मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में अस्पताल प्रबंधन के कार्य से चिकित्सकों को हटाने के निर्देश दिए,अस्पतालों के प्रबंधन के लिए प्रबंधन के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाए attacknews.in

कोरोना की तीसरी लहर के लिए सभी तैयारियां सर्वश्रेष्ठ रखने के निर्देश

बिस्तरों, दवाओं, ऑक्सीजन, सीटी स्केन, आईसीयू, पीआईसीयू,चिकित्सकों, स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था हो

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ‘अस्पताल प्रबंधन तथा संसाधन की उपलब्धता’ संबंधी मंत्री समूह की बैठक ली

उज्जैन 03 जुलाई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए सभी तैयारियां सर्वश्रेष्ठ हों। सभी जिलों में बिस्तरों, दवाओं, ऑक्सीजन, सीटी स्केन, आईसीयू, पीआईसीयू, चिकित्सकों, स्टाफ आदि की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में यदि तीसरी लहर आती है तो हमें संक्रमण की रोकथाम के साथ ही हर मरीज को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करानी है, जिससे कि पहले तो मरीज को अस्पताल जाने की आवश्यकता ही न पड़े और यदि अस्पताल जाना पड़ता है तो वह जल्दी से जल्दी स्वस्थ होकर घर वापस आ जाए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान गत दिवस मंत्रालय में ‘अस्पताल प्रबंधन तथा संसाधन की उपलब्धता’ संबंधी मंत्री समूह की बैठक ले रहे थे। बैठक में चिकित्सा मंत्री श्री विश्वास सारंग, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री इंदर सिंह परमार, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, स्वास्थ्य आयुक्त श्री आकाश त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।

दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है

प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि प्रदेश में कोरोना के उपचार के लिए दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है। नि:शुल्क होम किट्स के लिए सभी दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, रेमडेसिविर इंजेक्शन लगभग एक लाख हैं। एम्फोटेरेसिन-बी, टोसीजोमान इंजेक्शन के लिए रेट कान्टेक्ट किया जा रहा है। सभी दवाओं की मेडिकल कॉलेज तथा जिलावार उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। 2डी ऑक्सीडी दवा की भी व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश के सभी 11 हजार उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कोविड मेडिकल किट के डिपो स्थापित किए गए हैं।

वर्तमान में 68 हजार बेड्स

प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए कुल 68 हजार 22 बिस्तर चिन्हांकित हैं, जिनमें 54 हजार 130 शासकीय तथा 13 हजार 892 निजी अस्पतालों में हैं। इनके अंतर्गत 4 हजार बिस्तर प्रायवेट मेडिकल कॉलेजेस में चिन्हांकित किए गए हैं। आयुष्मान योजना अंतर्गत शासकीय एवं निजी चिकित्सालयों में कुल 31 हजार 11 बिस्तर चिन्हांकित हैं। प्रत्येक जिले के शासकीय एवं निजी अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाए जाने के संबंध में कार्ययोजना बनाई गई है। अधिक से अधिक संख्या में सामान्य बेड्स को ऑक्सीजन बेड्स एवं आईसीयू बेड्स में परिवर्तित करने का कार्य भी किया जा रहा है।

चिकित्सकों एवं स्टाफ को प्रशिक्षण

प्रदेश में 7523 चिकित्सक, 15 हजार 999 स्टाफ नर्स, 26 हजार 301 आयुष चिकित्सक सहित अन्य विभागीय 34439 मैदानी कार्यकर्ताओं, 6003 वॉलेन्टीयर्स, 51 हजार 684 आशा कार्यकर्ता तथा 14 हजार 217 ए.एन.एम. को प्रशिक्षण दिया गया है।

शिशुओं के उपचार की गाइड लाइन जारी

प्रदेश में विशेषज्ञों की समिति द्वारा गहन अध्ययन के पश्चात शिशुओं के उपचार की विस्तृत प्रोटोकॉल गाइड लाइन जारी की गई है। साथ ही अभिभावक बच्चों के साथ वार्ड में रह सकें, इसके लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं। होम आयसोलेशन में रहने वाले बच्चों के अभिभावकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

कुल 1002 एम्बुलेंस

कोरोना रोगियों को निर्बाध रूप से अस्पतालों तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नेटवर्क का सुदृढ़ीकरण किया गया है। कुल 1002 एम्बुलेंस इस कार्य के लिए चिन्हांकित की गई हैं, जिनमें 167 ए.एल.एस. (एडवांस लाइफ सपोर्ट) तथा 835 बी.ए.एस. (बेसिक लाइफ सपोर्ट) एम्बुलेंस हैं।

170 पी.एस.ए प्लांट स्थापित होंगे

मध्यप्रदेश में भारत सरकार, राज्य सरकार एवं अन्य स्त्रोतों से कुल 170 पी.एस.ए प्लांट स्थापित होंगे, जिनकी कुल क्षमता 200 मेट्रिक टन है। इनमें से 21 पी.एस.ए प्लांट लग गए हैं तथा शेष सितम्बर माह तक स्थापित हो जाएंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इन्हें जल्दी से जल्दी पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए।

जिला अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 78 ऑक्सीजन प्लांट

प्रदेश के 78 जिला अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल 78 पी.एस.ए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। चिकित्सा महाविद्यालयों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता में 121 मीट्रिक टन की वृद्धि की जा रही है। जिला अस्पतालों में 11 हजार 184 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स बनाए गए हैं, 3063 नवीन ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स बनाए जा रहे हैं। साथ ही चिकित्सा महाविद्यालयों में 751 ऑक्सीजन बेड्स बढ़ाए जा रहे हैं।

आई.सी.यू. बेड्स में वृद्धि

प्रदेश में 813 आई.सी.यू. बेड्स स्थापित किए गए हैं। आगामी कार्य-योजना में 650 नए आई.सी.यू. बेड्स स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा महाविद्यालयों में 345 आई.सी.यू. बेड्स बढ़ाए जा रहे हैं।

डेढ़ हजार ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर एन.आर.सी. में

जिलों को दिए गए 6190 कंसन्ट्रेटर्स में से बच्चों के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में 1500 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके अलावा जिलों को 5100 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर अतिरिक्त रूप से प्रदाय किए जा रहे हैं।

प्रत्येक जिला चिकित्सालय में शिशु आईसीयू

प्रत्येक जिले में शिशु आईसीयू की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में 320 शिशु आईसीयू के बिस्तर नियोजित किए गए हैं, जिनमें 200 बिस्तरों की संख्या अतिरिक्त रूप से स्थापित की जा रही है। इसके अतिरिक्त चिकित्सा महाविद्यालयों में 380 शिशु आईसीयू बिस्तरों की वृद्धि की जा रही है।

904 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती शीघ्र

प्रदेश में 904 विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती के लिए मंत्रि-परिषद ने अनुमोदन कर दिया है, भर्ती शीघ्र पूर्ण की जाएगी। लोक सेवा आयोग द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के 866 पदों पर भर्ती की कार्रवाई जारी है। मेडिकल कॉलेजेस में 863 चिकित्सकों की नियुक्ति की कार्रवाई जारी है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी हों अच्छी व्यवस्थाएँ

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी कोरोना उपचार की अच्छी से अच्छी व्यवस्थाएँ की जानी चाहिये। बताया गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सा विशेषज्ञों की पदस्थापना की जा रही है। साथ ही 500 ऑक्सीजन बिस्तर तथा 78 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट सितम्बर तक स्थापित हो जाएंगे।

हर मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल आदर्श हो

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश का हर मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पताल आदर्श हो, जिससे आस-पास के क्षेत्रों के व्यक्तियों को वहीं अच्छे से अच्छा इलाज मिल जाए। इलाज के लिए बड़े शहरों में न जाना पड़े।

अस्पतालों का प्रबंधन चिकित्सकों के पास न रहे

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि अस्पतालों के प्रबंधन के लिए प्रबंधन के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाए। अस्पताल प्रबंधन के कार्य में चिकित्सकों को न लगाया जाए।

शीघ्र प्रारंभ हो जिला अस्पतालों में सीटी स्केन व्यवस्था

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में सीटी स्केन व्यवस्था शीघ्र प्रारंभ की जाए। बताया गया कि वर्तमान में 14 जिला चिकित्सालयों में यह सुविधा प्रारंभ हो गई है, शेष सभी जिला चिकित्सालयों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में आगामी अक्टूबर माह तक प्रारंभ हो जाएगी।

नीति आयोग ने भारत में गैर-लाभकारी अस्पताल मॉडल पर रिपोर्ट जारी की,इसमें इन अस्पतालों द्वारा कार्यान्वित लागत-नियंत्रण रणनीतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है attacknews.in

नईदिल्ली 29 जून ।नीति आयोग ने देश में गैर-लाभकारी अस्पताल मॉडल पर आज एक व्यापक अध्ययन जारी किया,जो इस तरह के संस्थानों से जुड़ी सही सूचना की कमी को दूरी करने और इस क्षेत्र में मजबूत नीति निर्माण में मदद करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने कहा, “निजी वर्ग में स्वास्थ्य क्षेत्र के विस्तार में अपेक्षाकृत कम निवेश हुआ है। कल घोषित प्रोत्साहन से हमें इस स्थिति को बदलने का मौका मिलता है। गैर-लाभकारी क्षेत्र की रिपोर्ट इस दिशा में उठाया गया एक छोटा कदम है।”

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने नीति आयोग केमुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत,अपर सचिव डॉ. राकेश सरवाल और अध्ययन में भाग लेने वाले देश भर के अस्पतालों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में यह रिपोर्ट जारी की।

अध्ययन गैर-लाभकारी अस्पतालों के संचालन मॉडल को लेकर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह स्वामित्व एवं सेवा के आधार के तहत वर्गीकृत अस्पतालों पर शोध-आधारित निष्कर्ष प्रस्तुत करता है और उसके बाद निजी अस्पतालों तथा केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के साथ उनकी तुलना करता है।

नीति आयोग देश में निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा-वितरण परिदृश्य का व्यापक अध्ययन करता रहा है। जहां लाभकारी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और संस्थानों के बारे में पर्याप्त जानकारी मौजूद है, उन गैर-लाभकारी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और संस्थानों से जुड़ी विश्वसनीय और व्यवस्थित जानकारी की कमी है, जो गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाने में अपनी अथक सेवा के लिए जाने जाते हैं।

गैर-लाभकारी अस्पताल क्षेत्र न केवल उपचारात्मक बल्कि निवारक स्वास्थ्य सेवा भी प्रदान करता है। यह स्वास्थ्य सेवा को सामाजिक सुधार, सामुदायिक जुड़ाव और शिक्षा से जोड़ता है। यह लाभ की चिंता किए बिना लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए सरकारी संसाधनों और अनुदानों का इस्तेमाल करता है। हालांकि इन तमाम वर्षों में भी इस क्षेत्र का ठीक से अध्ययन नहीं किया गया है।

अध्ययन में गैर-लाभकारी अस्पतालों द्वारा कार्यान्वित लागत-नियंत्रण रणनीतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। यह उन चुनौतियों को समझने का प्रयास करता है जो इन संस्थानों के संचालन पर बोझ डालती हैं और उनके विकास को बाधित करती हैं।

रिपोर्ट में अल्पकालिक और दीर्घकालिक नीतिगत हस्तक्षेपों का प्रस्ताव है- जैसे कि इन अस्पतालों की पहचान करने के लिए एक मानदंड विकसित करना, प्रदर्शन सूचकांक के माध्यम से उनकी रैंकिंग करना,और शीर्ष अस्पतालों को परोपकार कार्य करने के लिए बढ़ावा देना,आदि। यह दूरस्थ क्षेत्रों में सीमित वित्त के साथ मानव संसाधनों के प्रबंधन में इन अस्पतालों की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने की जरूरत पर भी जोर देता है।

भारत ने शुरू हुआ कैंसर के उपचार में शिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर टी-सेल (सीएआर-टी) थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल:देश सस्ता होगा उपचार जिस पर थेरेपी के लिये हर मरीज को तीन से चार करोड़ रुपये का खर्चा आता है attacknews.in

मुम्बई के टाटा अस्पताल के एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजूकेशन इन कैंसर द्वारा की गई पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने समर्थन किया

बायोटेक्नोलॉजी विभाग/जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद-राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन ने पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का समर्थन किया

नईदिल्ली 8 जून । कैंसर के उपचार में शिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर टी-सेल (सीएआर-टी) थेरेपी रामबाण के रूप में सामने आई है।

दुनिया भर में चलने वाले क्लीनिकल ट्रायल में आखिरी स्टेज वाले कैंसर मरीजों पर इसके सकारात्मक नतीजे निकले हैं, खासतौर से उन मरीजों पर जो गंभीर रूप से खून के कैंसर से पीड़ित हैं।

कैंसर के मरीजों के लिये इस प्रौद्योगिकी में उपचार की क्षमता है, लेकिन इस समय यह भारत में उपलब्ध नहीं है। सीएआर-टी सेल थेरेपी के लिये हर मरीज को तीन से चार करोड़ रुपये का खर्चा आता है। इसलिये चुनौती यह है कि इस प्रौद्योगिकी को सस्ती दर पर विकसित करके हर मरीज के लिये उपलब्ध कराया जाये।

इस थेरेपी के महंगा होने का मुख्य कारण यह है कि इसके बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। सीएआर-टी सेल प्रौद्योगिकी को कैंसर और अन्य रोगों के लिये विकसित करने के उद्देश्य से जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक) और बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) ने पहल की है तथा पिछले दो वर्षों में इस प्रस्ताव मांगने की विशेष प्रक्रिया शुरू की थी।

चार जून, 2021 को वह ऐतिहासिक दिन था, जिस दिन टाटा मेमोरियल अस्पताल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई (आईआईटी-बी) के दल तथा भारत में कैंसर केयर ने पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी (एक तरह की जीन थेरेपी) को अंजाम दिया। यह कारनामा मुम्बई के टाटा मेमोरियल सेंटर के एसीटीआरईसी के अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण इकाई ने कर दिखाया। सीएआर-टी सेल्स को आईआईटी-बी के जैव-विज्ञान एवं जैव-इंजीनियरिंग विभाग ने डिजाइन और उसका निर्माण किया था।

इस काम को बाइरैक-पेस (प्रोमोटिंग एकडमिक रिसर्च कंवर्जन टू एंटरप्राइज) योजना का भी समर्थन है। टीएमसी-आआईटी बॉम्बे के दल को डीबीटी/बाइरैक द्वारा उनके सीएआरटी उत्पाद के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की परियोजना को भी समर्थन दिया जा रहा है। यह समर्थन राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के जरिये दिया जा रहा है।

यह जीन थेरेपी के शुरूआती चरण का पायलट क्लीनिकल ट्रायल है, जो “भारत में पहली बार” हो रहा है। यह आईआईटी बॉम्बे और टीएमएच, मुम्बई के बीच शानदार सहयोग की बदौलत मुमकिन हुआ है।

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन-बाइरैक ने सीएआर-टी सेल के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को पहली बार मनुष्यों पर पूरा करने के लिये 19.15 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं।

क्लीनिकल ट्रायल बाल कैंसर उपचार और स्वास्थ्य विज्ञान के डॉ. (सर्जन कमान्डर) गौरव नरूला और टीएमसी, मुम्बई की उनकी टीम कर रही है। इसके अलावा सीएआर-टी सेल को दवा के रूप में काम करने और उसके निर्माण सम्बंधी प्रक्रिया में जैव-विज्ञान और जैव-इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. राहुल पुरवार तथा आईआईटी-बी की टीम ने काम किया है। सघन प्री-क्लीनिकल परीक्षण की डिजाइन और विकास का काम टीएमसी, मुम्बई के सहयोग से आईआईटी-बी ने किया है। इसमें दो विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया था।

आईआईटी-बी के निदेशक सुभासीस चौधरी ने कहा कि यह संस्थान और देश के लिये शानदार कारनामा है। उन्होंने कहा, “आईआईटी-बी के हम सभी वैज्ञानिकों ने टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ कैंसर के उपचार की एक अत्यंत जटिल थेरेपी विकसित की है। अगर परीक्षण कामयाब होते हैं, तो भारत में इसे सस्ती दरों पर उपलब्ध कराके सैकड़ों जाने बचाई जा सकती हैं। यह आईआईटी-बी का अनुसंधान है और आशा है कि यह लोगों के जीवन में उम्मीद जगा देगा।”

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन लेंटीवायरल वेक्टर निर्माण सुविधा के विकास को भी समर्थन दे रहा है। इसके जरिये उन्नत टी-सेल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिये पैकेजिंग प्लास्मिड का उपयोग किया जायेगा। इसके अलावा टी-सेल ट्रांस्डक्शन (जिसमें बाहरी डीएनए को सेल में डाला जाता है) और सीएआर-टी के निर्माण को विस्तार देने के लिये दो अन्य संगठनों का सहयोग कर रहा है। सीएआर-टी सेल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल गंभीर खून के कैंसर, मल्टीपल मायलोमा, ग्लायोब्लास्टोमा, हेपेटोसेलुलर कार्सीनोमा और टाईप-2 डायबटीज में किया जायेगा। इस परियोजना का डीबीटी के जरिये समर्थन किया जा रहा है।

डीबीटी के बारे में

बायोटेक्नोलॉजी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन है और भारत में जैव-प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाने का काम करता है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग में जैव-प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और उसका विकास शामिल है।

बाइरैक के बारे में

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की धारा 8, अनुसूची ‘ब’ के तहत लाभ न कमाने वाला संगठन है, जिसकी स्थापना बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने की है। यह भारत सरकार की एक इंटरफेस एजेंसी है, जिसके जरिये उभरते हुये जैव-प्रौद्योगिकी उद्यमों को शक्ति सम्पन्न किया जाता है, ताकि वे रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार का काम कर सकें तथा देश के लिये जरूरी उत्पादों का विकास कर सकें।

शिवराज सिंह चौहान ने बताया:मध्यप्रदेश में कोरोना प्रकरणों में निरंतर गिरावट, संक्रमण लगातार कम हो रहा और बड़ी संख्या में रोज मरीज स्वस्थ हो रहे हैं attacknews.in

भोपाल, 18 मई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना प्रकरणों में निरंतर गिरावट जारी है। संक्रमण लगातार कम हो रहा है तथा बड़ी संख्या में रोज मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। किल कोरोना अभियान के अंतर्गत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में एक-एक मरीज की पहचानकर उसका इलाज किया जा रहा है।

श्री चौहान आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अब हम एग्रेसिव स्ट्रेटेजी अपनाकर कोरोना को प्रदेश से शीघ्र समाप्त करें। शहरों एवं ग्रामों में मोबाइल टैस्टिंग यूनिट प्रारंभ करें तथा एग्रेसिव टैस्टिंग की जाए। अधिक से अधिक टैस्ट किए जाए। एक भी मरीज छूटे नहीं यह सुनिश्चित करें। साथ ही वैक्सीनेशन कार्य भी युद्ध स्तर पर किया जाए।

केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर श्योपुर से वी.सी. में शामिल हुए। उन्होंने मध्यप्रदेश में कोरोना के प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान सहित पूरी टीम की सराहना की। उन्होंने प्रदेश में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर आदि की उपलब्धता तथा श्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाओं एवं अधोसंरचना के लिए श्री चौहान को धन्यवाद दिया।

प्रदेश के 4 जिलों में ही अब 200 से अधिक तथा 10 जिलों में 100 से अधिक नए प्रकरण आए हैं। इंदौर में 1262, भोपाल में 661, जबलपुर में 306, सागर में 201, ग्वालियर में 175, रतलाम में 170, रीवा में 168, उज्जैन में 154, अनूनपुर में 111 तथा शिवपुरी में 105 कोरोना के नए प्रकरण आए हैं।
प्रदेश में 5412 कोरोना के नए प्रकरण आए हैं, 11358 मरीज पिछले 24 घंटों में स्वस्थ हुए हैं। प्रदेश की कोरोना ग्रोथ रेट 1.00 फीसदी है तथा साप्ताहिक पॉजिटिविटी 11 फीसदी है। आज की पॉजिटिविटी 7.8 फीसदी है तथा साप्ताहिक प्रकरण 51486 हैं।

प्रदेश के 9 जिलों में 5 फीसदी से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है, वहीं 25 जिलों में 10 फीसदी से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है। गुना, छिंदवाड़ा, भिंड, बड़वानी, बुरहानपुर, अशोकनगर, झाबुआ, अलीराजपुर, खंडवा में 5 फीसदी से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है तथा इन जिलों सहित होशंगाबाद, देवास, सतना, रायसेन, बालाघाट, राजगढ़, मंदसौर, विदिशा, मंडला, छतरपुर, टीकमगढ़, मुरैना, हरदा, श्योपुर, आगर-मालवा तथा निवाड़ी में 10 से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कम संक्रमण वाले सभी जिलों को बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में ऐसे बच्चे जिनके माँ-बाप दोनों का निधन हो गया है, उनके लिए बनाई गई योजना का लाभ देना 1-2 दिन में प्रारंभ कर दिया जाए। प्रदेश के 28 जिलों में 155 ऐसे बच्चे चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें योजना का लाभ दिया जाना है।
श्री चौहान ने कहा कि उत्कृष्ट कार्य करने वाले कोरोना वॉलेंटियर्स को सम्मानित किया जाए।

जबलपुर जिले की समीक्षा में बताया गया कि वहां 1925 करोना वॉलेंटियर्स सक्रिय है, जिनके द्वारा लावारिस कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार जैसे विभिन्न सेवा कार्य किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण न्यूनतम होने पर झाबुआ एवं खंडवा जिलों को बधाई दी। झाबुआ में साप्ताहिक पॉजिटिविटी 0.8 फीसदी तथा खंडवा में 0.2 फीसदी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यहां कोरोना संक्रमण शून्य करने के सघन प्रयास किए जाएं।

प्रदेश में कोविड के 23 हजार 445 मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है। इनमें से 15 हजार 112 का शासकीय अस्पतालों में, 2396 का अनुबंधित अस्पतालों में तथा 5937 का मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना के अंतर्गत सम्बद्ध निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना में मरीजों के इलाज पर शासन द्वारा आज की‍ स्थिति में 6 करोड़ 10 लाख 19 हजार 628 व्यय हुआ।

प्रदेश में नकली रेमडेसिविर बेचने वालों, कालाबाजारी करने वाले 67 व्यक्तियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा अधिक शुल्क लिए जाने पर अस्पतालों के विरूद्ध कार्रवाई की गई है। कुल 254 प्रकरणों में कार्रवाई करते हुए मरीजों के परिजनों को 97 लाख 29 हजार रूपए की राशि वापस दिलाई गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैक्सीनेशन के लिए एक नकली स्लॉट का मामला भी सामने आया है। उन्होंने इस संबंध में तुरंत जाँच कर दोषियों के‍ विरूद्ध कड़ी कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए।

श्री चौहान ने निर्देश दिए कि जहाँ-जहाँ किसान गेहूँ, चने के उपार्जन से शेष रह गए हैं, उन खरीदी केन्द्रों पर खरीदी चालू रखी जाए।

नर्स अपनी सेवा से मरीजों में नवजीवन का संचार करें-शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवनियुक्त नर्सो से कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय यह पीड़ित मानवता की सेवा का महान अवसर है। आपको ‘सिस्टर’ के धर्म का पूरा निर्वाह करना है।

श्री चौहान आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जिलों में नवनियुक्त नर्सों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय मरीज के साथ अस्पताल में अटैडेंट नहीं रहता। ऐसे में नर्स की ड्यूटी ओर बढ़ जाती है। उसे निरंतर मरीज के हैल्थ पैरामीटर्स चैक करने के अलावा उसकी निरंतर देखभाल करना तथा उसका मनोबल बढ़ाना भी आवश्यक है। अपने नवीन कार्य का प्रारंभ करें तथा अपनी सेवा से मरीजों में नवजीवन का संचार करें। प्रदेश में 1015 नर्सों की नियुक्ति की गई है।

श्री चौहान ने कहा कि नर्स को हम ‘सिस्टर’ अर्थात बहन कहते हैं। बहन स्नेह, प्रेम और आत्मीयता की प्रतिमूर्ति होती है। उनका परिवार के प्रति अद्भुत स्नेह होता है। इसी प्रेम, स्नेह एवं आत्मीयता से वे मरीजों की सेवा करें। उन्होंने सिस्टर सरोज यादव द्वारा कोरोना उपचार के दौरान उनकी की गई सेवा की सराहना भी की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल युद्ध काल जैसा है। हम पिछले लगभग 1.5 वर्ष से कोरोना के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहना है। ऐसे में ‘सिस्टर’ पूरे धैर्य एवं संयम के साथ अपने पवित्र कर्तव्य का निर्वाह करें।

श्री चौहान ने एक कहानी के माध्यम से बताया कि कार्य के प्रति तीन प्रकार का दृष्टिकोण हो सकता है। पहला कार्य को मजबूरी अथवा बोझ मानना, दूसरा उसे केवल आजीविका मानना तथा तीसरा कार्य को सेवा का अवसर मानकर उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देना। हम कार्य को सेवा मानें तथा सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर कार्य करें।

श्री चौहान ने कहा कि आप में से कई ‘सिस्टर्स’ की ड्यूटी वैक्सीनेशन के लिए लगाई जाएगी। वैक्सीन हमारे लिए अमृत समान है। सभी ‘सिस्टर्स’ इस बात का ध्यान रखें कि वैक्सीन का एक भी डोज़ बेकार न जाए।

ब्लैक फंगस के उपचार के लिये टॉस्क फोर्स बनाई जाये-शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिये हैं कि ब्लैक फंगस ‘म्यूकॉरमाइकोसिस’ के उपचार संबंधी व्यवस्थाओं के लिये एक डेडिकेटेड टॉस्क फोर्स बनाई जाये, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, संबंधित विभागों के ए.सी.एस./पी.एस., ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एस.पी. दुबे, डॉ. लोकेन्द्र दवे तथा अन्य एक्सपर्ट रहेंगे। टास्क फोर्स तुरंत कार्य करना प्रारंभ कर दें।

श्री चौहान आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंत्रियों एवं अधिकारियों के साथ ब्लैक फंगस रोग के संबंध में चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस ‘म्यूकॉरमाइकोसिस की प्राथमिक अवस्था में ही पहचान कर हर मरीज का उपचार करें। इस कार्य को जन-आंदोलन का रूप दिया जाए तथा हर जिले में इसकी जाँच की व्यवस्था हो। इस कार्य में निजी चिकित्सकों का भी पूरा सहयोग लिया जाए।

मध्यप्रदेश में मंगलवार को 5 हजार से अधिक कोरोना मरीज मिले, 70 की मौत;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,42718 और मृतकों की संख्या 7139 हुई attacknews.in

भोपाल, 18 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच आज भी पांच हजार से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित मिले है।इस महामारी से आज 70 लोगों की जान चली गई।

मध्यप्रदेश की कोरोना ग्रोथ रेट 1.00 फीसदी है तथा साप्ताहिक पॉजिटिविटी 11 फीसदी है।

आज की पॉजिटिविटी 7.8 फीसदी है तथा साप्ताहिक प्रकरण 51486 हैं।

प्रदेश के 9 जिलों में 5 फीसदी से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है, वहीं 25 जिलों में 10 फीसदी से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है।

गुना, छिंदवाड़ा, भिंड, बड़वानी, बुरहानपुर, अशोकनगर, झाबुआ, अलीराजपुर, खंडवा में 5 फीसदी से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है तथा इन जिलों सहित होशंगाबाद, देवास, सतना, रायसेन, बालाघाट, राजगढ़, मंदसौर, विदिशा, मंडला, छतरपुर, टीकमगढ़, मुरैना, हरदा, श्योपुर, आगर-मालवा तथा निवाड़ी में 10 से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राज्य में 69,454 लोगों की कोरोना जांच सैंपल रिपोर्ट में 5,412 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।

पॉजीटिविटी रेट आज (संक्रमण दर) घटकर 7़ 7 प्रतिशत दर्ज की गयी।

राज्य भर में 11,358 लोग कोरोना संक्रमण को हरा कर घर रवाना हुए है।

प्रदेश में वर्तमान में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 82,967 है।

इस महामारी से प्रदेश भर में अब तक 7,42718 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।

इनमें से 652612 लोग ठीक हो चुके है।

इस वैश्विक महामारी ने अब तक प्रदेश भर में 7139 लोगों की जान ले चुका है।

आज 70 लोगों की मौत हो गयी।

राज्य के इंदौर में जिले में आज 1262 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये।

वहीं राजधानी भोपाल जिले में 667 लोग पॉजिटिव मिले हैं।

इसके अलावा ग्वालियर में 175, जबलपुर में 306, उज्जैन में 154, रतलाम में 170, रीवा में 168, सागर जिले में 201 नये कोरोना मरीज मिले है।

बाकी अन्य जिलों में भी 2 से लेकर 111 के बीच कोरोना संक्रमित मिले है।

बजाज फाउंडेशन का दिल्ली-एनसीआर में ऑक्सीजन कांसेंट्रेटर की निःशुक्ल डोरस्टेप डिलीवरी का आपातकालीन कार्यक्रम शुरू attacknews.in

गुरूग्राम, 17 मई । देशभर में कोरोना वायरस के मामलों के मद्देनज़र गैर-लाभकारी संगठन बजाज फाउंडेशन ने दिल्ली-एनसीआर में ऑक्सीजन कांसेंट्रेटर की निःशुल्क डोरस्टेप डिलीवरी का एक आपातकालीन कार्यक्रम शुरू किया है।

फाउंडेशन ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इससे ऑक्सीजन की कमी से जूझते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों को लाभ पहुंचेगा । ऑक्सीजन की जरूरत वाले अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने और ऑक्सीजन की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के प्रयास में फाउंडेशन देश के अन्य शहरों में अपने इस कार्यक्रम को बढ़ा रहा है जिससे कि देशभर में जरूरतमंद लोगों को परेशानी मुक्त अनुभव प्रदान करते हुए उनकी समस्या और जरूरत के समय का दायर कम करने का प्रयास कर रही है।

मध्यप्रदेश में सोमवार को कम।हुआ संक्रमण:5 हजार से अधिक कोरोना के नये मरीज मिले, 77 की मौत;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,37306 और मृतकों की संख्या 7069 हुई attacknews.in

भोपाल, 17 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की लहर के बीच आज पांच हजार से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित मिले है।इस महामारी से आज 77 लोगों की जान चली गई।

मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार दिनों दिन घट रही है।

आज कोरोना संक्रमण की दर घटकर 9़ 1 पहुंच गयी।

प्रदेश में नए कोरोना प्रकरण 6 हजार से कम हो गए हैं, वहीं 20 जिलों में कोरोना की साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 10 प्रतिशत से कम हो गई है।

भोपाल मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस म्यूकोमाइकोसिस बीमारी के 50, इंदौर मेडिकल कॉलेज में 60, जबलपुर मेडिकल कॉलेज में 38, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में 5 तथा रीवा मेडिकल कॉलेज में 09 मरीज हैं।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राज्य में 64,741 लोगों की कोरोना जांच सैंपल रिपोर्ट में 5,921 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।

पॉजीटिविटी रेट आज (संक्रमण दर) घटकर 9़ 1 प्रतिशत दर्ज की गयी।

इस महामारी को आज मात देकर राज्य भर में 11,513 लोग घर रवाना हुए है।

वर्तमान में अवस्था में सक्रिय मरीजों की संख्या 88,983 है।

प्रदेश भर में अब तक 7,37306 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।

इनमें से 641254 लोग ठीक हो चुके है।

इस वैश्विक महामारी ने अब तक प्रदेश भर में 7069 लोगों की जान ले चुका है।

आज 77 लोगों की मौत हो गयी।

राज्य के इंदौर में जिले में आज 1307 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये।

वहीं राजधानी भोपाल जिले में 657 लोग पॉजिटिव मिले हैं।

इसके अलावा ग्वालियर में 201, जबलपुर में 421, उज्जैन में 232, रतलाम में 190, रीवा में 190, सागर जिले में 195 नये कोरोना मरीज मिले है।

बाकी अन्य जिलों में भी 6 से लेकर 114 के बीच कोरोना संक्रमित मिले है।

मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण दर घटकर 9% और रिकवरी रेट बढ़कर 87% होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिवराज सिंह चौहान ने दूरभाष पर कोरोना की स्थिति से अवगत कराया attacknews.in

भोपाल, 17 मई मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण दर (पॉजीटिविटी रेट) घटकर नौ प्रतिशत पर पहुंचने और रिकवरी रेट (स्वस्थ होने वालों की संख्या) बढ़कर 87 प्रतिशत होने के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दूरभाष पर चर्चा कर राज्य में कोरोना की स्थिति से अवगत कराया।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य में अब स्थिति नियंत्रण में है। आज पॉजीटिव केस 5921 आए और 11,513 मरीज स्वस्थ हुए। रिकवरी रेट 87 प्रतिशत पहुंच गया है। संक्रमण दर जो बढ़कर 25 प्रतिशत के आसपास पहुंच गयी थी, अब घटकर 09 प्रतिशत आ गयी है। उन्होंने राज्य में चलाए जा रहे ‘किल कोरोना अभियान’ और वैक्सीनेशन के बारे में भी श्री मोदी को बताया।

श्री चौहान ने राज्य में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार के सहयोग के लिए श्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने ब्लैक फंगस बीमारी के संबंध में भी श्री मोदी को अवगत कराया। राज्य में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए पांच शहरों में विशेष वार्ड बनाए गए हैं और मरीजों का नि:शुल्क इलाज कराया जा रहा है। श्री मोदी ने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार राज्य को इन बीमारियों से निपटने में हरसंभव सहयोग करेगी।

श्री चौहान ने श्री मोदी को बताया कि गांव गांव में पंचायत स्तर तक क्राइसिस मैनेजमेंट टीम का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं और इस पर अमल भी कराया जा रहा है। काेरोना कफर्यू को सफलतापूर्वक लागू करवाया जा रहा है। राज्य में पाेस्ट कोविड सेंटर भी खोले जा रहे हैं।

मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण अप्रैल माह में बहुत भयानक स्थितियां बन गयी थीं। औसत संक्रमण दर 25 प्रतिशत के पार हो गयी थी और कई जिलों में यह 50 प्रतिशत तक हो गयी थी। एक्टिव केस बढ़कर एक लाख 11 हजार को भी पार कर गए थे, जो अब घटकर 90 हजार के आसपास आ गए हैं। हालाकि मृत्यु के मामले अब भी अपेक्षा के अनुरूप कम नहीं हो पा रहे हैं। कम से कम 70 व्यक्तियों की मृत्यु प्रतिदिन दर्ज की जा रही है।

क्या है ब्लैक फंगस या फंगल संक्रमण या म्यूकोर्मिकोसिससे, कैसे होता है?इसका कोरोना से क्या संबंध है?सामान्य लक्षण क्या हैं इलाज कैसे किया जाता है?और इसे कैसे रोकें? attacknews.in

नईदिल्ली 17 मई ।अब जब हम खुद को कोविड-19 से बचाने और उससे लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं,फंगस से पैदा होने वाला एक और खतरा सामने आया है जिसके बारे में हमें जानना चाहिए एवं उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

म्यूकोर्मिकोसिस, एक फंगल संक्रमण है जोकुछ कोविड-19 मरीजों में बीमारी से ठीक होने के दौरान या बाद में पाया जा रहा है।

दो दिन पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, राज्य में इस फंगल संक्रमण से पहले ही 2000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं; 10 लोगों ने तो इसकी चपेट में आकर दम भी तोड़ दिया। कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी भी चली गई।

म्यूकोर्मिकोसिस कैसे होता है?

म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस, फंगल संक्रमण से पैदा होने वाली जटिलता है। लोग वातावरण में मौजूदफंगस के बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस की चपेट में आते हैं। शरीर पर किसी तरह की चोट, जलने, कटने आदि के जरिए यह त्वचा में प्रवेश करता है और त्वचा में विकसित हो सकता है।

कोविड-19 से उबर चुके हैं या ठीक हो रहे मरीजों में इस बीमारी के होने का पता चल रहा है। इसके अलावा, जिसे भी मधुमेह है और जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है, उसे इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी किए गए एक परामर्श के अनुसार, कोविड-19 रोगियों में निम्नलिखित दशाओं से म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है:

अनियंत्रित मधुमेह

स्टेरॉयड के उपयोग के कारण

प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना

लंबे समय तक आईसीयू/अस्पताल में रहना

सह-रुग्णता/अंग प्रत्यारोपण के बाद/कैंसर

वोरिकोनाजोल थेरेपी (गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है)

इसका कोविड-19 से क्या संबंध है?

यह बीमारी म्यूकोर्मिसेट्स नामक सूक्ष्म जीवों के एक समूह के कारण होती है, जो पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं, और ज्यादातर मिट्टी में तथा पत्तियों, खाद एवं ढेरों जैसे कार्बनिक पदार्थों के क्षय में पाए जाते हैं।

सामान्य तौर पर, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे फंगल संक्रमण से सफलतापूर्वक लड़ती है लेकिनहम जानते हैं कि कोविड-19 हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। इसके अलावा, कोविड-19 मरीजों के उपचार में डेक्सामेथासोन जैसी दवाओं का सेवन शामिल है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया पर असर डालता है। इन कारकों के कारण कोविड-19 मरीजों को म्यूकोर्मिसेट्स जैसे सूक्ष्म जीवों के हमले के खिलाफ लड़ाई में विफल होने के नए खतरे का सामना करना पड़ता है।

इसके अलावा, आईसीयू में ह्यूमिडिफायर का उपयोग किया जाता है, वहां ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे कोविड मरीजों को नमी के संपर्क में आने के कारण फंगल संक्रमण का खतरा होता है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोविड मरीज म्यूकोर्मिकोसिस से संक्रमित हो जाएगा। जिन मरीजों को मधुमेह नहीं है, उन्हें यह बीमारी होना असामान्य है लेकिन अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है। ठीक होने की संभावना बीमारी के जल्दी पता चलने और उपचार पर निर्भर करती है।

सामान्य लक्षण क्या हैं?

हमारे माथे, नाक, गाल की हड्डियों के पीछे और आंखों एवं दांतों के बीच स्थित एयर पॉकेट में त्वचा के संक्रमण के रूप में म्यूकोर्मिकोसिस दिखने लगता है। यह फिर आंखों, फेफड़ों में फैल जाता है और मस्तिष्क तक भी फैल सकता है। इससे नाक पर कालापन या रंग मलिन पड़ना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और खून की खांसी होती है।

आईसीएमआर ने सलाह दी है कि बंद नाक के सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, खासकर कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान या बाद मेंबंद नाक के मामलों को लेकर ऐसा नहीं करना चाहिए। फंगल संक्रमण का पता लगाने के लिए चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

जहां संक्रमण सिर्फ एक त्वचा संक्रमण से शुरू हो सकता है, यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी शामिल है। कुछ रोगियों में, इससे ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख की भी हानि हो सकती है। इलाज में अंतःशिरा एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इलाज करने के लिए सूक्ष्म जीवविज्ञानी, आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञों, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन और अन्य की एक टीम की आवश्यकता होती है।

म्यूकोर्मिकोसिसको कैसे रोकें?

मधुमेह को नियंत्रित करना आईसीएमआरद्वारा सुझाए गए सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है। इसलिए, मधुमेह से पीड़ित कोविड-19 रोगियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

अपने आप दवा लेना एवं स्टेरॉयड की अधिक खुराक लेना घातक हो सकता है और इसलिए डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने स्टेरॉयड के अनुचित उपयोग के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में कहा: “स्टेरॉयड कभी भी कोविड-19 के शुरुआती चरण में नहीं दिया जाना चाहिए। संक्रमण के छठे दिन के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। मरीजों को दवाओं की उचित खुराक पर टिके रहना चाहिए और डॉक्टरों द्वारा सलाह के अनुसार दवा को तय समय तक लेना चाहिए। दवा के प्रतिकूल दुष्प्रभावों से बचने के लिए दवाओं का विवेकपूरण उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “स्टेरॉयड के अलावा, टोसिलिजूमोब, इटोलिजूमाब जैसी कोविड-19 दवाओंका उपयोग भी प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है। और जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह जोखिम को बढ़ा देता है, क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है।”

आईसीएमआर ने अपने दिशानिर्देशों में कोविड-19 मरीजों को इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का सेवन छोड़ने की सलाह दी है, जो एक ऐसा पदार्थ है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित कर देता है या दबा देता है। राष्ट्रीय कोविड-19 कार्यबल ने ऐसे किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए टोसिलिजुमाब की खुराक में बदलाव किया है। उचित स्वच्छता बनाए रखने से भी फंगल संक्रमण को दूर रखने में मदद मिल सकती है।

ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे मरीजों के लिए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ह्यूमिडिफायर में पानी साफ हो और उसे नियमित रूप से बार-बार डाला जाए। पानी का रिसाव न हो (गीली सतहों से बचने के लिए जहां फंगस प्रजनन कर सकते हैं) यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मरीजों को अपने हाथों के साथ-साथ शरीर को भी साफ रखते हुए उचित स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए।

कोविड से उबरने के बाद भी सावधानी बनाए रखें

कोविड-19 से उबरने के बाद, लोगों को गहराई से निगरानी करनी चाहिए और ऊपर उल्लिखित किसी भी चेतावनी संकेत एवं लक्षण को याद रखना चाहिए, क्योंकि फंगल संक्रमण कोविड-19 से उबरने के कई हफ्तों या महीनों के बाद भी उभर सकता है। संक्रमण के खतरे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। बीमारी का जल्द पता लगने से फंगल संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है।

शिल्पा मेडिकेयर ने डॉ रेड्डीज के साथ स्पुतनिक वी वैक्सीन के विनिर्माण के लिए समझैता किया,1 साल में 10 करोड़ खुराकें करना है तैयार attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 मई । दवा कंपनी शिल्पा मेडिकेयर ने सोमवार को कहा कि उसकी शाखा ने रूस की कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक वी के विनिर्माण के लिए डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ एक बाध्यकारी समझौता किया है।

शिल्पा मेडिकेयर ने शेयर बाजार को बताया, ‘‘कंपनी ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई शिल्पा बायोलॉजिकल प्राइवेट लिमिटेड (एसबीपीएल) के माध्यम से डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ तीन साल के लिए एक बाध्यकारी समझौता किया है, जिसके तहत कंपनी कर्नाटक के धारवाड़ में स्थित अपने एकीकृत बायोलॉजिक्स आरएंडडी एवं विनिर्माण केंद्र से स्पुतनिक वी वैक्सीन का उत्पादन एवं आपूर्ति करेगी।’’

कंपनी ने कहा कि पहले एक साल में स्पुतनिक वी वैक्सीन की पांच करोड़ दोहरी खुराक (पांच करोड़ घटक एक और पांच करोड़ घटक दो) तैयार करने का लक्ष्य है।

शिल्पा मेडिकेयर ने कहा कि डॉ रेड्डीज एसबीपीएल को स्पुतनिक वी की तकनीक हस्तांतरित करेगी।

भारत में डीआरडीओ द्वारा विकसित कोविड-19 रोधी दवा 2-डीजी जारी,इस दवा से मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करने में मदद होगी साथ ही मरीज जल्दी ठीक होते हैं attacknews.in

नयी दिल्ली 17 मई । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित की गयी कोविड-19 रोधी दवा 2-डीजी की पहली खेप सोमवार को जारी की।

कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले तथा गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर 2-डीऑक्सी-डी-ग्लुकोज (2-डीजी) दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है।

इस अवसर पर अपने संक्षिप्त संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि यह दवा कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए उम्मीद की किरण ले कर आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के वैज्ञानिक कौशल का अनुपम उदाहरण है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह समय थकने और आराम करने का नहीं है क्योंकि इस महामारी के स्वरूप को लेकर कुछ भी निश्चित जानकारी नहीं है।

डीआरडीओ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘हमें ना तो थकना है और ना ही आराम करना है। क्योंकि यह लहर दूसरी बार आई है और इसे लेकर कुछ निश्चित जानकारी नहीं है। हमें बहुत सावधानी से कदम आगे बढ़ाना है।’’

उन्होंने कहा कि चाहे ऑक्सीजन की आपूर्ति का मामला हो या आईसीयू बिस्तरों या तरल ऑक्सीजन के परिवहन के लिए क्रायोजेनिक टैंकरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात हो, सरकार ने पूरी स्थिति को बेहद गंभीरता से लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त हो चुके चिकित्सकों को स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए मोर्चे पर लगाया गया है। सेवा के बाद भी इस अभियान में जुड़े चिकित्सकों की मैं दिल से सराहना करता हूं।’’

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर सशस्त्र बलों की ओर से कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई में किए जा रहे योगदानों की चर्चा की और कहा कि इसके बावजूद सीमाओं पर उनके क्रियाकलापों पर कोई असर नहीं पड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सब मुसीबतों के बीच हमने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि सीमाओं पर हमारी तैयारियों पर कोई असर ना पड़े। हमारे बलों के जज्बे में कहीं भी कोई कमी नहीं आई है। हम इसे अच्छी तरह जानते हैं। मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, जीत हमारी होगी।’’

रक्षा मंत्रालय ने आठ मई को एक बयान में कहा था कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही इस दवा से मरीज जल्दी ठीक होते हैं।

इस दवा को ऐसे समय में मंजूरी मिली है जब भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चपेट में है और देश के स्वास्थ्य ढांचे पर इसका गहरा असर पड़ा है।

कोविड-19 रोधी इस दवा को डीआरडीओ की अग्रणी प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (इनमास) ने हैदराबाद के डॉक्टर रेड्डीज प्रयोगशाला के साथ मिलकर विकसित किया है।

यह दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में उपलब्ध रहेगी जिसे पानी में मिलाकर मरीजों को पीना है।

शिवराज सिंह चौहान ने सख्त लहजे में कहा: मध्यप्रदेश सरकार से सम्बद्ध निजी अस्पताल इलाज से इनकार करता है तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा attacknews.in

भोपाल, 16 मई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि सभी जिलों में सख्ती से कोरोना संक्रमण रोकने, अस्पतालों में कोरोना उपचार की उत्कृष्ट व्यवस्था के साथ ही पोस्ट कोविड केयर पर भी पूरा ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने निवास से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोरोना कोर ग्रुप के सदस्यों से चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना के अंतर्गत सम्बद्ध किया गया कोई भी निजी अस्पताल, उनके यहाँ बेड खाली होने पर, योजना के पात्र किसी कोविड मरीज का निःशुल्क उपचार करने से इंकार करें, यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कोरोना संकटकाल में बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की बॉम्बे हाईकोर्ट ने की सराहना;WHO और नीति आयोग कोविड प्रबंधन के लिए ‘यूपी मॉडल’ की तारीफ कर चुका है attacknews.in

लखनऊ, 15 मई ।कोरोना संकटकाल में बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की बॉम्बे हाईकोर्ट ने सराहना की है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और देश का नीति आयोग कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की तारीफ कर चुका है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूपी मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए वहां की सरकार से यह पूछा है कि महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती।

यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये सूबे के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है। यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिये वरदान बता रहे हैं।

अभी तक ऐसे चल रहे हैं भारत में अस्पताल: बदायूं मेडिकल कालेज में 103 वेंटिलेटर तो हैं लेकिन चलाने वाला ही नहीं attacknews.in

बदायूँ 15 मई । उत्तर प्रदेश के बदायूं मेडिकल कालेज में 103 वेंटिलेटर होने के बाद भी मरीजों को उसका लाभ नही मिल पा रहा है।

आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि बदायूँ मेडिकल कॉलेज में 103 वेंटिलेटर हैं लेकिन ये वेंटिलेटर मरीजों को स्वास्थ्य लाभ नही दे पा रहे है। पिछले साल कोरोना काल मे शासन की तरफ से मेडिकल कॉलेज प्रशासन को 93 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए थे जबकि 10 वेंटिलेटर मेडिकल कॉलेज में पहले से मौजूद थे। तब से लेकर अब तक यह वेंटिलेटर चालू नही हो सके। इसकी वजह मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर चलाने के लिए एक भी एनेस्थेटिक का न होना हैं । एक एनेस्थेटिक आठ वेंटिलेटर को चला सकता है ।

शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों काे बाद में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कालेजों में विशेष वार्ड बनाने के निर्देश दिए attacknews.in

भोपाल, 15 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों काे बाद में (पोस्ट कोविड) ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारियों के मामले बढ़ने के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कालेजों में विशेष वार्ड बनाने के निर्देश दिए।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्री चौहान ने वरिष्ठ अधिकारियों को भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर और रीवा में इस रोग के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाने के निर्देश दिए। इस दौरान एक उच्च स्तरीय बैठक में श्री चौहान ने काेरोना पर नियंत्रण संबंधी उपायों को लेकर विशेषज्ञों से चर्चा की और उनसे सुझाव मांगे।

श्री चौहान ने इस दौरान कहा कि कोरोना नियंत्रण के लिए उपयुक्त व्यवहार (कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर) को आम लोगों के जीवन में लाना आवश्यक है। ऐसा करने से कोरोना संक्रमण से बचने में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा कोरोना प्रबंधन पर समाज की सहभागिता बढ़ाने के लिए भी श्री चौहान ने कहा। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं और प्रबंधन और बेहतर किए जाने की जरुरत है।

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुयी बैठक में डॉ मदन गोपाल, दिल्ली की एक संस्था से जुड़े प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी और अन्य विशेषज्ञों ने अपने सुझाव दिए।