कानपुर 03 अप्रैल । कोरोना से बचाव के लिये इन दिनों रोग प्रतिरोधक क्षमता की बढ़ोत्तरी के उपायों के प्रचार प्रसार की कड़ी में कानपुर के एक आर्युवेदाचार्य ने दावा किया है कि हरा पीपल पत्ता, श्वेत मदार और लटजीरा का सेवन वैश्विक महामारी से बचाव का अचूक अस्त्र है बल्कि कोरोना संक्रमितों को बीमारी से उबरने में लाभकारी है।
प्रदेश के पर्यावरण विभाग के अधीन ग्रीन हर्बल हेल्थ सेंटर योजना के निदेशक डा केएन सिंह ने सोमवार को बातचीत में कहा कि जड़ी-बूटियों हजारों ऐसे तत्व होते हैं जिनसे सैकड़ों रोगों को ठीक किया जा सकता है। कोई भी मास्क 100 फीसदी कोरोना से बचाव नहीं करता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को सोशल डिस्टेसिंग और मास्क के उपयोग के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए।
रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की जड़ी बूटियां उनके आसपास ही है। पीपल का पेड़ 100 फीसदी आक्सीजन का श्रोत है और इसके पत्ते से लेकर जड़ तना सब एंटी वायरल होते है। इम्यूनिटी में इजाफा करने के लिये चार पांच पीपल के हरे पत्ते, दो इंच श्वेत मदार, एक मुट्ठी लटजीरा काे चबाकर अथवा फिर काढ़ा बना कर एक एक घंटे में सेवन करना चाहिए। यह सभी जड़ी बूटियां एंटी वायरल है और हर किसी की पहुंच में है। आसपास के पार्क,तालाब के किनारे सभी को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होने बताया कि मेडिकल रिसर्च में पिछले साल ही पता चला था कि कोरोना वायरस हवा में है। इसका अर्थ है कि इस वायरस ने हर किसी को प्रभावित किया है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता कम है, उसे यह वायरस संक्रमित कर सकता है मगर कड़ी मेहनत करने वालों और योग एवं फिटनेस बरकरार रख शरीर को चुस्त दुरूस्त रखने वालों में वायरस का असर जानलेवा नहीं बन सकता।
डा सिंह ने कहा कि उन्होने केन्द्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों एवं चिकित्सा संस्थानो को पीपल,लटजीरा और श्वेत मदार के काढ़े की जानकारी देकर इसके व्यापक प्रचार प्रसार का आग्रह किया है ताकि तेजी से फैल रहे संक्रमण की रोकथाम की जा सके। केजीएमयू लखनऊ समेत कई चिकित्सा संस्थानो ने उनके फार्मूले को सराहा है और चिकित्सकों ने इसे खुद अमल में भी लिया है।
उन्होने कहा कि एक साल में यह वायरस पूरी दुनिया में घर घर में, जीव जंतुओं और जंगलों में भी खूब फैल गया है जिससे बचाव केवल जड़ी-बूटियों से ही हो सकता है। इन जड़ी बूटियों में ऐसे-ऐसे कुदरती तत्व हैं जो कि वैक्सीन में नहीं विकसित किये जा सकते हैं क्योंकि वैक्सीन में एक निर्धारित रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित जाती है।
चिकित्सक ने कहा कि पीपल आक्सीजन की प्रचुर मात्रा का द्योतक होने के साथ साथ ताकत से भरपूर होता है। पीपल हाथी का पसंदीदा भोजन है। हाथी को जानवरों में शक्तिशाली और बुद्धिमान माना गया है बल्कि उसका मल भी अन्य जानवरों की तुलना में अच्छा होता है। इसका मतलब है कि हाथी की हाजमें की शक्ति अन्य पशुओं के मुकाबले अच्छी होती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास और खांसी जुकाम में राहत के लिये छोटी पीपल यानी पीपरी, लौंग के भुने कुटे मिश्रण को आधी आधी चम्मच दो बार फांकना चाहिये। इसके अलावा कंलौजी भी खांसी के लिये खासी लाभप्रद है। सरकार को चाहिये कि जड़ी बूटियों को जन जन तक पहुंचाये ताकि कोरोना रूपी दानव का सर्वनाश जल्द से जल्द किया जा सके।