मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में नया अध्याय जुड़ा: विधायकाें ने वर्चुअल तरीके से सदन की कार्यवाही में शामिल होकर सरकार से सवाल जवाब किये attacknews.in

भोपाल,01 मार्च । मध्यप्रदेश विधानसभा में आज दो विधायकाें ने वर्चुअल तरीके से सदन की कार्यवाही में शामिल होकर सरकार से सवाल जवाब किये।

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा और डॉक्टर अशोक मर्सकोले विधानसभा की कार्यवाही में मंडला जिले से ही वर्चुअल (वीडियो कान्फ्रेंसिंग) तरीके से शामिल हुए। इस तरह विधानसभा के इतिहास में आज नया अध्याय जुड़ गया।

श्री पट्टा ने मंडला जिले के सिझोरा में स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में पदस्थ व्याख्याता अजय शर्मा की पदस्थापना के बारे में सवाल उठाते हुए कहा कि वे वहां नियम विरुद्ध तरीके से बने हुए हैं। उन्होंने व्याख्याता और उन्हें पदस्थ करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध मंत्री से किया।

जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह ने सदस्य के पूरक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि व्याख्याता ने अदालत से स्थगन लिया हुआ है। विभाग स्थगन हटवाने के लिए आवश्यक कदम उठाकर संपूर्ण मामले का परीक्षण कराएगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रश्नकाल में ही कांग्रेस विधायक डॉ मर्सकाेले ने मंडला जिले में बस्ती विकास योजना के तहत धनराशि आवंटन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि धनराशि के उपयोग के संबंध में जनप्रतिनिधियों की राय काे तवज्जाे नहीं दी जाती है। मंत्री मीना सिंह ने आश्वासन दिया कि उन्होंने जो भी बात उठायी है, उसका परीक्षण कराके समाधान निकाला जाएगा।

इस तरह सदस्य के ऑनलाइन कार्यवाही में शामिल होने पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने अध्यक्ष गिरीश गौतम को बधाई देते हुए कहा कि आज नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विशेष प्रकरण में पूर्व अनुमति के बाद किया गया है।

प्रश्नकाल में ही सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बहादुर सिंह चौहान ने उज्जैन जिले की महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले दो विद्यालयों में नियमों काे दरकिनार कर कार्य करने का आरोप लगाते हुए उनकी मान्यता निरस्त करने की मांग की। उन्होंने इस संबंध में अनेक सवाल उठाते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से मांग की कि इस मामले में गलत रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों को आज ही निलंबित किया जाए। काफी देर तक चले सवाल जवाब के बीच मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले में जांच और प्रक्रिया पूरी कर मान्यता रद्द करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि कोरोना कॉल में मध्यप्रदेश में किसी भी स्कूल को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का अधिकार है। स्कूल विद्यार्थियों से अन्य कोई फीस नहीं वसूल सकते हैं। ये आदेश पहले से ही सभी जिलों में दिए गए हैं और आज फिर सभी जिलों के लिए जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल अन्य फीस वसूलता है तो इसकी शिकायत संबंधित कलेक्टर को की जाए और वे संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। ये आदेश सीबीएसई और एमपी बोर्ड से संबंधित स्कूलों पर मान्य हैं।

प्रश्नकाल में ही कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह बघेल ने धार जिले के डही विकासखंड के अधीन आने वाले बड़दा गांव में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के भवन निर्माण का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका भूमिपूजन किया था, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह ने बताया कि संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच ने लिखकर दिया है और उनकी अनुशंसा के आधार पर गांव में उस स्थान पर नया स्कूल भवन बनाया जाएगा, जहां पहले से स्कूल संचालित है। जहां पर भूमिपूजन हुआ था, वह स्थान गांव से तीन किलोमीटर दूर स्थित है और स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर पूर्व स्थान पर ही भवन बनाने का निर्णय हुआ है।

मध्यप्रदेश विधानसभा में देश चल रहे किसान आंदोलन के मृतकों को भी दे दी गई श्रद्धांजलि,साथ ही दूसरे दिन दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि के बाद कार्यवाही स्थगित attacknews.in

भोपाल, 23 फरवरी । मध्यप्रदेश विधानसभा में आज पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद कैलाश सारंग, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों रामविलास पासवान, जसवंत सिंह, तरुण गोगोई और बूटा सिंह और अन्य दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उनके सम्मान में कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।

सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही अध्यक्ष गिरीश गौतम ने दिवंगत नेताओं के निधन का उल्लेख करते हुए सदन की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। सदन में पूर्व सदस्य लोकेंद्र सिंह, गाेवर्धन उपाध्याय, श्याम होलानी, बद्रीनारायण अग्रवाल, कैलाश नारायण शर्मा, विनोद कुमार डागा, कल्याण सिंह ठाकुर, महेंद्र बहादुर सिंह, चनेशराम राठिया, श्रीमती रानी शशिप्रभा, डॉ राजेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, डॉ भानुप्रताप गुप्ता, हीरा सिंह मरकाम, लुइस बेक, ठाकुर देवप्रसाद आर्य और पूरनलाल जांगड़े को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव सिंह सोलंकी, कैप्टन सतीश शर्मा और कमल मोरारका तथा पूर्व केंद्रीय उप मंत्री रामलाल साही, उत्तराखंडव के चामोली जिले मे ग्लेशियर टूटने से आयी बाढ़ के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए नागरिकों और सीधी जिले के शारदापाटन गांव में नहर में बस गिरने के कारण मृत यात्रियों के निधन उल्लेख के साथ उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
अध्यक्ष ने कहा कि वे सदन की ओर से सभी दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसके अलावा सदन के नेता एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विपक्ष के नेता कमलनाथ ने भी दिवंगत नेताओं के सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में योगदान का जिक्र करते हुए उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए।

श्री कमलनाथ ने कहा कि दिल्ली में आंदोलन के बीच मृत्यु को प्राप्त होने वाले किसानों के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाना चाहिए।

इसके पहले कांग्रेस की पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि दिवंगत किसानों को भी सदन की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की जाना चाहिए, जिसका समर्थन वरिष्ठ कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने किया।

अध्यक्ष ने सदस्यों से शांत होने का अनुरोध करते हुए कहा कि वे सभी सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन श्रद्धांजलि जैसे विषय पर सभी को संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। अंत में दिवंगतों के सम्मान में सदन में दो मिनट का मौन रखा गया और कार्यवाही कल सुबह यानी बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।

बजट सत्र का आज दूसरा दिन था। कल राज्यपाल के अभिभाषण के साथ यह प्रारंभ हुआ था। इसके पहले कल ही अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी की गयी। बजट सत्र 26 मार्च तक प्रस्तावित है।

मध्यप्रदेश के अभिभाषण में नरेंद्र मोदी का जिक्र करके राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रधानमंत्री के ‘रिफार्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म’ के मंत्र को राज्य सरकार का मिशन बनाने का उल्लेख किया attacknews.in

भोपाल, 22 फरवरी । मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज विधानसभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘रिफार्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म’ का मंत्र ही राज्य सरकार का मिशन है और इक्कीसवीं सदी को ‘भारत और मध्यप्रदेश की सदी’ बनाने का हमारा संकल्प आत्मनिर्भर राज्य के निर्माण से ही साकार होगा।

श्रीमती पटेल ने बजट सत्र की शुरूआत के मौके पर अपने अभिभाषण में यह बात कही। लगभग 40 मिनट में उन्होंने 39 पेज का अभिभाषण पढ़ा और कहा कि ‘आत्मनिर्भर राज्य’ के निर्माण काे साकार करने के लिए सभी प्रदेशवासियों का वे आह्वान करती हैं।

अभिभाषण की शुरूआत में राज्यपाल ने कहा कि देश की आजादी का अमृत महोत्सव प्रारंभ हो चुका है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आधारशिला के रूप में नए संसद भवन की नींव का पत्थर रख दिया गया है। श्री मोदी के कुशल और प्रभावी नेतृत्व में देश आशाओं और विश्वास की एक नयी करवट ले रहा है।

राज्यपाल ने मौजूदा 11 माह की सरकार की उपलब्धियां गिनायीं और यह भी बताया कि जब सरकार का गठन हुआ, कोराेना के अभूतपूर्व संकट के चलते स्थितियां पूरी तरह विपरीत नजर आ रही थीं। ऐसे कठिन दौर में श्री मोदी करोड़ों भारतीयों के लिए आशा और विश्वास की किरण के रूप में सामने आए और इसी वजह से जन जन को कोरोना से जंग जीतने का सकारात्मक संदेश मिला। इसके चलते राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण की त्वरित एवं प्रभावी रोकथाम के लिए आईडेंटीफिकेशन, आइसोलेशन, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट (आईआईटीटी) की रणनीति अपनायी और धीरे धीरे इस रोग से लड़ने से जुड़ी सुविधाएं भी बढ़ायी गयीं।

श्रीमती पटेल ने आकड़ों के हवाले से कहा कि मार्च 2020 में जहां कोरोना टेस्टिंग क्षमता 300 थी, उसे बढ़ाकर 30 हजार से अधिक किया गया। टेस्टिंग लेब की संख्या 03 से बढ़ाकर 32 हो गयी है। अब वर्तमान में हमारे पास 03 लाख 50 हजार से ज्यादा पीपीई किट्स और लगभग 02 लाख 40 हजार से अधिक टेस्टिंग किट उपलब्ध हैं। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान दिया गया।

श्रीमती पटेल ने कहा कि जहां सरकार के समक्ष कोरोना से निपटने की चुनौती थी, तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखना भी जरुरी था। इसके अलावा लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों को सुरक्षित ढंग से अपने अपने घर और स्थान पर पहुंचाना भी चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन हमारी सरकार और प्रशासन ने संयम और मजबूती से कदम उठाए और धीरे धीरे सभी कामों को बेहतर ढंग से पूर्ण किया गया।

उन्होंने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना लागू कर 01 लाख 55 हजार श्रमिकों के खातों में 15 करोड़ रुपयों से अधिक की राशि अंतरित की गयी। इस दौरान कोरोना से संघर्ष के दौरान शहीद हुए 26 कोरोना योद्धाओं के परिवारों को 13 करोड़ रुपयों की राशि प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने कोरोना संकटकाल में मुश्किल को मुमकिन में बदलने का मंत्र ‘आत्मनिर्भरता’ का दिया। इसी से प्रेरणा लेकर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना पर तेजी से कार्य शुरू किया गया। इस दिशा में भी राज्य ने रोडमैप बना लिया और उसके लक्ष्य के अनुरूप कार्य किए जा रहे हैं।

देवतालाब विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक गिरीश गौतम निर्विरोध मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष निर्वाचित attacknews.in

भोपाल, 22 फरवरी । मध्यप्रदेश विधानसभा के वरिष्ठ विधायक श्री गिरीश गौतम आज निर्विरोध तरीके से अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किये गये।

बजट सत्र की शुरुआत में सबसे पहले अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी की गई और श्री गौतम को विधिवत तरीके से निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया।

श्री गौतम ने अध्यक्ष पद के लिए कल नामांकन पत्र पेश किया था। वही विपक्षी दल कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी खड़ा नही करने की घोषण की थी।

निर्वाचन के बाद श्री गौतम ने विधिवत तरीके से अध्यक्ष पद का दायित्व भी संभाल लिया।

इस मौके पर श्री गौतम ने इर्श्वर, अपने माता-पिता, क्षेत्र की जनता और विधायकों का स्मरण करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया।

श्री गौतम ने अपने उद्बोधन में कहा कि वे अपना दायित्व पूरी तरह निष्पक्ष होकर निभाने की कोशिश करेंगे और इस कार्य में उन्होंने सदन के सदस्यों से सहयोग का आव्हान भी किया।

इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विपक्ष के नेता कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और अन्य सदस्यों ने श्री गौतम को अध्यक्ष निर्वाचित होने पर बधाई और शुभकामानाएं दी।

श्री गिरीश गौतम विंध्य अंचल के रीवा जिले के अधीन आने वाली देवतालाब विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है। वे चार बार इस सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं।

गिरीश गौतम होंगे मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष;निर्विरोध निर्वाचन के लिए कमलनाध ने सहमति दी,बजट सत्र सोमवार सुबह 11 बजे प्रारंभ होगा attacknews.in

भोपाल, 21 फरवरी । मध्यप्रदेश विधानसभा के नए अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम होंगे।

विधानसभा के बजट सत्र के एक दिन पहले आज यहां श्री गौतम की ओर से अध्यक्ष पद के लिए नामांकनपत्र सचिवालय में दाखिल किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, श्री राजेंद्र शुक्ला और अन्य नेता भी मौजूद थे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष पद के लिए कोई नामांकनपत्र दाखिल नहीं किया गया है। अब राज्य के विंध्य क्षेत्र के निवासी श्री गाैतम का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना तय है।

नामांकनपत्र दाखिले के बाद श्री चौहान ने मीडिया से कहा कि रीवा जिले की देवतालाब विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री गौतम विधानसभा के संचालन का दायित्व संभालेंगे। हम सबने मिलकर तय किया है कि हमारे वरिष्ठ विधायक संसदीय ज्ञान के जानकार श्री गौतम विधानसभा के अध्यक्ष होंगे।

उन्होंने कहा कि श्री गौतम अपनी कर्मठता, निष्पक्षता और सबको साथ लेकर चलने की क्षमता के आधार पर अध्यक्ष पद को सुशोभित करेंगे। उन्होंने श्री गौतम काे अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज उनका नामांकनपत्र भी दाखिल हो चुका है।

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं विपक्ष के नेता कमलनाथ ने ट्वीट के जरिए कहा कि हमने संवैधानिक व्यवस्थाओं में विश्वास व्यक्त करते हुए अध्यक्ष पद का निर्वाचन निर्विरोध तरीके से करवाने में पूर्ण सहयोग प्रदान करने का निर्णय लिया है। उन्होंने भाजपा पर संसदीय परंपराओं में विश्वास नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षों से अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष को और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की चली आ रही परंपरा को उसने ही तोड़ा था।

पिछले वर्ष मार्च में राजनैतिक घटनाक्रमों के चलते कांग्रेस सरकार का पतन हो गया था और भाजपा पंद्रह माह बाद फिर से सत्ता में आ गयी थी। इसके बाद तत्कालीन अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने त्यागपत्र दे दिया था और प्रोटेम स्पीकर के रूप में श्री रामेश्वर शर्मा ने शपथ ग्रहण की थी। श्री शर्मा प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी अब तक निभाते आए हैं। कल से प्रारंभ हो रहे बजट सत्र के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होगी और श्री गौतम नए अध्यक्ष बनेंगे।

श्री चौहान के अलावा भाजपा के अन्य नेताओं ने भी श्री गौतम को पहले से ही बधाई दी हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से

कोरोना संकट के बीच मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार सुबह 11 बजे प्रारंभ होगा।

सत्र की शुरुआत में अध्यक्ष के निर्वाचन का कार्य संपन्न कराया जाएगा। इसके बाद राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण होगा। छब्बीस मार्च तक प्रस्तावित सत्र के दौरान लगभग 22 बैठक होने की संभावना है। इस दौरान वित्त वर्ष 2021 22 के लिए वार्षिक बजट पेश किए जाने के साथ ही पारित कराया जाएगा।

संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा कि बजट सत्र कोविड संबंधी गाइडलाइन का पालन करते हुए सदस्यों की पूर्ण उपस्थिति के साथ चलेगा। वार्षिक बजट दो मार्च को पेश होने की संभावना है।

इसके पहले प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा की अध्यक्षता में विधानसभा में सर्वदलीय बैठक हुयी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, श्री मिश्रा, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया, पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह और विपक्षी दल के अन्य विधायक भी मौजूद रहे। बैठक में मुख्य रूप से सदन के सुचारु रूप से संचालन के संबंध में चर्चा हुयी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कल से प्रारंभ होने वाला बजट सत्र पंद्रहवीं विधानसभा का आठवां सत्र है। सत्र के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। कोरोना संबंधी गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराया जाएगा। इस वजह से मीडिया का प्रवेश भी सीमित किया गया है।

सूत्राें के अनुसार अभी तक विधानसभा सचिवालय को 2815 तारांकित प्रश्नों, 2576 अतारांकित प्रश्नों, 40 अशासकीय संकल्पों, 18 स्थगन प्रस्तावों, ध्यानाकर्षण की 157 सूचनाएं, शून्यकाल की 52 सूचनाएं, 20 विधेयकों और 11 याचिकाओं की सूचनाएं प्राप्त हुयी हैं।

निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी पर संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों,व्यवस्थाओं का लगातार अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा ,राहुल काे संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं attacknews.in

नयी दिल्ली 13 फरवरी । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों और व्यवस्थाओं के लगातार अपमान करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि देश आज देख रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का संसदीय लोकतंत्र में विश्वास खत्म हो गया है।

श्रीमती सीतारमण ने लोकसभा में आम बजट 2021-22 पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कांग्रेस एवं उसके नेतृत्व पर जोरदार हमला किया और कहा कि संसद में विपक्ष का दायित्व सरकार को कठघरे में खड़ा करना और उसकी जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना है। लेकिन कांग्रेस ‘डूम्सडे मैन’ के नेतृत्व में कहां जा रही है।

आक्रामक अंदाज में दिख रहीं वित्त मंत्री ने कहा कि संसद में बजट पर बहस और चर्चा करने की परंपरा रही है। हम भी चर्चा करना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के नेता क्या भूमिका निभाना चाहते हैं। राज्यसभा में जिनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता बजट पर प्रश्न पूछते हैं और जवाब सुनते हैं, वो लोकसभा में क्यों नहीं होता। आखिर ये क्या तरीका है।

उन्हाेंने कांग्रेस नेता श्री गांधी के 11 फरवरी के सदन में बजट पर बहस के दौरान किसानों पर दिये गये उनके भाषण को लेकर दस सवाल पूछे और कहा कि हम देख रहे हैं कि वह लगातार भारत को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे खिलाफ शरारत करने वाले पड़ोसी देश के साथ पार्टी के स्तर पर समझौता कर रहे हैं। सीमा पर तनाव है तो उनके दूतावास से जानकारी ले रहे हैं कि क्या हो रहा है। इतने वरिष्ठ नेता एक गुट से बात करते हैं और भयंकर अपशब्द बोलते हैं, यह एकदम अस्वीकार्य है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उनके अपशब्दों को लेकर कटाक्ष किया तो तुरंत माफी मांग ली लेकिन फिर से वही चलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि इन दस प्रश्नों के साथ कांग्रेस की दो प्रवृत्तियां सामने आ गयीं हैं। पहली, ये जनता के लिए लुभावनी योजनाओं को जन्म देते हैं, उसका ठीक से क्रियान्वयन नहीं करते और फिर उसे अपने ‘हमारे दो’ के लिए उपयोग करते हैं। दूसरी, इसके बारे में जब कोई कुछ कहेगा तो उसे बोलने नहीं देंगे और अनर्गल आरोप लगाएंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि श्री राहुल गांधी ने 11 फरवरी को संवैधानिक पद पर विराजमान लोकसभा अध्यक्ष का अपमान किया। लेकिन अध्यक्ष का बड़प्पन था जो उन्होंने इसे ध्यान नहीं दिया। उन्होंने इससे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का भी अपमान किया था। उन्होंने कहा कि इससे देश जान गया है कि उनका संसदीय लोकतंत्र में विश्वास खत्म हो गया है।

लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि,सरकार द्वारा उठाए गए सुधारवादी कदमों से भारत को दुनिया की एक शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने का रास्ता बनेगा attacknews.in

नईदिल्ली 13 फरवरी । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को निवेश, मांग और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाला बताते हुए शनिवार को कहा कि उनकी सरकार की ओर से उठाए गए सुधारवादी कदमों से भारत को दुनिया की एक शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने का रास्ता बनेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ दूसरे देशों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप अब भी है, लेकिन यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से काम हुआ और स्थिति से जिस तरह से निपटा गया है उसका नतीजा है कि अर्थव्यवस्था सतत रूप से आगे बढ़ रही है।

उन्होंने पूंजीपतियों के साथ साठगांठ करने के विपक्ष के आरोपों को दृढता से निरस्त करते हुए गांव, गरीब और आम लोगों के कल्याण के लिए राजग सरकार की तमाम योजनाओं और उनके लिए बजट में लगातार बढ़ोतरी किए जाने का जिक्र किया।

वित्त मंत्री ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश किया था, जिसमें 34.5 लाख करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान है। कोविड-19 संकट के चलते अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने देश की तरक्की में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि उनकी सरकार संपत्ति सृजन करने वालों का सम्मान करने में विश्वास रखती है क्योंकि सम्पत्ति के बिना सरकार को पर्याप्त संसाधन नहीं मिल सकते।

उन्होंने कहा कि कोविड19 से निपटने के लिए लागू लाकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से वापस लौटे कामगारों, किसानों, महिलाओं और गरीबों की सहायता तथा मुफ्त राशन के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 2.7 लाख करोड़ रुपये के सहायता पैकेज के अलावा तीन अगलग अलग घोषित भारतनिर्माण पैकेज कार्यक्रमों तथा रिजर्व बैंक की और से ऋण नीति के अंतर्गत सहायता को मिला कर 27.1 लाख करोड़ रुपये की पैकेज योजनाएं जारी की गयी। इस तरह कुल पैकेज 29.87 लाख करोड़ रुपये का रहा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महामारी की चुनौतीपूर्ण स्थिति भी सरकार को देश के दीर्घकालीन विकास के लिए सुधार के कदम उठाने से नहीं डिगा सकी।

उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए 2021-22 के बजट में पूंजीगत व्यय के प्रावधान को बढ़ा कर 5.54 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है जिससे नयी मांग और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को अधिक गति मिलेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए चालू वित्त वर्ष में कोविड संकट के दौरान भी पूंजी गत निवेश को बढ़ाए रखा गया और संशोधित अनुमान में पूंजी-व्प्यय 4.12 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

उन्होंने विपक्षी कांग्रेस पर नाम लिये बिना निशाना साधा और कहा कि आजादी के बाद से सत्ता में रहने वाली पार्टी को 1991 में आर्थिक सुधारों की बात सूझी और इस सरकार से और प्रधानमंत्री से बार-बार आर्थिक सुधारों को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सदन में रहे।

सीतारमण ने कहा कि जनसंघ के दिनों से लेकर आज तक भाजपा की आर्थिक नीतियां एकरूप रही हैं और सरकार ने भारतीय उद्यमियों, व्यापारियों, युवाओं आदि के कौशल को सम्मान दिया है।

उन्होंने कहा कि मोदी नीत राजग सरकार ने करदाताओं, उद्यमियों और ईमानदार नागरिकों का सम्मान करते हुए इन नीतियों का पालन किया है।

सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने अभिभाषण में किसानों, पूंजी सृजन करने वाले उद्यमियों (वेल्थ क्रियेटर्स) की बात की। इन उद्यमियों के बिना अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी?

सीतारमण के जवाब के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने भाषण के आखिरी हिस्से में विपक्षी सदस्यों की टोकाटाकी के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी का नाम लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और संस्थाओं का निरादार करने की प्रवृत्ति की तीखी आलोचना की। गांधी उस समय सदन में नहीं थे।

बजट को पूंजीपतियों का बजट बताने वाले विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए सीतारमण ने कहा कि यह सरकार हर वर्ग के लिये काम कर रही है और साठगांठ वाले पूंजीवाद का आरोप लगाना बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की झूठी कहानी गढ़ने की आदत हो गयी है।

उन्होंने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, छोटे और मझोले उद्यमों की सहायता के लिये मुद्रा योजना, सौभाग्य योजना और अन्य तमाम कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कि कहा कि इनका फायदा किसी पूंजीपति की जेब में नहीं जाता है।

उन्होंने पूछा कि विपक्ष बता सकता है कि केरल में एक खास परियोजना आमंत्रण के आधार पर एक खास उद्योगपति को क्यों दी गई।

देश के सबसे बड़े बंदरगाह विकासकर्ता अडाणी पोर्ट एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन को दिसंबर 2015 में केरल के विहिंगम में अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट परियोजना का ठेका मिला था।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘बजट देश को आत्मनिर्भर बनने में तेजी लाएगा और सुधारों की दिशा में उठाये गये कदम भारत दुनिया में शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने का रास्ता साफ करेगा।’’

सीतारमण ने कहा कि सरकार गरीबों के लिये सड़क से लेकर कृषि, मकान से लेकर बिजली की सुविधा उपलब्ध करा रही है, इसके बावजूद विपक्ष झूठी कहानी गढ़ रहा है कि सरकार साठगांठ कर पूंजीपतियों के लिये काम कर रही है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया था कि यह ‘हम दो, हमारे दो’ की सरकार है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी राज्यसभा में आम बजट को ‘निराशाजनक’ करार देते हुए कहा था कि ‘अमीरों का, अमीरों के लिए और अमीरों द्वारा ’ बनाया यह बजट देश की उस एक प्रतिशत आबादी के लिये से लाया गया है जिसके नियंत्रण में देश की 73 प्रतिशत संपदा है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.67 करोड़ मकान बनाये गये हैं, सौभाग्य योजना के तहत अकटूबर 2017 से 2.67 घरों में बिजली पहुंचायी गयी। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत नौ करोड़ से ज्यादा किसानों को उनके खाते में हर साल 6,000 रुपये डाले जा रहे हैं। क्या यह सब गरीबों के लिये नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्रत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2014-15 से 2,11,192 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है, ये सड़के गांवों को जोड़ती हैं। क्या वे गांव अमीरों के हैं?’’ उन्होंने कहा कि जो लोग बिना सोचे-समझे आरोप लगाते हैं, उन्हें इन सवालों के जवाब देने चाहिए।’’

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी ई-मार्केटप्लेस के जरिये 8 लाख करोड़ रुपये मूल्य के लेन-देन हुए। इसका फायदा लघु और मझोले उद्यामों को मिला। क्या ये सुविधाएं बड़े पूंजीपतियों ने नहीं उठायी हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने गांवों में बिजली, सड़क किसानों के खातों में पैसा जैसे जो भी काम किये हैं क्या ‘दामादों’ के लिये किये है? बिल्कुल नहीं। इससे केवल गरीबों को लाभ हो रहा है।’’

वास्तव में वित्त मंत्री ने दामाद शब्द के जरिये परोक्ष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट बाड्रा का संदर्भ दिया। बाड्रा पर संप्रग शासन के दौरान अवैध तरीके से लाभ उठाने का आरोप है।

कांग्रेस पार्टी और वाड्रा पूर्व में ऐसे आरोपों से इनकार कर चुके हैं।

रक्षा बजट में कमी के विपक्ष के आरोप पर वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहना तथ्य आधारित नहीं है कि सरकार ने रक्षा बजट में कमी की है। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान से अधिक का प्रावधान किया गया है और यह वृद्धि पूंजी और राजस्व दोनों मदों में की गयी है।

वित्त मंत्री ने कहा कि एक रैंक एक पेंशन योजना के बकाये को पूरा करने के लिए पिछले बजट में प्रावधान किया गया था जिसकी इस बार जरूरत नहीं थी।

पीएम सम्मान निधि के तहत राशि कम किये जाने के विपक्ष के आरोप पर उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल की तरफ से छोटे एवं सीमांत किसानों की सूची नहीं देने से पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2021-22 के लिये आबंटन 10,000 करोड़ रुपये कम किया गया है।’’

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत आबंटित कोष का उपयोग हमारी सरकार में बढ़ा है।

सीतारमण ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) की सारी कमियों को दूर कर इस साल सबसे अधिक 90,500 करोड़ रूपये व्यय किए हैं।

उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘इस मामले में आपका ट्रैक रिकार्ड खराब है। आपके बजट अनुमान कभी हासिल नहीं किए जा सके।’’

सीतारमण ने कहा कि जरूरी हुआ तो सरकार 2021-22 में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान है। सरकार इस कार्यक्रम के लिए जरूरत होने पर इससे भी अधिक धनराशि आबंटित करेगी।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मद्देनजर कई विशेषज्ञों से चर्चा के बाद यह बजट लाया गया है और इस बजट ने भारत के आत्मनिर्भर बनने की भूमिका रखी है।

बजट पर चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी सदस्यों के एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) को समर्थन नहीं देने के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान भी अपनी घोषणाओं में स्पष्ट किया था कि संकटग्रस्त एमएसएमई क्षेत्र को दो स्तर पर सहयोग दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एक तो किसी उद्यम को कर्ज आदि के मामले में अदालतों में नहीं खींचा जाएगा और इसके लिए समयसीमा को भी बढ़ाया गया, वहीं आर्थिक मदद भी दी गयी।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सभी बैंकों को निर्देश दिये गये कि एमएसएमई से संपर्क साधा जाए और उन्हें बिना किसी गिरवी के आर्थिक मदद मुहैया कराने की पेशकश की जाए।

सीतारमण ने कहा कि इस बजट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 71,269 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो पिछले साल के मुकाबले अधिक है। आयुष मंत्रालय के लिए 2,970 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जो पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी अधिक है।

वित्त मंत्री ने बजट पर चर्चा में भाग लेने वाले विभिन्न दलों के 77 सदस्यों को धन्यवाद दिया।

अमित शाह ने लोकसभा में कहा: उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जायेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 फरवरी । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।

लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं फिर से कहता हूं कि इस विधेयक का जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। उपयुक्त समय पर प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया जाएगा।’’

4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा, ‘‘ असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया है। उन्हें पता नहीं है कि यह संप्रग सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे। यह नरेन्द मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आये हो क्या?

शाह ने कहा कि जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं।

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें। राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो।’’

शाह ने कहा कि औवेसी अफसरों का भी हिन्दू मुस्लिम में विभाजन करते हैं। एक मुस्लिम अफसर हिन्दू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिन्दू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता क्या? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को धम्रनिरपेक्ष कहते हैं।

गौरतलब है कि एआईएमआईएम सांसद असादुद्दीन ओवैसी ने जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम होने का आरोप लगाया था।

राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बताया: पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील से सेनाओं को पीछे हटाए जाने पर भारत और चीन के बीच हुआ समझौता;दोनों देश अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे सेना attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 फरवरी । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को देश को अवगत कराया कि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सेनाओं को पीछे हटाए जाने को लेकर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है।

सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं को पीछे हटाने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे ।

राज्यसभा में दिए एक बयान में रक्षा मंत्री ने यह आश्वासन भी दिया कि इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने ‘‘कुछ भी खोया नहीं है’’। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अन्य क्षेत्रों में तैनाती और निगरानी के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा ।’’

सिंह ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे रुख और अनवरत वार्ताओं के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील से पूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती को चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे ।

उन्होंने कहा, ‘‘चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।’’

उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है, उन्‍हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।’’

ज्ञात हो कि पिछले नौ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है।

इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं को पीछे हटाने के लिए आपसी समझौते के तहत तरीका निकाले जाने को लेकर वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है। उन्होंने कहा इसके अलावा राजनयिक स्तर पर भी बैठकें होती रही हैं।

उन्होंने बताया कि भारतीय सेनाओं ने चीनी सेना की सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया है।

उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं कई पहाडि़यों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारी बढ़त बनी हुई है।’’

सिंह ने कहा कि देश की सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं।

सिंह ने कहा कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘परंतु एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है । इससे चीन भी अच्छी तरह से अवगत है । कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।’’

सिंह ने कहा कि भारतीय सेनाएं विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता का प्रदर्शन कर रही हैं और इसके लिए प्रशंसा की जानी चाहिए।

इस गतिरोध के दौरान शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश सदैव याद रखेगा I

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है I और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा ।’’

नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में किसानों के बहरूपिया नेताओं पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि, किसान आंदोलन की पवित्रता को कलंकित कर रहे हैं ‘आंदोलनजीवी’ attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन में बाहरी तत्वों के शामिल होने की बात दोहराते हुए आज उन पर तीखा प्रहार किया और कहा कि किसान के पवित्र आंदोलन को ये आंदोलनजीवी’ कलंकित कर रहे हैं।

श्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए बुधवार को कहा कि लोकतंत्र में आंदोलनाें का महातम्य होता है। लोकतंत्र में आंदोलन होने चाहिए लेकिन जब ‘आंदोलनजीवी’ अपने फायदे के लिए आंदोलन का इस्तेमाल शुरू करते हैं तो इसका बहुत नुकसान होता है। किसानों के पवित्र आंदोलन को जो लोग अपवित्र कर रहे हैं उन्होंने ही टोल प्लाजा पर कब्जा किया है और किसानों के पवित्र आंदोलन को कलंकित करने का काम किया है।

उन्होंने कहा “किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं।हमारे लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है। दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, यह सब किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है।”

श्री मोदी ने कहा कि देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो सही काम करने को गलत मानता है। इस वर्ग की पहचान है कि सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं लेकिन वे लोग सही करने वालों से नफरत करते हैं। यही वह वर्ग है जो दिल्ली में पर्यावारण प्रदूषण के खिलाफ न्यायालय जाता है लेकिन पराली जलाने के मुद्दे पर किसानों के साथ खड़ा होता है। लिंग के आधार पर भेदभाव का विरोध करता है और ऐसे काम को अन्याय मानता है लेकिन जब तीन तलाक की बात आती है तो विरोध में खड़ा हो जाता है।

पुरानी सोच से किसानों, खेती का भला नहीं होगा : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने तीन कृषि सुधार कानूनों को ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के मकसद पर आधारित बताया और कहा कि पुरानी सोच से किसानों एवं खेती का भला नहीं होगा और असफलता के डर से बदलावों को रोका नहीं जा सकता है।

श्री मोदी ने यहां लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर 14 घंटे से अधिक चली चर्चा का उत्तर देते हुए कृषि सुधार कानूनों का डटकर बचाव किया।

विपक्ष की भारी टोका टाकी, व्यवधान और बहिर्गमन के बीच प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर भी तीखे हमले किये और कहा, “सरकार आंदोलन कर रहे सभी किसान भाइयों का सम्मान एवं आदर करती है और हमेशा करेगी। सरकार के वरिष्ठ मंत्री लगातार सम्मान आदर के भाव से वार्ता कर रहे हैं। किसानों की शंकाओं को ढूंढ़ने का गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं। अगर कोई कमी होगी और उससे किसानों को नुकसान हो रहा होगा तो सरकार उसे बदलने के लिए तैयार है।”

कोरोना से देश को मिला ‘अत्मनिर्भर’ बनाने का अवसर : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जिस तरह से दो विश्व युद्धों से दहलने के बाद दुनिया में शांति की नयी सोच पैदा हुई उसी तरह से कोराना से सहमे विश्व में भी बदलाव अवश्यंभावी है इसलिए विश्व में मजबूत उपस्थिति दर्ज करने के लिए भातर को कोरोना से ‘आत्मनिर्भर’ बनाने का अवसर मिला है।

श्री मोदी ने कहा कि कोराेना के बाद दुनिया की सोच में बदलावा आएगा और यह परिवर्तन कैसा होगा इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन बदलाव आएगा और इस बदलाव में भारत चुप नहीं रह सकता है।

उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर आने वाले बदलाव के इस माहौल में भारत को अपनी मजबूत उपस्थिति दिखानी है। हमें यह ध्यान रखना है कि हम जनसंख्या के आधार पर दुनिया में मजबूत हैं लेकिन सिर्फ जनसंख्या के बल पर हम विश्व स्तर अपनी मजबूती को प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं इसलिए दुनिया के समक्ष अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करने के लिए हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सिद्धांत किसी राजनेता या राजनीतिक दल ने नहीं दिया है बल्कि यह सिद्धांत हमारी ‘सर्वेभवंतु सुखीना’ की सोच से मिला है। दुनिया सब सुखी रहें यह सिद्धांत हमें हमारे वेदों और उपनिषदों से मिला है और हमारे गौरव का यह भाव हमारे लिए आज आत्मनिर्भर बनने के काम आ रही है और फार्मेसी में हम आज दुनिया में सबसे आगे हैं।

नरेन्द्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा: “आंदोलनजीवी”नई जमात सामने आईं जो इसके बिना नहीं जी सकते इन्हें पहचानने, इनसे बचने की जरूरत है attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल’’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में सुधार होते हैं तो उसका विरोध होता है। उन्होंने कहा कि जब देश में हरित क्रांति आई थी उस समय भी कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों का विरोध हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।’’

मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे।’’

प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी और इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में कुछ समय बाद सुधार होते रहे हैं और अच्छे सुझावों को स्वीकार करना तो लोकतंत्र की परंपरा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। मैं आप सब को निमंत्रण देता हूं कि देश को आगे ले जाने के लिए साथ आएं। कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, देश को आगे ले जाना होगा।’’

मोदी ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और अभी तक वार्ता में कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक दूसरे की बात को समझने, समझाने का प्रयास चल रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा देश है और जब भी कोई नई चीज आती है तो थोड़ा बहुत असमंजस होता है, हालांकि असमंजस की भी स्थिति थोड़ी देर होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्रांति के समय जब कृषि सुधार हुए तब भी ऐसा हुआ था। आंदोलन हुए थे। लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे और कैबिनेट में भी विरोध के स्वर उठे थे। लेकिन शास्त्री जी आगे बढ़े। उन पर अमेरिका के इशारे पर चलने के आरोप लगे। कांग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट तक करार दिया गया था। ’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमे आगे बढ़ना होगा।’’

राष्ट्रपति का अभिभाषण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राह दिखाने वाला है: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण को विश्व में एक नयी आशा जगाने वाला और आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला करार दिया।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी के इस कालखंड में आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और वह भारत से अपेक्षाएं भी रखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्व आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच….। इन चुनौतियों के बीच इस दशक के प्रारंभ में ही राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो अपना उद्बोधन दिया, वह अपने आप में इस चुनौती भरे विश्व में एक नई आशा जगाने वाला, नयी उमंग पैदा करने वाला और नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला है।’’

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता, राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते… तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती।’’

मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ताकत इतनी थी कि न सुनने के बावजूद भी विपक्षी सदस्य सदन में ‘‘बहुत कुछ’’ बोल पा रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अपने आप में उनके भाषण की ताकत है, उन विचारों की ताकत है, उन आदर्शों की ताकत है जो न सुनने के बाद भी पहुंच गई।’’

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और वह भारत से अपेक्षाएं भी रखता है।

उन्होंने कहा कि भारत के प्रति दुनिया का विश्वास बढ़ा है।

‘आंदोलनजीवी’ लोगों से बचे देश: मोदी

किसान आंदोलन के चलते देश और दुनिया में सरकार की आलोचना करने वालों को आडे हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि लोगों को गुमराह करने वाली ताकतों को पहचानने तथा इनसे बचने की जरूरत है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए श्री मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्द तो सबने सुने होंगे लेकिन अब एक नयी जमात और एक नयी बिरादरी सामने आयी है और वह है ‘आंदोलनजीवी’।

उन्होंने कहा कि ये लोग हर आंदोलन में नजर आयेंगे चाहे वह वकीलों , छात्रों या किसी अन्य का आंदोलन हो। उन्होंने कहा कि ये हर आंदोलन में घुस जाते हैं कहीं आगे से तो कहीं पीछे से और यह पूरी टोली है।

उन्होंने कहा, “ ये लोग आंदोलन के बिना नहीं जी सकते इन्हें पहचानने तथा इनसे बचने की जरूरत है। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचें। ”

प्रधानमंत्री ने इन लोगों को परजीवी की संज्ञा देते हुए कहा कि ये परजीवी हर राज्य में होते हैं और वहां की सरकारों को भी विभिन्न आंदोलनों के समय इनसे दो-चार होना पड़ता है।

हाल ही में कुछ विदेशियों द्वारा किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर की गयी टिप्पणियों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से देश में विकास होता है लेकिन अभी देश को एक नये तरह के एफडीआई से दो-चार होना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि यह एफडीआई ‘फोरन डिस्ट्रक्टीव आइडियोलॉजी’ है और देश को इससे बचना है। इसके लिए सभी को जागरूक रहने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि कृषि सुधारों को लेकर बनाये गये कानूनों के विरोध में देश के किसान और कुछ संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन की आड में कुछ निहित स्वार्थी तत्व भी अपना एजेंडा चला रहे हैं और वे किसान आंदोलन के बहाने सरकार पर हमला कर रहे हैं। कुछ विदेशियों ने भी किसानों के समर्थन में टिप्पणी की हैं।

राज्यसभा में कृषि मंत्री ने दिया जवाब:किसान आंदोलन सिर्फ एक राज्य का मसला;आरोप लगाया कि,नए कानूनों को लेकर लोगों को बरगलाया जा रहा है attacknews.in

नयी दिल्ली, पांच फरवरी । केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए इन्हें किसानों के जीवन में क्रातिकारी बदलाव लाने वाला करार दिया। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानूनों को लेकर लोगों को बरगलाया जा रहा है और मौजूदा आंदोलन सिर्फ एक राज्य का मामला है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और नए कानूनों का मकसद किसानों की आय में वृद्धि करना है।

तोमर ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक राज्य का मसला बताया और कहा कि नए कानूनों में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं जिनसे किसानों की जमीन छिन जाने का खतरा हो।

तोमर ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्षी नेता नए कानूनों को काला कानून बता रहे हैं लेकिन वे यह नहीं बता रहे हैं कि इसमें गड़बड़ी क्या है।

कृषि मंत्री ने कहा कि वह पिछले दो महीनों से किसान यूनियनों से सवाल कर रहे हैं कि वे बताएं कि कानून में ‘काला’ क्या है?

उन्होंने मौजूदा आंदोलन को एक राज्य का मसला करार दिया और कहा कि किसानों को बरगलाया जा रहा है।

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा का कामकाज लगातार तीसरे दिन ठप्प रहा,हंगामे के बीच लोकसभा में आधे घंटे चला शून्यकाल attacknews.in

नयी दिल्ली, 04 फरवरी । किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के निरंतर हंगामे के कारण संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित होने के बाद आधे घंटे के लिए शून्यकाल चला।

चार बार के स्थगन के बाद रात साढ़े आठ बजे कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर पीठासीन अधिकारी मीनाक्षी लेखी ने कहा कि सदस्यों से अपनी-अपनी सीट पर बैठने का आग्रह करते हुए शून्यकाल शुरू कर दिया।

लोकसभा की कार्यवाही चार बार स्थगित

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के अनवरत हंगामे के कारण संसद के बजट सत्र में लोकसभा का आज लगातार तीसरे दिन कामकाज ठप्प रहा और सदन की कार्यवाही चौथी बार डेढ़ घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी।

तीन बार के स्थगन के बाद शाम सात बजे कार्यवाही शुरू होते विपक्षी सदस्य आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि सदन की मर्यादा एवं शोभा सदस्यों के बैठने एवं चर्चा करने से होती है। आप सभी बड़े परिश्रम से चुनकर आये हैं। आप सब जो भी कहना चाहें, कहें। सरकार पूरी बात सुनने को तैयार है।

इसके बावजूद नारेबाजी होती रही। इसे देखते हुए श्री अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही साढ़े आठ बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।

इससे पहले दो बार के स्थगन के बाद छह बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई विपक्षी सदस्यों ने पहले की तरह हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये। सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामा कर सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का आग्रह किया लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और शोरशराबा जारी रहा जिसके कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही सात बजे तक स्थगित कर दी।

सायं काल तक स्थगित:

लोकसभा के बजट सत्र में किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के सदस्यों का हंगामा जारी रहा जिसके कारण तीसरे दिन आज लगातार तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गयी।

दो बार के स्थगन के बाद छह बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई विपक्षी सदस्यों ने पहले की तरह हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये। सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामा कर सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का आग्रह किया लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और शोरशराबा जारी रहा जिसके कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही सात बजे तक स्थगित कर दी।

इससे पहले एक बार के स्थगन के बाद पांच बजे सभापति मीनाक्षी लेखी ने जरूरी कागजात सदन के पटल पर रखवाने के बाद कार्यवाही आरंभ की लेकिन हंगामा बढता देख उन्होंने सदन की कार्यवाही छह बजे तक स्थगित की।

हंगामे के कारण लोकसभा में शून्यकाल भी नहीं चला

लोकसभा के बजट सत्र में किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के सदस्यों का हंगामा जारी रहा जिसके कारण लगातार तीसरे दिन ना प्रश्नकाल चल पाया और ना ही शून्यकाल।

एक बार के स्थगन के बाद पांच बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई विपक्षी सदस्यों ने पहले की तरह हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये।

पीठासीन अधिकारी मीनाक्षी लेखी ने सदन के पटल पर जरूरी कागजात रखवाए और सदन को चलाने का प्रयास किया लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा इससे ज्यादा हो गया जिसे देखते हुए श्रीमती लेखी ने सदन की कार्यवाही छह बजे तक स्थगित कर दी।

इससे पहले अपराह्न चार बजे विपक्षी सदस्य कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार विरोधी नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये। अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामें के बीच ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया और भाजपा के रमेश बिधूड़ी का नाम सवाल पूछने के लिए पुकारा।

नारेबाजी और शोरशराबे के बीच ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने विभाग से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिये। दिव्यांगों की सुविधा से जुड़े प्रश्न उठाने वाले श्री बिधूड़ी ने विपक्षी सदस्यों को उलाहना देते हुए कहा कि वे दिव्यांगों के हित के सवाल उठाने दें और सदन को बाधित नहीं करें।

सदन में जब नारेबाजी तथा हंगामा नहीं थमा तो श्री बिरला ने विपक्षी सदस्यों ने कहा कि प्रश्नकाल विपक्ष के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें जनता के हित के विषयों पर सरकार जवाब देती है। इसलिए प्रश्नकाल बाधित नहीं करना चाहिए। लेकिन इसका विपक्षी सदस्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष ने नहीं चलने दी संसद: हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो पाया attacknews.in

नयी दिल्ली 02 फरवरी । संसद के बजट सत्र के पहले दिन किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में आज कोई कामकाज नहीं हो पाया।

लोकसभा में दो बार के स्थगन के बाद शाम सात बजे जैसे ही कार्यवाही शुरु हुई विपक्षी सदस्य तीनों कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग के समर्थन में हाथों में तख्तियां लेकर सदन के बीचोंबीच आ गये और सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे।

विपक्ष के भारी हंगामें से राज्यसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित

किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्यसभा में मंगलवार को भारी शोरगुल और हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाई बुधवार तक स्थगित करनी पड़ी।

इससे पहले सभापति एम वेंकैया नायडू और उप सभापति हरिवंश ने हंगामे के कारण सदन की बैठक तीन बार स्थगित कर दी थी। विपक्षी दल के सदस्यों ने सदन की बैठक शुरू हाेने पर शून्यकाल और प्रश्नकाल तथा इसके बाद भी किसानों के आंदोलन के मुद्दे उठाए थे। विपक्ष का कहना था कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और इस पर सदन के सारे कामकाज स्थगित कर चर्चा की जानी चाहिए।

श्री नायडू ने कहा कि कल इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। इसलिए सदस्यों को इसे नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से बार बार इस मुद्दे पर जोर नहीं देने का अनुरोध किया।

इससे पूर्व इस मामले पर चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर विपक्षी दल के सदस्य सदन से वाकआउट कर गए। इसके बाद प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी दल के सदस्य सदन में आ गए और हंगामा करने लगे। श्री नायडू ने कहा कि सदस्य इस मामले पर सदन से वाकआउट कर गए थे और उन्हें प्रश्नकाल के दौरान सदन को अव्यवस्थित नहीं करना चाहिए।

उन्होंने सदस्यों से सहयोग करने का अनुरोध किया और कहा कि वह कल सदन में इस मुद्दे को उठा सकते हैं।

इससे पहले शून्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दू शेखर राय, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम तथा कई सदस्यों ने इस मामले को उठाया था।

गौरतलब है कि किसान केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानून के विरोध में राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हुए हैं और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, प्रश्नकाल नहीं चला

संसद के बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण आज प्रश्नकाल नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी।

अपराह्न चार बजे सदन के समवेत होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिरोमणि अकाली दल के सदस्य उत्तेजित अवस्था में तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी सदन में मौजूद थे।

अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सभी सदस्यों को पर्याप्त समय एवं अवसर दिया जाएगा जिन विषयों को वे उठा रहे हैं, उन पर सदन में प्रश्नकाल के बाद उन्हें चर्चा का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने बार बार अपील की कि वे प्रश्नकाल चलने दें और अपनी सीट पर बैठें क्योंकि प्रश्नकाल में भी कृषि एवं किसानों के बारे में कई प्रश्न सूचीबद्ध हैं और सरकार उनका उत्तर देने वाली है।

लेकिन विपक्षी सदस्यों पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। विपक्षी सदस्य नारे लगा रहे थे कि काले कानून वापस लो। तानाशाही नहीं चलेगी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी हाथों में सरकार विरोधी नारे की तख्ती उठाये हुईं थीं।

श्री बिरला ने पुन: अपील की कि प्रश्नकाल के बाद विपक्षी सदस्यों को चर्चा का मौका दिया जाएगा लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ा, उलटा नारेबाजी तेज हो गयी। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पांच बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।

लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही फिर स्थगित

संसद के बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण आज सदन की कार्यवाही लगातार दूसरे घंटे भी बाधित रही।

एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरु हुई विपक्षी सदस्य हाथों में ‘किसान विरोधी कानून वापस लो, किसानों को मत मारो, किसानों पर तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारों से लिखी तख्तियां हाथों लेकर सदन के बीचोबीच आ गये और नारेबाजी तथा हंगामा करने लगे।

अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों को बताया कि कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी कुछ बोलना चाह रहे हैं इसलिए सदस्य अपनी सीटों पर जाकर उनकी बात सुनें लेकिन किसी भी सदस्य ने उनकी हिदायत पर ध्यान नहीं दिया। श्री चौधरी ने हंगामें के बीच कहा कि किसान का मुद्दा महत्वपूर्ण है लेकिन जो व्यवहार किसानों के साथ हो रहा है उसे देखते हुए लगता है कि देश एक बार फिर ब्रिटिश राज में चला गया है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर सदन तथा सदन के बाहर कहीं भी चर्चा कराने के लिए तैयार है लेकिन इसमें विपक्ष को तैयार होने की जरूरत है। उनका कहना था कि इस बार प्रश्नकाल में भी किसानों से संबंधित सवाल थे और उस पर सदस्यों को ध्यान देना चाहिए था। यदि विपक्ष को राजनीति नहीं करनी है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैँ तो सरकार इसके लिए तैयार है।

श्री बिरला ने कहा कि संसद चचा,वाद विवाद और जन समस्याओं के समाधान के लिए होता है। जनता ने हम सभी को इसीलिए चुनकर भेजा है। नारेबाजी करना और तख्तियां लेकर सदन में आना ठीक नहीं है। संसद में संसदीय परंपरा का पालन किया जाना चाहिए। सदन में लगातार हल्ला होता रहा और हंगामा कर रहे सदस्यों ने अध्यक्ष बात को अनसुना कर हंगामा जारी रखा तो अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सात बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

नरेन्द्र मोदी ने आंदोलनकारी किसानों को बातचीत की पेशकश दोहराते हुए कहा:कृषि कानूनों पर सरकार 22 तारीख के प्रस्ताव पर कायम,कृषि मंत्री को सिर्फ एक फोन कॉल करके इसे आगे बढ़ाया जा सकता है attacknews.in

नयी दिल्ली 30 जनवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आंदोलनकारी किसानों को बातचीत की पेशकश दोहराते हुए आज कहा कि सरकार कृषि सुधार कानूनाें के मुद्दे पर अपने 22 जनवरी के प्रस्ताव पर अब भी कायम है और कृषि मंत्री को एक फोन कॉल करके बातचीत को बढ़ाया जा सकता है।

श्री मोदी ने यह बात यहां संसद के बजट सत्र के मौके पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि सरकार खुले दिमाग से कृषि कानूनों के मुद्दे पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख वैसा ही है, जैसा 22 जनवरी को था, और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह द्वारा दिया गया प्रस्ताव अभी भी कायम है। उन्होंने दोहराया कि कृषि मंत्री को सिर्फ एक फोन कॉल करके बातचीत को आगे बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “श्री तोमर ने किसानों से जो कहा, उसे हम दोहराना चाहते हैं। हमने कहा है कि हम आम सहमति तक नहीं पहुंच रहे हैं, लेकिन हम आपको प्रस्ताव दे रहे हैं और आप विमर्श कर सकते हैं। मैं सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हूं। सरकार का प्रस्ताव अब भी वही है। कृपया इसे अपने अनुयायियों तक पहुंचाएं। इसका समाधान बातचीत के जरिए ही निकलेगा। हम सभी को राष्ट्र के बारे में सोचना होगा।”

बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा 26 जनवरी कोई किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा एवं तोड़फोड़ की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का उल्लेख करने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून अपना काम करेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार बैठक में नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने संसद के सुचारू कामकाज और सदन के पटल पर व्यापक बहस के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि सदन में बार-बार होने वाले व्यवधानों के कारण छोटे राजनीतिक दलों को पर्याप्त रूप से खुद को व्यक्त करने का अवसर नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि बड़े राजनीतिक दलों यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद सुचारू रूप से चले, कोई व्यवधान न हो और इस प्रकार, छोटे दल संसद में अपने विचार रखने में सक्षम हों।

श्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की भलाई के लिए कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने देशवासियों के कौशल और साहस का उल्लेख किया, जो वैश्विक समृद्धि को गुणात्मक रूप से बढ़ाने के लिए एक ताकत हो सकती है।

प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि हमें उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उन्होंने आज सुबह अमेरिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाने की घटना की निंदा करते हुए कहा कि नफरत का ऐसा माहौल हमारी दुनिया के लिए स्वागत योग्य नहीं है।

बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत, शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंदड़, जनता दल यूनाइटेड के सांसद आरसीपी सिंह आदि शामिल थे।

सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने उठाया था किसानों का मुद्दा:

संसद में बजट 2021-22 पेश किए जाने से पहले सत्र के सुचारु संचालन के लिए सभी दलों से सहयोग लेने के वास्ते सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दलों के नेता शामिल हुए तथा जल्द से जल्द किसानों के मुद्दे को सुलझाने का सरकार से आग्रह किया।

विपक्षी दलों ने सरकार को दो माह से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार को उनसे बात करने का आग्रह किया और कहा कि जब तक किसान सड़कों पर हैं तब तक किसी भी दल के लिए संसद सत्र में सुचारू रूप से कामकाज करना आसान नहीं होगा।

बजट सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराया जाए: बीजद

बीजू जनता दल (बीजद) ने सरकार से मांग की है कि संसद के बजट सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया जाए।

सर्वदलीय बैठक के दौरान लोकसभा में बीजद दल के नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को राज्य सभा से पारित हुए 10 साल हो गए हैं, ऐसे में समय आ गया है कि अब ये विधेयक लोकसभा से भी पारित हो।