Home / स्वास्थ्य / कोरोनिल दवा को लेकर विवाद में फंसे बाबा रामदेव का आयुष मंत्रालय एवं पतंजलि के बीच विवाद खत्म हुआ ,मेडिकल टर्मोलॉजी को लेकर पैदा हुआ संशय दूर कर लिया गया attacknews.in

कोरोनिल दवा को लेकर विवाद में फंसे बाबा रामदेव का आयुष मंत्रालय एवं पतंजलि के बीच विवाद खत्म हुआ ,मेडिकल टर्मोलॉजी को लेकर पैदा हुआ संशय दूर कर लिया गया attacknews.in

हरिद्वार 01 जुलाई । हरिद्वार पतंजलि योगपीठ के संचालक बाबा रामदेव ने बुधवार को स्पष्ट किया केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने पतंजलि योगपीठ द्वारा बनाई गई दवा को कोविड-19 बीमारी के प्रबंधन में सहायक माना है हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया की आयुष मंत्रालय ने उनकी औषधि को कोरोना बीमारी की औषधि के रूप में मान्यता दी है।

बाबा रामदेव ने कहा कि हमने सभी मानकों को पूरा करके इस औषधि का लाइसेंस प्राप्त किया है और सभी रोगी इस दवा को लेकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर कोरोना वायरस जैसी बीमारी से लड़ सकते हैं उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि यह कोरोना बीमारी की वैक्सीन का विकल्प नहीं है यह केवल एक रेमेडी है जो लोग ऐसी बीमारियों से ग्रस्त है वह इन दवाइयों को लेकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।

उन्होंने कहा की आयुष मंत्रालय एवं पतंजलि के बीच इस दवा को लेकर कोई विवाद नहीं है बस कुछ मेडिकल टर्मोलॉजी को लेकर संशय बना हुआ है जिसे दूर कर लिया गया है और आयुष मंत्रालय गाइड लाइन के अनुसार अब इस दवा को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बाजार में उतारा जाएगा ।

आयुष मंत्रालय, भारत सरकार को हमने अपने क्लीनिकल कंट्रोल्ड ट्रायल की सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं, तथा मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया है कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने कोविड-19 के प्रबंध के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित की है। आयुष मंत्रालय तथा पतंजलि में अब इस विषय पर कोई भी असहमति नहीं है।

आयुष मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, दिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य श्वासारि वटी एवं दिव्य अणु तेल, जैसा कि
स्टेट लाइसेंस अथाॅरिटी, आयुर्वेद-यूनानी सर्विसेज, उत्तराखंड सरकार से निर्माण एवं वितरण करने की जो पतंजलि को अनुमति मिली हुई है, उसके अनुरूप अब हम इसे सुचारु रुप से पूरे भारत में निष्पादित कर सकते हैं।

आयुर्वेदिक ड्रग्स लाइसेंस एवं क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल की दोनों धारायें बिल्कुल अलग हैं। आयुर्वेद की सभी दवाओं के लाइसेंस की प्रक्रिया उनके परम्परागत गुणों के आधार पर ही है।

उन्होंने कहा पतंजलि के लगभग 500 से अधिक सीनियर वैज्ञानिक पतंजलि रिसर्च सेन्टर योग एवं आयुर्वेद के विकास केे अनुसंधान में संलग्न हैं। पतंजलि ने इस सेवा में 10 हजार करोड़ से ज्यादा की सेवा राष्ट्र के नाम समर्पित की है।हम भारत की सनातन वेद परम्परा और ऋषि परम्परा के प्रतिनिधि हैं। हमने कभी न झूठा प्रचार किया है, न करेंगे। ये हम करोड़ों लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं।

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