नयी दिल्ली, 19 नवम्बर । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर फेस मास्क नहीं लगाने के लिए जुर्माने की राशि 500 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये करने की बृहस्पतिवार को घोषणा की। साथ ही उन्होंने अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने का भी ऐलान किया।
केजरीवाल ने लोगों से शहर में तालाब और अन्य जलाशयों के किनारे छठ नहीं मनाने की भी अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार 19 नवंबर से निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तर कोविड-19 रोगियों के लिए आरक्षित करने के अपने फैसले को लागू कर रही है।
उन्होंने एक आनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि निजी अस्पतालों को गैर-आईसीयू कोविड-19 बिस्तर 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने का भी निर्देश दिया गया है।
केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करके उन्हें सरकार द्वारा कोविड-19 की जांच के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि मास्क नहीं पहनने के लिए जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1,400 से अधिक आईसीयू बिस्तर की व्यवस्था की जा रही है जिसमें से दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 663 और केंद्र सरकार की इकाइयों में 750 आईसीयू बिस्तर शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली में कोविड-19 रोगियों के लिए लगभग 7,500 सामान्य और 446 आईसीयू बिस्तर उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों को इस समय के लिए गैर-महत्वपूर्ण नियोजित सर्जरी को स्थगित करने के लिए कहा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें दिल्ली में कोविड-19 स्थिति पर एक सर्वदलीय बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों से सहयोग का आश्वासन मिला है। केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने उनसे लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए फेस मास्क वितरित करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे छठ पूजा के लिए जलाशयों के किनारे न जाएं और इसके बजाय यह त्योहार घर पर मनाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर छठ पूजा के दौरान एक भी कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति पानी में प्रवेश करता है, तो अन्य सभी संक्रमित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को संक्रमण के खतरे के कारण नदी तट, तालाबों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर रोक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।