, इसमें यह नहीं बताया गया कि कैसे एक बच्चे को कुत्ते के व्यवहार के बारे में पता चलेगा।attacknews

स्थानीय लोगों ने इस परामर्श का मजाक उड़ाया है।

फेसबुक पर सरदार नासिर अली खान ने लिखा, ‘‘कुत्ते की समस्या के बारे में कल के अखबार में एसएमसी का परामर्श किसी कॉमिक शो की पटकथा जैसा लग रहा है।’’ बहरहाल, इस परामर्श का बचाव करते हुए पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि यह वैज्ञानिक जांच और दुनियाभर के पशु चिकित्सकों के तथ्यों पर आधारित है।

उन्होंने बताया कि सीने को हाथों से ढकना कुत्ते के हमला करने की स्थिति में शरीर के अहम अंग की रक्षा करने के लिए है।

राठर ने कहा कि अभिभावकों को भी सावधान रहने की जरूरत है कि वे अपने बच्चों को आसपास के स्थानों पर कहीं भी अकेले न भेजें जहां कुत्तों का झुंड घूमता हो।

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