जिनेवा/नयी दिल्ली 21 अप्रैल ।कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के बारे में सामने आ रही नयी रिपोर्टों में पता चला है कि यह हमारे फेफड़े ही नहीं, दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुँचाता है।
अब तक यह माना जाता था कि कोविड-19 मरीज के फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है जिससे उसे साँस लेने में दिक्कत होती है। लेकिन कई रिपोर्टों में अब यह बात सामने आयी है कि यह शरीर में ऑक्सीजन की वाहक लाल रक्त कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल जे. रेयान ने इस प्रकार के रिपोर्टों की पुष्टि की है। कोरोना वायरस पर डब्ल्यूएचओ की नियमित प्रेस वार्ता में सोमवार को एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा “इसमें कोई संदेह नहीं कि कोविड-19 फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस बात के भी प्रमाण मिल रहे हैं कि इसके मरीजों के शरीर में अचानक ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है। हमने ऐसी रिपोर्टें देखी हैं जिनमें मरीजों के फेफड़ों के अलावा दूसरे अंग भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।”
डॉ. रेयान ने कहा कि लाल रक्त कोशिकायएं फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के दूसरे अंगों की कोशिकाओं तक पहुँचाती हैं। जब दूसरे अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिलता है तो उन पर भी असर होता है। अभी विशेषज्ञ यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि अन्य अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव में किसी कारक का कितना योगदान है।
उन्होंने कहा कि कई बीमारियों में शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र जरूरत से अधिक सक्रिय हो जाता है और सिर्फ वायरस को ही नहीं, स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचाने लगता है। कोविड-19 के मामले में भी ऐसी आशंका हो सकती है।
दो से तीन प्रतिशत आबादी ही होती है कोरोना संक्रमित : डब्ल्यूएचओ
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किये गये शुरुआती अध्ययनों में पता चला है कि किसी भी इलाके में मात्र दो से तीन प्रतिशत आबादी ही कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के संक्रमण का शिकार होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने सोमवार को कोविड-19 पर नियमित प्रेसवार्ता में यह बात कही।
उन्होंने लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का पता लगाने वाले अध्ययनों का हवाला देते हुये कहा “इनमें से कुछ अध्ययनों से प्राप्त शुरुआती आँकड़े बताते हैं कि तुलनात्मक रूप से आबादी का एक छोटा सा हिस्सा ही इससे प्रभावित होता है। (कोरोना वायरस से) ज्यादा प्रभावित इलाकों में भी आबादी के दो-तीन प्रतिशत से अधिक संक्रमित नहीं होता।”