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पूरे देश में NCR लाकर अवैध प्रवासियों को देश से बाहर किया जाएगा, हिन्दी को जबरन किसी पर नहीं थोपा जाएगा attacknews.in

रांची, 18 सितंबर । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि पूरे भारत में एनआरसी लाया जाएगा और सभी अवैध प्रवासियों को वैध तरीकों से देश से बाहर कर दिया जाएगा।

शाह ने यह भी कहा कि देश की जनता ने 2019 के आम चुनाव के फैसले के माध्यम से देशभर में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने पर अपनी मुहर लगा दी है।

उन्होंने यहां हिंदी दैनिक हिंदुस्तान के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमने अपने चुनाव घोषणापत्र में देश की जनता से वादा किया था कि केवल असम में नहीं बल्कि पूरे देश में हम एनआरसी लाएंगे और देश की जनता का एक रजिस्टर बनाएंगे तथा बाकी (अवैध प्रवासियों) लोगों के लिए कानून के हिसाब से कार्रवाई होगी।’’

गृह मंत्री ने कहा कि एनआरसी का पूरा विस्तार राष्ट्रीय नागरिक पंजी है, नाकि राष्ट्रीय असम पंजी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह पूरे देश में लागू होना चाहिए और मेरा मानना है कि देश की जनता की एक सूची होनी चाहिए।’’

शाह ने कहा कि असम में जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं आये हैं उन्हें विदेशी न्यायाधिकरणों के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया है और असम सरकार ने उन लोगों के लिए वकील मुहैया कराने की भी व्यवस्था की है जो अपना पक्ष रखने के लिए वकीलों का शुल्क नहीं वहन कर सकते।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मेरा पुरजोर विश्वास है कि एक भी ऐसा देश नहीं है जहां कोई भी जाकर बस सके। मैं आपसे पूछता हूं कि क्या आप अमेरिका में जाकर बस सकते हैं? आप नहीं बस सकते। तो फिर कोई भारत में कैसे आकर बस सकता है? सीधी सी बात है।’’

गृह मंत्री ने पूछा कि इसमें राजनीति कहां से आ गयी।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप ब्रिटेन, नीदरलैंड या रूस जाकर बसने की कोशिश करते हैं तो कोई आपको अनुमति नहीं देगा। तो कोई भारत आकर कैसे बस सकता है। देश इस तरह नहीं चलते। समय की जरूरत है कि देश की जनता का एक राष्ट्रीय रजिस्टर बने।’’

असम में अंतिम एनआरसी का प्रकाशन 31 अगस्त को किया गया था जिसमें राज्य के 19 लाख निवासियों के नाम नहीं हैं।


हिंदी पर अपने बयान से उठे विवाद को शांत करने का प्रयास करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की बल्कि दूसरी भाषा के तौर पर इसके इस्तेमाल की वकालत की।

शाह ने कहा कि वह लगातार क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी एक गैर-हिंदी भाषी राज्य से आता हूं। मैं गुजरात से आता हूं, जहां गुजराती भाषा बोली जाती है, ना कि हिंदी। मेरे भाषण को तसल्ली से सुना जाना चाहिए। अगर किसी को राजनीति करनी है तो यह उसकी मर्जी है।’’

भाजपा अध्यक्ष शाह गत शनिवार को हिंदी दिवस पर दिये गये अपने भाषण का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने भारत के लिए एक भाषा की वकालत की थी जिस पर दक्षिण भारत के दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और हिंदी ‘थोपने’ के किसी भी प्रयास का विरोध करने की बात कही थी।

गृह मंत्री ने कहा कि लोगों को भ्रम दूर करने के लिए पूरी सावधानी से उनके भाषण को सुनना चाहिए जहां उन्होंने बार-बार कहा कि भारतीय भाषाओं को मजबूत किया जाना चाहिए और लोगों को भारतीय भाषाओं की आवश्यकता को समझना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी बच्चे का उचित मानसिक विकास तभी संभव है जब वह मातृभाषा में पढ़ाई करता है। मातृभाषा से मतलब हिंदी से नहीं है। यह राज्य विशेष की भाषा है। जैसे मेरे राज्य में गुजराती है। लेकिन देश में एक भाषा होनी चाहिए कि यदि कोई दूसरी भाषा सीखना चाहे तो यह हिंदी होनी चाहिए।’’

शाह ने कहा, ‘‘मैंने केवल अनुरोध किया है। मुझे समझ नहीं आता कि इसमें क्या गलत है।’’

शाह ने कहा कि एक दिन भारत में स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए आंदोलन चलाना होगा अन्यथा भारत भी न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की तरह हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अक्सर न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से आने वाले लोगों से पूछता हूं कि आपकी भाषा क्या है। वे मुझसे आंखें नहीं मिला पाते। ऐसा दिन नहीं आना चाहिए जब हम अपनी ही भाषाओं को खो दें। स्थानीय भाषाओं को मजबूत किया जाना चाहिए और उसके साथ लोगों को हिंदी भी सीखनी चाहिए।’’

शाह ने शनिवार को कहा था, ‘‘भारत में बहुत सारी भाषाएं हैं तथा हर भाषा का महत्व है। लेकिन बहुत जरूरी है कि पूरे देश की एक भाषा हो जो दुनियाभर में भारत की पहचान बने।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोगों से अपील करता हूं कि अपनी मातृ भाषाओं को आगे बढ़ाएं लेकिन बापू और सरदार पटेल के एक भाषा के सपने को साकार करने के लिए हिंदी का भी इस्तेमाल करें।’’

कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, वाम दलों तथा भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने शाह के बयानों की निंदा की थी।

द्रमुक ने 20 सितंबर को इसके विरोध में तमिलनाडु में प्रदर्शन की घोषणा की, वहीं अभिनेता और मक्कल निधि मैयम के अध्यक्ष कमल हासन ने हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास के खिलाफ राज्य में 2017 में जल्लीकट्टू के समर्थन में हुए आंदोलन से भी बड़े प्रदर्शन की चेतावनी दी।

जाने-माने अभिनेता रजनीकांत ने बुधवार को कहा कि भारत में एक आम भाषा की संकल्पना ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण रूप से’’ संभव नहीं है। रजनीकांत ने कहा कि हिंदी को थोपने के किसी भी प्रयास का न केवल दक्षिणी राज्य बल्कि उत्तर भारत में भी कई राज्य विरोध करेंगे।

1960 के दशक के दौरान कथित रूप से हिंदी भाषा को थोपने के खिलाफ तमिलनाडु, द्रमुक के हिंदी विरोधी आंदोलन का गवाह रहा है।

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