उज्जैन में हैं पितरों को मोक्ष देने वाला गया तीर्थ,भगवान श्री कृष्ण के प्रकट से कहलाया”गयाकोठा तीर्थ “,वर्ष 2023 की श्राद्ध पक्ष की तिथियाँ और श्राद्ध नियमों की पूरी जानकारी विस्तार से जानिए attacknews.in

उज्जैन में हैं पितरों को मोक्ष देने वाला गया तीर्थ,भगवान श्री कृष्ण के प्रकट से कहलाया “गयाकोठा तीर्थ “, वर्ष 2023 की श्राद्ध पक्ष की तिथियाँ और श्राद्ध नियमों की पूरी जानकारी व

Gaya Tirtha, which gives salvation to the ancestors, is in Ujjain, called “Gayakotha Tirtha” after the appearance of Lord Shri Krishna, know the complete information about Shraddha Paksha dates and Shraddha rules of the year 2023 in detail.

लेखक: पंडित आशीष जोशी, उज्जैन

श्राद्ध पक्ष में उज्जैन स्थित गया कोठा का विशेष महत्व है।

इसके पीछे एक कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की थी। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब श्रीकृष्ण ने गुरु सांदीपनि से कहा कि आपको गुरु दक्षिणा में क्या दे सकता हूं तब उन्होंने कहा था कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं आपको शिक्षा देकर ही धन्य हो गया। तब गुरु माता अरुंधति ने श्रीकृष्ण से कहा था कि उनके सात गुरु भाइयों को गजाधर नामक राक्षस अपने साथ ले गया है। वे उन सभी को लेकर आए। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि छह भाइयों का गजाधर वध कर चुका है। उन्हें लेकर आऊंगा तो यह प्रकृति के विरुद्ध होगा। एक अन्य गुरु भाई को उसने पाताल लोक में छुपाकर रखा है। वे उसे ला सकते हैं।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गयाधर का रूप धारण कर गजाधर का वध किया था और उक्त गुरु भाई को उनके पास लाकर सुपुर्द किया था। तब गुरु माता ने छह गुरु भाइयों के मोक्ष का सरल उपाय बताने को कहा था।

उनका कहना था कि गुरु सांदीपनि नदी पार नहीं कर सकते। तब श्रीकृष्ण ने बिहार के गया में स्थित फल्गु नदी को गुप्त रूप से उज्जैन में प्रकट किया था। यह अंकपात मार्ग स्थित सांदीपनि आश्रम के पास स्थित है। यह स्थान ‘गयाकोठा’ कहलाता है।

गयाकोठा तीर्थ पर भगवान श्री विष्णु के सहस्त्र चरण विद्यमान हैं। जिन पर दुग्धाभिषेक कर यहां आने वाले अपने पितरों की मुक्ति और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। हालांकि श्राद्धपक्ष के प्रारंभ में और सर्वपितृ अमावस्या पर यहां पूजन करने वालों की अधिक तादाद होती है मगर अन्य दिनों में भी यहां लोग बडी संख्या में आकर दर्शन लाभ लेते हैं। 

माना जाता है कि भगवान श्री विष्णु के ये चरण आदि काल से हैं। इनका पूजन कर भक्त अपने को धन्य मानते हैं। दूसरी ओर मंदिर के बाहर एक तालाब है। जिसमें पर्व विशेष पर महिलाओं द्वारा स्नान किया जाता है। मंदिर परिसर में ही महादेव का मंदिर भी है। इस मंदिर के दर्शन करने और यहां अभिषेक करवाने से व्यक्ति समस्त प्रकार के ऋणों और बंधनों से मुक्त हो जाता है।

यूं तो गयाकोठा मंदिर में श्रद्धालु अपनी इच्छा से जो चढा देते हैं स्वीकार हो जाता है मगर पितरों की शांति के निमित्त भगवान श्री विष्णु के सहस्त्र चरण कमलों में दूध और जल चढ़ाने से अधिक पुण्यलाभ मिलता है और इसका श्राद्ध पक्ष में और भी महत्व बढ़ जाता है ।

हिंदू मान्यता में श्राद्ध का बहुत महत्व है। शाब्दिक अर्थ में श्राद्ध अर्थात् श्रद्धा से किया गया कोई कर्म जो हम अपने पूर्वजों की इच्छा पूर्ति और सद्गति के निमित्त करते हैं। अर्थात् जिस तरह से आजीवन हम अपने माता पिता की सेवा करते हैं। उसी प्रकार उनकी मृत्यु हो जाने के बाद आत्मा की परमगति और उनके प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए उन्हें श्राद्ध के माध्यम से पूजा जाता है।

माना जाता है कि श्राद्ध न करने पर पितरों की अतृप्त इच्छाओं के कारण वासनायुक्त पितर अनिष्ट शक्तियों के दास बन जाते हैं।

हालांकि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जो हिंदू धर्म आत्मा को अजन्मा, नित्य, अलौकिक जानता है वही इसे अतृप्त वासनाओं में फंसा हुआ मानता है। ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए क्योंकि मरने के बाद जीवात्मा की जो गति होती है। वह उस जन्म में किए उसके कर्मों के फलस्वरूप होती है। जीवात्मा मरने के कुछ दिन तक उस शरीर और उस शरीर से जुड़े सगे संबंधियों से जुड़ा रहता है। अंतिम क्रिया कर्म की विधी पूरी होने के बाद वह जीवात्मा उस बंधन से मुक्त हो जाता है। मुक्त होने के कुछ समय बाद भी वह जीवात्मा अलग अलग सूक्ष्म योनियों में भटकता रहता है,जिसमें वह अपने उस जन्म के संबंधियों और विषयवासनाओं से यदि मुक्त नहीं हो पाता तो वह अपनी इच्छाओं की पूर्ति होने तक या फिर विधिविधान से उसकी मुक्ति के लिए किए जाने वाले कर्मों तक सूक्ष्म योनि में भटकता ही रहता है। 

गरूड़ पुराण और अन्य पुराणों में उपरोक्त ऐसी मान्यताएं वर्णित है। ऐसे जीवात्मा की मुक्ति हेतु श्राद्ध सर्वाधिक उपयुक्त कहे गए हैं। ये श्राद्धकर्म विभिन्न प्रकार के होते हैं। जो कि श्राद्ध पक्ष के अलावा भी किए जाते हैं। मगर प्रमुखरूप से प्रतिवर्ष पितरों की शांति के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध नियमितरूप से श्राद्ध पक्ष में किए जाते हैं। जो कि भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ माना जाता है। यह श्राद्ध पक्ष अमावस्या जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है, तक चलता रहता है। जिसमें व्यक्ति की मृत्यु की तिथी पर श्राद्ध किया जाता है।

गया जी (बिहार) में व्यक्ति माता-पिता के ऋण से मुक्त होता है। लेकिन उज्जैन के गया कोठा में स्वयं के ऋण से भी उसे मुक्ति मिलती है। यहां प्रत्येक तिथि के चरण विराजमान हैं। यहां इन चरणों और सप्तऋषि की साक्षी में कर्म किया जाता है। यहां पितृ शांति और महालय श्राद्ध भी किया जाता है। इसीलिए गयाकोठा का पुराणों में भी विशेष महत्व है ।

भारतीय शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि पितृगण पितृपक्ष में पृथ्वी पर आते हैं और 15 दिनों तक पृथ्वी पर रहने के बाद अपने लोक लौट जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ अपने परिजनों के आस-पास रहते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी ऐसा काम नहीं करें जिससे पितृगण नाराज हों।

पितरों को खुश रखने के लिए पितृ पक्ष में कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान , जामाता, भांजा, मामा, गुरु, नाती को भोजन कराना चाहिए। इससे पितृगण अत्यंत प्रसन्न होते हैं, भोजन करवाते समय भोजन का पात्र दोनों हाथों से पकड़कर लाना चाहिए अन्यथा भोजन का अंश राक्षस ग्रहण कर लेते हैं जिससे ब्राह्मणों द्वारा अन्न ग्रहण करने के बावजूद पितृगण भोजन का अंश ग्रहण नहीं करते हैं।

पितृ पक्ष में द्वार पर आने वाले किसी भी जीव-जंतु को मारना नहीं चाहिए बल्कि उनके योग्य भोजन का प्रबंध करना चाहिए। हर दिन भोजन बनने के बाद एक हिस्सा निकालकर गाय, कुत्ता, कौआ अथवा बिल्ली को देना चाहिए।

मान्यता है कि इन्हें दिया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त हो जाता है। शाम के समय घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर पितृगणों का ध्यान करना चाहिए।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस तिथि को जिसके पूर्वज गमन करते हैं, उसी तिथि को उनका श्राद्ध करना चाहिए। इस पक्ष में जो लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं, उनके समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं। जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती, उनके लिए पितृ पक्ष में कुछ विशेष तिथियां भी निर्धारित की गई हैं, जिस दिन वे पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं।

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा: इस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए सही बताया गया है। इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो और उनकी मृत्युतिथि याद न हो, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं।

पंचमी: जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिए।

नवमी: सौभाग्यवती यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो, उन स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को किया जाता है। यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है। इसलिए इसे मातृनवमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।

एकादशी और द्वादशी: एकादशी में वैष्णव संन्यासी का श्राद्ध करते हैं। अर्थात् इस तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किए जाने का विधान है, जिन्होंने संन्यास लिया हो।

चतुर्दशी: इस तिथि में शस्त्र, आत्म-हत्या, विष और दुर्घटना यानि जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है जबकि बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को करने के लिए कहा गया है।

सर्वपितृमोक्ष अमावस्या: किसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है, तो इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। शास्त्र अनुसार, इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है। यही नहीं जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए। बाकी तो जिनकी जो तिथि हो, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। यही उचित भी है।

तो आइए  जानते हैं पितृ पक्ष की प्रमुख तिथियों और महत्व के बारे में-

पितृ पक्ष 2023 कब से शुरू हो रहे हैं?

इस वर्ष पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023, शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है इस दिन पूर्णिमा श्राद्ध और प्रतिपदा श्राद्ध है। पितृ पक्ष का समापन 14 अक्टूबर, शनिवार को होगा।

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा 29 सितंबर को दोपहर 03:26 बजे तक है और उसके बाद आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी, जो 30 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे तक है।

पितृ पक्ष में तिथि का महत्व

जब पितृ पक्ष प्रारंभ होता है तो प्रत्येक दिन की एक तिथि होती है तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का नियम है ।उदाहरण के लिए, इस वर्ष द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर को है यानि पितृ पक्ष में श्राद्ध की द्वितीया तिथि है, जिन लोगों के पूर्वजों की मृत्यु किसी भी महीने की द्वितीया तिथि को होती है, वे पितृ पक्ष के दूसरे दिन अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं ।इसी प्रकार पूर्वज की मृत्यु भी माह और पक्ष की नवमी तिथि को होगी वे पितृ पक्ष की नवमी श्राद्ध के लिए तर्पण, पिंडदान आदि की कामना करते हैं।

पितृ पक्ष 2023 श्राद्ध की मुख्य तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध- 29 सितंबर 2023
प्रतिपदा का श्राद्ध – 29 सितंबर 2023
द्वितीया श्राद्ध तिथि- 30 सितंबर 2023
तृतीया तिथि का श्राद्ध- 1 अक्टूबर 2023
चतुर्थी तिथि श्राद्ध- 2 अक्टूबर 2023
पंचमी तिथि श्राद्ध- 3 अक्टूबर 2023
षष्ठी तिथि का श्राद्ध- 4 अक्टूबर 2023
सप्तमी तिथि का श्राद्ध- 5 अक्टूबर 2023
अष्टमी तिथि का श्राद्ध- 6 अक्टूबर 2023
नवमी तिथि का श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023
दशमी तिथि का श्राद्ध- 8 अक्टूबर 2023
एकादशी तिथि का श्राद्ध- 9 अक्टूबर 2023
माघ तिथि का श्राद्ध- 10 अक्टूबर 2023
द्वादशी तिथि का श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध- 12 अक्टूबर 2023
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023
सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध तिथि- 14 अक्टूबर 2023
          पितृ पक्ष के दौरान करें ये उपाय

शास्त्रों में ज्ञात है कि पितृ पक्ष में स्नान, दान और तर्पण आदि का विशेष महत्व होता है इस दौरान श्राद्ध कर्म या पिंडदान आदि किसी जानकार व्यक्ति से ही कराना चाहिए साथ ही किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, धन या वस्त्र का दान करें ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है ।

पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है यदि किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो वह आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह अनुष्ठान कर सकता है ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है।

श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर 2023 पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं, जो 16 दिन चलकर 14 अक्टूबर को समाप्त होंगे !

जानें पितृ पक्ष की 16 तिथियों में किस दिन करें !

किनका श्राद्ध.पितृ पक्ष में श्राद्ध की 16 तिथियों का क्या है महत्व, किस तिथि में किनका करें श्राद्ध !

हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है !

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है, जोकि पूरे 16 दिनों तक चलता है. इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है. मान्यता है कि, पितृ पक्ष में किए श्राद्ध कर्म से पितर तृप्त होते हैं और पितरो का ऋण उतरता है. 

पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है !

इन 16 दिनों में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किए जाते हैं. इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरू हो जाएगा और 14 अक्टूबर को इसकी समाप्ति होगी.

पितृ पक्ष को लेकर हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि, इस समय पितृ धरती लोक पर आते हैं और किसी न किसी रूप में अपने परिजनों के आसपास रहते हैं. इसलिए इस समय श्राद्ध करने का विधान है. श्राद्ध के लिए 16 तिथियां बताई गई हैं. लेकिन किन तिथियों में किस पितर पर श्राद्ध करना चाहिए !

पितृ पक्ष की तिथियां :—

29 सितंबर 2023, पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध.!

शनिवार 30 सितंबर 2023, द्वितीया तिथि का श्राद्ध.!

रविवार 01 अक्टूबर 2023, तृतीया तिथि का श्राद्ध.!

सोमवार 02 अक्टूबर 2023, चतुर्थी तिथि का श्राद्ध.!

मंगलवार 03 अक्टूबर 2023, पंचमी तिथि का श्राद्ध.!

बुधवार 04 अक्टूबर 2023, षष्ठी तिथि का श्राद्ध.!

गुरुवार 05 अक्टूबर 2023, सप्तमी तिथि का श्राद्ध.!

शुक्रवार 06 अक्टूबर 2023, अष्टमी तिथि का श्राद्ध.!

शनिवार 07 अक्टूबर 2023, नवमी तिथि का श्राद्ध.!

रविवार 08 अक्टूबर 2023, दशमी तिथि का श्राद्ध.!

सोमवार 09 अक्टूबर 2023, एकादशी तिथि का श्राद्ध.!

मंगलवार 10 अक्टूबर 2023, मघा श्राद्ध.!

बुधवार 11 अक्टूबर 2023, द्वादशी तिथि का श्राद्ध.!

गुरुवार 12 अक्टूबर 2023, त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध.!

शुक्रवार 13 अक्टूबर 2023, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध.!

शनिवार 14 अक्टूबर 2023, सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध.!

किस तिथि में किन पितरों का करें श्राद्ध !

पूर्णिमा तिथि (29 सितंबर 2023)

ऐसे पूर्वज जो पूर्णिमा तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुए, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए. इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

पहला श्राद्ध (30 सितंबर 2023)

जिनकी मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन हुई हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इसी तिथि को किया जाता है. इसके साथ ही प्रतिपदा श्राद्ध पर ननिहाल के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हो या उनके मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो भी आप श्राद्ध प्रतिपदा तिथि में उनका श्राद्ध कर सकते हैं.

द्वितीय श्राद्ध (01 अक्टूबर 2023)

जिन पूर्वज की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है.

तीसरा श्राद्ध (02 अक्टूबर 2023)

जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध तृतीया तिथि को करने का विधान है. इसे महाभरणी भी कहा जाता है.

चौथा श्राद्ध (03 अक्टूबर 2023)

शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में से चतुर्थी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्थ तिथि को किया जाता है.

पांचवा श्राद्ध (04 अक्टूबर 2023)

ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु अविवाहिता के रूप में होती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जाता है. यह दिन कुंवारे पितरों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है.

छठा श्राद्ध (05 अक्टूबर 2023)

किसी भी माह के षष्ठी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है. इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है.

सातवां श्राद्ध (06 अक्टूबर 2023)

किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को जिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इस तिथि को करना चाहिए.

आठवां श्राद्ध (07 अक्टूबर 2023)

ऐसे पितर जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाता है.

नवमी श्राद्ध (08 अक्टूबर 2023)

माता की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध न करके नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि, नवमी तिथि को माता का श्राद्ध करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं. वहीं जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है.

दशमी श्राद्ध (09 अक्टूबर 2023)

दशमी तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के दिन किया जाता है.

एकादशी श्राद्ध (10 अक्टूबर 2023)

ऐसे लोग जो संन्यास लिए हुए होते हैं, उन पितरों का श्राद्ध एकादशी तिथि को करने की परंपरा है.

द्वादशी श्राद्ध (11 अक्टूबर 2023)

जिनके पिता संन्यास लिए हुए होते हैं उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को करना चाहिए. चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो. इसलिए तिथि को संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है.

त्रयोदशी श्राद्ध (12 अक्टूबर 2023)

श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है.

चतुर्दशी तिथि (13 अक्टूबर 2023)

ऐसे लोग जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे आग से जलने, शस्त्रों के आघात से, विषपान से, दुर्घना से या जल में डूबने से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए.

अमावस्या तिथि (14 अक्टूबर 2023)

पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं. इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन भी कहा जाता है।


पिंडदान करने के लिए सफेद या पीले वस्त्र ही धारण करें। जो इस प्रकार श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हैं, वे समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं और अनंत काल तक स्वर्ग का उपभोग करते हैं।

विशेष: श्राद्ध कर्म करने वालों को निम्न मंत्र तीन बार अवश्य पढ़ना चाहिए। यह मंत्र ब्रह्मा जी द्वारा रचित आयु, आरोग्य, धन, लक्ष्मी प्रदान करने वाला अमृतमंत्र है-

देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिश्च एव च। नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव भवन्त्युत !!
(वायु पुराण) ।।

श्राद्ध सदैव दोपहर के समय ही करें। प्रातः एवं सायंकाल के समय श्राद्ध निषेध कहा गया है। हमारे धर्म-ग्रंथों में पितरों को देवताओं के समान संज्ञा दी गई है।

‘सिद्धांत शिरोमणि’ ग्रंथ के अनुसार चंद्रमा की ऊध्र्व कक्षा में पितृलोक है जहां पितृ रहते हैं। पितृ लोक को मनुष्य लोक से आंखों द्वारा नहीं देखा जा सकता। जीवात्मा जब इस स्थूल देह से पृथक होती है उस स्थिति को मृत्यु कहते हैं। यह भौतिक शरीर 27 तत्वों के संघात से बना है। स्थूल पंच महाभूतों एवं स्थूल कर्मेन्द्रियों को छोड़ने पर अर्थात मृत्यु को प्राप्त हो जाने पर भी 17 तत्वों से बना हुआ सूक्ष्म शरीर विद्यमान रहता है।

हिंन्दु मान्यताओं के अनुसार एक वर्ष तक प्रायः सूक्ष्म जीव को नया शरीर नहीं मिलता। मोहवश वह सूक्ष्म जीव स्वजनों व घर के आसपास घूमता रहता है। श्राद्ध कार्य के अनुष्ठान से सूक्ष्म जीव को तृप्ति मिलती है इसीलिए श्राद्ध कर्म किया जाता है।

ऐसा कुछ भी नहीं है कि इस अनुष्ठान में जो भोजन खिलाया जाता है वही पदार्थ ज्यों का त्यों उसी आकार, वजन और परिमाण में मृतक पितरों को मिलता है। वास्तव में श्रद्धापूर्वक श्राद्ध में दिए गए भोजन का सूक्ष्म अंश परिणत होकर उसी अनुपात व मात्रा में प्राणी को मिलता है जिस योनि में वह प्राणी है।


पितृ-पक्ष – श्राद्ध-कर्म- क्यों,कैसे और किसलिए  :-

•• इस सृष्टि में हर चीज का अथवा प्राणी का जोड़ा है । जैसे – रात और दिन, अँधेरा और उजाला, सफ़ेद और काला, अमीर और गरीब अथवा नर और नारी इत्यादि बहुत गिनवाये जा सकते हैं । सभी चीजें अपने जोड़े से सार्थक है अथवा एक-दूसरे के पूरक है । दोनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं । इसी तरह दृश्य और अदृश्य जगत का भी जोड़ा है । दृश्य जगत वो है जो हमें दिखता है और अदृश्य जगत वो है जो हमें नहीं दिखता । ये भी एक-दूसरे पर निर्भर है और एक-दूसरे के पूरक हैं । पितृ-लोक भी अदृश्य-जगत का हिस्सा है और अपनी सक्रियता के लिये दृश्य जगत के श्राद्ध पर निर्भर है । 


•• धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है ।

•• पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है।

•• श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्ड दान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे। इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ को पितृपक्ष में श्राद्ध अवश्य रूप से करने के लिए कहा गया है।

•• श्राद्ध से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। मगर ये बातें श्राद्ध करने से पूर्व जान लेना बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार विधिपूर्वक श्राद्ध न करने से पितृ श्राप भी दे देते हैं। आज हम आपको श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं–

1- श्राद्धकर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि गाय को बच्चा हुए दस दिन से अधिक हो चुके हैं। दस दिन के अंदर बछड़े को जन्म देने वाली गाय के दूध का उपयोग श्राद्ध कर्म में नहीं करना चाहिए।

2- श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान पुण्यदायक तो है ही राक्षसों का नाश करने वाला भी माना गया है। पितरों के लिए चांदी के बर्तन में सिर्फ पानी ही दिए जाए तो वह अक्षय तृप्तिकारक होता है। पितरों के लिए अर्घ्य, पिण्ड और भोजन के बर्तन भी चांदी के हों तो और भी श्रेष्ठ माना जाता है।

3- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय परोसने के बर्तन दोनों हाथों से पकड़ कर लाने चाहिए, एक हाथ से लाए अन्न पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं।

4- ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किए बगैर करना चाहिए क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं जब तक ब्राह्मण मौन रह कर भोजन करें।

5- जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हों उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध गुप्त रूप से करना चाहिए। पिंडदान पर साधारण या नीच मनुष्यों की दृष्टि पडने से वह पितरों को नहीं पहुंचता।

6- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाना आवश्यक है, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण के श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन नहीं करते, श्राप देकर लौट जाते हैं। ब्राह्मण हीन श्राद्ध से मनुष्य महापापी होता है।

7- श्राद्ध में जौ, कांगनी, मटरसरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है। तिल की मात्रा अधिक होने पर श्राद्ध अक्षय हो जाता है। वास्तव में तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं। कुशा (एक प्रकार की घास) राक्षसों से बचाते हैं।

8- दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। वन, पर्वत, पुण्यतीर्थ एवं मंदिर दूसरे की भूमि नहीं माने जाते क्योंकि इन पर किसी का स्वामित्व नहीं माना गया है। अत: इन स्थानों पर श्राद्ध किया जा सकता है।

9- चाहे मनुष्य देवकार्य में ब्राह्मण का चयन करते समय न सोचे, लेकिन पितृ कार्य में योग्य ब्राह्मण का ही चयन करना चाहिए क्योंकि श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों द्वारा ही होती है।

10- जो व्यक्ति किसी कारणवश एक ही नगर में रहनी वाली अपनी बहिन, जमाई और भानजे को श्राद्ध में भोजन नहीं कराता, उसके यहां पितर के साथ ही देवता भी अन्न ग्रहण नहीं करते।

11- श्राद्ध करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसे समय में घर आए याचक को भगा देता है उसका श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता और उसका फल भी नष्ट हो जाता है।

12- शुक्लपक्ष में, रात्रि में, युग्म दिनों (एक ही दिन दो तिथियों का योग) में तथा अपने जन्मदिन पर कभी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। धर्म ग्रंथों के अनुसार सायंकाल का समय राक्षसों के लिए होता है, यह समय सभी कार्यों के लिए निंदित है। अत: शाम के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए।

13- श्राद्ध में प्रसन्न पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, विद्या, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष और स्वर्ग प्रदान करते हैं। श्राद्ध के लिए शुक्लपक्ष की अपेक्षा कृष्णपक्ष श्रेष्ठ माना गया है।

14- रात्रि को राक्षसी समय माना गया है। अत: रात में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। दोनों संध्याओं के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए। दिन के आठवें मुहूर्त (कुतपकाल) में पितरों के लिए दिया गया दान अक्षय होता है।

15- श्राद्ध में ये चीजें होना महत्वपूर्ण हैं- गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल। केले के पत्ते पर श्राद्ध भोजन निषेध है। सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं। इनके अभाव में पत्तल उपयोग की जा सकती है।

16- तुलसी से पितृगण प्रसन्न होते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णु लोक को चले जाते हैं। तुलसी से पिंड की पूजा करने से पितर लोग प्रलयकाल तक संतुष्ट रहते हैं।

17- रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं। आसन में लोहा किसी भी रूप में प्रयुक्त नहीं होना चाहिए।

18- चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में निषेध हैं।

19- भविष्य पुराण के अनुसार श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं-

1- नित्य, 2- नैमित्तिक, 3- काम्य, 4- वृद्धि, 5- सपिण्डन, 6- पार्वण, 7- गोष्ठी, 8- शुद्धर्थ, 9- कर्मांग, 10- दैविक, 11- यात्रार्थ, 12- पुष्टयर्थ

20- श्राद्ध के प्रमुख अंग इस प्रकार :
तर्पण- इसमें दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने हेतु दिया जाता है। श्राद्ध पक्ष में इसे नित्य करने का विधान है।

भोजन व पिण्ड दान– पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन दिया जाता है। श्राद्ध करते समय चावल या जौ के पिण्ड दान भी किए जाते हैं।

वस्त्रदान– वस्त्र दान देना श्राद्ध का मुख्य लक्ष्य भी है।
दक्षिणा दान– यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है जब तक भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा नहीं दी जाती उसका फल नहीं मिलता।

21 – श्राद्ध तिथि के पूर्व ही यथाशक्ति विद्वान ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलावा दें। श्राद्ध के दिन भोजन के लिए आए ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा में बैठाएं।

22- पितरों की पसंद का भोजन दूध, दही, घी और शहद के साथ अन्न से बनाए गए पकवान जैसे खीर आदि है। इसलिए ब्राह्मणों को ऐसे भोजन कराने का विशेष ध्यान रखें।

23- तैयार भोजन में से गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए थोड़ा सा भाग निकालें। इसके बाद हाथ जल, अक्षत यानी चावल, चन्दन, फूल और तिल लेकर ब्राह्मणों से संकल्प लें।

24- कुत्ते और कौए के निमित्त निकाला भोजन कुत्ते और कौए को ही कराएं किंतु देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं । पूरी तृप्ति से भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों के मस्तक पर तिलक लगाकर यथाशक्ति कपड़े, अन्न और दक्षिणा दान कर आशीर्वाद पाएं।

25– ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आएं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर लोग भी चलते हैं। ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही अपने परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराएं।

26– पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए। पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है। पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में सपिंडो (परिवार के) को श्राद्ध करना चाहिए । एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राध्दकर्म करें या सबसे छोटा ।


श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम:

1) श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।

2) श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें –

मंत्र ध्यान से पढ़े :

ll देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च l
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव भवन्त्युत ll

(समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं l ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं l)

3) श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आपके कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं:

मंत्र ध्यान से पढ़े :

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा|

4) जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं l कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है l

5) पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें  और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें|
        
            पितृ पक्ष, 2023 विशेष

कब शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष, श्राद्ध की प्रमुख तिथियां, जानें इस दौरान क्या उपाय-

पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को समर्पित होते हैं इस दौरान श्राद्ध कर्म, दान, गरीबों को खाना खिलाने से पितरों की आत्माएं प्रसन्न होती हैं पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की स्थापना तिथि को समाप्त होता है ।

हिंदू धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध का विशेष महत्व है पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उसका श्राद्ध कर्म हो किया जाता है।

पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति सम्मान भी व्यक्त किया जाता है ।.

श्राद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

हर व्यक्ति को अपने पूर्व की तीन पीढ़ियों (पिता, दादा, परदादा) और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए।

जो लोग पूर्वजों की संपत्ति का उपभोग करते हैं और उनका श्राद्ध नहीं करते, ऐसे लोगों को पितरों द्वारा शप्त होकर कई दुखों का सामना करना पड़ता है।

यदि किसी माता-पिता के अनेक पुत्र हों और संयुक्त रूप से रहते हों तो, सबसे बड़े पुत्र को  पितृकर्म करना चाहिए।

पितृ पक्ष में दोपहर (12:30 से 01:00) तक श्राद्ध कर लेना चाहिए।

नोट :– यदि आपकी जन्मकुंडली में ज्योतिष से संबंधित कोई समस्या है तो आप अपनी जन्म कुंडली किसी विद्वान ज्योतिषी को अवश्य दिखाएं और उनकी सलाह के अनुभव उपाय करें, उससे आपको बहुत लाभ होगा और जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान होगा !

श्राद्ध क्यों करना चाहिए ?

श्राद्ध करने से 6 बड़े फायदे होते हैं !

तुलसी से पिण्डार्चन किए जाने पर पितरगण प्रलयपर्यन्त तृप्त रहते हैं। तुलसी की गंध से प्रसन्न होकर गरुड़ पर आरुढ़ होकर विष्णुलोक चले जाते हैं।

पितर प्रसन्न तो सभी देवता प्रसन्न !

श्राद्ध से बढ़कर और कोई कल्याणकारी कार्य नहीं है और वंशवृद्धि के लिए पितरों की आराधना ही एकमात्र उपाय है…

आयु: पुत्रान् यश: स्वर्ग कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम्।
पशुन् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात्।। (यमस्मृति, श्राद्धप्रकाश)

यमराजजी का कहना है कि–

श्राद्ध-कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है।

पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं।

परिवार में धन-धान्य का अंबार लगा देते हैं।

श्राद्ध-कर्म मनुष्य के शरीर में बल-पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है।

पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन-धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग व मोक्ष प्रदान करते हैं।

श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता वरन् वह समस्त जगत को तृप्त कर देता है।

श्राद्ध करने से क्या फल मिलता है ?

‘ ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती। वह पर्व का पूर्ण फल भोगता है।

प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती।

श्राद्ध करने से क्या लाभ होता है ?

पितरों की संतुष्टि के उद्देश्य से श्रद्धापूर्वक किये जाने वाले तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दान आदि कर्मों को श्राद्ध कहा जाता है। इसे पितृयज्ञ भी कहते हैं। श्राद्ध के द्वारा व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है और पितरों को संतुष्ट करके स्वयं की मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता है।

श्राद्ध नहीं करने से क्या होता है ?

माना जाता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध न करने से पितृदोष लगता है, पितृ दोष के कारण जीवन में परेशानी ही परेशानियां उठानी पड़ती हैं, कभी जीवन में परेशानियों का अंत नहीं होता, ग्रस्त जीवन व्यापार और संतान की ओर से हमेशा कोई ना कोई संकट बना रहता है, जीवन में उन्नति तरक्की नहीं होती, व्यक्ति को मान सम्मान नहीं मिलता, धन की समस्या बनी रहती है आदि !

श्राद्ध के दिनों में क्या नहीं करना चाहिए ?

पितृपक्ष के दौरान बाल, दाढ़ी, मूंछ या नाखून काटने के अलावा कई और भी चीज हैं, जो वर्जित बताई गई हैं। इन दिनों ब्रह्मचार का व्रत करना चाहिए। साथ ही लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा जैसे आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दौरान बासी खाना भी नहीं खाना चाहिए और मांगलिक कार्य इस पक्ष में निषेध बताए गए हैं !

श्राद्ध में कौन सी सब्जी नहीं बनानी चाहिए ?

हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक, पितृ पक्ष  के दौरान जमीन के अंदर होने वाली सब्जियों जैसे मूली, अरबी, आलू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए और नहीं इनका पितरों का भोग लगाना चाहिए. श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को भी इसे ना खिलायें. सनातन धर्म में लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है !

पितरों के लिए कौन सा दीपक लगाना चाहिए ?

ईशान कोण में जलाएं घी का दीपक: रोजाना घर के ईशान कोण (उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा) में गाय के घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्‍मी आप पर कृपा बरसाएंगी. इससे घर में कभी आर्थिक समस्‍याएं नहीं होती हैं. रोज ऐसा करने से पितृ बेहद प्रसन्‍न होते हैं और पितरों के आशीर्वाद से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं !

श्राद्ध कब नहीं करना चाहिए ?

जिन व्यक्तियों की अपमृत्यु हुई हो, अर्थात किसी प्रकार की दुर्घटना, सर्पदंश, विष, शस्‍त्रप्रहार, हत्या, आत्महत्या या अन्य किसी प्रकार से अस्वा‍भाविक मृत्यु हुई हो, तो उनका श्राद्ध मृत्यु तिथि वाले दिन कदापि नहीं करना चाहिए।

क्या श्राद्ध में पूजा कर सकते हैं ?

आप अन्य दिनों की तरह ही श्राद्ध में भी नियमित रूप से सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा कर सकते हैं. मान्यता है कि, इस दौरान पूजा-पाठ बंद करने से पितरों के निमित्त किए गए श्राद्ध का पूर्ण फल नहीं मिलता, इसलिए पितृ पक्ष में पूजा-पाठ करते रहें !

क्या श्राद्ध में नए कपड़े खरीद सकते हैं ?

इसके अतिरिक्त यह वंशजों को सकारात्मक भाग्य प्रदान करता है। पितरों का आशीर्वाद व्यक्ति को जीवन में प्रगति करने में काफी मदद कर सकता है और उसकी समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती हैं। श्राद्ध के दौरान आमतौर पर लोग नए कपड़े खरीदने या पहनने से बचते हैं , बाल कटवाने से भी बचना चाहिए।

श्राद्ध कितनी पीढ़ी तक किया जाता है ?

श्राद्ध कर्म तीन पीढ़ियों का ही होता है। इसमें मातृकुल और पितृकुल (नाना और दादा) दोनों शामिल होते हैं। तीन पीढ़ियों से अधिक का श्राद्ध कर्म नहीं होता है।

पितरों को पानी कौन दे सकता है ?

अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है। इसके अलावा पुत्र और नाती भी तर्पण कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार, पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए। अगर पुत्र के न हो, तो पत्नी श्राद्ध कर सकती है।

पितृ के देवता कौन है ?

एक प्रकार के देवता जो सब जिवों के आदिपूर्वज माने गए है । विशेष—मनुस्मृति में लिखा है कि, ऋषियों से पितर, पितरों से देवता और देवताओं से संपूर्ण स्थावर जंगम जगत की उत्पत्ति हुई है। ब्रह्मा के पूत्र मनु हुए । मनु के मरोचि, अग्नि आदि पुत्रों को पुत्रपरंपरा ही देवता, दानव, दैत्य, मनुष्य आदि के मूल पूरूष या पितर है ।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में खाप पंचायत ने वन्यजीवों का शिकार होने के खिलाफ आवाज उठाने वाले 3 परिवारों को गांव से बाहर करने का तुगलकी फरमान सुनाया attacknews.in

जोधपुर 27 जून । राजस्थान में जोधपुर जिले के बिलाड़ा में खाप पंचायत के फरमान के बाद तीन परिवारों का हुक्का पानी बंद कर देने का मामला सामने आया है ‌।

इस मामले पर जैन मुनि श्रमण डॉक्टर पुष्पेंद्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खाप पंचायत के तुगलकी फरमान को निरस्त करने की बात कही है।

उन्हाेंने कहा है कि वन्यजीवों के प्रति हिंसा को रोकने का इससे बुरा परिणाम अब तक नहीं देखा है। ऐसे में राज्य सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कर पीड़ित परिवार तक जल्द से जल्द राहत पहुंचाए। ताकि, भविष्य में कोई भी इस तरह का तुगलकी फरमान जारी ना करें।

यह हैं मामला:

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में खाप पंचायत ने तीन परिवारों को गांव से बाहर करने का तुगलकी फरमान सुना दिया. इन परिवारों के लोगों ने वन्यजीवों का शिकार होने के खिलाफ आवाज उठाई थी. यही बात कुछ लोगों को रास नहीं आई तो गांव में खाप पंचायत बुला ली गई और इन्हें गांव से बहिष्कृत करवा दिया गया.

दरअसल, ये मामला जोधपुर के बिलाड़ा उपखंड के बाला गांव का है. जहां तीन परिवार आज भी घरों में कैद हैं. ये तीन परिवार कोरोना की पहली लहर के बाद से क्षेत्र में भूखे प्यासे वन्यजीवों के चारे पानी की व्यवस्था का सहयोग कर रहे थे. इन्होंने वन्य जीव तारबंदी से उलझ कर वन्यजीवों का शिकार होने के खिलाफ आवाज उठाई थी. यह बात गांव के कुछ लोगों को रास नहीं आई और गांव में खाप पंचायत बुलाई गई. खाप पंचायत के फरमान के बाद लोगों को गांव से बहिष्कृत करवा दिया गया.

गौरतलब है कि जिन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए काम किया हो ऐसे लोगों के खिलाफ ही खाप पंचायत ने तुगलकी फरमान सुना दिया. जिसको लेकर अब पीड़ित परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण सुनील के पंवार ने बताया कि दोनो पक्षों ने क्रॉस मुकदमें करवाएं हैं. खाप पंचायत को लेकर बिलाड़ा थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है.

पीड़ित सुरेश की रिपोर्ट के अनुसार 5 जून को गांव में ग्रामीणों को एकत्रित किया गया, वहीं सरपंच नाथूराम और कालू सिंह व अन्य कई लोगों ने तीन परिवार को गांव से बहिष्कृत करने का निर्णय सुनाया. किसी ने भी निर्णय के खिलाफत की तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने की भी धमकी दी गई. इससे गांव के दुकानदार पीड़ित परिवार को राशन-पानी तक का सामान नहीं दे रहे।

नोलूरानी ससुराल जाती और पति को सुलाकर भाग जाती;फर्जी शादी करवाने के मामले में दुल्हन सहित महिला एवं दो व्यक्ति गिरफतार,लोगो को शादी का लालच देकर वसूलते थे मोटी रकम attacknews.in

 

बारां 04 जून ।राजस्थान के बारां जिले के कवाई थाना क्षेत्र में कुंआरे युवक से मोटी रकम लेकर फर्जी शादी करवाने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफास करते हुये फर्जी दुल्हन सहित एक महिला एवं दो व्यक्तियों को गिरफतार किया है।

जिला पुलिस अधीक्षक विनीत कुमार बंसल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों मंें गिरोह का सरगना जोधराज धाकड़ एवं अन्य सहयोगी नजमा, नन्दकिशोर एवं फर्जी दुल्हन नीलू उर्फ रानी है।

आरोपियों ने परिवादी डेढ़ लाख रूपये तय करके नीलू उर्फ रानी की शादी परिवादी से करवायी।

दो दिन रहने के बाद नीलू उर्फ रानी ने अपने पति रामनिवासी मेघवाल को चाय के साथ नशीला पदार्थ खिलाकर उसके बेहोश होने के बाद फरार हो गये।

उन्होंने बताया कि प्रकरण की गंम्भीरता को देखते हुए विजय स्वर्णकार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बारां के निर्देशन में सोजीलाल वृताधिकारी वृत अटरू के नेतृत्व में पुलिस एवं तकनीकी टीम गठित की गई।

गठित टीम द्वारा तकनीकी सहायता एवं मुखबीर की सूचना पर गिरोह के सरगना जोधराज धाकड एवं अन्य सहयोगी नजमा, नन्दकिशोर एवं फर्जी दुल्हन नीलू उर्फ रानी को गिरफतार कर लिया गया।

गिरफतार मुल्जिमान से अनुसंधान किया गया तो गिरोह के मुखिया जोधराज, नजमा एवं सहयोगी नन्दकिशोर धाकड़ द्वारा लोगो को शादी का लालच देकर उनसे मोटी रकम वसूल कर उनकी शादी करवाते थे।

फिर योजनाबद्व तरीके से शादी की गई फर्जी दुल्हन को एक-दो दिन बाद वापस भगाने की योजना बनाकर सुसराल से भगा देते थे।

उत्तरप्रदेश के डीएसपी ने पहले विवाह को छुपाकर मुस्लिम महिला पत्रकार से निकाह करने के लिए इस्लाम कबूला और इसे भी छुपाया,जांच की मांग attacknews.in

लखनऊ,03 जून । भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे अमिताभ ठाकुर और उनकी समाजसेवी पत्नी डॉ0 नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के एक डिप्टी एसपी पर इस्लाम कबूल कर धोखे से दूसरी शादी करने के गंभीर आरोप लगाते हुए मामले की जांच कराने मांग करते हुए अधिकारियों को पत्र लिखा है।

इस संबंध में ठाकुर दम्पति ने आज पुलिस महानिदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि खुद को डिप्टी एसपी की दूसरी पत्नी बताने वाली एक महिला ने उन्हें बताया कि वह पत्रकार हैं तथा पूर्व में रायबरेली में तैनात रहे एक डिप्टी एसपी की दूसरी पत्नी हैं।

डीएसपी ने लगभग तीन वर्ष पूर्व उससे शादी की और वह कई स्थानों पर पति-पत्नी के रूप में रहे। डिप्टी एसपी ने उससे लम्बे समय तक अपनी पहली पहली शादी को छिपाया। पहली शादी 10-12 साल पहले की थी और उनके बड़े-बड़े बच्चे होने की जानकारी मिली।

ठाकुर दम्पति ने पत्र में लिखा कि डिप्टी एसपी ने मात्र शादी के लिए पहले इस्लाम कबूल किया और फिर निकाह किया।

साथ ही रजिस्ट्रार के कार्यालय में भी शादी की।

जब सब जानने के बाद पीड़ित महिला ने तलाक देने को कहा तो डिप्टी एसपी ने साफ इंकार कर दिया।

डीजीपी सहित अन्य अधिकारियों को इस संबंध में भेजी अपनी शिकायत में अमिताभ तथा नूतन ने कहा कि यदि ये आरोप सही हैं तो यह अत्यंत ही गंभीर श्रेणी का कदाचार है।

अतः उन्होंने इन तथ्यों की जांच कराते हुए नियमानुसार विधिक तथा प्रशासनिक कार्रवाई का अनुरोध किया है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और उनकी मंगेतर कैरी साइमंड्स ने एक गुप्त समाराेह में शादी रचाई;यह शादी पहले 30 जुलाई 2022 को होने वाली थी attacknews.in

लंदन 30 मई । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और उनकी मंगेतर कैरी साइमंड्स ने एक गुप्त समाराेह में शादी रचा ली है।

स्थानीय मीडिया ने रविवार को अपनी रिपोर्टों में यह जानकारी दी। ब्रिटिश प्रधानमंत्री की यह शादी पहले 30 जुलाई 2022 को होने वाली थी।

समाचारपत्र ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को वेस्टमिंस्टर कैथेड्रल चर्च में श्री जानसन और साइमंड्स के विवाह के मौके पर केवल 30 लोग मौजूद थे। विवाह समारोह करीब डेढ़ घंटे चला और इस दौरान चर्च को बंद कर दिया गया था।

समाचारपत्र ने चर्च के एक कर्मचारी के हवाले से लिखा, “ वे परेशान नजर आ रहे थे।”

छप्पन वर्षीय श्री जानसन का यह तीसरा और सुश्री साइमंड्स का पहला विवाह है।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘द मेल’ और ‘द सन’ की उन खबरों पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया जिनमें पूछा गया था कि प्रधानमंत्री और उनकी मंगेतर ने परिजनों और मित्रों की मौजूदगी में रोमन कैथलिक वेस्टमिंस्टर कैथेड्रल में विवाह किया है।

‘द सन’ ने अपनी खबर में कहा कि जॉनसन के 10 डाउनिंग स्ट्रीट कार्यालय के वरिष्ठ कर्मचारियों को विवाह की योजना के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी।

इंग्लैंड में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगी पाबंदियों के तहत विवाह समारोह में अधिकतम 30 लोग ही शामिल हो सकते हैं।

जॉनसन (56) और साइमंड्स (33) ने फरवरी 2020 में अपनी सगाई की घोषणा की थी और उनका एक वर्षीय पुत्र है। बेटे का नाम विल्फ्रेड है।

विवाह की खबरें आने के बाद नेताओं ने प्रधानमंत्री को बधाई संदेश भेजे हैं।

इससे पहले पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री लॉर्ड लिवरपूल ने 1822 में शादी की थी।

नॉर्दर्न आयरर्लैंड की मंत्री आर्लेने फोस्टर ने ट्वीट किया, ‘‘बोरिस जॉनसन और कैरी साइमंड्स को विवाह की ढेरों शुभकामनाएं।’

देश के प्रत्येक किन्नर को 1500 रुपये का निर्वाह भत्ता देने का फैसला किया attacknews.in

नयी दिल्ली 24 मई । केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने किन्नर समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए फौरी राहत के रूप में 1,500 रुपये का निर्वाह भत्ता देने का फैसला किया है।

मंत्रालय ने सोमवार को यहां बताया कि इस वित्तीय सहायता से किन्नर समुदाय को अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।

इन लोगों के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों और समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) से इस कदम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कहा गया है।

मंत्रालय के अनुसार देश कोविड-19 से जूझ रहा है।

ऐसे में महामारी के चलते किन्नर समुदाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है क्योंकि उनकी आजीविका व्यापक स्तर पर बाधित हुई है।

देश के मौजूदा हालात में यह कमजोर समुदाय भारी संकट और खाना और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों की गंभीर कमी से जूझ रहा है।

कोई भी किन्नर व्यक्ति या उसकी तरफ से सीबीओ प्रपत्र में बुनियादी विवरण, आधार और बैंक खाता संख्या उपलब्ध कराने के बाद वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कर सकता है।

यह प्रपत्र सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाली एक स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन नेता सुंदरलाल बहुगुणा की पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ गंगा किनारें की गई अंत्येष्टि;कोरोना संक्रमण से निधन attacknews.in

देहरादून, 21 मई ।प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा की शुक्रवार को पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ यहां गंगा किनारे पूर्णानन्द घाट पर अंत्येष्टि कर दी गई । कोरोना वायरस से संक्रमित बहुगुणा का आज दोपहर एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया था ।

पद्मविभूषण से सम्मानित बहुगुणा के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेट कर घाट पर लाया गया जहां उत्तराखंड पुलिस ने उन्हें सशस्त्र सलामी दी ।

सरकार के प्रतिनिधि के रूप में देहरादून के जिलाधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक योगेंद्र रावत ने चिपको आंदोलन के नेता के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी ।

बहुगुणा को उनके ज्येष्ठ पुत्र राजीव नयन बहुगुणा ने मुखाग्नि दी । अंतिम संस्कार के समय दिवंगत पर्यावरणविद की पत्नी विमला, पुत्री मधु समेत अन्य परिजन मौजूद थे ।

इस अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल व नगर निगम ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं भी मौजूद थी । ।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन नेता सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को एम्स, ऋषिकेश में कोविड-19 से निधन हो गया ।

वह 94 वर्ष के थे । उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री है ।

एम्स प्रशासन ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को बहुगुणा को एम्स में भर्ती कराया गया था । ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी । चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका ।

नौ जनवरी, 1927 को टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है । उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी ।इसके तहत वृक्षों से चिपककर उन्हें बचाना था।

पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था । एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था ।

टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा । उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया । टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कडा विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पडा । वह हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी थे ।

महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं । वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर विरोधी थे।

सुंदरलाल बहुगुणा का निधन ‘बहुत बड़ा’ नुकसान: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रसिद्ध पर्यावरणविद एवं चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर शोक जताया और इसे देश के लिए ‘‘बहुत बड़ा नुकसान’’ बताया।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सुंदरलाल बहुगुणाजी का निधन हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है। प्रकृति के साथ तालमेल कर रहने की हमारे सदियों पुराने लोकाचार का उन्होंने प्रकटीकरण किया। उनकी सदाशयता और जज्बे की भावना को कभी भूला नहीं जा सकता। मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ है।’’

बहुगुणा का शुक्रवार को ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे और पिछले दिनों कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे।

नौ जनवरी, 1927 को टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता कहा जाता है । उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी।

शिवराज सिंह चौहान की घोषणा:कोरोना के कारण बेसहारा हुए बच्चों और महिलाओं को ₹ 5 हजार प्रति माह पेंशन और राशन के साथ नि:शुल्क शिक्षा का प्रबंध भी किया जाएगा attacknews.in

भोपाल, 13 मई । कोरोना की दूसरी लहर के कारण मध्यप्रदेश में अपने माता पिता या अन्य जिम्मेदार परिजन खोने वाले बच्चों और अपने पति से बिछुड़ने वाली महिलाओं के हित में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेंशन और राशन मुहैया कराने संबंधी घोषणाएं कीं।

श्री चौहान ने वीडियो संदेश के जरिए कहा कि कोरोनाकाल में ऐसे बच्चे जिनके पिता या अभिभावक का साया उठ गया है और घर में कोई कमाने वाला नहीं हैं, एेसे परिवारों को पांच हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाएगी। ऐसे सभी बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा का प्रबंध भी किया जाएगा। ऐसे परिवारों को सरकार राशन भी मुहैया कराएगी।

श्री चौहान ने कहा कि कोरोना संकटकाल में अपने पति से बिछुड़ने वाली बहन यदि आत्मनिर्भर बनने के लिए कोई व्यापार या व्यवसाय प्रारंभ करना चाहती है, तो उसे सरकार की गारंटी पर बिना ब्याज का ऋण मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों और महिलाओं के हित का राज्य सरकार पूरा ध्यान रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री चाैहान ने कहा कि कोरोना महामारी ने कई परिवारों को तोड़कर रख दिया है। कई परिवार ऐसे भी हैं, जिनके बुढ़ापे की लाठी के सहारे छिन गए हैं। अनेक बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। अनेक महिलाओं ने अपने पति, पुत्र और भाई को भी खोया है। सरकार इन सभी की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेगी।

उज्जैन में खेल संस्था सोसायटी ऑफ़ ग्लोबल साइकिल के युवाओं द्वारा श्मशान में लकड़ी संकट दूर करने के लिए 100 टन लकड़ियां खरीदने का शुरू किया गया अभियान attacknews.in

उज्जैन 10 मई। शहर की प्रमुख खेल संस्था सोसायटी ऑफ़ ग्लोबल साइकिल के युवाओं ने एकबार फिर कोरोना महामारी की संकट की घड़ी में समाजसेवा में मिसाल कायम कर दी;इन्होंने श्मशान में दाह संस्कार के लिए खड़ा हुआ लकड़ी संकट को दूर करने की जिम्मेदारी को पूरा किया और इन्होंने 100 टन लकड़ियां खरीदने का लक्ष्य रखा है,जिसे पूरा करने के लिए इन्होंने जन सहयोग भी मांगा है ।

कोरोना काल में चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं! ऑक्सीजन की कमी के बाद अब लकड़ी का संकट आ खड़ा हुआ हैं!इस संकट की इस घड़ी में सामाजिक संस्थाओं एवं नगर के कई सेवाभावी नागरिकों द्वारा इस चुनौती से निबटने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में संस्था सोसायटी ऑफ़ ग्लोबल साइकिल ने भी 100 टन लकड़ी खरीदने का निर्णय लिया हैं।

संस्था द्वारा यह लकड़ी 400 रु प्रति क्विंटल की दर से खरीदी जाएगी,जिसे दान किया जा रहा है । इसके लिए संस्था ने सेवाभावी नागरिकों से लकड़ी खरीदी के लिए अपना सहयोग प्रदान करने की अपील की है ।इसके लिए संस्था ने अपना बैंक अकाउंट नम्बर जारी किया हैं। यहसहयोग राशि संस्था के अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं-

Ac. NO. :- 50200054787126
IFSC CODE :- HDFC0000908
SOCIETY OF GLOBAL CYCLE

यह संस्था विगत चार साल से लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करने का काम कर रही हैं। लेकिन जब कोरोना काल में ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत हुई तो जरुरतमंदो को निः शुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध करवा दिए। साथ ही 10 टन जलाऊ लकड़ी भी दान कर दी।

सोसायटी ऑफ़ ग्लोबल साइकिल वर्ष 2017 से उज्जैन शहर में साइकिल के प्रति जागरूकता अभियान चला रही हैं।

संस्था के अध्यक्ष उत्कर्ष सिंह सेंगर के बताया पिछले वर्ष की तुलना मे इस वर्ष कोरोना वायरस हमारे लिए एक चुनौती बन कर सामने आया है। हाल ही में कोरोना के कारण जो स्थितियां बनी, उसमें अस्पतालों मे और घर पर उपचाररत मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी मुख्य रूप से बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। साथ ही शमसान घाटों पर जलाऊ लकड़ी का भी संकट आ गया हैं। इस आपदा के समय समाज के सामने आए संकट को ध्यान में रखते हुए हमारी संस्था सोसायटी ऑफ़ ग्लोबल साइकिल ने जन सहयोग के माध्यम से 20 सिलेंडर खरीदकर जरूरतमंदों को निः शुल्क वितरित किए गए। वर्तमान में सिलेंडर वितरण का कार्य जारी हैं।

संस्था के सचिव विवेक मेश्राम ने कहा सेवा का यह कार्य जनसहयोग से ही संभव हो पा रहा हैं। संस्था ने 10 टन लकड़ी भी दान करने का निर्णय लिया हैं। सोमवार को 2 टन लकड़ी दान कर दी हैं। आगे भी बाकी की लकड़ी दान कर दी जाएगी।

बरसात में 500 पौधे लगाने का फैसला-

उत्कर्ष ने बताया संस्था ने बरसात में 500 पौधे लगाने का फैसला भी किया हैं। बारिश में उज्जैन शहर में अलग-अलग जगहों पर प्रमुख रूप से नीम , पीपल और बरगद के पौधे रोपे जाएंगे। तीन साल तक पौधों का संरक्षण संस्था द्वारा ही किया जाएगा।

लगातार 100 सप्ताह साइकिल यात्रा निकाली-

संस्था ने पर्यावरण संरक्षण और साइकिल के प्रति जागरूकता अभियान की शुरुआत वर्ष 2017 में लगातार 100 सप्ताह तक साइकिल यात्रा निकालने के उद्देश्य से ही थी। प्रति रविवार निकलने वाली इस साइकिल यात्रा ने लोगो को साइकिल के प्रति जागरूक करने में अहम भूमिका निभाई हैं।

उज्जैन को साइकिल सिटी बनाने का लक्ष्य –

वर्तमान में संस्था द्वारा उज्जैन शहर को देश की पहली साइकिल बनाने के उद्देश्य से भी मिशन साइकिल उज्जैन अभियान चलाया जा रहा हैं।

होलिका दहन के साथ पूरा हुआ झाबुआ और आलिराजपुर में आदिवासियों का भगौरियां पर्व; आखिरी दिन पूरे परवान पर चढा attacknews.in

झाबुआ, 28 मार्च । होली से एक सप्ताह पूर्व भरने वाले आदिवासियों का पर्व भगौरिया हाट झाबुआ और आलिराजपुर जिलों में धूम धाम से मनाया जा रहा है।

झाबुआ जिले के झाबुआ, रायपुरिया, काकनवानी, ढोलियावाड और आलिराजपुर जिले के छकतला, झीरण, सोरवा, आमखूट, कनवाडा एवं कुलवट में आज भगौरिया हाट बाजारों का अंतिम भगौरिया हाट भरा।

आज होली का दहन का दिन होने के साथ ही भगौरिया हाट बाजारों का भी अंतिम दिन होने से झाबुआ सहित अन्य स्थानों पर भरने वाला हाट बाजारों में आदिवासियों की भारी भीड उमडी, झूले, चकरिया, पान, शरबत, जादू, मौत के कुंए के खेल आदि इन मेलों में देखने को मिले और लोगों ने इनका खुब आंनद लिया।

बडी संख्या मेें आदिवासी युवक, युवतियां, वृद्वजन, महिलाऐं और बच्चे ढोल, मांदल की थाप पर नाचते गाये आये एवं बांसूरी की मधुर धुनों पर युवाजन और युवतियां खूब थिरके।

इन भगौरिया हाट बाजारों में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने भी खूब रंगा रंग रैलियां निकाली खाने पीने का दौर भी बहुत चला।

राजनैतिक पार्टियों ने इन हाट बाजारों में अपना अपना राजनैतिक वर्चस्व दिखाया।

झाबुआ में भरे भगौरिया हाट बाजारों में आस पास के क्षेत्र के हजारों ग्रामीण जन एकत्र हुए।

व्यापारियों का व्यवसाय भी बहुत अच्छा हुआ।

हाट में रंग गुलाल, नारियल, माजम, खाने पीने की वस्तुएं बहुत बिकी।

कोरोना के खौप के बीच पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा बाखुबी संभाला।

खरगोन में आदिवासी लोक परंपरा ‘भगोरिया’ आयोजन पर लगाई रोक, प्रतिबंध से जिले में 60 से अधिक भगोरिया हाट पर पड़ेगा असर पड़ेगा attacknews.in

खरगोन-बड़वानी 17 मार्च। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में संकट प्रबंधन समूह की बैठक में जिले में भगोरिया के आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया है।

जिला कलेक्टर अनुग्रहा पी की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना के फिर से पैर पसार लेने के चलते भगोरिया आयोजन नहीं होगा। सिर्फ पूर्व की तरह हाट बाजार लगाए जा सकेंगे और इसमें मनोरंजन के साधन झूले ,नाटक तमाशे तथा तंबू लगाकर इनामी प्रतियोगिता जैसे स्थान या दुकानें भी प्रतिबंधित रहेंगे।

संकट प्रबंधन समूह में इस बात पर भी सहमति जताई कि महाराष्ट्र से आने वाले व्यापारियों को हाट बाजार में प्रतिबंधित जायेगा।

हाट बाजार में भगोरिया को लेकर प्रत्येक थाने व ग्राम पंचायत स्तर पर गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित कर पृथक से बैठक आयोजित कर भगोरिया के प्रतिबंधात्मक संबंधी निर्देशों से अवगत कराया जाएगा।

इस प्रतिबंध से जिले में 60 से अधिक भगोरिया हाट पर असर पड़ेगा।

उधर, दूसरी और पड़ोसी जिले बड़वानी में जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने आदिवासी संगठनों के निवेदन तथा कोरोना के मद्देनजर भगोरिया हाट बाजारों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

किंतु 2 दिन बाद ही जनप्रतिनिधियों तथा अन्य आदिवासी संगठनों के निवेदन पर इस प्रतिबंध को हटा लिया था।

जिला कलेक्टर के प्रतिबंध हटाने के आदेश पर कुछ आदिवासी संगठनों ने विरोध जताया है।

आदिवासी मुक्ति संगठन के महासचिव गजानंद ब्राह्मणे ने कहा कि कलेक्टर के प्रतिबंध हटा लेने के निर्णय के विरुद्ध उन्होंने इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई है जिस पर 19 मार्च को सुनवाई होना है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न बाजार लगाने के प्रबंध का नियंत्रण का अधिकार ग्राम पंचायत को है और हम विभिन्न ग्राम सभाएं आयोजित कर भगोरिया नहीं लगाए जाने के लिए प्रस्ताव पारित करके भेज रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के पटेल, पुजारा, वारती आदि लोगों की बैठक भी आयोजित की जा रही है।

उधर, निमाड़ रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक तिलक सिंह ने आज सायं कहा है कि उन्होंने बड़वानी तथा खरगोन जिलों में जिला दंडाधिकारी के विभिन्न शासकीय आदेश व संकट प्रबंधन समूह के निर्णय की अवहेलना करने पर वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

देशभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया:हरेक  कामकाज महिलाओं को सौंपकर पूरा दिन महिलाओं को सम्मानित करता रहा भारत देश attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ मार्च । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में महिला किसानों ने प्रदर्शन स्थलों पर मंच का संचालन किया जबकि एक महिला उप निरीक्षक ने पुलिस थाने का प्रबंधन किया। इस मौके पर संसद में कई सांसदों ने महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की वकालत की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को बधाई दी और कहा कि भारत को उनकी तमाम उपलब्धियों पर गर्व है।

मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं अदम्य नारी शक्ति को सलाम करता हूं। देश की महिलाओं की तमाम उपलब्धियों पर भारत को गर्व होता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में काम करना हमारी सरकार के लिए सम्मान की बात है।’’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। हमारे देश की महिलाएं अनेक क्षेत्रों में उपलब्धियों के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। आइए, आज के दिन हम महिलाओं एवं पुरुषों के बीच असमानता को पूरी तरह समाप्त करने का सामूहिक संकल्प लें।’’

कोविंद ने अपनी पत्नी सविता कोविंद की तस्वीर भी ट्वीट की, जिसमें वह कोविड-19 टीके की पहली खुराक लेती दिख रही हैं।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मौके पर महिला स्वास्थ्यकर्मियों को सलाम करते हुए कहा कि उनके योगदान ने कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘नो ‘हीरो’ विदआउट ‘हर’ (नारी के बिना नायक नहीं)।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘कोविड-19 संकट के इस समय में नारी शक्ति की निस्वार्थ और मजबूत भूमिका सामने आयी। इस महिला दिवस पर हम कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई में योगदान देने वाली 60 लाख से अधिक महिला स्वास्थ्यकर्मियों को सलाम करते हैं।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस अवसर पर कहा कि महिलाएं इतिहास रचने और भविष्य संवारने में सक्षम हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘महिलाएं पूरे विनीत भाव से इतिहास रचने और भविष्य संवारने में सक्षम हैं। कोई आपको रोकने नहीं पाए।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ट्वीट किया, ‘‘महिलाओं की आवाज को ज्यादा से ज्यादा जगह मिलना महिला सशक्तीकरण की नींव है। जितनी ज्यादा महिला जनप्रतिनिधि, वकील, पायलट, उद्यमी, सैनिक, डॉक्टर, शिक्षक, लेखक, पत्रकार, खिलाड़ी, कलाकार…होंगी, ये दुनिया उतनी ही खूबसूरत और सशक्त बनेगी।’’

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली के सिंघू, टीकरी एवं गाजीपुर के प्रदर्शन स्थलों पर महिला किसानों ने मार्च निकाला और भाषण दिए।

किसान नेता कविता कुरूगांती ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मंच का प्रबंधन महिलाओं ने किया, सभी वक्ता महिलायें थीं और जिन मसलों पर चर्चा की गयी उनमें विशेष रूप से खेती और महिला किसानों का मुद्दा शामिल था।

संयुक्त किसान मोर्चा की सदस्य कविता ने कहा, ‘‘इस दौरान महिला किसानों और इस आंदोलन में महिला किसानों के योगदान पर भी चर्चा हुयी।’’

उन्होंने कहा कि यहां ‘‘हजारों महिलाओं’’ के आने और इसमें उनके हिस्सा लेने के बाद इसका महत्व बढ़ गया है।

इस मौके पर महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के प्रत्येक जिले में पांच ऐसे कोविड-19 टीकाकरण केंद्र स्थापित किए जहां केवल महिलाओं को ही टीका लगाया जाएगा।

एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इन केंद्रों का संचालन केवल एक ही दिन के लिए होगा और टीका लगवाने की इच्छुक महिलाएं आज इन केंद्रों पर आ सकती हैं।

राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं के योगदान का उल्लेख करते हुए पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बजट सत्र के दौरान सदन में प्रस्ताव पेश किया।

सिंह ने कहा, ‘‘ इस अवसर पर हमें वास्तविकता के आधार पर इसका आकलन करने की जरूरत है कि राज्य में प्रत्येक महिला को सम्मान और समानता का जीवन देने की दिशा में हम कितना आगे बढ़े।’’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने सरकारी महिला कर्मचारियों को छह महीने की बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी (चाइल्ड केयर लीव) प्रदान करने के प्रस्ताव की घोषणा की। उन्होंने महिला उन्मुख कार्यक्रमों के लिए 37,188 करोड़ रुपये देने की भी घोषणा की।

महिलाओं के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल की कार्यवाही एक महिला अध्यक्ष द्वारा संचालित की गयी।

नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को दिल्ली से उत्तर प्रदेश के बरेली के लिए पहले वाणिज्यिक यात्री विमान को हरी झंडी दिखायी और इस उड़ान के चालक दल में सभी सदस्य महिलाएं हैं।

नागर विमानन मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) योजना के तहत बरेली हवाई अड्डे को वाणिज्यिक उड़ान संचालन के तहत उन्नत बनाया गया है।’’

हिमाचल प्रदेश पुलिस ने शिमला में ऐतिहासिक रिज पर सभी महिलाओं की परेड आयोजित की।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्यसभा में सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की मांग की गयी ताकि संसद तथा विधानसभाओं में महिला सदस्यों की संख्या बढ़ सके। इसके साथ ही सांसदों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर बल दिया।

उत्तराखंड सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए ब्याज मुक्त ऋण योजना शुरू की और 156 ऐसे समूहों के बीच 5.27 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए।

शिवराज सिंह चौहान का जन्मदिन मध्यप्रदेश में बन गया “वृक्ष महोत्सव”,जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि,पेड़ लगाना पृथ्वी को बचाने का अभियान हैं यह attacknews.in

भोपाल, 05 मार्च । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि पेड़ लगाना पृथ्वी को बचाने का अभियान है। यह अत्यंत पुनीत कार्य है। इस पवित्र सामाजिक अभियान को सफल बनाने के लिए वे निकल पड़े हैं, जिसमें आप सबको पूरा सहयोग करना है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री चौहान ने आज अपने जन्म-दिन के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर मंत्रि-परिषद के सदस्यों, जन-प्रतिनिधि, अधिकारी और मीडिया प्रतिनिधियों के साथ सामूहिक रूप से पौध-रोपण किया। सभी ने पौधरोपण में अत्यंत उत्साह के साथ हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री का जन्मदिन वृक्ष महोत्सव बन गया।

श्री चौहान ने अपने जन्मदिन पर सुबह सबसे पहले अपने निवास पर बेलपत्र का पौधा रोपा। इस अवसर पर सांसद वी डी शर्मा, मंत्री विजय शाह, डॉ प्रभुराम चौधरी सहित श्री हितानंद और लोकेंद्र पाराशर आदि उपस्थित थे।

श्री चौहान ने अपने निवास पर अपने परिवार के साथ पौध-रोपण किया। मुख्यमंत्री के साथ उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह, पुत्र कार्तिकेय तथा कुणाल ने नारियल, शमी तथा आँवले के पौधे रोपे।

मुख्यमंत्री ने स्मार्ट सिटी पार्क में मीडिया प्रतिनिधियों के साथ पौध-रोपण किया। उन्होंने बरगद सहित लगभग 25 प्रजातियों के पौधे रोपे। उन्होंने इस अवसर पर धरती को बचाने के लिए पेड़ लगाने के इस पवित्र सामाजिक अभियान में सक्रिय भागीदारी के लिए मीडिया तथा अन्य सभी की सराहना की और धन्यवाद दिया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और मंत्रिपरिषद के सदस्यों के साथ विधानसभा परिसर में कदंब के 6 पौधे रोपे।

श्री चौहान ने वल्लभ भवन मंत्रालय में फलदार खिरनी का पौधा लगाया। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पेल्टाफॉर्म, मंत्री कमल पटेल, मोहन यादव, विधायक कृष्णा गौर, राज्य मंत्री राम खेलावन पटेल ने भी पौधे लगाए। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने पुत्रंजीवा, अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार ने गूलर का पौधा लगाया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव के के सिंह, मलय श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव, मोहम्मद सुलेमान, एसएन मिश्रा, प्रमुख सचिव नीतेश व्यास, दीप्ति गौर मुखर्जी, कल्पना श्रीवास्तव, दीपाली रस्तोगी, पल्लवी जैन गोविल, नीरज मंडलोई, अशोक शाह, संजय शुक्ला, सत्येन्द्र कुमार सिंह के साथ मंत्रालय के कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक सहित मंत्रालयीन अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।

मंत्रालय परिसर में पीपल, आम, करंज, पाखर और सप्तपर्णी आदि के पौधों का भी रोपण किया गया।

मध्यप्रदेश में गरीबों को सुस्वादु और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाने के लिए दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजनांतर्गत सुदृढ़ीकृत-नवीन 100 रसोई केंद्र का शुभारंभ attacknews.in

भोपाल, 26 फरवरी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गरीबों को सुस्वादु और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाकर अनमोल दुआएँ प्राप्त करें। नगरीय निकाय और जो स्वैच्छिक संस्थाएँ यह कार्य कर रही हैं, निश्चित ही बधाई की पात्र हैं।

श्री चौहान आज यहां मिंटो हाल में दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के अंतर्गत प्रदेश में सुदृढ़ीकृत और नवीन 100 रसोई केंद्र का वर्चुअल शुभारंभ कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई-लिखाई और दवाई बुनियादी जरूरतें हैं। कहा भी गया है भूखे भजन न हो गोपाला। अन्न ही ब्रह्म है। अपने गाँव छोड़कर शहरों में आने वाले श्रमिक और अन्य लोग अपना और बच्चों का आसानी से पेट भर सकें, इस दृष्टि से रसोई केन्द्र उपयोगी हैं। वर्ष 2017 से प्रारंभ इस योजना का विस्तार किया जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिला मुख्यालयों के अलावा प्रमुख धार्मिक पर्यटन नगर योजना में जोड़े गए हैं। इसके अलावा अन्य कस्बों, नगरों में भी रसोई केन्द्र प्रारंभ किए गए हैं। इनका विस्तार किया जाए। यह मानवता के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना काल में भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश से होकर जाने वाले प्रवासी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने संबल और अन्य अनेक योजनाएँ प्रारंभ की हैं, जो गरीबों के लिए अनाज, उनके इलाज और दुर्घटना की स्थिति में आर्थिक सहयोग जैसे सभी आवश्यक प्रबंध करती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गरीबों के उपचार के लिए दो करोड़ आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं। इसमें चिन्हित अस्पतालों में व्यक्ति को 5 लाख रुपए तक के उपचार की सुविधा उपलब्ध है। सभी गरीबों को आने वाले तीन वर्ष में पक्की छत मिलेगी। प्रदेश के करीब 3 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को अपना कारोबार विकसित करने के लिए 10 हजार रूपए प्रति हितग्राही के मान से ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाया गया है।

श्री चौहान ने कहा कि गरीबों की भोजन व्यवस्था और उन्हें सहायता देने से दुआएँ मिलती हैं। यह कार्य सरकार, सामाजिक संस्था और व्यक्तिगत स्तर पर सभी प्रकार से किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मुरैना के हाथठेला लगाने वाले शकील, धार के ऑटोचालक बाबू सिंह, उज्जैन के पुताई श्रमिक संतोष, छतरपुर के फल विक्रेता मोहन और इंदौर के श्रमिक कालू सिंह से बातचीत की।

श्री चौहान ने हितग्राहियों से उन्हें दीनदयाल रसोई केन्द्र से मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता के संबंध में भी पूछा। हितग्राहियों ने योजना में मिल रही सुविधा की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने छतरपुर जिला प्रशासन द्वारा सामाजिक संगठन को रसोई केन्द्र के आधुनिकीकरण में सहयोग के लिए बधाई दी। इसी तरह मुरैना नगर निगम को भी कोरोना काल में रसोई घर के नियमित संचालन के लिए बधाई दी।

श्री चौहान ने योजना के लिए बनाए गए पोर्टल का लोकार्पण किया। इस पोर्टल से योजना का नियमित और सतत पर्यवेक्षण किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने योजना के क्रियान्वयन में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना की।

श्री चौहान की उपस्थिति में खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और खनिज निगम के अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने निगम की ओर से 10 लाख रूपए की राशि सीएसआर के तहत दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के क्रियान्वयन के लिए सहयोग स्वरूप प्रदान की। इसके साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम की ओर से 10 लाख रूपए की राशि का चेक नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह और राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया को प्रदान किया।

शुभारंभ समारोह में योजना के क्रियान्वयन पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। लघु फिल्म में योजना का लाभ लेने वाले हितग्राहियों के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं। यह फिल्म पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के विचार और मुख्यमंत्री द्वारा उसके मध्यप्रदेश में क्रियान्वयन पर केन्द्रित है।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान गरीबों की सेवा के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं। इनकी सोच का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश में गरीबों के कल्याण के लिये संबल, दीनदयाल रसोई और स्ट्रीट वेण्डर जैसी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का प्रयास है कि गरीबों की अधिक से अधिक मदद की जाये। उन्होंने कहा कि रसोई केन्द्रों में गाँव से शहर आने वाले श्रमिकों के साथ ही शहर के गरीबों को मात्र 10 रूपये में भरपेट भोजन उपलब्ध होगा।

नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री श्री भदौरिया ने कहा कि रैन बसेरा और दीनदयाल रसोई योजना से गाँव से शहर आने वाले गरीबों के रहने और खाने की व्यवस्था मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि आने वाले तीन साल में प्रदेश प्रगति और विकास की नई आधारशिला रखेगा।

कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नगरीय विकास और आवास नीतेश व्यास ने स्वागत उद्बोधन दिया।आयुक्त नगरीय प्रशासन निकुंज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में मध्यप्रदेश गान हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री द्वारा बालिकाओं के पैर पूजन से हुआ। कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर, विधायक कृष्णा गौर, सहित अनेक जन-प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास मनीष सिंह और योजना के क्रियान्वयन से संबंधित अधिकारी और भोपाल के योजना के हितग्राही उपस्थित थे।

मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को उनकी जयंती पर उज्जैन में “शौर्य गाथा”के मंचन के साथ याद किया  attacknews.in

उज्जैन 24 जनवरी ।अवन्तिका की धरा पर कला साहित्य नाट्य आदि अनेक विधाओं के विद्धान राजा भोज को भी अचेतन से बाहर लाने हेतू एक नाटक का मंचन किया गया था जिसे देखने के पश्चात ही राजा भोज को अपने सामर्थ व शक्ति का आभास हुआ था । यहां की जन चेतना में कला बसती है।

ये उदगार प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. मोहन यादव ने निनाद नृत्य अकादमी द्धारा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 125 वीं जंयति पर आयोजित नाट्य शौर्यगाथा की प्रस्तूति के पूर्व मुख्य अतिथि के रूप में व्‍यक्‍त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. विकास दवे अध्यक्ष म.प्र. हिन्दी साहित्य अकादमी ने की आपने कहा कि शिप्रा के जल वे अवन्तिका की माटी में ना जाने कौन से ऐसे तत्व है कि प्राचीन काल से ही यहा साहित्य संस्कृति काल कण-2 व क्षण-2 में व्याप्त है। राष्ट्र चेतना हेतू ऐसे आयोजनों की आवश्यकता आज देशभर में है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री पाद जोशी प्रदेश प्रमुख संस्कार भारती ने इस अवसर पर कहा कि दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद हमें गलत इतिहास बताया और पढ़ाया गया है आज गुगल पर भी अधूरा इतिहास उपलब्ध है। हमारे वीर जवानों और देशभक्त नागरिको ने हर संकट के समय अपने प्राणों को उत्सर्ग करने में कभी पीठ नहीं दिखाई है।

कार्यक्रम का शुंभारंभ अतिथियों द्धारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। अतिथियों का स्वागत निनाद नृत्य अकादमी की और से पलक पटवर्धन राजेश सिंह कुशवाह विजेन्द्र वर्मा समीर पटवर्धन विशाल कलंम्बकर आदि ने किया।

नाट्य शौर्य गाथा में तात्या टोपे ठीपू सूल्तान रानी लक्ष्मीबाई से प्रांरभ होकर 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम को जींवत किया गया साथ ही 1965 व 1967 के युद्धों के बाद कारगिल युद्ध उटी व पुलवामा हमला सर्जिकल स्ट्राइक तक की वीरता त्याग व समपर्ण की कहानी देखकर दर्शक रोमाचिंत हो गए। नाटक का अंतिम भाग करोना काल में भारतीय सेना पुलिस चिकित्सक स्वास्थय वर्कर व समाज सेवियों द्धारा किए गए कार्यो को मंचन के माध्यम से प्रस्तूत किया यह सम्पूर्ण गाथा थी शौर्यगाथा जिसे 6 से 15 वर्ष के 87 बाल कलाकारों ने स्‍थानीय कालिदास अकादमी संकूल में जींवत किया इन नन्हें-2 कलाकारों की सुंदर व अद्धभूत प्रस्तूतीकरण को देख कर दर्शकगण अपनी अश्रुधारा को ना रोक सके।

इनका हुआ सम्मान:

नाटक शौर्य गाथा प्रस्तुति के पूर्व नगर की पांच हस्तियों को कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया

  1. डॉ मोहन यादव मंत्री उच्च शिक्षा

2.स्व. श्री यशवंत पाल (मरणोपरांत) निरीक्षक मध्य प्रदेश पुलिस

3.डॉ सतविंदर कौर सलूजा

4.डॉ एचपी सोनानिया नोडल अधिकारी कोविड-19 उज्जैन

5.डॉ रविंद्र सोलंकी अध्यक्ष सेवा भारती उज्जैन ।

कार्यक्रम का संचालन कवि दिनेश दिग्गज ने किया आभार राजेश सिंह कुशवाह ने व्यक्त किया। नाट्य का निर्देशन विशाल कलंबकर ने किया।