नई दिल्ली, 5 जून, ।विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सरकार ने आज वन विभाग, नगर निकायों, गैर सरकारी संगठनों, और कॉर्पोरेट्स और स्थानीय नागरिकों के बीच भागीदारी और सहयोग पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए अगले पांच वर्षों में देश भर में 200 शहरी वन विकसित करने के लिए‘नगर वन योजना लागू करने की घोषणा की। विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा घोषित थीम पर ध्यान केंद्रित करते हुए यह दिवस मनाता है और इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित करता है। इस वर्ष की थीम ‘जैव विविधता’ है। कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर मंत्रालय ने इस वर्ष की नगर वन (शहरी वन) की थीम पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस के आभासी (वर्चुअल) उत्सव आयोजित किये।
शहरी वनों पर सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक ब्रोशर जारी करते हुए और नगर वन योजना की घोषणा करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ये वन शहरों के फेफड़ों के रूप में काम करेंगे और मुख्य रूप से शहर में वन भूमि पर होंगे या स्थानीय शहरी निकायों द्वारा प्रस्तावित किसी अन्य खाली भूमि पर होंगे। जैव विविधता पर विशेष ध्यान देने पर ज़ोर देते हुए इस वर्ष की थीम “टाइम फॉर नेचर” पर श्री जावडेकर ने कहा कि साधारण नियम है कि यदि “हम प्रकृति की रक्षा करते हैं तो प्रकृति हमारी रक्षा करती है”।
पर्यावरण दिवस समारोह के दौरान आज एक फिल्म प्रदर्शित की गई जो बताती है कि वन विभाग और स्थानीय निकाय के साथ पुणे निवासियों की पहल ने 16.8 हेक्टेयर बंजर पहाड़ी को हरे-भरे जंगलों में बदल दिया है। आज यह जंगल 23 पौधों की प्रजातियों, 29 पक्षी प्रजातियों, 15 तितली प्रजातियों, 10 सरीसृप और 3 स्तनपायी प्रजातियों के साथ जैव विविधता से समृद्ध है। यह शहरी वन परियोजना अब पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद कर रही है तथा पर्यावरण और सामाजिक आवश्यकताओं दोनों की सेवा कर रही है। वारजे अर्बन फॉरेस्ट अब देश के बाकी हिस्सों के लिए एक रोल मॉडल है।
इस वर्ष जैव विविधता पर ज़ोर देते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा, “भारत में दुनिया की 8 प्रतिशत जैव विविधता है परंतु दुनिया के केवल 2.5% भू-भाग, 16% मानव के साथ मवेशियों की आबादी और केवल 4% ताजे जल स्रोत जैसी कई बाधाएं होने के बावजूद हमारे पास जो मेगा जैव विविधता है वह भारतीय लोकाचार का परिणाम है जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाती है।”
भारतीय संस्कृति को रेखांकित करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि “भारत संभवतः एकमात्र ऐसा देश है जहां पेड़ों की पूजा की जाती है, जहां जानवरों, पक्षियों और सरीसृपों की पूजा की जाती है और यह पर्यावरण के लिए भारतीय समाज का सम्मान है। हमारे पास युगों से गांव के जंगल की एक बहुत ही महत्वपूर्ण परंपरा रही है। अब शहरी वन की इस नई योजना से इस खाई को भरा जा सकेगा क्योंकि शहरी क्षेत्रों में उद्यान हैं लेकिन बहुत ही कम जंगल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शहरी वन बनाने की इस गतिविधि के अतिरिक्त हम कार्बन खत्म करने के परनाले भी बनाएंगे।
इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने भी कहा कि देश में जैव विविधता संरक्षण के लिए वृक्षारोपण और मृदा नमी संरक्षण के काम में एक मुख्य रणनीति है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नदी के घाटों में मिट्टी के क्षरण, गाद और कम पानी के प्रवाह की समस्याओं को दूर करने के लिए और सभी को सामूहिक रूप से काम करना होगा।
इस आयोजन में यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के कार्यकारी निदेशक श्री इब्राहिम थियाव और यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट प्रोग्राम की कार्यकारी निदेशक सुश्री इंगेर एंडरसन की भी आभासी (वर्चुअल) भागीदारी रही। यूएनसीसीडी के कार्यकारी निदेशक श्री थियाव ने कहा कि “क्या यह समय नहीं है, कि हमें एहसास हो कि हमें प्रकृति की जरूरत है प्रकृति को हमारी बिलकुल ही नहीं। क्या यह समय नहीं है, कि हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से परिभाषित और पुनर्परिभाषित करें। शायद, यह मानवता के लिए प्रकृति के लिए एक नया सामाजिक अनुबंध होने का समय है।”
इस वर्ष की थीम पर जोर देते हुए सुश्री एंडरसन ने कहा कि प्रकृति के हित में काम करने का मतलब है भविष्य की महामारियों का कम जोखिम, सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना, जलवायु परिवर्तन को धीमा करना, स्वस्थ जीवन, बेहतर अर्थव्यवस्थाएं, ताजी हवा की सांस को संजोना और जीवन की रक्षा करने वाले जंगल में चलना। कोविड बाद की दुनिया में हमें फिर से बेहतर निर्माण करने की आवश्यकता है और हमें खुद को बचाने के लिए पृथ्वी की रक्षा करने की जरूरत है।
महाराष्ट्र सरकार के वन मंत्री श्री संजय राठौड़, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में नव नियुक्त सचिव श्री आरपी गुप्ता, वन महानिदेशक तथा विशेष सचिव श्री संजय कुमार, परसिस्टेंट सिस्टम के आनंद देशपांडे और टेर्रे (टीईआरआरई) नीति केंद्र, पुणे की निदेशक डॉ. विनीता आप्टे ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने अनुभवों का साझा किया।
भारत जानवरों और पौधों की कई प्रजातियों से समृद्ध जैव विविधता से संपन्न है और 35 विश्व के जैव-विविधता वाले हॉटस्पॉटों में से 4 स्थान यहां पाये जाते हैं जहां कई स्थानीय प्रजातियां पाई जाती हैं। मगर बढ़ती जनसंख्या, वनों की कटाई, शहरीकरण और औद्योगीकरण ने हमारे प्राकृतिक संसाधनों को भारी दबाव में डाल दिया है, जिससे जैव विविधता का नुकसान हो रहा है। इस ग्रह पर सभी जीवन रूपों के अस्तित्व के लिए जैव विविधता महत्वपूर्ण है और विभिन्न पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करने की एक महत्वपूर्ण कुंजी है। जैव विविधता संरक्षण को पारंपरिक रूप से दूरस्थ वन क्षेत्रों तक ही सीमित माना जाता है, लेकिन बढ़ते शहरीकरण के साथ शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता को सुरक्षित रखने और बचाने की भी अब जरूरत उत्पन्न हो गई है। शहरी वन इस अंतर को पाटने का सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शहरी परिदृश्य में जैव विविधता को बढ़ावा देने और संरक्षण के लिए नगर वन को उचित रूप से विश्व पर्यावरण दिवस समारोह 2020 के थीम के रूप में अपनाया है।