नयी दिल्ली 05 दिसम्बर । कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक तरह से निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुन लिए गए हैं और अब इसकी औपचारिक घोषणा का इंतजार है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा किसी ओर के नामांकन पत्र दाखिल नहीं करने से वह इस पद पर निर्विरोध चुन लिए जायेंगे।
अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्रों की जांच के बाद चुनाव अधिकारी एम रामचंद्रन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस पद के लिए कुल 89 नामांकन पत्र दाखिल किये गये और सभी वैध पाये गये हैं ।ये सभी नामांकन पत्र श्री गांधी के पक्ष में हैं।
राहुल गांधी के हाथों में पार्टी की कमान ऐसे समय आई है जब वह अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. इतिहास गवाह है कि नेहरू-गांधी परिवार से जो भी अध्यक्ष बना उसने पार्टी के आगे बढ़ाया ही है, अब राहुल पर इस रिकॉर्ड को बनाए रखने की चुनौती होगी.
जानते हैं देश की सबसे पुरानी पार्टी के नए मुखिया जो अपने खास ‘नवरत्नों’ के सहारे कांग्रेस को ‘दुख भरे दिन’ से बाहर ले जा सकते हैं
सचिन पायलट
देश के सबसे संजीदा राजनेताओं में सचिन पायलट का नाम शीर्ष पर लिया जाता है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश पायलट के शहजादे 15वें लोकसभा में अजमेर के सांसद रहे थे, हालांकि 2014 के चुनाव में वह ‘मोदी लहर’ का शिकार बने और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 40 वर्षीय सचिन फिलहाल राजस्थान में पार्टी के राज्य प्रमुख हैं और उनकी राहुल के साथ अच्छी ट्यूनिंग है.
कनिष्क सिंह
पूर्व नौकरशाह और राज्यपाल रहे शैलेंद्र कुमार सिंह के बेटे हैं कनिष्क, जो एक कंप्यूटर इंजीनियर और एमबीए डिग्री होल्डर हैं. 2003 में शीला दीक्षित के चुनावी अभियान का हिस्सा बने. इसके बाद वह 2004 में अमेठी में राहुल के चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला और उन्हें जीत दिलाई.
अमेठी में लोगों की बात सुनने और उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए एक सॉफ्टवेयर बनवाया जिसका काफी फायदा मिला. नित नए प्रयोग के कारण वह राहुल के करीब आते गए. आज राहुल के सबसे बड़े करीबियों में से एक है. 2012 में देश के पॉवरफुल भारतीयों की लिस्ट में वह 31वें पायदान पर रहे थे
ज्योतिरादित्य सिंधिया
अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के दौरान राहुल गांधी के साथ हर पल रहने वाले ज्योतिरादित्य उनके लिए सबसे बड़े संकटमोचक बन सकते हैं. जिस तरह से राहुल राजनीतिक वंशवाद से आगे आए हैं उसी तरह से सिंधिया खानदान का यह चिराग भी आगे आया है. 2014 में ‘मोदी लहर’ के बीच मध्य प्रदेश के गुना संसदीय क्षेत्र से वह जीत हासिल की और लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे.
मध्य प्रदेश की राजनीति में बीजेपी राज के दौरान अपनी अहमियत कई बार साबित की है और न सिर्फ नरेंद्र मोदी बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनौती देते रहे हैं. हाल के दिनों में उन्होंने खुद को अपने राज्य में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर पहचान भी बनाई है.
प्रियंका गांधी
अध्यक्ष बनने की सूरत में राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी शुभचिंतक उनकी छोटी बहन प्रियंका गांधी होंगी. फिलहाल वह राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन नाजुक मौकों पर उनके लिए मददगार बन सकती हैं. माना जा रहा है कि पर्दे के पीछे रणनीति बनाने और सलाहकार की भूमिका में रहेंगी. जहां तक मैदान में साथ-साथ चलने का सवाल है तो वह हमेशा की तरह रायबरेली और अमेठी में ही प्रचार करने तक खुद को सीमित रख सकती हैं
सैम पित्रोदा
सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा जिन्हें दुनिया सैम पित्रोदा के नाम से जानती है, भी राहुल के नवरत्नों में शामिल हो सकते हैं. वैसे वो राहुल के पिता राजीव गांधी के बेहद करीबी और उनके कई निर्णायक फैसलों के पीछे पित्रोदा का दिमाग माना जाता है. 75 बरस के हो चुके इंजीनियर और उद्धोगपति पित्रोदा पर अभी भी गांधी परिवार जमकर भरोसा करता है. खबरें यह भी है कि गुजरात चुनाव में राहुल के लिए खास तरह की रणनीति वही बना रहे हैं. पिछले दिनों अमेरिका में राहुल के सफल कार्यक्रमों का श्रेय पित्रोदा को ही जाता है
रणदीप सुरजेवाला
कांग्रेस के प्रवक्ता और हरियाणा से विधायक रणदीप के लिए राहुल गांधी के नवरत्नों में से एक हैं. मौजूदा समय वह केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. वह कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख के तौर कार्यरत हैं और बीजेपी पर लगातार हमला करने के कारण राहुल के करीब होते जा रहे हैं.
करन सिंह
सिर्फ युवा नेताओं के दम पर कोई पार्टी खड़ी नहीं की जा सकती. युवा जोश के साथ-साथ अनुभव की भी दरकार होती है. ऐसे में अनुभवी राजनेता और हिंदू धर्म के प्रकांड विद्धान और राज्यसभा सांसद करन सिंह राहुल के लिए दो मायनों में बेहद उपयोगी हो सकते हैं. पहला, उनके धर्म को लेकर जो सवाल उठते हैं जिस पर करन की सलाह बड़ा काम करती रहेगी, दूसरा उनका विशाल राजनीतिक अनुभव जो नए अध्यक्ष के लिए हमेशा काम आता रहेगा.
कोप्पूला राजू
देश की राजनीति में दलित कार्ड हमेशा ट्रंप कार्ड जैसा रहा है और हर पार्टी इस कार्ड के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है. ऐसे में नौकरशाह से राजनीति में कदम रखने वाले राजू राहुल के लिए बड़े उपयोगी साबित हो सकते हैं. फिलहाल वो इस समय कांग्रेस की अनुसूचित जाति विंग के प्रमुख हैं और पार्टी के दलित कार्ड की रुपरेखा तैयार करने में उनकी बड़ी भूमिका है.
शशि थरूर
अंतरराष्ट्रीय मामलों के बड़े जानकार शशि राहुल के नवरत्नों में शामिल किए जा सकते हैं, उनके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर की जितनी सूझबूझ है उतनी शायद उनकी पार्टी में किसी और को होगी. लंबे समय तक वह संयुक्त राष्ट्र से जुड़े रहे हैं और बतौर डिप्लोमैट काफी सफल भी रहे हैं.
वह कांग्रेस के उन 44 सांसदों में से एक हैं जिन्होंने 2014 में ‘मोदी लहर’ के बीच खुद का वजूद बचाए रखा और लोकसभा में पहुंचने में कामयाब रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार विदेश दौरे को लेकर घेरने के वास्ते वह राहुल के लिए मददगार साबित हो सकते है। attacknews.in