नयी दिल्ली, 12 मई । सरकार ने देश में रसायन बैट्री के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 18 हजार 100 करोड़ रूपये के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ‘राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री कार्यक्रम’ का अनुमोदन किया गया। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव रखा था। इस योजना के तहत 50 गीगावॉट ऑवर्स और पांच गीगावॉट ऑवर्स की ‘उपयुक्त’ एसीसी बैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है। गीगावॉट ऑवर्स का अर्थ एक घंटे में एक अरब वॉट ऊर्जा प्रति घंटा निर्माण करना है। इसकी लागत 18,100 करोड़ रुपये है।
बैठक के बाद केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यहां संवाददाताओं को बताया कि एसीसी उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकी की नई पीढ़ी है, जिसके तहत बिजली को इलेक्ट्रो-केमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है। जब जरूरत पड़े, तो इसे फिर से बिजली में बदला जा सकता है। उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली से चलने वाले वाहन, उन्नत विद्युत ग्रिड, सौर ऊर्जा आदि में बैट्री की आवश्यकता होती है। आने वाले समय में इस उपभोक्ता क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी की संभावना है। उम्मीद की जाती है कि बैट्री प्रौद्योगिकी दुनिया के कुछ सबसे बड़े विकासशील क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर लेगी।
उन्होंने बताया कि कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर दिया है, लेकिन वैश्विक अनुपात के सामने उनकी क्षमता बहुत कम है। इसके अलावा एसीसी के मामले में तो भारत में निवेश नगण्य है। एसीसी की मांग भारत में इस समय आयात के जरिये पूरी की जा रही है। राष्ट्रीय उन्नत रासायनिक सेल (एसीसी) बैट्री भंडारण से आयात पर निर्भरता कम होगी। इससे आत्मनिर्भर भारत को भी मदद मिलेगी। एसीसी बैट्री भंडारण निर्माता का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिए किया जायेगा। निर्माण इकाई को दो वर्ष के भीतर काम चालू करना होगा। प्रोत्साहन राशि को पांच वर्षों के दौरान दिया जायेगा।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हवाई यात्री रोपवे प्रणाली विकसित करने के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) की भूमि उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित करने को मंजूरी दी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मसूरी स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) की 1500 वर्ग मीटर भूमि को उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित करने को अपनी मंजूरी दे दी हैI इससे राज्य सरकार वहां अपनी एक आधारभूत परियोजना- देहरादून और मसूरी के बीच हवाई यात्री रोपवे प्रणाली (एरियल पैसेंजर रोपवे सिस्टम) का निर्माण कर सकेगी I
प्रस्तावित रोपवे 5580 मीटर लंबाई का मोनो-केबल रोपवे है जो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत बनेगाI इसका निचला टर्मिनल स्टेशन देहरादून के पुर्कुल गांव में होगा और ऊपरी टर्मिनल स्टेशन लाइब्रेरी, मसूरी में होगाI 285 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले इस रोपवे की ढुलाई क्षमता दोनों दिशाओं से 1000 यात्री प्रति घंटा होगीI इससे देहरादून और मसूरी के बीच सड़क मार्ग पर होने वाले यातायात में काफी कमी आएगीI
इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से 350 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने के साथ ही 1500 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगाI परियोजना के पूर्ण हो जाने के बाद यह रोपवे पर्यटकों के लिए बहुत बड़े आकर्षण का केंद्र भी होगा जिससे राज्य में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अतिरिक्त अवसरों का भी सृजन हो सकेगाI
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया और कतर फाइनेंशियल सेंटर अथॉरिटी के बीच हुए समझौता ज्ञापन को स्वीकृति दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और कतर फाइनेंशियल सेंटर अथॉरिटी (क्यूएफसीए) के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को स्वीकृति दे दी है।
इस एमओयू से कतर में लेखांकन पेशे और उद्यमशीलता आधार को मजबूत बनाने के उद्देश्य से मिलकर काम करने के लिए संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ेगा।
प्रभाव:
आईसीएआई का मध्य पूर्व में 6,000 से ज्यादा सदस्यों के साथ एक मजबूत सदस्यता आधार है और कतर (दोहा) स्थित इकाई आईसीएआई की सबसे सक्रिय इकाई में शामिल है। आईसीएआई के सदस्य कतर में विभिन्न निजी और सार्वजनिक कंपनियों में कई अहम पदों पर हैं तथा वे वहां पर लेखांकन पेशे को समर्थन देने और विकास से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इस एमओयू पर हस्ताक्षर से पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में आईसीएआई सदस्यों को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा और पहचान मिलेगी, साथ ही वे मिलकर कतर में भारतीय कारोबारियों की कारोबार करने की आकांक्षाओं को समर्थन दे सकेंगे। इस प्रकार, इसके माध्यम से कतर और भारत की अर्थव्यवस्थाओं के विकास को सहयोग मिलेगा।
लाभ:
आईसीएआई कीएक सक्रिय इकाई दोहा (कतर) में है जिसकी स्थापना वर्ष 1981 में की गई थी और यह आईसीएआई की 36 विदेशी इकाई में सबसे पुरानीइकाइयों में से एक है। स्थापना के बाद से ही इस इकाई की सदस्यता लगातार बढ़ रही है और वर्तमान में इसके 300 से ज्यादा सदस्य हैं, जो कतर में विभिन्न निजी और सार्वजनिक कंपनियों में अहम पदों पर हैं। साथ ही कतर में लेखांकन पेशे को समर्थनऔर विस्तार देने के लिए काम कर रहे हैं। इस एमओयू से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया और कतर फाइनेंशियल सेंटर अथॉरिटी को लाभ होगा।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य :
➢यह एमओयू एश्योरेंस और ऑडिटिंग, परामर्श, कराधान, वित्तीय सेवाएं और संबद्ध क्षेत्रों में कतर में व्यावसायिक सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रक्रियाएं तय करके आईसीएआई के सदस्यों के लिए अवसरों में बढ़ोतरी का प्रयास है।
➢आईसीएआई, क्यूएफसीए के साथ मिलकर कतर में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय पेशेवर, उद्यमी और विद्यार्थियों को शिक्षित एवं तैयार भी करेगा।
➢ आईसीएआई और क्यूएफसीए परस्पर सहमति के आधार पर राउंडटेबल, नेटवर्किंग कार्यक्रमों आदि के आयोजन के द्वारा कतर में भारतीय कारोबारियों के लिए अवसर तलाशने के लिए मिलकर काम करेंगे।
➢आईसीएआई और क्यूएफसीए कंपनी प्रशासन, तकनीकी शोध एवं परामर्श, गुणवत्ता आश्वासन, फॉरेंसिंक लेखांकन, लघु और मझोले आकार की प्रक्रियाओं (एसएमपी) के मुद्दों, इस्लामिक वित्त, निरंतर पेशेवर विकास (सीपीडी) और परस्पर हित के अन्य विषयों जैसे क्षेत्रों में पैदा होने वाले अवसरों पर सहयोग करेंगे।
पृष्ठभूमि :
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम द चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एक्ट, 1949 के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है और भारत में चार्टर्ड अकाउंटेंसी व्यवसाय को नियंत्रित करता है। 2005 की कानून संख्या (7) के क्रम में स्थापित कतर फाइनेंशियल सेंटर अथॉरिटी (क्यूएफसीए) एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जो कतर में विश्व स्तरीय वित्तीय और व्यावसायिक केन्द्र के रूप में क्यूएफसी के विकास और प्रोत्साहन के लिए जिम्मेदार है।