नयी दिल्ली, 05 दिसम्बर । दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने पूर्व कोयला सचिव हरीश चंद्र गुप्ता, दो अन्य पूर्व नौकरशाह ए क्रोफा और के सी समारिया को विकास मेटल पावर लिमिटेड को पश्चिम बंगाल में कोल ब्लाॅक आवंटन मामले में तीन साल की सजा सुनाई है।
केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार के शासनकाल में हुए इस घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश भारत पराशर ने बुधवार को सजा सुनायी। तीनों पर पचास-पचास हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इसके अलावा अदालत ने विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड (वीएमपीएल) के प्रबंध निदेशक विकास पाटनी और इनके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक को चार-चार साल की सजा सुनायी है। अदालत ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सभी दोषियों को सात साल की सजा और कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने का अदालत से आग्रह किया था।
अदालत ने हालांकि बाद में श्री गुप्ता और अन्य दोनों पूर्व नौकरशाहों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के बांड पर जमानत भी दे दी।
इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत ने 30 नवंबर को पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सभी को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की कई धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र का दोषी पाया गया। यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लाॅक के वीएमपीएल को आवंटन में कथित अनियमितता से संबंधित था। सीबीआई ने सितंबर 2012 में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी।
श्री गुप्ता 2006..2008 तक कोल ब्लाक आवंटन की स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष थे। सीबीआई के मामले में अधिकतम सजा की मांग पर श्री गुप्ता के वकील ने उनकी उम्र और बीमारियों का हवाला देते हुए कम सजा का अनुरोध किया था। श्री गुप्ता कोल ब्लाॅक आवंटन घोटाले से जुड़े सात अन्य मामलों का भी सामना कर रहे हैं।
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