क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री राजेश सिंह कुशवाह का बयान:समस्त राजनैतिक दलो द्वारा क्षत्रिय राजपूत समाज को योजनाबद्ध रूप से सुनियोजित तरीके से दबाने का षड़यंत्र किया जा रहा है attacknews.in

उज्जैन 23 अगस्त ।अ.भा. क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रमुख महामंत्री श्री राजेश सिंह कुशवाह ने कहा हैं कि, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा समाज हित में कार्य करने वाला सबसे पुराना सामाजिक संगठन है। क्षत्रिय समाज नेतृत्वकर्ता था है और सदैव रहेगा। समस्त राजनैतिक दलो द्वारा क्षत्रिय राजपूत समाज को योजनाबद्ध रूप से सुनियोजित तरीके से दबाने का षड़यंत्र किया जा रहा है जिसे हमें एकता के साथ संघर्ष कर सफल नहीं होने देना है। क्षत्रियों की जागरूकता ही हर समस्या का निदान हमारे सामने अपने वर्तमान के साथ-साथ अपने गौरव शाली महापुरूषो को भी अब अन्य लोगो द्वारा अपना बताकर इतिहास को भी बदलने का कुचक्र प्रारम्भ कर दिया है।

उक्त विचार श्री कुशवाह के अलावा उपस्थित अन्य अतिथियों द्वारा व्यक्त किए गए। अ.भा. क्षत्रिय महासभा द्वारा आयोजित नव नियुक्त पदाधिकारियों के सम्मान समारोह में श्री कुशवाह के साथ श्री जगदीश सिंह तोमर पूर्व क्षैत्रिय अधिकारी बीज निगम श्री उपेन्द्र सिंह सेंगर पूर्व निरिक्षक म.प्र. पुलिस, श्री प्रकाश सिंह कुशवाह, पूर्व निरीक्षक म.प्र. पुलिस, श्रीमति उषा पंवार राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अ.भा. क्षत्रिय महिला महासभा, श्रीमति शकुन्तला कुशवाह प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष अ.भा. क्षत्रिय महिला महासभा अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

सम्मान समारोह में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्वाचन में श्री अंगदसिंह भदौरिया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजेश सिंह कुशवाह, राष्ट्रीय प्रमुख महामंत्री तथा प्रदेशाध्यक्ष श्री राजकुमार सिंह सिकरवार द्वारा मनोनित उज्जैन के श्री अर्जुन सिंह राठौर, प्रदेश उपाध्यक्ष, श्री विजय सिंह भदौरिया प्रदेश सचिव, महेन्द्र सिंह बैस प्रदेश उपाध्यक्ष एवं युवा विंग में शिवसिंह परिहार राष्ट्रीय महामंत्री, राजेशसिंह भदौरिया प्रदेश सचिव, अशोक सिंह गेहलोत उज्जैन संभाग अध्यक्ष आकाश सिंह ठाकुर संभाग उपाध्यक्ष, पुष्पेन्द्र सिंह सिकरवार संभागीय महामंत्री तथा श्री प्रदीप सिंह जादौन व श्री करण सिंह चौहान को संरक्षक मनोनित किए जाने पर सभी पदाधिकारियों का अतिथियों द्वारा सम्मान कर नियुक्त पत्र प्रदान किए गए। समारोह को बांसवाडा राजस्थान से पधारे श्री रमेश सिंह चौहान ने भी संबोधित किया।

अतिथियों का स्वागत श्रीमती उपमा चौहान, मीरा सिकरवार, विवेक सिंह हाडा, उदय पाल सिंह सेंगर आदि ने किया।

दि राजपुत साख सह. संस्था के सभागार में आयोजित इस समारोह का संचालन श्री अंगदसिंह भदौरिया ने किया तथा आभार श्री अरविंद सिंह चौहान ने व्यक्त किया।

श्रीमती कलावती यादव और राजेश सिंह कुशवाह भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ उज्जैन के आजीवन सदस्य निर्वाचित attacknews.in

उज्जैन 23 अगस्त ।भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ उज्जैन के आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन ,निर्वाचन अधिकारी रामसिंह बनिहार के निर्देशन में सम्पन्न हुए।

यह जानकारी देते हुए हेडक्वार्टर कमिश्नर श्री नरेश शर्मा ने बताया की प्रति पांच वर्ष में होने वाले निर्वाचन के प्रथम चरण में आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन भारत स्काउट एवं गाइड म.प्र. राज्य मुख्यालय भोपाल के निर्देशानुसार सम्पन्न हुए। जिसमें उज्जैन जिला संघ के आजीवन सदस्य प्रतिनिधियों की निर्वाचन प्रक्रिया में संघ के 111 आजीवन सदस्यों में से दस प्रतिनिधियों के निर्वाचन हेतू निर्वाचन कार्यक्रम नियमानुसार घोषित किया गया था।

111 सदस्यों में दस नामांकन प्राप्त होने पर उन्हें (1) श्रीमती पुष्पा शर्मा (2) श्रीमती कलावती यादव (3) श्री तरूण उपाध्याय (4) श्री हेमन्त लुल्ला (5) श्री राजेश सिंह कुशवाह (6) श्री अभय कुमार (7) श्री रमेश श्रीवैय्या (8) श्री राजेश शर्मा (9) श्री हेमचन्द शर्मा व (10) श्री राजेंद्र शर्मा को निविर्रोध निर्वाचित घोषित किया गया।

ये सभी आजीवन सदस्य प्रतिनिधि अपने मे से एक सदस्य को भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ, उज्जैन की जिला कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व हेतू प्रतिनिधि निर्वाचित करेंगे एवं जिला कार्यकारिणी के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के निर्वाचन में मतदान कर सकेंगे।

नरेश शर्मा
हेडक्वार्टर कमिश्नर
भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ, उज्जैन
9425195600

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन में सुरेन्द्र सिंह तोमर अध्यक्ष और राजेश सिंह कुशवाह राष्ट्रीय प्रमुख महामंत्री निर्वाचित;अब राजपूत क्षत्रिय चुनावों मे निर्दलीय प्रत्याशियों को देगा समर्थन attacknews.in

ज्जैन 26 जून ।स्थानीय विक्रम कीर्ति मंदिर उज्जैन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिवराम सिंह गौर दिल्ली ने महासभा का केसरिया ध्वजारोहण कर अधिवेशन का शुभारम्भ किया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गौर,राष्ट्रीय प्रमुख महामंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी श्री राजीव सिंह भदौरिया द्वारा क्षत्रिय आराध्य प्रभु श्री राम व महाराणा प्रताप के चित्रों के सम्मुख दीप प्रज्जवलित किया।

महासभा की उज्जैन इकाई की और से  राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अंगद सिंह भदौरिया, विजय सिंह भदोरिया द्वारा अतिथियो को साफा बांधकर स्वागत किया गया।

शुभारम्भ सत्र का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री राजेश सिंह कुशवाह ने किया।

अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पारित किए गए। पारित राजनीतिक प्रस्ताव में निर्णय लिया गया कि, अब  राजपूत क्षत्रिय समाज अपने दम पर लोकसभा और विधानसभाओं के निर्वाचन मे निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन कर उन्हें जीताकर सदन में भेजकर अपनी शक्ति दिखाएगा।

क्षत्रीय एकजुट होकर सदन में निर्दलियों की संख्या बदाएंगे क्योंकि देश के सभी राजनीतिक दल वोटो के लिए तुष्टिकरण में लगे होने से सभी सामान्य अनारक्षित वर्ग की अनदेखी व उपेक्षा कर रहे हैं अब यह सहन नहीं किया जाएगा।

दूसरे प्रस्ताव में राजपूतों को भी सिखों की तरह बिना लाइसेंस  कृपाण रखने की अनुमति प्रदान करने व आग्नेय शस्त्रों की अनुज्ञा मे वरीयता प्रदान करने , सेना, पुलिस, अर्द्ध सैनिक बलों की भर्ती में वरीयता प्रदान करने का पारित किया गया।

साथ ही पारित किया गया कि,निर्वाचन व शासकीय संस्थानों में अनारक्षित सीटो पर आरक्षित वर्ग का प्रवेश वर्जित किया जाए। आरक्षण का लाभ किसी भी नागरिक को जीवनकाल में एक बार ही दिया जावे।

वहीँ संगठनात्मक प्रस्ताव में संगठन को मजबूत करने वाले को आगे बढ़ाने के साथ साथ यूवाओ और क्षत्राणियों को भी आगे करने का निर्णय लिए गए।

अधिवेशन में पारित प्रस्तावों को देश के महामहिम राष्ट्रपति जी को भेज कर क्रियान्वयन हेतु भेजा जाएगा।

अधिवेशन में भारत के विभिन्न प्रदेशों से 450 प्रतिनिधि सम्मलित हुए। जिन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था से राष्ट्रिय अध्यक्ष का निर्वाचन किया।

राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी श्री राजीव सिंह भदौरिया द्वारा कार्यकारिणी के सभी पदों पर नामांकन पत्र दाखिल करने का कार्यक्रम घोषित किया गया

तय समय पर एक भी नामांकन प्राप्त नही होने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिवराम सिंह गौर ने अध्यक्ष हेतु श्री सुरेन्द्र सिंह तोमर के नाम का प्रस्ताव रखा जिसे सभी ने सर्वानुमति से स्वीकार करने पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा श्री सुरेन्द्र सिंह तोमर को निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया। पूर्व अध्यक्ष डॉ शिवराम सिंह व नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह का भव्य स्वागत किया गया, शॉल श्रीफल व तलवार भेंट की गई। महासभा में 6 दशक पूर्ण करने पर डॉ. शिवराम सिंह जी को अभिनंदन पत्र भेट किया गया।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की प्रथम बैठक सम्पन्न हुई जिसमे उपस्थित सभी सदस्यों द्वारा नवीन पदाधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार अध्य्क्ष को प्रदान करने के उपरांत नवनिर्वाचित अध्यक्ष द्वारा नवीन राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित की गई जिसमें-

प्रमुख महामंत्री
राजेश सिंह कुशवाह,

उपाध्यक्ष
राजीव सिंह भदोरिया, भेरू सिंह चौहान, अंगद सिंह भदौरिया, निहाल सिंह चौहान,

महामंत्री
प्रहलाद सिंह तंवर

मंत्री
विजय सिंह सावनेर, हेमलता तोमर

कोषाध्यक्ष
श्याम सिंह तोमर

संगठन मंत्री
यशपाल सिंह सिसौदिया

प्रचार मंत्री
हितवेंद्र सिंह राघव

प्रवक्ता
राजबहादुर राणा प्रमुख रूप से राष्ट्रीय पदाधिकारी रंहेगे बाकी पदाधिकारियों की घोषणा बाद में की जवेगी।

राष्ट्र-चिंतन

मोदी के सामने बाइडेन के झुकने का अर्थ

      □ आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

घोर आश्चर्य और अचंभित करने करने वाला उदाहरण और कूटनीतिक घटना। किंतु पूरी तरह से सत्य। एक ऐसा सत्य जिसे पूरी दुनिया ने देखी और पूरी दुनिया के बड़े-बडे देशों के शासको ने देखा। भारत के आत्मघाती और परअस्मिता की मानसिकता से ग्रसित लोगों को इस कूटनीतिक घटना पर गर्व होगा नहीं पर दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों और देश की देशभक्ति पर गर्व करने वाली जनता इस पर सम्मान का अनुभव जरूर कर रही है।

दुनिया के सबसे बड़े शासक और दुनिया को अपनी उंगलियांें पर नचाने वाले अमेरिका के राष्टपति जो बाईडेन द्वारा नरेन्द्र मोदी के सामने खुद आकर हाथ मिलाना और झुकना क्यों नहीं बडे गर्व की बात और घटना है? यह घटना जापान की हिरोशिमा में घटी है। अमेरिका ने कभी हिरोशिमा को राख बना दिया था, परमाणु हमला कर लगभग एक लाख लोगों को मार दिया था। हिरोशिमा में जी 7 देशो का शिखर सम्मेलन आयोजित था। जी 7 देशों के शिखर सम्मेलन में बाइडेन ही क्यों बल्कि दुनिया के अन्य देशों के नामीरिरामी शासकों ने भी नरेन्द्र मोदी का स्वागत करने और मिलने में जो गर्मजोशी दिखायी, वह न केवल भारत के लिए सम्मान की बात है बल्कि भारत की बढ़ती हुई वैश्विक और कूटनीतिक शक्ति का अहसास भी कराता है।
         
निश्चित तौर पर नरेन्द्र मोदी को इसका श्रेय जाता है कि उन्होंने अपनी कामयाबी और दूरदर्शिता की ऐसी छाप छोडी है कि दुनिया भी चकित है और नतमस्तक भी है। कभी भारत की साप-सपेरों की पहचान थी और इस पहचान को लेकर दुनिया हमारी खिल्ली उड़ाती थी लेकिन आज हमारी पहचान हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ आंकी जा रही है। नरेन्द्र मोदी  की सहमति और उपस्थिति के बिना दुनिया के नियामक अपनी चमक बनाये रखने में असमर्थ हैं, दुनिया के नियामकों की हर क्रिया और प्रतिक्रिया पर नरेन्द्र मोदी का समर्थन अनिवार्य जैसा ही माना जा रहा है। जो बाइडेन कहते हैं कि मोदी जी आप अमेरिका आने वाले हैं, सभा के सभी टिकट बिक गये, यहां तक कि मेरे रिश्तेदार, एक्टर और उद्योगपति तक आपकी सभा में शामिल होने और आपसे मिलने के लिए टिकट मांग रहे हैं।
                 
कभी भारत के शासक अमेरिका के शासकों से मिलने और भीख मांगने के लिए तरसते थे, घंटों इंतजार कराते थे, फिर भी मिलने के लिए समय नहीं देते थे, अंतराष्टीय मंचों पर भारत को अपमानित करते थे और भारत को डराते-धमकाते भी थे। भारत दीनहीन की तरह यह सब बर्दाशत करता था। विश्वास नहीं है तो महाराजा कृष्ण रस्गोत्रा की पुस्तक पढ़ लीजिये। महराजा कृष्ण रस्गोत्रा इंदिरा गांधी पर एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है ए लाइफ इन डिप्लोमसी। रस्गोत्रा भारत के पूर्व विदेश सचिव थे और उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी के साथ काम किया था, विदेशी कूटनीति के क्षेत्र में रस्गोत्रा की तूती बोलती थी। जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के विदेश दौरे के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी रस्गोत्रा निभाते थे। रस्गोत्रा ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अमेरिका के राष्टपति निक्सन ने इंदिरा गांधी को लॉन बैठा कर 45 मिनट इंतजार कराया था, इसके बाद भी मिलने के समय निक्सन ने गर्मजोशी नहीं दिखायी थी और न ही उसने भारत की चिंताओं पर कोई नोटिस लिया था। प्रमुख अंतर्राष्टीय मंचों पर भारतीय शासकों को पीछे या फिर अंतिम पक्ति में खड़ा होना पड़ता था।  जब भारत के शासक पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ विदेशों में बोलते थे और पाकिस्तान के आतंकवाद पर नियंत्रण करने की गुहार लगाते थेे तब विदेशी शासक भारत की खिल्ली उड़ाते थे। जब कोई बड़ा शासक भारत आता था तब वह पाकिस्तान जाना भी नहीं भूलता था। यानी की विदेशी शासक पाकिस्तान को नाराज नहीं करना चाहते थे।
               
लेकिन आज की स्थिति क्या है? आज की स्थिति यह है कि बिना भारत की सहमति और विश्वास के बिना कोई भी वैश्विक नीति का सफल होना असंभव है। दुनिया के शासको को यह अहसास हो गया है कि वैश्विक नीतियां तभी सफल होंगी जब उसमें भारत की सक्रियता अग्रणी होगी। ऐसी स्थिति रातोरात नहीं बनी हुई है। ऐसी स्थिति को बनाने में नरेन्द्र मोदी की दृढ और निडर इच्छाएं शामिल रही हैं। प्रधानमंत्री बनने से पूर्व ही मोदी ने अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब दिया था, आंख में आंख मिला कर जवाब दिया था और कह दिया था कि वह अमेरिकी कूटनीतिज्ञ से मिलने की कतई इच्छुक नहीं हैं। अमेरिकी राजदूत को मिलना है तो उसे गांधीनगर आना होगा। अमेरिका ने कभी मोदी को अपने यहां आने से प्रतिबंधित कर दिया था। गुजरात दंगों को लेकर अमेरिका नरेन्द्र मोदी को हिंसक मानता था। तत्कालीन अमेरिकी राजदूत नरेन्द्र मोदी विरोधी मानी जाती थी। लेकिन उस अमेरिकी राजदूत को अपमान झेलना पड़ा था, उसका अहंकार जमींदोज हो गया था। मोदी की इच्छानुसार तत्कालीन अमेरिकी राजदूत गांधीनगर गयी थी और नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी और गुजरात दंगों पर आधारित प्रतिबंधों को लेकर मोदी से माफी भी मंाग ली थी। उस राजदूत को अमेरिका ने पद से हटा दिया था। अमेरिका जान गया था कि भारत पर नरेन्द्र मोदी युग की शुरूआत हो चुकी है।
           
मोदी ने अमेरिका और यूरोप ही नहीं बल्कि मुस्लिम देशों को सीधे तौर पर नाराज कर कश्मीर से धारा 370 हटा दिया। आतंकवादी पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एयर स्टाइक किया। अमेरिका और यूरोप तथा मुस्लिम देश नाराज होकर भारत विरोधी हरकतें करते रहे, भारत को संयम बरतने की अपील करते रहे लेकिन नरेन्द्र मोदी ने इनकी एक नहीं चलने दी। यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप की एक नहीं सुनी। अमेरिकी धमकियों से भारत डरा नहीं। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कह दिया कि हम युद्ध विरोधी हैं पर यूक्रेन युद्ध में किसी का समर्थन और विरोध नहीं करेंगे। युद्ध रोकने के लिए संवाद की जरूरत है। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर कोई एक नहीं बल्कि कई प्रतिबंध लगाये हैं। रूस से तेल खरीदने पर भी प्रतिबंध लगाया। लेकिन रूस से भारत ने बराबर तेल खरीदा। भारत ने कह दिया कि हम अमेरिकी प्रतिबंध मानने के लिए कतई तैयार नहीं है। भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी अर्थव्यवस्था को गति दिया और अपनी जनता को महंगाई से राहत दिया। रूस से तेल नहीं खरीदने के लिए अमेरिका ने कई हथकंडे अपनाये थे लेकिन भारत अपनी इच्छा से डिगा नहीं।
       
तथाकथित धार्मिक आजादी को लेकर अमेरिका और यूरोप के शासक और संस्थाएं रिपोर्ट जारी कर भारत पर दबाव बनाने का काम करते हैं लेकिन भारत अपनी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी से भागता नहीं है। भारतीय विदेशी मंत्री ऐसी झूठी रिपोर्टो को लेकर इनकी आलोचना से पीछे नहीं हटते हैं और नसीहत देते हैं कि आप अपने घर की स्थिति संभालिये और देखिये, भारत में मानवाधिकार पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके पहले ऐसी भाषा भारतीय कूटनीतिज्ञों के मुंह से किसी ने सुनी थी? भारतीय कूटनीति आज पूरी स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के साथ भारत के हितों की रक्षा कर रहे हैं। ऐसा इसलिए संभव हो पा रहा है कि नरेन्द्र मोदी ने भारतीय कूटनीतिज्ञों को खुलकर खेलने और जैसे को तैसे में जवाब देने की पूरी छूट दे रखी है।
           
ब्रिटेन, अमेरिका और नाटो देशों को चीन और रूस से निपटना मुश्किल हो रहा है। चीन अमेरिकी कूटनीतिज्ञ को बार-बार पराजित कर रहा है। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर नाटों को सबक सिखा दिया। अमेरिका और अन्य नाटों देशो की चौधराहट आज खतरे में है। अमेरिका और नाटो यह चाहते हैं कि भारत भी चीन और रूस के खिलाफ हमारे साथ खडे रहे। चीन के साथ हमारा मतभेद है, चीन के साथ आज हम युद्धरत है, चीन हमेशा अपने पड़ोसियों पर हिंसक नजर रखता है, गरीब और विकासशील देशों को चीन सस्ते कर्ज देकर गुलाम बना रहा है। रूस भी अब विश्वसनीय नहीं है।
       
फिर भी हमें अमेरिका नाटो के हित नहीं बल्कि अपने हित की रक्षा करनी है। नरेन्द्र मोदी निष्पक्षता और स्वतंत्रता के साथ दुनिया का नेतृत्व करें। नरेन्द्र मोदी की निष्पक्षता और स्वतंत्रता में ही भारत सर्वश्रेष्ठ बनेगा और दुनिया भारत की शक्ति की पहचान करेगी।

संपर्क:
आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
नई दिल्ली

उज्जैन में सुनियोजित तरीके से आयोजित की जाने वाली थी गैर-मुस्लिमों के लिए पैगंबर मुहम्मद पर निबंध प्रतियोगिया, लगी रोक attacknews.in

भोपाल/उज्जैन , 13 दिसंबर। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज बताया कि उज्जैन में सिर्फ गैर मुस्लिमों के लिए आयोजित हो रही हजरत मोहम्मद पर निबंध प्रतियोगिता को उन्होंने रुकवाने के निर्देश दिए हैं।


डॉ मिश्रा ने इस संबंध में संवाददाताओं को बताया कि ‘पैगाम ए इंसानियत सोसाइटी’ की ओर से ये प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें गैर मुस्लिमों को भाग लेने को कहा गया था। ये कौन सा तरीका है, ये समझ से परे है।

उन्होंने कहा कि इस परीक्षा की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे थे, इसलिए उन्होंने तत्काल पुलिस अधीक्षक को ये प्रतियोगिता रुकवाने के निर्देश दिए।

आरोप लग रहे थे कि ये प्रतियोगिता धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जा रही है। कई हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया था।

#महाकालकीनगरी उज्जैन में ‘पैगाम ए इंसानियत’ सोसायटी की तरफ से एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी। प्रतिभागियों को हजरत मोहम्मद पर निबंध लिखना था। लेकिन इस प्रतियोगिता में सिर्फ गैर मुस्लिम ही हिस्सा ले सकते थे।

प्रतियोगिता के बारे में जानकारी होते ही हिन्दू संगठनों ने इस पर रोक लगाने की माँग शुरू कर दी।

हिंदुत्ववादी संगठनों का कहना है कि प्रतियोगिता के माध्यम से हिंदुओं का धर्मांतरण कराने की योजना बनाई जा रही थी। प्रतियोगिता में गैर-मुस्लिमों को शामिल होना था, अर्थात उनका टारगेट हिंदू थे, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद पर जीवनी लिखनी थी। इसके लिए आयोजकों द्वारा रजिस्ट्रेशन के बाद एक किताब उपलब्ध करवाई जा रही थी। किताब पैगंबर मोहम्मद की जीवनी पर आधारित थी।

स्थानीय बजरंग दल के नेता पिंटू कौशल ने जानकारी दी कि प्रतियोगिता के नाम पर यह लोग मोहम्मद साहब की जीवनी पढ़ाकर लोगों को धर्मांतरण की ओर ले जाने की कोशिश कर रहे थे। इतना ही नहीं, प्रतियोगिता में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल करने के लिए 21 हजार रुपए से लेकर 500 रुपए तक नकद पुरस्कार भी रखे गए थे। सभी के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार की व्यवस्था थी।

प्रतियोगिता को लेकर हिंदू संगठनों ने राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से शिकायत कर इस पर रोक लगाने की माँग की। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी मामले पर संज्ञान लिया और उज्जैन के एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल को प्रतियोगिता स्थगित करने के निर्देश दिए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला सामने आने के बाद पुलिस ने आयोजकों से प्रतियोगिता स्थगित करने के निर्देश दिए। जिसके बाद आयोजक ‘पैगाम-ए-इंसानियत’ संगठन ने तत्काल इस प्रतियोगिता को स्थगित कर दिया।

प्रतियोगिता के आयोजकों में शामिल सैयद नासिर ने बताया कि हर जाति व मजहब के लोगों को हजरत मोहम्मद के बारे में बताने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा था। आपत्ति के बाद इसे स्थगित कर दिया गया है और इसकी सूचना सार्वजनिक कर दी गई है।

भोपाल में RSS के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए बताएं संघ के दो मुख्य काम और कहा:विश्वगुरु भारत अर्थात अपनी खुशहाली के साथ विश्व का कल्याण attacknews.in

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भोपाल विभाग के शारीरिक प्रकट कार्यक्रम में 2500 स्‍वयंसेवकों ने शारीरिक अभ्‍यास का किया प्रदर्शन


भोपाल 11 दिसम्बर । संघ के दो मुख्य काम हैं– व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन। यह दोनों कार्य एक ही लक्ष्य के लिए है– भारत को परम वैभव पर पहुंचाना। परम वैभव का अर्थ केवल भारत आर्थिक और सामरिक रूप से सक्षम बने, यहां के सभी नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान मिले यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि इससे भी अधिक है। भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है। भारत के महापुरुषों ने हमेशा विश्व कल्याण की बात की है और उसके लिए प्रयास किए हैं।

यह बात राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री दत्‍तात्रेय होसबाले ने रविवार को लालपरेड मैदान में भोपाल विभाग के शारीरिक प्रकट कार्यक्रम में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में अपने बौद्धिक में कही।

इस अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त श्री ओमप्रकाश रावत, मध्य क्षेत्र संघचालक श्री अशोक सोहनी, प्रांत संघचालक श्री अशोक पांडेय और भोपाल विभाग के संघचालक डॉ. राजेश सेठी उपस्थित रहे।

ञअपने उद्बोधन में सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि संघ 95 वर्ष से राष्ट्र साधना में लगा हुआ है। संघ का काम सामूहिक कर्मयोग है। समाज को सामर्थ्यवान बनाने का काम है। भारत को विश्व में सम्मानजनक स्थान दिलाने का काम संघ का है।

उन्होंने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए पहले चरण में हमें अपने देश के नागरिकों की खुशहाली के लिए कार्य करना है और उसके अगले चरण में विश्व की मंगल कामना का कार्य भारत करे, इस कार्य में संघ लगा हुआ है।

उन्होंने कहा कि अनुशासित समाज का निर्माण किए बिना हम भारत को प्रगति के पथ पर दूर तक नहीं ले जा सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक कार्य है। स्वास्थ्य, आर्थिक एवं विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति शील संपन्न हो, यह भी विश्वगुरु बनने के लिए आवश्यक है। पिछले 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देशहित सरकार अनेक योजनाएं बना रही है लेकिन नागरिकों के भी कुछ कर्तव्य हैं। हमें भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।

सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि संघ व्यक्तियों में चरित्र निर्माण, अनुशासन, कर्तव्यबोध, सामूहिकता जैसे गुणों का विकास करने के लिए करता है। संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है ताकि उसकी व्यक्तिगत उन्नति हो और वह जगत के हित के लिए कार्य करे। भगिनी निवेदिता मानती थीं कि यदि देश के लोग सप्ताह में एक दिन आकर सामूहिक रूप से देश के बारे में विचार करें तो देश का वातावरण ही बदल जायेगा। संघ के संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार ने इस बात को समझा और संघ सामूहिक रूप एकत्र आकर देशहित में कार्य करता है। देश का सामान्य व्यक्ति कैसा है, उसके आधार पर उस देश का भविष्य निर्धारित होता है। विदेशी यात्रियों ने भी अपने यात्रा वृत्तांतों में भारत के सामान्य लोगों के रहन–सहन और उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उल्लेख किया है।

उन्होंने कहा कि जो लोग समाज कंटक हैं, ऐसे लोग दूसरों को हराने, अपना अहंकार दिखाने और दूसरों का शोषण करने के लिए अपने ज्ञान, धन और बल का उपयोग करते हैं। जबकि सज्जन लोग इस सबका उपयोग समाज के उत्थान के लिए करता है। इसलिए संघ ने अपने कार्य में शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रमों को जोड़ा है।

सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि भारत करवट ले रहा है। भारत की मान्यता पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत के बारे में सकारात्मक सोचने की संख्या भी बढ़ रही है। अपने गांव और समाज का उत्थान करते हुए भारत की प्रगति में सहायक बन सकूं, ऐसा सोचने और करनेवाले लोगों की संख्या भी समाज में बढ़ रही है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं पूर्व चुनाव आयुक्त श्री ओमप्रकाश रावत ने कहा कि यशस्वी भारत की संकल्पना पूरी करने के लिए संघ सुदृढ़ नींव रख रहा है। संघ के कार्यक्रमों एवं उसके गीतों में इसकी झलक दिखती है।

उन्होंने कहा कि आभासी दुनिया की जगह हमें प्रत्यक्ष जुड़ने के प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अपने स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण आज हम स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। उनके योगदान को हमें भूलना नहीं चाहिए।

कार्यक्रम में क्षेत्र, प्रांत एवं विभाग के अधिकारीगण, समाज के गणमान्‍य नागरिक, पत्रकारगण, मातृशक्ति, बंधुजन सहित लगभग 20 हजार नागरिक उपस्थित रहे।

शाखाओं में मिलने वाले प्रशि‍क्षण की दिखी झलक

संघ कार्य का मुख्य आधार शाखाएं हैं। शाखाओं में शारीरिक, बौद्धिक, व्यवस्था, सेवा, संपर्क एवं प्रचार आदि कार्यविभागों के माध्यम से स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण किया जाता है।

इस प्रशिक्षण से कार्यकर्ताओं के गुणों का विकास होता है तथा उनकी योग्यता और कुशलता भी बढ़ती है, जिससे वे समाज संगठन और राष्ट्र उन्नति के कार्य में यथाशक्ति कुशलतापूर्वक योगदान देते हैं। शाखाओं में स्वयंसेवक जो प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं उसकी एक झलक स्वयंसेवक द्वारा इस कार्यक्रम में प्रस्तुत की गई।

स्‍वयंसेवकों ने घोष वादन से लेकर दंड प्रयोग तक की दी प्रस्‍तुति

प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने घोष वादन, प्रदक्षिणा संचलन, दंड के प्रयोग, प्रगत प्रयोग, गण समता, दंड योग, व्यायाम योग, योगासन, बैठक योग जैसे प्रयोग गुणवत्‍ता के साथ प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर तीन घोष दलों ने स्वास्तिक और ओंकार की रचनाओं का निर्माण किया।

214 शाखाओं पर 3300 स्‍वयंसेवकों ने तीन माह किया अभ्‍यास

इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए विगत 3 माह से स्वयंसेवक प्रात शाखाओं पर अभ्यास कर रहे थे। साथ ही नगर केंद्र पर रात्रिकालीन अभ्यास हेतु 104 शाखाओं को अभ्यास केंद्र के रूप में चयन किया गया था। बाद में ये अभ्यास बढ़कर 214 शाखाओं तक पहुंचा। शारीरिक अभ्यास की दृष्टि से कुल 3300 स्वयंसेवकों ने अभ्यास प्रारंभ किया। गुणवत्‍ता के आधार पर अंतिम सूची 3166 चयनित स्वयंसेवकों की बनी। शाखा स्तर पर कुल 125 शिक्षकों ने प्र‍शिक्षण दिया। जिला केंद्र पर 2 बार एकत्रीकरण किए गए जिसमें कुल 1527 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। विभाग स्तर पर भी दो बार एकत्रीकरण कर अभ्यास किया गया, जिसमें कुल संख्या 1603 स्वयंसेवकों की रही। घोष की तैयारी के लिए भी विभाग स्तर पर 3 शिविरों का आयोजन किया गया था जिसमें 213 स्वयंसेवक वादकों ने 10 रचनाओं का अभ्यास किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर युवाओं को संभालने के लिए तैयार रहने को कहा attacknews.in

कानपुर (उत्तरप्रदेश) 28 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं से आत्मनिर्भर और आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान देने की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि आगामी 25 साल में भारत की विकास यात्रा की बागडोर उन्हें ही संभालनी है।

मोदी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए और उन्होंने छात्रों को उपाधि प्रदान करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक आधारित डिजिटल डिग्री देने की शुरुआत की। अब छात्रों को संस्थान में विकसित ब्लॉकचेन तकनीक के माध्‍यम से डिजिटल डिग्री जारी की जाएगी। यह डिजिटल डिग्री वैश्विक स्‍तर पर सत्‍यापित की जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश किया है और इस अवसर पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में, इस वर्ष आईआईटी से डिग्री लेने वाले छात्रों को इस सपने को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए कि 2047 का भारत कैसा होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले 25 साल में भारत की विकास यात्रा की बागडोर आपको ही संभालनी है। आप सभी पर देश को अगले 25 वर्ष तक दिशा और गति देने का दायित्व है। आप कल्पना कीजिए, जब 1930 में दांडी यात्रा शुरू हुई तो उस यात्रा ने पूरे देश को कितना आंदोलित कर दिया था। 1930 के उस दौर में 20-25 साल के जो नौजवान थे, वह उनके जीवन का स्वर्णिम काल था।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब आप अपने जीवन के 50 साल पूरे कर रहे होंगे, उस समय का भारत कैसा होगा। उसके लिए आपको अभी से ही काम करना होगा। मुझे पता है कि कानपुर आईआईटी ने, यहां के माहौल ने आपको वह ताकत दी है कि अब आपको अपने सपने पूरे करने से कोई रोक नहीं सकता।’

मोदी ने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी का युग है और यह तकनीक की स्पर्धा का युग है जिसमें ये छात्र जरूर आगे निकलेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आजादी के बाद 25 साल तक हमें देश को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए प्रयास करने चाहिए थे, लेकिन तब से लेकर अब तक बहुत देर कर दी गई है। देश बहुत समय गंवा चुका है, इसलिए हमें दो पल भी नहीं गंवाने हैं।’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही है, लेकिन मैं चाहता हूं और मेरा मन करता है कि आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर हो जाइए। आत्मनिर्भर भारत पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप है, जहां हम किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे। यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरा करेगा।’’

मोदी ने कहा, ‘‘पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज कुछ कर गुजरने, काम करके नतीजे लाने की सोच है। पहले अगर समस्‍याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए स्थायी संकल्प लिए जाते हैं। आत्मनिर्भर भारत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।’

उन्होंने छात्रों के जीवन में माता-पिता, परिवार और अध्यापकों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा, ‘‘आपने आईआईटी में प्रवेश लिया और अब आप यहां से निकल रहे हैं, तो तब और अब में आप अपने में बहुत बड़ा परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। पहले आपका ज्ञान और आपकी जिज्ञासा का दायरा आपके स्‍कूल, कॉलेज, आपके मित्रों, आपके परिवार और आपके अपनों के बीच सिमटा हुआ था। आईआईटी कानपुर ने उस दायरे से निकालकर आपको बहुत बड़ा कैनवास दिया है।’

उन्होंने कहा, ‘‘आपने अपनी युवावस्था के इतने महत्वपूर्ण वर्ष तकनीकी विशेषज्ञ बनने में लगाए हैं। आपके पास भारत के साथ ही पूरे विश्व में भी तकनीक के क्षेत्र में योगदान देने का अवसर है।‘‘

मोदी ने आईआईटी कानपुर के छात्रों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान का कार्य वैश्विक मानक का हिस्सा बन गया है।

इस कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ समेत कई प्रमुख हस्तियों ने संबोधित किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को और चार महीने मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दी,सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह 5 किलो अनाज निःशुल्क attacknews.in

नईदिल्ली 24 नवम्बर ।प्रधानमंत्री द्वारा सात जून, 2021 को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में लोकहित में की गई घोषणा तथा कोविड-19 के संदर्भ में आर्थिक पहलों के हिस्से के रूप में मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई-चरण पांच) को और चार महीने, यानि दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अन्त्योदय अन्न योजना एवं प्राथमिकता प्राप्त घरों] के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह पांच किलो अनाज निःशुल्क प्राप्त होता रहेगा।

इस योजना का पहला और दूसरा चरण क्रमशः अप्रैल से जून 2020 और जुलाई से नवंबर, 2020 में परिचालन में था। योजना का तीसरा चरण मई से जून, 2021 तक परिचालन में रहा। योजना का चौथा चरण इस समय जुलाई-नवंबर, 2021 के दौरान चल रहा है।

पीएजीकेएवाई योजना का पांचवां चरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक चलेगा, जिसमें अनुमानित रूप से 53344.52 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी दी जायेगी।

पीएमजीकेएवाई के पांचवें चरण के लिये खाद्यान्न का कुल उठान लगभग 163 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है।

यह याद रहे कि पिछले वर्ष देश में अप्रत्याशित रूप से कोविड-19 महामारी फैलने के कारण आने वाली आर्थिक अड़चनों को मद्देनजर रखते हुये, सरकार ने मार्च 2020 में घोषणा की थी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत प्रति व्यक्ति, प्रति माह के हिसाब से पांच किलोग्राम अतिरिक्त रूप से निःशुल्क अनाज (चावल/गेहूं) दिया जायेगा, जो नियमित मासिक एनएफएसए खाद्यान्न, यानी उनके राशन कार्ड पर नियमित रूप से देय खाद्यान्न से अधिक होगा, ताकि गरीब, जरूरतमंद और जोखिम वाले घरों/लाभार्थियों को आर्थिक संकट के दौरान समुचित अनाज की अनुपलब्धता की वजह से वंचित न होना पड़े। अब तक पीएम-जीकेएवाई (एक से चार चरण तक) के तहत विभाग ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल मिलाकर लगभग 600 लाख मीट्रिक टन का आवंटन किया है, जो लगभग 2.07 लाख करोड़ रुपये की खाद्यान्न सब्सिडी के बराबर है।

पीएमजीकेएवाई-चौथे चरण के अंतर्गत वितरण इस समय चल रहा है और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक, अब तक 93.8 प्रतिशत अनाज उठा लिया गया है और लगभग 37.32 एलएमटी (जुलाई 2021 का 93.9 प्रतिशत), 37.20 एलएमटी (अगस्त 2021 का 93.6 प्रतिशत), 36.87 एलएमटी (सितंबर 2021 का 92.8 प्रतिशत), 35.4 एलएमटी (अक्टूबर 2021 का 89 प्रतिशत) और 17.9 एलएमटी (नवंबर, 2021 का 45 प्रतिशत) अनाज क्रमशः लगभग 74.64 करोड़, 74.4 करोड़, 73.75 करोड़, 70.8 करोड़ और 35.8 करोड़ लाभार्थियों को वितरित किया गया।

पहले पूर्ण हुए चरणों के अनुभव को देखते हुए पीएमजीकेएवाई-चरण पांच के प्रदर्शन के बारे में भी यही आशा है कि वह भी पहले के चरणों के उसी उच्चस्तर पर ही कायम रहेगा।

कुल मिलाकर पीएमजीकेएवाई चरण एक से पांच में सरकार को लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये का खर्च आयेगा।


कैबिनेट ने केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में बिजली वितरण और खुदरा आपूर्ति कारोबार के निजीकरण को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव (डीएनएच और डीडी) में बिजली वितरण कारोबार के निजीकरण के लिए कंपनी (विशेष प्रयोजन कंपनी) के गठन, उच्चतम बोली लगाने वाले को नवगठित कंपनी के इक्विटी शेयर की बिक्री एवं कर्मचारियों की देनदारियों को पूरा करने के लिए ट्रस्ट के गठन को मंजूरी दे दी है।

उक्त निजीकरण प्रक्रिया, डीएनएच एंड डीडी के 1.45 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाओं तथा वितरण में परिचालन सुधार और कार्य-कुशलता से सम्बंधित वांछित परिणामों को पूरा करेगी तथा देश भर में अन्य सेवा प्रदाता कंपनियों के अनुकरण के लिए एक मॉडल प्रदान करेगी। इससे प्रतिस्पर्धा में और वृद्धि होगी, बिजली उद्योग को मजबूती मिलेगी एवं बकाया धनराशि की वसूली में भी मदद मिलेगी।

मई 2020 में, भारत सरकार ने संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की घोषणा की थी। सुधार के प्रमुख उपायों में एक थी- बिजली वितरण सेवा प्रदाता कंपनियों के निजीकरण के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण और खुदरा आपूर्ति में सुधार करना, ताकि बिजली वितरण में निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाया जा सके।

एक एकल वितरण कंपनी यानी डीएनएच-डीडी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड को पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कंपनी के रूप में निगमित किया जाएगा और नवगठित कंपनी में स्थानांतरित कर्मियों के सेवा-लाभों के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट (ट्रस्टों) का गठन किया जाएगा। दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव विद्युत (पुनर्गठन एवं सुधार) स्थानान्तरण योजना, 2020 के अनुसार नवगठित कम्पनी में सम्पत्तियों, दायित्वों, कार्मिकों आदि का स्थानान्तरण किया जायेगा।


केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (एक्रॉस)” की समग्र योजना को 14वें वित्त आयोग से लेकर अगले वित्त आयोग के चक्र (2021-2026) तक जारी रखने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (एक्रॉस)” की समग्र योजना को उसकी आठ उप-योजनाओं के साथ कुल 2,135 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अगले पांच साल यानी 2021-2026 के वित्तीय चक्र तक जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी है।

यह योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) जैसी इकाइयों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है।

विवरण:

एक्रॉस योजना, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों से संबंधित है और यह मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देती है। इनमें से प्रत्येक पहलू को “एक्रॉस” की समग्र योजना के तहत आठ उप-योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है और इनका कार्यान्वयन उपरोक्त चार संस्थानों के माध्यम से एकीकृत तरीके से किया जाता है।

कार्यान्वयन की रणनीति और लक्ष्य:

एक्रॉस योजना के तहत आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृति में बहुआयामी हैं और उन्हें मौसम एवं जलवायु के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए आईएमडी, आईआईटीएम, एनसीएमआरडब्ल्यूएफ और आईएनसीओआईएस के माध्यम से एकीकृत तरीके से लागू किया जाएगा। निम्नलिखित आठ योजनाओं के माध्यम से उपरोक्त कार्यों को पूरा करने में इनमें से प्रत्येक संस्थान की एक निर्दिष्ट भूमिका है:

(i) पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) की शुरुआत-आईएमडी

(ii) पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन-आईएमडी

(iii) मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएं-आईएमडी

(iv) वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क-आईएमडी

(v) मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंग -एनसीएमआरडब्ल्यूएफ

(vi) मानसून मिशन III- आईआईटीएम /एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/ आईएनसीओआईएस/ आईएमडी

(vii) मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन (एमसी4)-आईआईटीएम/ एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/आईएमडी

(viii) उच्च प्रदर्शन वाली कंप्यूटिंग प्रणाली (एचपीसीएस)-आईआईटीएम/एनसीएमआरडब्ल्यूएफ

रोजगार सृजन की संभावना सहित प्रमुख प्रभाव:

यह योजना बेहतर तरीके से मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में पूर्वानुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखिम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगी ताकि अंतिम उपयोगकर्ता को सार्वजनिक मौसम सेवा, कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं, विमानन सेवाओं, पर्यावरण निगरानी सेवाओं, जल-मौसम विज्ञान सेवाओं, जलवायु सेवाओं, पर्यटन, तीर्थयात्रा, बिजली उत्पादन, जल प्रबंधन, खेल और रोमांच आदि से संबंधित लाभ पर्याप्त रूप से सुनिश्चित हो। पूर्वानुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके वितरण तक की पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर काफी संख्या में श्रमशक्ति की जरूरत होती है, जिससे कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

पृष्ठभूमि:

मौसम, जलवायु एवं समुद्र से संबंधित मापदंडों का पर्यवेक्षण करना और जलवायु विज्ञान एवं जलवायु सेवाओं को विकसित करने पर ध्यान देने सहित सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के लिए मौसम, जलवायु और खतरे से संबंधित घटनाओं की भविष्यवाणी करने की क्षमता को विकसित करने और उसमें सुधार लाने के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को अंजाम देना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के विभिन्न अधिदेशों में से एक है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण बेहद खराब मौसम की बढ़ती घटनाओं और बेहद खराब मौसम से जुड़े जोखिमों ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) को विभिन्न लक्ष्य आधारित कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रेरित किया है। इन कार्यक्रमों को आईएमडी, आईआईटीएम, एनसीएमआरडब्ल्यूएफ और आईएनसीओआईएस के माध्यम से एकीकृत तरीके से लागू किया जाता है। इसी वजह से, इन गतिविधियों को “एक्रॉस” की समग्र योजना के तहत एक साथ रखा गया है।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अम्ब्रेला योजना “महासागर सेवाएं, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)” को जारी रखने की मंजूरी दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की 2,177 करोड़ रुपए की लागत वाली अम्ब्रेला योजना “समुद्री सेवाएं, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)” को 2021-26 की अवधि के दौरान जारी रखने की मंजूरी दे दी है।

इस योजना में सात उप-योजनाएं शामिल हैं, जैसे कि समुद्री प्रौद्योगिकी, समुद्री मॉडलिंग और परामर्श सेवाएं (ओएमएएस), समुद्री अवलोकन नेटवर्क (ओओएन), समुद्री निर्जीव (नॉन-लिविंग) संसाधन, समुद्री सजीव संसाधन एवं इको-सिस्टम (एमएलआरई), तटीय अनुसंधान एवं अनुसंधान पोतों का संचालन और रख-रखाव। इन उप-योजनाओं को राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), चेन्नई, भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा, समुद्री सजीव संसाधन एवं इकोलॉजी केंद्र (सीएमएलआरई), कोच्चि, और राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), चेन्नई जैसे मंत्रालय के स्वायत्त/संबद्ध संस्थानों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। साथ ही, इस कार्य में अन्य राष्ट्रीय संस्थानों को भी शामिल किया जाता है। इस योजना के लिए मंत्रालय का समुद्र विज्ञान और तटीय अनुसंधान पोतों का एक बेड़ा अनुसंधान कार्य में आवश्यक सहायता प्रदान करता है।

भारत में महासागरों से संबंधित अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के विकास की शुरुआत महासागर विकास विभाग (डीओडी) द्वारा शुरू की गई थी, जिसे 1981 में स्थापित किया गया था। इसे बाद में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में मिला दिया गया और तब से यह कार्य निरंतर चल रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय लाभ के लिए प्रौद्योगिकी विकास, पूर्वानुमान सेवाओं, क्षेत्र प्रतिष्ठानों, अन्वेषणों, सर्वेक्षण, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से समुद्र विज्ञान अनुसंधान में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। हमारे महासागरों के निरंतर अवलोकन, प्रौद्योगिकियों के विकास तथा हमारे समुद्री संसाधनों (सजीव और निर्जीव दोनों) के दोहन के लिए और समुद्र विज्ञान में अग्रणी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अन्वेषी सर्वेक्षणों के आधार पर सतत पूर्वानुमान और सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से समुद्र विज्ञान अनुसंधान गतिविधियों को शामिल करते हुए ओ-स्मार्ट योजना को लागू किया जा रहा है।

इस योजना की गतिविधियों के माध्यम से कई उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की गई हैं। हिंद महासागर के आवंटित क्षेत्र में गहरे समुद्र में पॉली मेटैलिक नोड्यूल्स (पीएमएन) और हाइड्रोथर्मल सल्फाइड के खनन पर व्यापक अनुसंधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) में एक अग्रणी निवेशक के रूप में भारत की मान्यता मिलना इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है। लक्षद्वीप के द्वीपों में निम्न तापमान के इस्तेमाल से विलवणीकरण का उपयोग कर विलवणीकरण संयंत्र की स्थापना के लिए प्रौद्योगिकी का विकास करना भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके अलावा, भारत की महासागर संबंधी गतिविधियों को अब आर्कटिक से अंटार्कटिक क्षेत्र तक विस्तारित किया गया है, जिसमें बड़े समुद्री स्थान शामिल हैं, जिनकी निगरानी इन-सीटू और उपग्रह-आधारित अवलोकन के माध्यम से की गई है। भारत ने अंतर-सरकारी क्षेत्र में वैश्विक महासागर प्रेक्षण प्रणाली के हिंद महासागर घटक के कार्यान्वयन में नेतृत्व की भूमिका निभाई है।

हिंद महासागर में मूर्ड और ड्रिफ्टर्स दोनों प्रकार के प्रेक्षण नेटवर्कों के माध्यम से समुद्र विज्ञान आयोग को तैनात और अनुरक्षित किया गया है। ये प्रेक्षण नेटवर्क मछली पकड़ने के संभावित स्थान और प्राकृतिक तटीय जोखिम चेतावनी के लिए समुद्री पूर्वानुमान सेवाएं प्रदान करता है, जो पड़ोसी देशों के साथ-साथ कई देशों के हितधारकों के लिए चक्रवात और सुनामी से जुड़े तूफान की चेतावनी देता है। भारत और हिंद महासागर के देशों के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए आईएनसीओआईएस, हैदराबाद में सुनामी, तूफान की लहरों जैसी समुद्री आपदाओं के लिए एक अत्याधुनिक तत्काल चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई हैं, जिसे यूनेस्को द्वारा मान्यता दी गई है। भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और भारत के महाद्वीपीय शेल्फ में समुद्र के संसाधनों, महासागर से संबंधित चेतावनी सेवाओं, नेविगेशन आदि की पहचान के लिए राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए व्यापक सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है। समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और संरक्षण के उद्देश्य से ईईजेड और हिंद महासागर की गहराई वाले संसाधनों के मानचित्रण सहित समुद्री इको-सिस्टम में जीवित संसाधनों का मूल्यांकन शामिल है। मंत्रालय तटरेखा परिवर्तन और समुद्री इको-सिस्टम सहित भारत के तटवर्ती समुद्र के स्वास्थ्य की निगरानी भी कर रहा है।

ओ-स्मार्ट एक बहु-विषयक सतत योजना होने के कारण, मौजूदा व्यापक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्र की क्षमता निर्माण में वृद्धि होगी। वर्तमान दशक को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा सतत विकास के लिए समुद्र विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया गया है और इस योजना को जारी रखने से वैश्विक समुद्र विज्ञान अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास में हमारा निश्चय मजबूत होगा। इस योजना के जारी रहने से विशाल महासागरीय संसाधनों के सतत तरीके से प्रभावी और कुशल उपयोग के लिए नीली अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय नीति में महत्वपूर्ण योगदान होगा। तटीय अनुसंधान और समुद्री जैव विविधता संबंधी गतिविधियों के माध्यम से महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य-14 को प्राप्त करने के प्रयासों को शामिल किया जा रहा है। समुद्री पर्यावरण में काम कर रहे समुदायों और कई क्षेत्रों को लाभान्वित करने वाली समुद्री चेतावनी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है और विशेष रूप से भारत के तटीय राज्यों में इसे निरंतर जारी रखा जा रहा है।

अगले पांच वर्षों (2021-26) में समुद्री क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपयोग करके, विभिन्न तटीय हितधारकों के लिए पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाएं प्रदान करके, समुद्री जीवन के लिए संरक्षण रणनीति की दिशा में जैव विविधता को समझने तथा तटीय प्रक्रिया को समझने की दिशा में चल रही गतिविधियों को मजबूत करने के लिए यह योजना व्यापक कवरेज प्रदान करेगी।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम) को अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने शिक्षा मंत्रालय की राष्‍ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) के तहत वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक (31 मार्च 2026 तक) की अवधि के लिए अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाले प्रशिक्षुकों को 3,054 करोड़ रुपये की वृत्तिका सहायता देने के लिए अपनी मंजूरी दी है।

उद्योग और वाणिज्यिक संगठनों द्वारा लगभग 9 लाख प्रशिक्षुकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। एनएटीएस भारत सरकार की एक सुस्थापित योजना है, जिसने सफलतापूर्वक अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाले छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाने में योगदान दिया है।

इंजीनियरिंग, मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य में स्नातक और डिप्लोमा कार्यक्रम पूरा करने वाले प्रशिक्षुकों को क्रमशः 9,000/- रुपये और 8,000/- रुपये प्रति माह की वृत्तिका (स्टाइपेन्ड) दी जाएगी।

सरकार ने अगले पांच वर्षों के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के व्‍यय को मंजूरी दी है, जो पिछले पांच वर्षों के दौरान किए गए व्यय से लगभग 4.5 गुना अधि‍क है। अप्रेंटिसशिप में यह बढ़ा हुआ व्‍यय राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा अप्रेंटिसशिप को दिए गए महत्‍व के अनुरूप है।

‘‘सबका साथ, सबका विकास-सबका विश्वास, सबका प्रयास’’ के बारे में सरकार द्वारा दिए जा रहे जोर को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग स्ट्रीम के छात्रों के अलावा मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य के छात्रों को भी इस योजना में शामिल करने के लिए एनएटीएस के दायरे का और विस्तार किया गया है। इस योजना का उद्देश्य कौशल इको-सिस्‍टम को मजबूत करते हुए कौशल स्तर के मानकों में बढ़ोतरी करना है, जिसके परिणामस्वरूप यह योजना अगले पांच वर्षों में लगभग 7 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्‍ध कराएगी।

एनएटीएस उत्‍पादन से जुड़े प्रोत्‍साहन (पीएलआई) के तहत मोबाइल विनिर्माण, चिकित्सा उपकरण विनिर्माण, फार्मा क्षेत्र, इलेक्ट्रॉनिक्स/प्रौद्योगिकी उत्पाद, ऑटोमोबाइल क्षेत्र जैसे उभरते क्षेत्रों में अप्रेंटिसशिप उपलब्‍ध कराएगी। यह योजना ‘गतिशक्ति’ के तहत पहचान किए गए कनेक्टिविटी/लॉजिस्टिक उद्योग क्षेत्रों के लिए कुशल मानवशक्ति भी तैयार करेगी

CBSE की परीक्षा में पंजाबी भाषा के बारे में झूठ बोलकर फंसे चरणजीत सिंह चन्नी,अधिकारी ने स्पष्ट किया;क्षेत्रीय भाषाओं को 10वीं, 12वीं कक्षा की टर्म-1 परीक्षा में लघु विषय श्रेणी में रखा गया attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर । केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि 10वीं और 12वीं कक्षा की टर्म-1 परीक्षा के लघु विषयों की श्रेणी में सभी क्षेत्रीय विषयों को रखा गया है।

सीबीएसई की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने मुख्य विषयों से पंजाबी को बाहर रखने पर आपत्ति व्यक्त की है ।

चन्नी ने ट्वीट किया था, ‘‘मैं पंजाबी को मुख्य विषयों से बाहर रखने के सीबीएसई के तानाशाही निर्णय का विरोध करता हूं । यह संविधान की संघीय भावना के खिलाफ है और पंजाबी युवकों को अपनी मातृभाषा में सीखने के अधिकार का उल्लंघन है। मैं पंजाबी को पक्षपातपूर्ण ढंग से बाहर रखने की निंदा करता हूं । ’’

पंजाब के मुख्यमंत्री की आपत्ति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ यह सभी को पता है कि सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं कक्षा की टर्म-1 परीक्षा के तहत मुख्य विषयों की तिथियों की घोषणा की है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट किया जाता है कि विषयों का वर्गीकरण प्रशासनिक आधार पर किया गया है जिसका मकसद विषयों में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर टर्म-1 परीक्षा का आयोजन करना है और यह किसी भी रूप में मुख्य या लघु विषयों के महत्व से इसका कोई लेनाा-देना नहीं है।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘ अकादमिक दृष्टिकोण से सभी विषय समान रूप से महत्वपूर्ण है । पंजाबी क्षेत्रीय भाषा के तहत पेश की जाने वाली एक भाषा है। सभी क्षेत्रीय भाषाओं को लघु विषयों की श्रेणी के तहत प्रशासनिक सुविधा के उद्देश्य से रखा गया है जो परीक्षा आयोजित से जुड़ी व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिये है। ’’

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सोमवार को घोषणा की थी कि कक्षा 10वीं के लिए पहले टर्म की बोर्ड परीक्षा 30 नवंबर से शुरू होगी, जबकि 12वीं कक्षा की परीक्षा एक दिसंबर से शुरू होगी।

इसके बाद, सीबीएसई ने कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के पहले टर्म के लघु (माइनर) विषयों के लिए तारीखों (डेटशीट) की घोषणा की।

दसवीं कक्षा के लिए लघु विषयों की परीक्षा 17 नवंबर से सात दिसंबर के बीच होगी जबकि 12वीं कक्षा के लिए 16 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच परीक्षा होगी।

सीबीएसई ने घोषणा की थी कि कक्षा 10वीं के लिए पहले टर्म की बोर्ड परीक्षा 30 नवंबर से शुरू होगी, जबकि 12वीं कक्षा की परीक्षा एक दिसंबर से शुरू होगी।

शैक्षणिक सत्र को विभाजित करना, दो टर्म वाली परीक्षा आयोजित करना और पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाना 2021-22 के लिए दसवीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के लिए विशेष मूल्यांकन योजना का हिस्सा था, जिसे जुलाई में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर घोषित किया गया था।

PM नरेन्द्र मोदी ने बताया: एमएसपी पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद,धान किसानों के खातों में ₹ 1,70,000 करोड़ और गेहूं किसानों को ₹ 85,000 करोड़ सीधे भेजे गए attacknews.in

9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सीधे भेजी गयी

2047 में भारत की स्थिति को निर्धारित करने में हमारी कृषि और हमारे किसानों की बड़ी भूमिका रहेगी, जब देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा: प्रधानमंत्री

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद, 1,70,000 करोड़ रुपये धान किसानों के खातों में और लगभग 85,000 करोड़ रुपये गेहूं किसानों के खातों में सीधे भेजे गए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने देश के किसानों द्वारा उनके आग्रह को स्वीकार करने और पिछले 06 वर्षों में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम तेल (एनएमईओ-ओपी) के अंतर्गत देश ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया है, खाद्य तेल इकोसिस्टम में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा: प्रधानमंत्री

कृषि निर्यात के मामले में भारत पहली बार दुनिया के शीर्ष-10 देशों में शामिल हुआ है: प्रधानमंत्री

नईदिल्ली 9 अगस्त । देश की कृषि नीतियों में छोटे किसानों को अब सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है: प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने किसान लाभार्थियों से बातचीत भी की। 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि, 9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को अंतरित की गई। यह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की 9वीं किस्त थी।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बुआई के मौसम के बारे में चर्चा की और यह उम्मीद जताई कि आज प्राप्त हुई राशि से किसानों को मदद मिलेगी। उन्होंने आज एक लाख करोड़ रुपये की निधि वाली किसान इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना के एक साल पूरे होने का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने शहद मिशन (मिशन हनी-बी) और नेफेड की दुकानों में जम्मू-कश्मीर के केसर बनाए जाने जैसी पहलों के बारे में चर्चा की। शहद मिशन की वजह से 700 करोड़ रुपये के शहद का निर्यात हुआ है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है।

आगामी 75वें स्वतंत्रता दिवस का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यह गर्व का अवसर होने के साथ-साथ नए संकल्प लेने का भी एक अवसर है।

उन्होंने कहा कि हमें इस अवसर का उपयोग यह तय करने के लिए करना होगा कि हम आने वाले 25 वर्षों में भारत को कहां देखना चाहते हैं।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में, जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, भारत की स्थिति को निर्धारित करने में हमारी कृषि और हमारे किसानों की बड़ी भूमिका होगी। यह समय भारत की कृषि को नई चुनौतियों का सामना करने और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए दिशा देने का है।

उन्होंने बदलते समय की जरूरतों के अनुरूप भारतीय कृषि में बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्होंने महामारी के दौरान रिकॉर्ड उत्पादन के लिए किसानों की सराहना की और इस कठिन घड़ी में किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों को रेखांकित किया। सरकार ने बीजों, उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति और बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की। यूरिया इस पूरी अवधि में उपलब्ध रहा और जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतें कई गुना बढ़ गईं, तो सरकार ने तुरंत उसके लिए 12000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की ताकि किसानों को उसका बोझ महसूस न हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे खरीफ या रबी का सीजन रहा हो, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे करीब एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये सीधे चावल का उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में पहुंचे हैं और करीब 85,000 करोड़ रुपये सीधे गेहूं का उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में गए हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात की याद दिलाई कि जब कुछ साल पहले देश में दालों की कमी हुई थी, तो उन्होंने किसानों से दलहन का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पिछले 6 वर्षों में देश में दालों के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक दृढ़संकल्‍प के रूप में ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम यानी एनएमईओ-ओपी’पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज जब देश ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को स्‍मरण कर रहा है, इस ऐतिहासिक दिन पर यह दृढ़संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम’ मिशन के जरिए खाद्य तेल से जुड़ी समग्र व्‍यवस्‍था में 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को बेहतरीन बीजों से लेकर प्रौद्योगिकी तक सभी सुविधाएं मिलें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पहली बार भारत ने कृषि निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में स्‍वयं को शुमार किया है। कोरोना के संकट काल में देश ने कृषि निर्यात में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्‍होंने कहा कि आज जब एक बड़े कृषि निर्यातक देश के रूप में भारत की पहचान बन गई है, तो खाद्य तेल की हमारी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहना सही नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की कृषि नीतियों में अब छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ पिछले कुछ वर्षों से इन छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्‍यंत गंभीरतापूर्वक प्रयास किए जा रहे हैं। ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत अब तक किसानों को 1 लाख 60 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इनमें से 1 लाख करोड़ रुपये महामारी के संकट काल के दौरान छोटे किसानों को अंतरित किए गए हैं। कोरोना काल के दौरान 2 करोड़ से भी अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए, जिनमें से अधिकांश छोटे किसानों को दिए गए। ऐसे ही किसान देश में स्‍थापित की जा रही कृषि संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और कनेक्टिविटी संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से लाभान्वित होंगे। फूड पार्क, किसान रेल और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी पहलों से छोटे किसानों को काफी मदद मिलेगी। बीते साल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 6 हजार से भी ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कदम बाजार तक छोटे किसानों की पहुंच के साथ-साथ एफपीओ के माध्यम से सौदेबाजी करने की उनकी क्षमता को भी काफी बढ़ा देते हैं।

अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है।

इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है।

ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी अवसर है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की किस्त के संवितरण के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

नमस्कार जी,

पिछले कई दिनों से मैं सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से चर्चा कर रहा हूं। सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनका लाभ लोगों तक कैसे पहुंच रहा है, ये और बेहतर तरीके से हमें पता चलता है। जनता जनार्दन से डायरेक्ट कनेक्शन का यही लाभ होता है। इस कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी सहयोगी गण, देशभर के अनेक राज्यों से उपस्थित आदरणीय मुख्यमंत्री गण, लेफ्टिनेंट गवर्नर, और उप-मुख्यमंत्रि गण, राज्य सरकारों के मंत्री, अन्य महानुभाव, देशभर से जुड़े किसान और भाइयों और बहनों,

आज देश के लगभग 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 19 हज़ार 500 करोड़ रुपए से भी अधिक ये रकम सीधी उनके खाते में ट्रांसफर हो गई है। और मैं देख रहा हूं कई अपने मोबाइल में चेक कर रहे हैं आया है क्या? और फिर एक दूसरे को ताली दे रहे हैं। आज जब बारिश का मौसम है और बुआई भी ज़ोरों पर है, तो ये राशि छोटे किसानों के बहुत काम आएगी। आज 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को भी 1 साल पूरा हो गया है। इसके माध्यम से हज़ारों किसान संगठनों को मदद मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

सरकार किसानों को अतिरिक्त आय के साधन देने के लिए, नई-नई फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मिशन हनी बी ऐसा ही एक अभियान है। मिशन हनी बी के चलते बीते साल हमने लगभग 700 करोड़ रुपए के शहद का एक्सपोर्ट किया है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है। जम्मू-कश्मीर का केसर तो वैसे भी विश्व प्रसिद्ध है। अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू कश्मीर का केसर देशभर में ‘नाफेड’ की दुकानों पर उपलब्ध होगा। इससे जम्मू कश्मीर में केसर की खेती को बहुत प्रोत्साहन मिलने वाला है।

भाइयों और बहनों,

आप सभी से ये संवाद ऐसे समय में हो रहा है, जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है। इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी एक बहुत बड़ा अवसर है।

इस अवसर पर हमें ये तय करना है कि आने वाले 25 वर्षों में हम भारत को कहां देखना चाहते हैं। देश जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा 2047 में, तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे गांव, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का भरपूर लाभ उठा सके।

भाइयों और बहनों,

इस दौर में बहुत तेज़ी से हो रहे बदलावों के हम सभी साक्षी हैं। चाहे मौसम और प्रकृति से जुड़े बदलाव हों, खान-पान से जुड़े बदलाव हों या फिर महामारी के कारण पूरी दुनिया में हो रहे बदलाव हों। हमने बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना महामारी के दौरान इसको अनुभव भी किया है। इस कालखंड में, देश में ही खान-पान की आदतों को लेकर बहुत जागरूकता आई है। मोटे अनाज की, सब्जियों और फलों की, मसालों की, ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड अब तेज़ी से बढ़ रही है। इसलिए भारतीय कृषि को भी अब इसी बदलती आवश्यकताओं और बदलती मांग के हिसाब से बदलना ही है। और मुझे हमेशा से विश्वास है कि हमारे देश के किसान इन बदलावों को जरूर आत्मसात करेंगे।

साथियों,

इस महामारी के दौरान भी हमने भारत के किसानों का सामर्थ्य देखा है। रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरकार ने भी प्रयास किया है कि किसानों की परेशानी कम से कम हो। सरकार ने खेती और इससे जुड़े हर सेक्टर को बीज, खाद से लेकर अपनी उपज को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, उपाय किए। यूरिया की सप्लाई निर्बाध रखी। DAP,जिसके दाम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस कोरोना के चलते कई गुणा बढ़ गए, उसका बोझ भी हमारी सरकार ने किसानों पर पड़ने नहीं दिया। सरकार ने तुरंत इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया।

साथियों,

सरकार ने खरीफ हो या रबी सीज़न, किसानों से MSP पर अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे, धान किसानों के खाते में लगभग 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपए और गेहूं किसानों के खाते में लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए डायरेक्ट पहुंचे हैं। किसान और सरकार की इसी साझेदारी के कारण आज भारत के अन्न भंडार भरे हुए हैं। लेकिन साथियों, हमने देखा है कि सिर्फ गेहूं, चावल, चीनी में ही आत्मनिर्भरता काफी नहीं है, बल्कि दाल और तेल में भी आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। और भारत के किसान ये करके दिखा सकते हैं। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी, तो मैंने देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। मेरे उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया। परिणाम ये हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो काम हमने दलहन में किया, या अतीत में गेहूं-धान को लेकर किया, अब हमें वही संकल्प खाने के तेल के उत्पादन के लिए भी लेना है। ये खाद्य तेल में हमारा देश आत्मनिर्भर हो, इसके लिए हमें तेजी से काम करना है।

भाइयों और बहनों,

खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। आज देश भारत छोड़ो आंदोलन को याद कर रहा है, तो इस ऐतिहासिक दिन ये संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उत्तम बीज से लेकर टेक्नॉलॉजी, उसकी हर सुविधा मिले। इस मिशन के तहत ऑयल-पाम की खेती को प्रोत्साहन देने के साथ ही हमारी जो अन्य पारंपरिक तिलहन फसलें हैं, उनकी खेती को भी विस्तार दिया जाएगा।

साथियों,

आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आज जब भारत की पहचान एक बड़े कृषि निर्यातक देश की बन रही है, तब हम खाद्य तेल की अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहें, ये बिल्कुल उचित नहीं है। इसमें भी आयातित ऑयल-पाम, का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है। इस स्थिति को हमें बदलना है। खाने का तेल खरीदने के लिए हमें जो हज़ारों करोड़ रुपए विदेश में दूसरों को देना पड़ता है, वो देश के किसानों को ही मिलना चाहिए। भारत में पाम – ऑयल की खेती के लिए हर ज़रूरी संभावनाएं हैं। नॉर्थ ईस्ट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में, विशेष रूप से इसे बहुत बढ़ाया जा सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहां आसानी से पॉम की खेती हो सकती है। पाम-ऑयल का उत्पादन हो सकता है।

साथियों,

खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के इस मिशन के अऩेक लाभ हैं। इससे किसानों को तो सीधा लाभ होगा ही, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का तेल भी मिलेगा। यही नहीं, ये मिशन बड़े स्तर पर रोजगार का निर्माण करेगा, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बल देगा। विशेष रूप से Fresh Fruit Bunch Processing से जुड़े उद्योगों का विस्तार होगा। जिन राज्यों में पाम-ऑयल की खेती होगी, वहां ट्रांसपोर्ट से लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में युवाओं को अनेक रोज़गार मिलेंगे।

भाइयों और बहनों,

ऑयल-पाम की खेती का बहुत बड़ा लाभ देश के छोटे किसानों को मिलेगा। ऑयल-पाम का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बाकी तिलहन फसलों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है। यानि ऑयल-पाम मिशन से बहुत छोटे से हिस्से में ज्यादा फसल लेकर छोटे किसान बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

साथियों,

ये आप भली-भांति जानते हैं कि देश के 80 प्रतिशत से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर तक ही ज़मीन है। आने वाले 25 साल में देश की कृषि को समृद्ध करने में इन छोटे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है। इसलिए अब देश की कृषि नीतियों में इन छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ बीते सालों में छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा देने का एक गंभीर प्रयास किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं। इसमें लगभग 1 लाख करोड़ रुपए तो कोरोना के मुश्किल समय में ही छोटे किसानों तक पहुंचे हैं। यही नहीं, कोरोना काल में ही 2 करोड़ से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से अधिकतर छोटे किसान हैं। इनके माध्यम से किसानों ने हजारों करोड़ रुपए का ऋण भी लिया है। कल्पना कीजिए, अगर ये मदद छोटे किसानों को ना मिलती तो, 100 वर्ष की इस सबसे बड़ी आपदा में उनकी क्या स्थिति होती? उन्हें छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए कहां-कहां नहीं भटकना पड़ता?

भाइयों और बहनों,

आज जो कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, जो कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है या फिर जो बड़े-बड़े फूड पार्क लग रहे हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों को ही हो रहा है। आज देश में विशेष किसान रेल चल रही हैं। इन ट्रेनों से हजारों किसानों ने अपना उत्पादन कम कीमत में ट्रांसपोर्ट का खर्चा बहुत कम देश की बड़ी-बड़ी मंडियों तक पहुंचाकर अधिक कीमत से माल बेचा है। इसी प्रकार, जो विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड है, इसके तहत भी छोटे किसानों के लिए आधुनिक भंडारण की सुविधाएं तैयार हो रही हैं। बीते साल में साढ़े 6 हज़ार से अधिक प्रोजेक्ट स्वीकृत हो चुके हैं। ये प्रोजेक्ट्स जिनको मिले हैं, उनमें किसान भी हैं, किसानों की सोसायटी और किसान उत्पादक संघ भी हैं, सेल्फ हेल्प ग्रुप भी हैं और स्टार्ट अप्स भी हैं। हाल में एक और बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने तय किया है कि जो राज्यों में हमारी सरकारी मंडियां हैं, उनको भी इस फंड से मदद मिल सके। इस फंड का उपयोग करके हमारी सरकारी मंडियां बेहतर होंगी, ज्यादा मजबूत होंगी, आधुनिक होंगी।

भाइयों और बहनों,

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड हो या फिर 10 हज़ार किसान उत्पादक संघों का निर्माण, कोशिश यही है कि छोटे किसानों की ताकत को बढ़ाया जाए। छोटे किसानों की बाज़ार तक पहुंच भी अधिक हो और बाजार में मोलभाव करने की उनकी क्षमता में भी वृद्धि हो। जब FPOs के माध्यम से, सहकारी तंत्र से, सैकड़ों छोटे किसान एकजुट होंगे, तो उनकी ताकत सैकड़ों गुना बढ़ जायेगी। इससे फूड प्रोसेसिंग हो या फिर निर्यात, इसमें किसानों की दूसरों पर निर्भरता कम होगी। वो स्वयं भी सीधे विदेशी बाज़ार में अपना उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंधनों से मुक्त होकर ही देश के किसान और तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। इसी भावना के साथ हमें आने वाले 25 साल के एक संकल्पों को सिद्ध करना है। तिलहन में आत्मनिर्भरता के मिशन में हमें अभी से जुट जाना है। एक बार फिर पीएम किसान सम्मान निधि के सभी लाभार्थियों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

राष्ट्रगान गाएं, अपना वीडियो रिकॉर्ड करें और उसे ‘राष्ट्रगानडॉटइन’(RASHTRAGAAN.IN) पर अपलोड करें:राष्ट्रगान का संकलन 15 अगस्त को लाइव दिखाया जाएगा attacknews.in

मुख्य बिंदु:

– WWW.RASHTRAGAAN.IN पर क्लिक करें, अपना वीडियो अपलोड करें और आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) का हिस्सा बनें।

– राष्ट्रगान का संकलन 15 अगस्त 2021 को लाइव दिखाया जाएगा।

– आजादी का अमृत महोत्सव भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में और उसका जश्न मनाने के लिए की गयी एक विशिष्ट पहल है।

नईदिल्ली 3 अगस्त ।आजादी का अमृत महोत्सव भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस महोत्सव के तहत जन भागीदारी बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए राष्ट्रगान से जुड़ी ऐसी ही एक अनूठी पहल शुरू की गई है ताकि सभी भारतीयों में गर्व और एकता की भावना भरी जाए। इसमें लोगों को राष्ट्रगान गाने और वेबसाइट www.RASHTRAGAAN.IN पर वीडियो अपलोड करने के लिए आमंत्रित किया गया है। राष्ट्रगान का संकलन 15 अगस्त, 2021 को लाइव दिखाया जाएगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गत 25 जुलाई को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में इस पहल की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, “संस्कृति मंत्रालय की ओर से यह प्रयास है कि अधिक से अधिक संख्या में भारतीय एक साथ राष्ट्रगान गाएं। इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है- राष्ट्रगानडॉटइन (Rashtragan.in)। इस वेबसाइट की मदद से आप राष्ट्रगान को प्रस्तुत कर सकते हैं और इसे रिकॉर्ड कर सकते हैं, और इस तरह इस अभियान से जुड़ सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस नई पहल से खुद को जोड़ेंगे।”

केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए लोगों से राष्ट्रगान गाने और रिकॉर्ड करने का आह्वान करते हुए, आज खुद का, राष्ट्रगान गाते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड किया।

उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, “जैसा कि हम भारत की आजादी के 75 साल पूरे कर रहे हैं, आइए एक साथ मिलकर राष्ट्रगान गाएं और इसका जश्न मनाएं! मैंने अपना वीडियो रिकॉर्ड और अपलोड कर दिया है। क्या आपने ऐसा किया है?

मैं सभी नागरिकों से अपना वीडियो रिकॉर्ड करने
पर अपलोड करके अपना योगदान देने का आह्वान करता हूं। #अमृतमहोत्सव

मंत्री ने आशा व्यक्त की कि दुनिया भर में बसे भारतीय इस आयोजन में भाग ले सकेंगे और उन्होंने युवाओं से अधिक से अधिक भागीदारी करने का भी आह्वान किया। राष्ट्रगान के अपलोड किए गए वीडियो का संकलन 15 अगस्त, 2021 को लाइव दिखाया जाएगा।

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साथ ही मंत्री ने आज स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की 125वीं जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने कहा, “एक शिक्षाविद्, एक महान स्वतंत्रता सेनानी और लाखों भारतीयों के दिलों में गर्व और देशभक्ति का भाव जगाने वाले भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर श्री पिंगाली वैंकेया गारू को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि।”

वर्ष 1916 में, पिंगली वेंकय्या ने विभिन्न देशों के झंडों का वर्णन करते हुए “अ नेशनल फ्लैग फोर इंडिया” (भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज) नामकी एक किताब प्रकाशित की थी और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अपने विचार भी दिए थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि आजादी का अमृत महोत्सव के माध्यम से हमारी आजादी का 75वां वर्ष एक जन आंदोलन बने। संस्कृति मंत्रालय इस तरह के कार्यक्रमों की पहचान के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ काम कर रहा है और इसे इस अवसर के लिहाज से उपयुक्त उत्सव बनाने के लिए जमीनी स्तर पर समुदायों के साथ काम कर रहा है।

आजादी का अमृत महोत्सव इस साल 12 मार्च को महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम से 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक 75 सप्ताह की उलटी गिनती के साथ शुरू किया गया था। तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुच्चेरी और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक पूरे देश में अमृत महोत्सव से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के यहां लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर,विद्युत वितरण के लिए सभी डिस्कॉम्स/विद्युत विभागों की स्थिति सुधारने “पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना” को मंजूरी दी attacknews.in

नईदिल्ली 4 जुलाई । केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने एक सुधार-आधारित और परिणाम-से जुड़ी, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को स्वीकृति दे दी है।

इस योजना का उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र के डिस्कॉम्स के अलावा सभी डिस्कॉम्स/विद्युतविभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।

यह सहायता पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ वित्तीय सुधारों से जुड़े निर्धारित मूल्यांकन ढांचे के आधार पर मूल्यांकित किए गए डिस्कॉम द्वारा बुनियादी स्तर पर न्यूनतम मानकों की उपलब्धि हासिल करने पर आधारित होगी।

योजना का कार्यान्वयन “सभी के लिए अनुकूल एक व्यवस्था” दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा।

इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये होगा, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 97,631 करोड़ रुपये का अनुमानित जीबीएस होगा।

यह प्रस्तावित है कि जम्मू और कश्मीर (जेएंडके) और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पीएमडीपी-2015 के साथ आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई की योजनाओं के तहत वर्तमान में जारी स्वीकृत परियोजनाओं को इस योजना में शामिल किया जाएगा, और उनकी जीबीएस की बचत (लगभग 17,000 करोड़ रुपये) मौजूदा नियमों और शर्तों के तहत 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने तक पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना के कुल परिव्यय का हिस्सा होंगी।

इन योजनाओं के तहत धनराशि को आईपीडीएस के तहत और पहचान की गई परियोजनाओं के लिए और 31 मार्च, 2023 तक आईपीडीएस और डीडीयूजीजेवाई के तहत केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हेतु प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत चल रही स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का उद्देश्य पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम उपलब्धि हासिल करने के आधार पर आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को परिणाम से जुड़ी वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार लाना है। यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी।

योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए आरईसी और पीएफसी को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है।

योजना के उद्देश्य

2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर एटी एंड सी हानियों को 12-15% तक कम करना।

2024-25 तक एसीएस-एआरआर अंतराल को घटाकर शून्य करना।

आधुनिक डिस्कॉम्स के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।

वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।

विवरण

यह योजना एटी एंड सी हानियों, एसीएस-एआरआर अंतरालों, बुनियादी ढांचे के उन्नयन संबंधित प्रदर्शन, उपभोक्ता सेवाओं, आपूर्ति के घंटे, कॉर्पोरेट प्रशासन, आदि सहित पूर्व-निर्धारित और तय प्रदर्शन के संकेतों के मामले मेंडिस्कॉम के प्रदर्शन का वार्षिक मूल्यांकन प्रदान करती है।

डिस्कॉम को न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों का स्कोर करना होगा और उस वर्ष में योजना के तहत वित्त पोषण के लिए पात्र होने के लिए कुछ मापदंडों के संबंध में न्यूनतम व्यवस्थाओं को पूरा करना होगा।

इस योजना में किसानों के लिए बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने और कृषि फीडरों के सौरकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

इस योजना के तहत, लगभग 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के माध्यम से 10,000 कृषि फीडरों को अलग करने का कार्य किया जाएगा, यह उन किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित होंगे, जो इन समर्पित कृषि फीडरों तक पहुंच प्राप्त करते हुए इनके माध्यम से विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त कर सकेंगे।

यह योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के साथ कार्य करती है, जिसका उद्देश्य सभी फीडरों को सौर ऊर्जायुक्तबनाना और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है।

इस योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मोड को लागू करने के लिए उपभोक्ता सशक्तिकरण को सक्षम बनाना है।इससे स्मार्ट मीटर उपभोक्ता मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी कर सकेंगे, जो उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार और उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है।

इस योजना अवधि के दौरान 25 करोड़ स्मार्ट मीटर स्थापित करने की योजना के पहले चरण में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को मिशन मोड में स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी जिसके तहत (i) 15% एटी एंड सी हानियों के साथ 500 अमृत शहरों के सभी विद्युत खंड (ii) सभी केंद्र शासित प्रदेश (iii) एमएसएमई और अन्य सभी औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता (iv) ब्लॉक स्तर और उससे ऊपर के सभी सरकारी कार्यालय (v) उच्च नुकसान वाले अन्य क्षेत्र। इसके पहले चरण में दिसंबर, 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव है।

प्रीपेड स्मार्ट मीटर की स्थापना की प्रगति की करीबी निगरानी की जाएगी, विशेष रूप से सरकारी कार्यालयों में, ताकि समयबद्ध तरीके से उन्हें लगाने की व्यवस्था को सक्षम बनाया जा सके।

कृषि कनेक्शनों की अलग-अलग स्थिति और बस्तियों से उनकी दूरी को देखते हुए, कृषि कनेक्शनों को केवल फीडर मीटर के माध्यम से कवर किया जाएगा।

उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के समयबद्ध कार्यान्वयन के साथ-साथ पीपीपी मोड में संचार सुविधा के साथ फीडर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (डीटी) स्तर पर सिस्टम मीटरिंग करने का भी प्रस्ताव है।

सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित आईटी/ओटी उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाया जाएगा ताकि हर महीने सिस्टम द्वारा तैयार खाता रिपोर्ट तैयार की जा सके और इसके माध्यम से डिस्कॉम को नुकसान में कमी, मांग का पूर्वानुमान, दिन का समय (टीओडी), टैरिफ, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) एकीकरण और अन्य संभावित विश्लेषण पर निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके। यह डिस्कॉम्स की परिचालन दक्षता और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा योगदान देगा।

योजना के तहत निधि का उपयोग वितरण क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से संबंधित अनुप्रयोगों के विकास के लिए भी किया जाएगा। इससे देश भर में वितरण क्षेत्र में स्टार्टअप्स के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख घटकः

i) उपभोक्ता मीटर और सिस्टम मीटर

ए.कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर।

बी.25 करोड़ उपभोक्ताओं को प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के दायरे में लाया जाएगा।

सी.प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए शहरी क्षेत्रों, केंद्र शासित प्रदेशों, अमृत शहरों और उच्च हानि वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए यानि 2023 तक ~10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएगें, शेष को अन्य चरणों में लगाया जाएगा।

डी.ऊर्जा परिकलन को सक्षम करने के लिए सभी फीडरों और वितरण ट्रांसफार्मरों के लिए सूचनीय एएमआई मीटर प्रस्तावित, जिससे डिस्कॉम द्वारा नुकसान में कमी के लिए बेहतर योजना बनाई जा सके।

ई.प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने से डिस्कॉम को उनकी परिचालन क्षमता में सुधार करने में मदद मिलेगी और उपभोक्ता को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए डिस्कॉम की व्यवस्था को मजबूती प्रदान होगी।

ii) फीडर का वर्गीकरण

ए.यह योजना असंबद्ध फीडरों के लिए फीडर वर्गीकरणहेतु वित्त पोषण पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जो कुसुम के तहत सौरकरण को सक्षम बनाएगा।

बी.फीडरों के सौरकरण से सिंचाई के लिए दिन में सस्ती/निःशुल्क बिजली मिलेगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।

iii)शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण

ए.सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए)

बी.100 शहरी केंद्रों में डीएमएस

iv)ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण

विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए प्रावधान:

पूर्वोत्तर राज्यों केसिक्किम और जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा।

प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए, 900 रुपये का अनुदान या पूरी परियोजना के लिए प्रति उपभोक्ता मीटर की लागत का 15%, जो भी कम हो, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के लिए उपलब्ध होगा। “विशेष श्रेणी” राज्यों के लिए, संबंधित अनुदान रु 1,350 या प्रति उपभोक्ता लागत का 22.5%, जो भी कम हो, होगा।

इसके अलावा, डिस्कॉम्स यदि दिसंबर, 2023 तक लक्षित संख्या में स्मार्ट मीटर स्थापित करते हैं तो उपरोक्त अनुदान के 50% के अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन का भी लाभ उठा सकते हैं।

स्मार्ट मीटरिंग के अलावा अन्य कार्यों के लिए, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के डिस्कॉम्स को दी जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत का 60% होगी, जबकि विशेष श्रेणी के राज्यों में डिस्कॉम्सके लिए, अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत राशि का 90% होगी।

भारत में कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) और आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के विस्तार को स्वीकृति attacknews.in

नईदिल्ली 4 जुलाई । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 की दूसरी लहर से विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में आई बाधाओं को देखते हुए स्वास्थ्य/चिकित्सा अवसंरचना से संबंधित परियोजनाओं के विस्तार (ब्राउनफील्ड) और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को वित्तीय गारंटी कवर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 50,000 करोड़ के वित्तपोषण में सक्षम बनाने के लिए कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) को स्वीकृति दे दी है।

मंत्रिमंडल ने बेहतर स्वास्थ्य से संबद्ध अन्य क्षेत्रों/ऋणदाताओं के लिए एक योजना शुरू करने को भी स्वीकृति दे दी है।बदलते हालात के आधार पर विस्तृत तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 1,50,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्तपोषण को भी स्वीकृति दे दी है।

लक्ष्य :

एलजीएससीएएस : यह योजना 31 मार्च 2022 तक स्वीकृत सभी पात्र कर्जों या 50,000 करोड़ रुपये तक स्वीकृत धनराशि तक, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।

ईसीएलजीएस : यह लगातार जारी रहने वाली योजना है। योजना 30 सितम्बर 2021 तक गारंटेड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) के तहत या जीईसीएल के तहत चार लाख 50 हजार करोड़ रुपये की धनराशि तक स्वीकृत कर्जों, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।

प्रभाव :

एलजीएससीएएस: कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर पर्याप्त स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी देखने को मिली। ऐसे असाधारण हालात से निपटने के लिए विशेष प्रतिक्रिया के रूप में एलजीएससीएएस तैयार की गई है। स्वीकृत योजना से रोजगार के ज्यादा अवसरों के सृजन के साथ ही स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। एलजीएससीएएस का मुख्य उद्देश्य आंशिक रूप से कर्ज जोखिम (मुख्य रूप से निर्माण जोखिम) खत्म करना है और सस्ती ब्याज दरों पर बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है।

ईसीएलजीएस: यह निरंतर चलने वाली योजना है और हाल में, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आए व्यवधान को देखते हुए, सरकार ने ईसीएलजीएस के दायरे को बढ़ा दिया है। इस विस्तार से ऋणदाता संस्थानों को कम लागत पर 1.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन के द्वारा अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों को बहुप्रतीक्षित राहत मिलने का अनुमान है, जिससे व्यावसायिक उपक्रमों के लिए अपनी परिचालन जिम्मेदारियां पूरी करना और अपने कारोबार को जारी रखना संभव होगा। मौजूदा अप्रत्याशित हालात में कामकाज जारी रखने के लिए एमएसएमई को समर्थन देने के अलावा, इस योजना से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने और उसके पुनर्जीवन में मदद मिलने का अनुमान है।

पृष्ठभूमि :

एलजीएससीएएस: सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते पैदा संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के चलते यह संकट और बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही कई क्षेत्रों में आजीविकाओं और व्यावसायिक उपक्रमों पर दबाव खासा बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश की जरूरत काफी बढ़ गई है। यह मेट्रो शहरों से लेकर श्रेणी-4 और 5 शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों तक पूरे देश में आवश्यक है। इन आवश्यकताओं में अतिरिक्त अस्पताल बिस्तर, आईसीयू, डायग्नोस्टिक सेंटर, ऑक्सीजन सुविधाएं, टेलीफोन या इंटरनेट आधारित स्वास्थ्य परामर्श और पर्यवेक्षण, जांच सुविधाएं और आपूर्ति, वैक्सीनों के लिए कोल्ड चेन सुविधाएं, दवाइयों और वैक्सीनों के लिए आधुनिक वेयरहाउस, मरीजों के लिए आइसोलेशन सुविधाएं, सीरिंज और इंजेक्शन आदि जैसी सहायक आपूर्तियों के उत्पादन में बढ़ोतरी आदि शामिल है। प्रस्तावित एलजीएससीएएस का उद्देश्य देश में विशेष रूप से वंचित इलाकों को लक्षित करके चिकित्सा अवसंरचना में विस्तार करना है। एलजीएससीएएस 8 मेट्रोपोलिटन टियर 1 शहरों (श्रेणी एक्स शहरों) को छोड़कर शहरी या ग्रामीण इलाकों में स्थापित ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को 50 प्रतिशत और नई यानी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को 100 करोड़ रुपये तक के स्वीकृत कर्ज के लिए 75 प्रतिशत तक गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। आकांक्षी जिलों के लिए, दोनों ब्राउनफील्ड विस्तार और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा।

ईसीएलजीएस: हाल में भारत में कोविड-19 महामारी की फिर से मार और स्थानीय/क्षेत्रीय स्तर पर अपनाए गए रोकथाम के उपायों से नई अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं तथा शुरुआती स्तर पर आर्थिक पुनरुद्धार प्रभावित हुआ है। इस माहौल में व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले और एमएसएमई कर्ज लेने वालों की सबसे संवेदनशील श्रेणी है, जिनके लिए भारत सरकार ने लक्षित नीतिगत प्रतिक्रिया के रूप में ईसीएलजीएस की पेशकश की है। ईसीजीएलएस के डिजाइन से उभरती जरूरतों पर तुरंत प्रतिक्रिया के लिए लचीलापन मिलता है, जो ईसीएलजीएस 2.0, 3.0 और 4.0 की पेशकश के साथ ही 30 मई 2021 को घोषित बदलावों में नजर आया है। ये सभी 3 लाख करोड़ रुपये की सीमा के भीतर उपलब्ध थे। वर्तमान में, ईसीएलजीएस के तहत लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज स्वीकृत किए जा चुके हैं। हाल में घोषित बदलावों, आरबीआई द्वारा 04 जून 2021 को 50 करोड़ रुपये की एकमुश्त रिस्ट्रक्चरिंग की सीमा के विस्तार और कोविड के उपक्रमों पर जारी नकारात्मक प्रभाव के चलते इसमें फिर से तेजी आने का अनुमान है।

भारत के न्याय विभाग ने “एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट पोर्टल” लॉन्च किया;वाणिज्यिक अदालतों में व्यापारिक मुकदमों और सीधे संदर्भ के लिये कानूनों की पूरी जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध attacknews.in

पोर्टल का लक्ष्य देश में व्यापार सुगमता को प्रोत्साहित करना और ‘अनुबंध प्रवर्तन कानून’ में सुधार

“अनुबंध प्रवर्तन” के पैमाने के मद्देनजर विधायी और नीतिगत सुधारों के सम्बंध में सूचना का समग्र स्रोत बनेगा पोर्टल

नईदिल्ली 29 जून । सचिव (न्याय) श्री बरुन मित्रा ने दिल्ली स्थित न्याय विभाग में अन्य आला अधिकारियों की उपस्थिति में एक विशिष्ट “एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट्स पोर्टल” का उद्घाटन किया।

विश्व बैंक समूह की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट दुनिया की 191 अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार को कानूनी तौर पर नियमित करने का मानदंड है। इसके तहत व्यापार सुगमता सूचकांक एक ऐसी रैंकिंग प्रणाली है, जिसके द्वारा किसी अर्थव्यवस्था के बारे में यह संकेत मिल जाता है कि व्यापार नियमन के 11 क्षेत्रों में वह अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में क्या हैसियत रखती है।

“अनुबंध प्रवर्तन” संकेतक एक ऐसा अहम

क्षेत्र है, जो मानक व्यापार विवादों के निपटारे में लगने वाले खर्च और समय के बारे में बताता है।

इसके अलावा न्यायपालिका में उत्कृष्ट व्यवहारों के बारे में जानकारी देता है। मौजूदा समय में, सिर्फ दिल्ली और मुम्बई शहर को ही विश्व बैंक के व्यापार सुगमता सर्वेक्षण में शामिल किया गया है। कोलकाता और बेंगलूरू को भविष्य में डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में शामिल करने की संभावना है।

विधि और न्याय मंत्रालय का न्याय विभाग, नोडल विभाग होने के नाते भारत में व्यापार सुगमता के हवाले से “अनुबंध प्रवर्तन” को मजबूत बनाने के लिये विधायी और नीतिगत सुधारों की निगरानी करता है। इसका अर्थ यह है कि जिन पक्षों में किसी व्यापार का अनुबंध किया जाये, तो उसके सिलसिले में दोनों पक्ष अपना वायदा पूरा करें। इसमें उच्चतम न्यायालय और दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों की ई-समिति का सहयोग है। इन सबके साथ करीबी सहयोग की बदौलत न्याय विभाग विभिन्न सुधार उपायों का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है, ताकि कारगर, कुशल, पारदर्शी और मजबूत “अनुबंध प्रवर्तन कानून” बनाया जा सके।

पोर्टल में “अनुबंध प्रवर्तन” पैमानों के बारे में विधायी और नीतिगत सुधारों की समग्र सूचना उपलब्ध होगी। इसमें दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु और कोलकाता के समर्पित वाणिज्यिक अदालतों में चलने वाले और निपटाये जाने वाले मुकदमों की ताजा जानकारी रहेगी। इनसमर्पित वाणिज्यिक अदालतों को व्यापार विवादों के जल्द निपटारे के लिये स्थापित किया गया है।

वाणिज्यिक अदालत और सम्बंधित सेवाओं की सूचना को सुगम बनाने के लिये पोर्टल में कई फीचर शामिल किये गये हैं। इन फीचरों में दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु और कोलकाता में समर्पित वाणिज्यिक अदालतों के विवरण/लिंक; ई-फाइलिंग, अधिवक्ता पंजीकरण सम्बंधी जानकारी वाले वीडियो;न्यायाधिकारियों के लिये जस्टिस एप्प, वकीलों के लिये ई-कोर्ट एप्प जैसे इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट टूल्स की जानकारी शामिल है, जिन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति ने विकसित किया है; तथा सीधे संदर्भ के लिये वाणिज्यिक कानून की जानकारी को भी पोर्टल में रखा गया है।

नये पोर्टल में वाणिज्यिक अदालतों से जुड़े मध्यस्थता और पंचाट केंद्रों के बारे में सभी उच्च न्यायालयों द्वारा ऑनलाइन रिपोर्ट भी दी जायेगी, ताकि व्यापार मुकदमों के सिलसिले में संस्थागत-पूर्व मध्यस्थता और समझौते (पीआईएमएस) को प्रोत्साहन दिया जा सके और उसकी निगरानी हो सके। पीआईएमएस को इस उद्देश्य से स्थापित किया गया है, ताकि लंबित मुकदमों की संख्या कम हो और मध्यस्थता को बढ़ावा मिले, क्योंकि मध्यस्थता व्यापापर विवाद को निपटाने का एक कारगर विकल्प है।

आत्‍मनिर्भर भारत अभियान योजनांतर्गत पीएमएफएमई के एक वर्ष पूर्ण होने पर 35 राज्‍यों के लिए 707 जिलों को एक जिला एक उत्‍पाद अनुमोदित किया गया,17 राज्यों में 54 सामान्य इन्क्यूबेशन केंद्रों को मंजूरी दी गई attacknews.in

नईदिल्ली 29 जून ।खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग के असंगठित खंड में मौजूदा व्‍यक्तिगत सूक्ष्‍म उद्यमों की प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता बढ़ाने और इस क्षेत्र के औपचारिकता को प्रोत्‍साहन देने के लिए आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत शुरू की गई केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्योग उन्‍नयन योजना अपने एक वर्ष के पूरा होने का प्रतीक है।

दिनांक 29 जून, 2020 को शुरू की गई पीएमएफएमई योजना, 35 राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही है ।

पीएमएफएमई योजना के आवेदन के लिए ऑनलाईन पोर्टल दिनांक 25 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया था । पोर्टल पर 9000 से अधिक व्यक्तिगत लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 3500 से अधिक आवेदन योजना के तहत सफलतापूर्वक जमा किए गए हैं।

पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत हासिल की गई उपलब्धि

क. एक जिला एक उत्‍पाद

पीएमएफएमई योजना के एक जिला एक उत्‍पाद (ओडीओपी) घटक के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय ने राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा प्राप्‍त सिफारिशों के अनुसार 137 यूनिक उत्‍पादों सहित 35 राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों के लिए 707 जिलों हेतु ओडीओपी को अनुमोदित किया है ।

भारत का जीआईएस ओडीओपी डिजिटल मैप सभी राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों के ओडीओपी उत्‍पादों का विवरण प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है । डिजिटल मानचित्र में जनजातीय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आकांक्षी जिलों के लिए संकेतक भी हैं । यह हितधारकों को इसके मूल्‍य श्रृंखला विकास के लिए ठोस प्रयास करने में सक्षम बनाएगा ।

ख. अभिसरण (Convergence)

पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय, जनजातीय मामले मंत्रालय और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के साथ तीन संयुक्‍त पत्रों पर हस्‍ताक्षर किए ।

खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (ट्राईफैड), भारतीय राष्‍ट्रीय कृषि-सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड), राष्‍ट्रीय अनुसूचित जाति वित्‍त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी), और ग्रामीण स्‍व-रोजगार प्रशिक्षण संस्‍थान (आरएसईटीओ) के साथ छह एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्‍ताक्षर किए ।

योजना के नोडल बैंक के रूप में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 11 बैंकों के साथ पीएमएफएमई योजना के लिए आधिकारिक ऋण देने वाले भागीदारों के रूप में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

ग. क्षमता निर्माण और उद्भवन केंद्र (Capacity building & Incubation Centres)

पीएमएफएमई योजना के क्षमता निर्माण घटक के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (NIFTEM) और भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (IIFPT) राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों के साथ पार्टनर्शिप में चयनित उद्यमों/क्‍लस्टरों/समूहों को प्रशिक्षण और अनुसंधान सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) और विभिन्न खाद्य उत्पादों के तहत 371 मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

निफ्टेम और आईआईएफपीटी ने 137 ओडीओपी पर प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए हैं जिनमें 175 प्रजेंटेशन, 157 वीडियो, 166 डीपीआर और 177 पाठ्यक्रम सामग्री/हैंडबुक शामिल हैं। 18 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 469 जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया और अन्य राज्यों में प्रगति पर है। 302 जिलों में 491 जिला रिसोर्स पर्सन की नियुक्ति की गई है।

योजना के तहत, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, केरल, सिक्किम, अंडमान और निकोबार, आंध्र प्रदेश, , मेघालय, मिजोरम, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे 17 राज्यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में 54 कॉमन इन्क्यूबेशन केंद्रों को मंजूरी दी गई है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने आईआईएफपीटी के सहयोग से कॉमन इनक्यूबेशन सेंटर के प्रस्तावों को प्रस्तुत करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल और देश भर में इनक्यूबेशन केंद्रों के विवरण की सुविधा के लिए एक ऑनलाइन कॉमन इनक्यूबेशन सेंटर मैप विकसित किया है।

घ. प्रारम्भिक पूंजी (Seed Capital)

स्वयं सहायता समूहों को प्रारम्भिक पूंजी उपलब्ध कराने के लिए पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत घटक को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और राज्य स्तर पर संचालित राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के नेटवर्क के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है । पीएमएफएमई योजना में कार्यशील पूंजी के लिए 40,000 रुपये की वित्तीय सहायता और खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में लगे स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य के लिए छोटे उपकरणों की खरीद की परिकल्पना की गई है। अब तक एनआरएलएम ने 123.54 करोड़ रुपये की राशि के लिए राज्य नोडल एजेंसियों (एसएनए) को 43,086 एसएचजी सदस्यों की सिफारिश की है। एसएनए ने 8040 सदस्यों की प्रारम्भिक पूंजी को मंजूरी दी है और एसआरएलएम को 25.25 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है।

ड. विपणन और ब्रांडिंग

योजना के तहत, प्रत्येक 10 उत्पादों के लिए विपणन और ब्रांडिंग समर्थन लेने के लिए नेफेड और ट्राइफेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। नेफेड ने ब्रांडिंग और मार्केटिंग समर्थन के लिए अनानास, बाजरा आधारित उत्पाद, धनिया, मखाना, शहद, रागी, बेकरी, इसबगोल, हल्दी और चेरी जैसे उत्पादों का चयन किया है। ट्राइफेड ने योजना के तहत शहद, इमली, मसाले, आंवला, दालें/अनाज/बाजरा, कस्टर्ड सेब, जंगली मशरूम, काजू, काला चावल और जंगली सेब जैसे उत्पादों का चयन किया है।

च. संस्थागत तंत्र (Institutional Mechanism)

सभी 35 प्रतिभागी राज्यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों ने अपनी-अपनी राज्य नोडल एजेंसियों, राज्य स्तरीय अनुमोदन समितियों, जिला स्तरीय समितियों और राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों का गठन/चिन्हित किया है। इसके अलावा, निफ्टेम में एक कॉल सेंटर की स्थापना की गई है ताकि प्रश्नों का समाधान किया जा सके और योजना के हितधारकों का मार्गदर्शन किया जा सके।

छ. पीएमएफएमई योजना का प्रचार और प्रसार

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय राज्यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों और कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से रेडियो, प्रिंट मीडिया, ऑफलाइन कार्यशालाओं, वेबिनार, क्षेत्रीय भाषा ब्रोशर/बुकलेट्स, आउटडोर पब्लिसिटी और वेबसाइट, एप्स और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से डिजिटल मीडिया के द्वारा हितधारकों को जागरूक करने के लिए पीएमएफएमई योजना का राष्ट्रव्यापी संवर्धन और प्रचार कर रहा है । पीएमएफएमई योजना मासिक ई-न्यूजलेटर 5 लाख से अधिक हितधारकों को भेजा जा रहा है। एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और स्टार्टअप्स के साथ बातचीत करने के लिए पीएमएफएमई पॉडकास्ट सीरीज शुरू की गई है ।

आजादी का अमृत महोत्सव पहल के अंतर्गत भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, निफ्टेम और आईआईएफपीटी के सहयोग से देश भर में 75 एक जिला एक उत्पाद (ओडीपी) वेबिनार/ऑफलाइन कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की 75 कहानियों को लाने के लिए “कहानी सूक्ष्‍म उद्यमों की” शीर्षक से सफलता की कहानियों की एक साप्ताहिक श्रृंखला शुरू की गई है।

पीएमएफएमई योजना के बारे में

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत शुरू की गई, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित खंड में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना, क्षेत्र के औपचारिकता को बढ़ावा देना और किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और उत्पादकों को उनकी पूरी मूल्य श्रृंखला के साथ सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है। वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ इस योजना में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे सहायता देने की परिकल्पना की गई है।