उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा कंगना रनौत के साथ बदले की भावना से काम करने के विधानसभा में मामला उठने के बाद पुलिस ने ॠतिक रौशन से जुड़ा मामला फिर से खोल दिया attacknews.in

मुुंबई ,15 दिसंबर । महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडनवीस ने मंगलवार को महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की थी।

श्री फडनवीस ने विधानसभा के श्री फडनवीस ने शीतकालीन सत्र के दूसरे एवं अंतिम दिन उक्त बातें कही। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे एवं कैबिनेट मंत्री आदित्य के खिलाफ रिपब्लिक टीवी के एंकर गोस्वामी द्वारा की गई टिप्पणी उन्हें भी स्वीकार्य नहीं है।

ऋतिक रोशन का मामला अपराध शाखा को सौंपा गया

इधर अभिनेता ऋतिक रोशन द्वारा चार वर्ष पहले दर्ज करवाए गए अभिनेत्री कंगना रनोत से जुड़े एक मामले को अपराध खुफिया इकाई के पास स्थानांतरित कर दिया गया है। मुंबई अपराध शाखा के एक अधिकारी ने सोमवार को यह बताया।

दअरसल ऋतिक ने 2016 में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी जिसमें कहा था कि एक व्यक्ति उनके नाम पर एक ई-मेल आईडी का इस्तेमाल करके अभिनेत्री कंगना रनोत से कथित तौर पर बात करता है।

अधिकारी ने बताया कि रोशन के वकील ने इस मामले में लंबित जांच को लेकर मुंबई के पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह से मुलाकात की थी।

इस शिकायत के संबंध में मामला बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के साइबर पुलिस थाने में दर्ज किया गया था।

पुलिस के फॉरेंसिक विशेषज्ञ अमेरिका की उक्त ई-मेल आईडी के बारे में कोई तथ्य नहीं जुटा पाए थे।

भारत में शुरू हुए अंतर्राष्ट्रीय कोरोना वायरस लघु फिल्‍मोत्‍सव में एक ही विषय पर 108 देशों में बनीं 2,800 फिल्मों का प्रदर्शन:51वां भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍मोत्‍सव हाइब्रिड तरीके से आयोजित किया जाएगा attacknews.in

नईदिल्ली 14 दिसम्बर ।केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि कोरोनो वायरस पर बनी लघु फिल्मों का उत्‍सव मनाने के लिए फिल्म समारोह आयोजित करने का विचार बहुत प्रशंसनीय है। अंतर्राष्ट्रीय कोरोना वायरस लघु फिल्‍मोत्‍सव के अवसर पर श्री जावडेकर ने आज कहा कि एक ही विषय पर 108 देशों में बनीं 2,800 फिल्मों की भागीदारी लोगों की अपार प्रतिभा का सटीक उदाहरण है। उन्‍होंने इस महोत्‍सव के आयोजकों को बधाई दी।

 श्री जावडेकर ने कहा कि इस महामारी ने पूरी दुनिया के देशों के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस संकट को अच्छी तरह से संभालने में सक्षम रहा है। भारत ने इस संकट को 2020 की शुरुआत में ही पहचान लिया था और देश तभी से इस संकट के खिलाफ लगातार काम कर रहा है।

 श्री जावडेकर ने यह भी कहा कि अब कोरोनो वायरस का संकट कम हो रहा है और जल्द ही इसके टीके भारत में भी उपलब्ध होंगे। इस अवसर पर उन्होंने एंटी बॉडीज बनने और टीके की दूसरी खुराक लेने से पहले सुरक्षा में लापरवाही न बरतने के लिए जनता को आगाह किया।

 श्री जावडेकर ने गोवा में आयोजित होने वाले 51वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍मोत्‍सव के बारे में कहा कि इसका आयोजन हाइब्रिड तरीके से किया जाएगा। लोग इस महोत्‍सव को ऑनलाइन देख पाएंगे, जबकि इस महोत्‍सव के उद्घाटन और समापन समारोह सीमित दर्शकों के साथ आयोजन स्‍थल पर ही आयोजित किए जाएंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍मोत्‍सव के इस संस्करण में 21 गैर-फीचर फिल्मों की भागीदारी भी देखने को मिलेगी।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस अवसर पर भारत जैसे विशाल देश में कोरोनो वायरस के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए श्री जावड़ेकर और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को बधाई दी।

उन्होंने एक ही स्‍थान पर लघु फिल्मों की इतनी बड़ी श्रृंखला के लिए ज्‍यूरी और इस महोत्‍सव के आयोजकों को भी बधाई दी।

जागरूकता और मजबूत संदेश देने वाली लघु फिल्‍मों ने देश में कोरोना महामारी के दौरान महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है : मुख्‍तार अब्‍बास नकवी

केंद्रीय अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्री श्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा है कि सरकार, समाज, सिनेमा और मीडिया ने देश में कोरोना महामारी के दौरान साहस, प्रतिबद्धता और सावधानी के साथ सराहनीय भूमिका निभाई है। जागरूकता और मजबूती का संदेश देने वाली लघु फिल्‍मों ने संकट के दौरान महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आज नई दिल्‍ली के एनडीएमसी कन्‍वेंशन सेंटर में आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय कोरोना वायरस लघु फिल्‍मोत्‍सव को संबोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि लघु फिल्‍मों ने कोरोना महामारी की चुनौतियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस अंतर्राष्‍ट्रीय कोरोना वायरस लघु फिल्‍मोत्‍सव में 108 देशों की 2,800 से अधिक फिल्‍में शामिल की गई हैं। ये लघु फिल्‍में कोरोना महामारी के दौरान उपचार, सुरक्षा उपाय और जीवन पर आधारित हैं।

श्री नकवी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान फिल्‍मों की शूटिंग काफी समय तक स्‍थगित रहीं। इस संकट के दौरान इन लघु फिल्‍मों ने न केवल लोगों का मनोरंजन किया, बल्कि लोगों को कोरोना की चुनौतियों के बारे में भी अवगत कराया। विभिन्‍न चैनलों ने चाहे वे समाचार चैनल हों, मनोरंजन चैनल हों, खेल या व्‍यापार चैनल हों, सभी ने कोरोना महामारी के दौरान लोगों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने में बहुत सराहनीय भूमिका अदा की है।

श्री नकवी ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी देश में संकट आया है, सरकार, समाज, सिनेमा और मीडिया सभी ने राष्‍ट्रीय हित और मानव कल्‍याण के लिए पूरी ईमानदारी से अपनी-अपनी जिम्‍मेदारियां मिलकर निभाई हैं।

श्री नकवी ने कहा कि पूरी दुनिया सदियों के बाद कोरोना महामारी के रूप में इस तरह के संकट का सामना कर रही है। अनेक पीढि़यों ने इस तरह की चुनौती नहीं देखी है फिर भी हमने देश में एक परिपक्‍व समाज, सरकार, सिनेमा, मीडिया के रूप में अपनी भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ये चारों वर्ग समस्‍या के समाधान का एक हिस्‍सा बन गए हैं।

श्री नकवी ने कहा कि कार्य संस्‍कृति, प्रशासन का चरित्र और प्रतिबद्धता, समाज, सिनेमा और मीडिया में पिछले 10 महीनों के दौरान सकारात्‍मक क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिले हैं। सुधार केवल विनियमन के कारण नहीं आ सकते हैं, वे संकल्‍प के कारण ही होते हैं। आज कोरोना महामारी के कारण हर वर्ग की कार्य संस्‍कृति और जीवन शैली में भारी परिवर्तन देखे जा रहे हैं।

श्री नकवी ने कहा कि भारतीय समाज अच्‍छी और ऐसी मनोरंजन पूर्ण फिल्‍मों का प्रेमी है, जो बड़े पर्दे पर समाज के लिए संदेश देती हों। फिल्‍में और मीडिया न केवल हमारे जीवन का अभिन्‍न हिस्‍सा बन गए हैं, बल्कि इनमें समाज को प्रभावित करने की भी ताकत है। ऐसा कोरोना संकट के दौरान लघु फिल्‍मों ने सिद्ध कर दिया है।

“अंतिम” सलमान खान की फिल्म की शूटिंग शुरू attacknews.in

मुंबई, 10 दिसंबर। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने अपनी आगामी फिल्म ‘अंतिम- द फाइनल ट्रूथ’ की शूटिंग शुरू की। समझा जाता है कि सलमान फिल्म में एक सिख पुलिसकर्मी का चरित्र निभा रहे हैं।

खान के बहनोई और अभिनेता आयुष शर्मा ने इंस्टाग्राम पर इस फिल्म में सलमान की छवि की झलक देने वाली एक वीडियो क्लिप साझा की। शर्मा भी इस फिल्म में नजर आएंगे।

क्लिप में खान पगड़ी पहने एक सब्जियों के बाजार में धीमी गति से चलते दिखायी दे रहे हैं।

शर्मा ने इंस्टाग्राम पर लिखा,“ ‘अंतिम’ की शूटिंग शुरू हो रही है। भाई का ‘अंतिम’ से पहला लुक।”

माना जा रहा है कि यह फिल्म 2018 की हिट मराठी फिल्म ‘मुल्शी पैटर्न’ की रिमेक है।

टेलीविजन शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘गुलाबो’ का किरदार निभाने वाली मशहूर अभिनेत्री दिव्या भटनागर का अल्पायु में निधन attacknews.in

मुंबई, 07 दिसम्बर । लोकप्रिय टेलीविजन शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘गुलाबो’ का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दिव्या भटनागर का सोमवार को 34 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया।

दिव्या की मौत से टीवी जगत में मातम पसर गया है। अभिनेत्री कोरोना वायरस से पीड़ित थी और उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। दिव्या का ऑक्सीजन स्तर कम होने की वजह से वेंटिलेटर पर थीं और कई दिन जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने वाली दिव्या ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया।

दिव्या का निधन आज तड़के तीन बजे हुआ। तबीयत बिगड़ने पर अभिनेत्री को 7 हिल्स अस्पताल में शिफ्ट किया गया था। उनकी तबीयत रात अचानक दो बजे ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी। तीन बजे डाक्टरों ने दिव्या को मृत घोषित कर दिया।

दिव्या की मित्र और अभिनेत्री देवोलीना भट्टाचार्य ने इंस्टाग्राम पर संदेश लिखकर दु:ख व्यक्त किया है।
सुश्री भट्टाचार्य ने शोक संदेश में लिखा, “ जब कोई किसी के साथ नहीं होता था तो बस तेरा ही सहारा होता था। दिवु तू ही तो मेरी अपनी थी जिसे मैं डांट सकती थी, रूठ सकती थी, दिल की बात कह सकती थी। मुझे पता है कि जिंदगी ने तुझ पर बहुत जुल्म किये हैं। तू बेंइतेहां दर्द में थी लेकिन अब मुझे पता है कि तू बेहतर जगह पर है, जहां दु:ख, दर्द, फरेब, झूठ जैसा कुछ नहीं है। मैं तुझे मिस करुंगी दिवु और तू भी जानती है कि तुझे मैं प्यार करती हूं और तेरी फिक्र थी मुझे। बड़ी तू थी पर बच्ची भी तू ही थी। भगवान तेरी आत्मा को शांति दे। जहां भी है तू अभी बस खुश रह। तू बहुत जल्दी चली गयी दोस्त।”

दिव्या का जन्म दिल्ली में हुआ था। उनके पिता विनय भटनागर अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग (रॉ) में काम करते थे। दिव्या की मां का नाम मीना भटनागर है। वह अपने बेटे देवाशीष के साथ मुंबई में रहती हैं। देवाशीष भी मनोरंजन उद्योग से जुड़े हैं।

दिव्‍या ने वर्ष 2006 में टीवी शो ‘चांद के पार चलो’ से अभिनय की शुरूआत की। वर्ष 2009 में ‘ये रिश्‍ता क्‍या कहलाता है’ में ‘गुलाबो’ की भूमिका में दिव्या ने खूब आकर्षित किया। इसके बाद 2011 में ‘संवारे सबके सपने… प्रीतो’, 2018 में ‘श्रीमान श्रीमती फिर से’, 2020 में ‘तेरा यार हूं मैं’ में भी दिव्या की भूमिका को खूब सराहा गया।

दिव्या ने परिवार की मर्ज़ी के खिलाफ गगन नाम के व्यक्ति से विवाह किया था,किंतु उनका दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं था।

उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया,“हृदयगति रुकने से उनकी मौत हो गई। उन्हें करीब सात-आठ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था।”

“ये रिश्ता क्या कहलाता है” में उनकी सह कलाकार निधि उत्तम ने कहा कि वह दिव्या की मौत पर विश्वास नहीं कर पा रही हैं।

उन्होंने कहा,“मैं पिछले 10 दिनों से उसका हालचाल ले रही थी। मैंने कल शाम उसकी मां से बात की थी तो उन्होंने कहा था कि सारी रिपोर्ट सामान्य है, लेकिन उसके फेफड़ों का संक्रमण ठीक नहीं था। रात में हमें पता चला कि उसकी हालत गंभीर है और सुबह तीन-साढ़े तीन बजे वह हमें छोड़कर चली गई।”

कई टीवी अभिनेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिव्या के निधन पर शोक जताया है।

भटनागर ने ‘उड़ान’, ‘सिलसिला प्यार का’, ‘ससुराल गेंदा फूल’, ‘संवारे सबके सपना प्रीतो’, ‘विष’ सहित कई अन्य धारावाहिकों में भी अभिनय किया था।

‘ससुराल गेंदा फूल’ में उनकी सह-कलाकार रिद्धिमा तिवारी ने कहा कि निजी जीवन में कई मुश्किलों के बावजूद भटनागर हमेशा सकारात्मक और मुस्कुराते हुए दिखाई देती थीं।

लोकप्रिय टीवी अभिनेतात्री देबोलीना भट्टाचार्य ने इंस्टाग्राम पर लिखा,“मैं जानती हूं कि तुम्हारी जिंदगी कितनी मुश्किल थी…दर्द असहनीय था..लेकिन मैं जानती हूं अब तुम एक बेहतर स्थान पर हो और हर तरह के दर्द, दुख, धोखे और झूठ से दूर…मैं तुम्हें बहुत याद करूंगी दिवू और तुम्हें भी पता है कि मैं तुमसे कितना प्यार करती हूं।”

उन्होंने आगे लिखा,“भगवान तुम्हारी आत्मा को शांति दें। और तुम जहां हो, वहां खुश रहो। तुम्हारी बहुत याद आएगी।…तुम बहुत जल्दी चली गई मेरी दोस्त। ओम शांति।”

“सिलसिला प्यार का” में दिव्या की सह कलाकार शिल्पा शिरोडकर ने इंस्टाग्राम पर लिखा,“मेरा दिल टूट गया। भगवान तुम्हारी आत्मा को शांति दे दिव्या।”

योगी आदित्यनाथ ने मुंबई में बॉलीवुड हस्तियों से सुझाव मांगते हुए कहा:उत्तर प्रदेश में विश्वस्तर की फिल्म सिटी बसाई जाएगी,हम मुबंई से कुछ लेने नहीं बल्कि देने आये हैं attacknews.in

मुंबई/लखनऊ 02 दिसम्बर,। देश की आर्थिक राजधानी मुबंई के दो दिवसीय दौरे में सत्तारूढ़ शिवसेना की धड़कन बढ़ाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चिरपरिचित मुस्कान के साथ कहा कि वह मायानगरी से कुछ लेने नहीं बल्कि देने आये हैं। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के तहत ही उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित किया जा रहा है। किसी अन्य राज्य के निवेश अवसरों को छीना नहीं जा रहा है।

श्री योगी ने दौरे के समापन से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि निवेशकों और उद्यमियों के साथ सरकार प्रदेश में संवाद तो करती ही है, आज उद्यमियों से मुम्बई में संवाद किया जा रहा है। बेहतर कानून-व्यवस्था, निवेशकों को उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाओं एवं सरकार की कार्यपद्धति में जो पारदर्शिता और शुचिता आयी है, उससे उद्यमी उत्तर प्रदेश में निवेश करने के इच्छुक हैं। इस सम्बन्ध में आज यहां उद्यमियों से अच्छी चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के तहत ही उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित किया जा रहा है। किसी अन्य राज्य के निवेश अवसरों को छीना नहीं जा रहा है।

यूपी में प्रस्तावित फिल्म सिटी बालीवुड की जरूरतों को पूरा करेगी: योगी

फिल्म निर्माण से जुड़ी हस्तियों से उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी की स्थापना में सहयोग की अपील करते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में प्रस्तावित फिल्म सिटी फिल्म जगत की जरूरतों और चुनौतियों को आसान करेगी।

मुबंई के दो दिवसीय दौरे के दूसरे और अंतिम दिन फिल्मी हस्तियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि फिल्म जगत से जुड़े तथा फिल्म निर्माण का व्यापक अनुभव रखने वाले निर्माता, निर्देशक, एक्टर, लेखक आदि सभी की सहभागिता विश्व स्तरीय फिल्म सिटी के निर्माण में सहायक होगी। एक अच्छी फिल्म सिटी के निर्माण में सहयोग करके फिल्म जगत देश की कला, संस्कृति, विरासत को वैश्विक पटल पर स्थापित करने में सहभागी बने।

उत्तर प्रदेश में विश्वस्तर की फिल्म सिटी होगी: योगी

नोएडा में फिल्म सिटी के संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को मुंबई में बॉलीवुड हस्तियों से सुझाव मांगते हुए कहा कि हम अपने वादे के अनुसार दुनिया में सबसे सुंदर फिल्म सिटी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

श्री योगी ने मुंबई दौरे के आखिरी दिन बॉलीवुड अभिनेताओं, निर्देशकों और फिल्म निर्माताओं से बातचीत करते हुए कहा, “हम आपसे सभी प्रकार के सुझावों के लिए खुले मन से बातचीत करने आये हैं क्योंकि यह आपकी फिल्म सिटी है। यह आपकी आवश्यकताओं के अनुसार बनाया जाएगा और यूपी में आपका स्वागत है।”

उर्मिला मातोंडकर शिवसेना में शामिल हुईं,पार्टी युवाओं और श्रमिक वर्ग को आकर्षित करने की अपनी योजना को मजबूती देने के लिए मातोंडकर का करेगी इस्तेमाल attacknews.in

मुंबई, एक दिसंबर । बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर मंगलवार को शिवसेना में शामिल हो गईं। उर्मिला ने वर्ष 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था।

उर्मिला (46 वर्ष) ने पांच महीने तक कांग्रेस में रहने के बाद सितंबर 2019 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में मुंबई के उपनगर बांद्रा स्थित उनके निवास मातोश्री में शिवसेना की सदस्यता ग्रहण की।

शिवसेना के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद का सदस्य बनाने के लिए पार्टी ने उनका नाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल उत्तर मुंबई लोकसभा सीट से मातोंडकर को भाजपा के गोपाल शेट्टी से हार मिली थी। उर्मिला हाल में अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से करने पर उनकी निंदा करने की वजह से चर्चा में आई थीं।

वर्ष 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली सुश्री माताेंडकर श्री ठाकरे के निवास ‘मातोश्री’ में पार्टी में शामिल हुईं।

नयी पार्टी में आने के प्रतीक स्वरूप श्री ठाकरे की पत्नी रश्मि उद्धव ठाकरे ने उनकी कलाई पर रक्षा धागा “शिव बंधन” बांधा।

शिवसेना के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि यह देखते हुए कि पार्टी ने शहर में अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने के अलावा, युवाओं और श्रमिक वर्ग को आकर्षित करने की अपनी योजना को मजबूत किया है, सुश्री मातोंडकर की प्रविष्टि महत्वपूर्ण है।

भाजपा पहले ही 2022 में मुंबई महानगर पालिका में शिवसेना का वर्चस्व समाप्त करने की घोषणा कर चुकी है जिसके बाद श्री ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी सरकार के एक वर्ष पूरे होने की पूर्व संध्या पर बीएमसी का चुनाव कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की थी।

अभिनेता संजय दत्त को भरोसा है कि, वह कैंसर की बीमारी को जल्द मात दे देंगे attacknews.in

मुंबई, 15 अक्टूबर । कैंसर से अपनी जंग के बारे में अभिनेता संजय दत्त ने पहली बार खुलकर अपने मन की बात रखी और कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस बीमारी को वह जल्द ही मात दे देंगे।

अगस्त में खबरें आई थीं कि दत्त फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं। तब 61 वर्षीय अभिनेता ने घोषणा की थी कि उपचार लेने के लिए वह अपनी पेशेवर प्रतिबद्धताओं से कुछ समय के लिए दूरी बनाऐंगे।

बुधवार शाम को इंस्टाग्राम पर डाले गए एक वीडियो में संजय दत्त जाने-माने हेयर स्टाइलिस्ट आलिम हकीम के सैलून पर बाल कटवाते नजर आ रहे हैं।

अभिनेता ने बालों में हकीम द्वारा बनाए गए चोट के निशान जैसे डिजाइन की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘मेरे जीवन में यह निशान हाल में आया है लेकिन मैं इसे हरा दूंगा, मैं कैंसर को जल्द मात दूंगा।’’

अभिनेता की आगामी फिल्म ‘‘केजीएफ: चैप्टर 2’’ और रणबीर कपूर के साथ ‘‘शमशेरा’’ है।

दत्त ने कहा कि 2018 में आई फिल्म ‘‘केजीएफ’’ के सिक्वल के लिए वह दाढ़ी बढ़ा रहे हैं, फिल्म के लिए उन्हें अगले महीने से शूटिंग शुरू करनी है। उन्होंने यह भी कहा कि सेट पर लौटकर उन्हें खुशी हो रही है।

वीडियो के अंत में जब हकीम कहते हैं कि उन्हें अभिनेता को उत्साहित देखकर खुशी हुई तो इस पर दत्त कहते हैं कि उपचार के दौरान उनका वजन कम हो गया था लेकिन अब उन्होंने फिर से व्यायाम शुरू कर दिया है।

वीडियो में उन्होंने आगे कहा, ‘‘मेरी सेहत धीरे-धीरे फिर बनने लगी हैं। मैं इससे बाहर निकल आऊंगा।’’

वनमालाः उज्जैन में जन्मी बाॅलीवुड ,फिल्मी दुनिया की वह पहली अभिनेत्री जो 20 साल का फिल्मी कैरियर छोड़कर संन्यासिनी बन गई attacknews.in

वनमाला
(जन्म : 23 मई 1915, उज्जैन- निधन: 29 मई 2007, ग्वालियर)

बीते जमाने की सफलतम और बेहद खूबसूरत अभिनेत्री वनमाला को लेकर अगर आज की पीढ़ी से पूछा जाए तो शायद ही कोई उनके बारे में कुछ बता पाए। लेकिन मध्य प्रदेश और मालवा वासियों को ये जानकर हैरानी और गर्व होगा कि उज्जैन में जन्मी सुशीला पवार ने एक जमाने में फिल्मी परदे पर अपनी ऐसी धाक जमाई थी कि उस जमाने के पृथ्वीराज कपूर से लेकर सोहराब मोदी, मोतीलाल जैसे दिग्गज अभिनेता उनके साथ काम करना अपना सौभाग्य समझते थे। वी शांताराम जैसे दिग्गज फिल्मकार ने उनको लेकर मराठी और हिंदी की सफलतम फिल्में बनाई।

सिंधिया राज्य के समय उज्जैन के कलेक्टर रहे बापूराव पवार के घर जन्मी वनमाला के बचपन के कुछ दिन तो उज्जैन में बीते फिर उनके पिता का स्थानांतरण ग्वालियर होने के बाद उनकी शिक्षा ग्वालियर में हुई। इनकी माताजी का नाम सीता देवी था। उनकी चार बहनें और दो भाई थे। बापूराव पवार सिंधिया राज्य के एक रौबदार अधिकारी थे और उन्हें सिंधिया राज्य की ओर से कर्नल व राव बहादुर की उपाधि दी गई थी। उनके ही परिवार के आनंद राव पवार 2006 में मध्य प्रदेश में पुलिस महानिदेशक बने और इसी पद से सेवा निवृत्त हुए। श्री आनंद राव पवार वनमाला के भतीजे हैं।

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वे जीवन के हर क्षण में अपने शहर उज्जैन को गर्व से याद करती रही। वनमाला उस उज्जैन में अपना जन्म होना सौभाग्य मानती थी जिस अवंतिका नगरी में कालिदास जैसा महान कवि हुआ। उन्होंने अपना नाम सुशीला देवी से बदलकर वनमाला रख लिया था और वे एक समर्थ, सशक्त, लोकप्रियता की तमाम उँचाईयाँ छूने के बाद साध्वी बनकर वृंदावन चली गई। फिर उन्होंने अपने अँतिम दिन ग्वालियर में बिताए। लम्बे समय तक कैंसर से पीड़ित वनमाला का निधन 92 वर्ष की आयु में 29 मई, 2007 को ग्वालियर में हो गया। 29 मई, 1971 को उनके प्रिय अभिनेता पृथ्वीराज कपूर का भी निधन हुआ था। जीवन के अंतिम समय तक वे कृष्ण भक्ति में डूबी रहीं और नाथद्वारा के श्रीनाथजी की प्रतिमा पर लगने वाले चंदन को सूँघकर अपने दिन की शुरुआत करती थी।

वनमाला के अभिनय से लेकर उनके अभिनेत्री बनने के कई किस्से हैं। ये वह दौर था जब भारतीय फिल्मों में लड़कियों का काम करना हेय दृष्टि से देखा जता था। उस दौर में खूबसूरती के तमाम आयामों के शिखर को छूने वाली वनमाला एक ताजी हवा के झोंके की तरह चमकदार फिल्मी परदे पर उभरी। दर्शकों को हँसाती रुलाती और गुदगुदाती भी रही और झोकझोरते हुए अपने अभिनय से अपना दीवाना बनाती रही।

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वनमाला की पहली ब्लॉक बस्टर ऐतिहासिक फिल्म सिकन्दर (1941) थी। मिनर्वा मूवीटोन के बैनर तले बनी इस फिल्म में उनके साथ सोहराब मोदी और पृथ्वीराज कपूर थे। सोहराब मोदी ने इस फिल्म में पोरस की और पृथ्वीराज कपूर ने अलेक्जेंडर की भूमिका निभाई थी। फिल्म में ईरानी सुंदरी रूख्साना की भूमिका में वनमाला ने ऐसी जान डाल दी थी कि फिल्म में दो दिग्गज कलाकारों सोहराब मोदी और पृथ्वीराज कपूर के होने के बाद भी सबसे ज्यादा चर्चा वनमाला के अभिनय और सौंदर्य की ही हुई। उस दौर की ये भव्यतम फिल्म थी जिसके युध्द दृश्यों की वजह से इसे भारत में ब्रिटिश कैंटोनमेंट क्षेत्रों में प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।

1941 में आई फिल्म “चरणों की दासी’ में दुर्गा खोटे जिन्होंने मुगले आज़म में जोधा बाई की भूमिका की थी उसमें वे सास बनीं थी और वनमाला ने क्रूर सास के सामने सास के सामने एक विनम्र मगर विद्रोही पुत्रवधू की भूमिका निभा कर अपनी ज़बर्दस्त छाप छोड़ी थी। इस फिल्म की लोकप्रियता का ये हाल था कि सिनेमाघर के बाहर वनमाला के बैनर और पोस्टर देखने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती थी।

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पृथ्वीराज अपनी डायना (वनमाला) को चंद्रमा की देवी कहते थे। ये वनमाला की जादुई व नशीली आँखें ही थी कि उन्हें सिकंदर में रुख्साना की भूमिका मिली और वनमाला को “सिकंदर” की सफलता के साथ भारतीय फिल्म सितारों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर दिया। पहाड़ी सान्याल उसे “माला” कहते थे। मोतीलाल उसे इस भूलोक की अनुपम सुंदरी और फिल्मी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी कलाकार कहते थे।

वनमाला ने 1936 से फिल्मों में काम करना शुरु किया और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरु हो चुका था। वनमाला ने स्वाधीनता सेनानी अरुणा आसफ अली, अच्युत पटवर्धन और आचार्य नरेंद्र देव को अपने घर में छिपाकर रखा जब ब्रितानी पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चारों ओर खोज रही थी।

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वनमाला ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से बीए करने वाली पहली छात्रा थी। इसके बाद वे 1936 में पुणे में अपनी मौसी के पास चली गई। वहाँ वनमाला आचार्य अत्रे के साथ आगरकर विद्यालय में पढ़ाने लगी। वह उस समय की पहली महिला थी जिसने दो विषयों में एमए किया था। आचार्य अत्रे उस दौर के मराठी के जाने माने नाटककार थे और उनके पास उस जमाने के दिग्गज फिल्म निर्देशक बाबूराव पेंढारकर मास्टर विनायक और वी शांताराम आते रहते थे। मास्टर विनायक और बाबूराव पेंढारकर ने नवयुग चित्रपट कंपनी बनाई थी। इस कंपनी ने मराठी फिल्म लपंडाव फिल्म का निर्माण किया जो हिंदी में आँखमिचौली के नाम से बनी।

वनमाला का फिल्मी सफर इन्हीं फिल्मों से शुरु हुआ। उन्होंने मराठी फिल्म लपंडाव और हिंदी में बनाई इसी फिल्म आँख मिचौली में अभिनय किया। फिल्मी दुनिया की नकली जिंदगी उनकी अध्यात्मिक जीवन शैली को रास नहीं आई और एक दिन उन्होंने फिल्मी कैरियर को तिलाजलि देकर संन्यासिनी का चोला ओढ़ लिया। 1965 में उनका मन फिल्म जगत से उचट गया और वे वृंदावन जाकर साध्वी जैसा जीवन व्यतीत करने लगी। वृंदावन में उन्होंने नई पीढ़ी को भारतीय कला और संगीत से परिचित कराने के लिए हरिदास कला संस्थान की स्थापना की। संन्यासिनी जीवन में उन्होंने अपना फिल्मी नाम छोड़कर वापस अपने बचपन का नाम सुशीला रख लिया।

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मुंबई की फिल्मी दुनिया में ये किस्सा आज भी सुनाया जाता है। कि वनमाला के पिता बाबूराव पवार जब ग्वालियर के रीगल सिनेमा में फिल्म देखने गए तो परदे पर अपनी बेटी को देखते ही आपा खो बैठे और परदे पर ही गोली चला दी। गोली चलते ही सिनेमा हाल में भगदड़ मच गई। इस किस्से को कोई हकीकत बताता है तो कोई कपोल कल्पना। वनमाला के भतीजे और मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे श्री आनंदराव पवार इसे काल्पनिक बताते हैं तो उनकी भांजी श्रीमती मोहिनी माथुर इस किस्से को लेकर कहती है कि उन्होंने भी ऐसा कई लोगों के मुँह से सुना है। जब वनमाला जी के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे फिल्म निर्माता स्व. जे के निर्मल ने जब मुझे स्क्रिप्ट लिखने का काम दिया था तो ये किस्सा उन्होंने खुद ही सुनाया था।

वनमाला ने नृत्य की शिक्षा पं. लच्छू महाराज और संगीत की पं. सदाशिव राव, अमृत फुले, छम्मन खां से ली। उन्होंने 1941 से लेकर 1954 के समय कई हिंदी और मराठी फिल्में की। उनके बेहतर अभिनय के लिए शांताराम अवॉर्ड मिला। वर्ष 2004 में देश का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फालके अवॉर्ड से भी नवाजा गया। घुड़सवारी और तीरंदाजी वनमाला के शौक थे तो उन्होंने कथक, कथकली और मणिपुरी जैसे शास्त्रीय नृत्यों में भी महारत हासिल की थी ।

वनमाला ने अपने फिल्मी कैरियर में एक से एक सफल फिल्मों से अपने अभिनय की छाप छोड़ी। महाकवि कालिदास, कादंबरी, मुस्कराहट, शहंशाह अकबर, राजा रानी, वसंत सेना जैसी फिल्मों से लेकर चरणों की दासी (1941), वसंतसेना (1942), दिल की बात (1944), परबत पे अपना डेरा (1944) आरती (1945), शरबती आंखें (1945), खानदानी (1947) बीते दिन (1947 ), पहला प्यार (1947 ), हातिमताई (1947) बैचलर हसबेंड (1950) , आजादी की राह पर (1948), चन्द्रहास (1947), खानदानी (1947), हातिमताई (1947), बीते दिन (1947), अंगारे (1954), भक्त पुराण (1952 ), बैचलर हसबैंड (1950), श्रीराम भरत मिलाप (1965), पायाची दासी और मराठी फिल्म मोरूची मावशी। वसंत सेना फिल्म के निर्माण में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी।

हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी तीनों भाषाओं में समान अधिकार रखने वाली वनमाला को मराठी फिल्म श्याम ची आई (1953) में अविस्मरणीय भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त स्वर्ण कमल पुरस्कार दिया गया। इस तरह वनमाला भारत की पहली अभिनेत्री थी जिन्हें ये प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया था। इस फिल्म का निर्देशन आचार्य प्रह्लाद केशव अत्रे ने किया था, जिसकी कहानी स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध मराठी रचनाकार साने गुरुजी के आत्मकथात्मक उपन्यास पर आधारित है।

साने गुरुजी (1899 – 1950) द्वारा लिखा गया उपन्यास श्याम ची आई 20 वीं शताब्दी (1935) के सबसे प्रभावशाली मराठी उपन्यासों में से एक है। जेल में लिखा गया ये उपन्यास में श्याम कोंकण में रहने वाले घोर गरीबी में जीने वाले श्याम नामक युवा की कहानी है जो अपनी माँ के धार्मिक और व्यावहारिक संस्कारों के साथ जीता है।

वनमाला जी ने जब पहली बार साने गुरूजी का ये उपन्यास पढ़ा तो उसे पढ़कर उनकी आँखों से आँसुओँ का झरना बह निकला। उन्होंने तत्काल साने गुरुजी से संपर्क क पाँच सौ रुपये देकर इस उपन्यास पर फिल्म बनाने के अधिकार हासिल कर लिए। उन्होंने खुद इस फिल्म का निर्माण भी किया और शानदार अभिनय भी किया। इस फिल्म में वनमाला ने ऐसी माँ की भूमिका की थी जिसका पति एक बेटा छोड़कर मर जाता है। घरेलू काम कर वह अपने बेटे को पढ़ाती-लिखाती है और उसे बड़ा आदमी बनाती है। इस फिल्म में माँ की अविस्मरणीय भूमिका के लिए ही उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया था।

उज्जैन शहर में जन्मी होने के कारण वे चाहती थी कि उनके अपने शहर की किसी कहानी पर कोई फिल्म बने और वे इसमें अभिनय भी करें। इसके लिए उन्होंने प्राचीन उज्जयिनी के लेखक शूद्रक के नाटक मृच्छकटिकम की नायिका वसंतसेना में मुख्य नायिका की भूमिका कर अपनी इच्छा पूरी की।

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उन्होंने भारतीय परंपराओं और संस्कृति को बढ़ावा देने वृन्दावन में शास्त्रीय नृत्य एवं गायन के लिए हरिदास कला संस्थान नाम से विद्या केंद्र स्थापित किया। वनमाला कई सामाजिक गतिविधियों से गहराई से जुड़ी थीं। वे छत्रपति शिवाजी नेशनल मेमोरियल कमेटी की सदस्य थी।
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सदी के महानायक,बाॅलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन 78 के हुये,सात हिन्दुस्तानी से शुरु हुआ सफर “एंग्री यंगमैन” से कभी नहीं रूकने के ब्रह्मास्त्र के साथ जारी है attacknews.in

मुंबई, 11 अक्टूबर ।बॉलीवुड में पांच दशक से अपने अभिनय के जादू से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले महानायक अमिताभ बच्चन आज 78 साल के हो गये।

11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की, जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था। वर्ष 1968 में कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद वह मुंबई आ गये।

बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और दिलीप कुमार से प्रभावित रहने के कारण वह उन्हीं की तरह अभिनेता बनना चाहते थे।

वर्ष 1969 में अमिताभ बच्चन को पहली बार ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी में काम करने का मौका मिला। लेकिन इस फिल्म के असफल होने के कारण वह दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नहीं बना पाये।

वर्ष 1971 में अमिताभ बच्चन को राजेश खन्ना के साथ फिल्म आनंद में काम करने का मौका मिला। राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार के रहते हुये भी अमिताभ बच्चन दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। इस फिल्म के लिये उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।

निर्माता प्रकाश मेहरा की वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म जंजीर अमिताभ बच्चन के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। फिल्म की सफलता के बाद बतौर अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। फिल्म जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ बच्चन की गिनती अच्छे अभिनेता के रूप में होने लगी और वह फिल्म उद्योग में एंग्री यंग मैन कहे जाने लगे।

वर्ष 1975 में यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म दीवार ने अमिताभ बच्चन की पिछली सभी फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिये और शोले की सफलता के बाद तो उनके सामने सारे कलाकार फीके पड़ने लगे और अमिताभ बच्च्चन फिल्म इंडस्ट्री में सुपर स्टार के सिंहासन पर जा बैठे।

वर्ष 1984 में अपने मित्र राजीव गांधी के आग्रह पर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और इलाहाबाद से सांसद का चुनाव लड़ा तथा सांसद के रूप मे चुन लिये गये।

अमिताभ बच्चन को अधिक दिनों तक राजनीति रास नहीं आई और तीन वर्ष तक काम करने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया । इसकी मुख्य वजह यह थी कि उनका नाम उस समय बोफोर्स घोटाले में खींचा जा रहा था। सासंद के पद से इस्तीफा देने के बाद अमिताभ पुन: फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हो गये ओर उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना जारी रखा लेकिन 90 के दशक के आखिर में उनकी फिल्में असफल होने लगी जिसके बाद अमिताभ बच्चन ने 1997 तक अपने आप को अभिनय से अलग रखा।

वर्ष 1997 में अमिताभ बच्चन ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र मे कदम रखा और एबीसीएल बैनर का निर्माण किया। इसके साथ ही अपने बैनर की निर्मित पहली फिल्म मृत्युदाता के जरिये अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से अभिनय करना शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2000 में ही टीवी प्रोग्राम कौन बनेगा करोड़पति में भी अमिताभ को काम करने का मौका मिला। कौन बनेगा करोड़पति की कामयाबी के बाद अमिताभ बच्चन एक बार फिर से दर्शकों के चहेते कलाकार बन गये।

अमिताभ बच्चन ने कई फिल्मों में गीत भी गाये है । उन्होंने सबसे पहले वर्ष 1979 मे प्रदर्शित फिल्म मिस्टर नटवर लाल में मेरे पास आओ मेरे दोस्तों गीत गाया था।

अमिताभ की इस वर्ष फिल्म गुलाबो सिताबो प्रदर्शित हुयी है। अमिताभ की आने वाली फिल्मों में ब्रहास्त्र, चेहरे और झुंड शामिल हैं। अमिताभ इन दिनों टीवी पर केबीसी को होस्ट कर रहे हैं।

वेब सीरीज ‘शांताराम’ में काम करेंगे अमिताभ

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन वेब सीरीज में काम करते नजर आ सकते हैं।

कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में कई फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई। दर्शकों के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का क्रेज बढ़ा है। बॉलीवुड के कई सितारों ने वेब सीरीज की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। अमिताभ बच्चन का नाम भी वेब सीरीज में जुड़ सकता है।

चर्चा है कि अमिताभ बच्चन जल्द ही वेब सीरीज ‘शांताराम’ में नजर आ सकते हैं। इस सीरीज में राधिका आप्टे और चार्ली हन्नम भी नजर आने वाले हैं।

ग्रेगरी डेविड रॉबर्ट्स द्वारा लिखे गए लोकप्रिय उपन्यास ‘शांताराम’ को पिछले 17 सालों से पर्दे पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। वर्ष 2007 में मीरा नायर ने इस पर काम शुरू किया था। जिसमें जॉनी डेप नजर आने वाले थे। अमिताभ इस प्रोजेक्ट का भी अहम हिस्सा थे, लेकिन कुछ कारणों से यह प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा।

बताया जा रहा है कि इस वेबसीरीज में अमिताभ एक अपराधी का किरदार निभाते हुए नजर आयेंगे। इस सीरीज की शूटिंग 2021 से शुरू हो सकती है।

सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ 15 अक्टूबर से संचालन की अनुमति,मास्क पहनना और दर्शकों के बीच एक सीट की दूरी रखना अनिवार्य होगा attacknews.in

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर । कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले सात महीनों से बंद देश के सिनेमा घर 15 अक्टूबर से 50 फीसदी क्षमता के साथ खुल सकेंगे। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए सिनेमाघरों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की घोषणा की।

अपने आवास पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता के साथ 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल खोलने की अनुमति होगी। साथ ही मास्क पहनना और दर्शकों के बीच एक सीट की दूरी रखना अनिवार्य होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘सिनेमा घर पिछले सात महीनों से बंद हैं। वे अब 15 अक्टूबर से खुलेंगे। लोगों की सुरक्षा के लिए हमने एसओपी तैयार की है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सिनेमा घरों में 50 प्रतिशत लोगों के बैठने की अनुमति होगी। एक कुर्सी छोड़कर बैठने की व्यवस्था की जाएगी। मास्क लगाना अनिवार्य होगा। साथ ही सैनिटाइजर जरूरी है।’’

जावड़ेकर ने बताया कि कोरोना से बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने वाली एक मिनट की एक फिल्म दिखाया जाना या इस बारे में घोषणा किया जाना अनिवार्य होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘एक शो खत्म होने के बाद पूरा हॉल सैनिटाइज करना होगा तभी दूसरा शो आरंभ होगा। सिंगल स्क्रीन में टिकट बुकिंग के लिए ज्यादा खिड़कियां खोलनी होंगी। सभी जगह ऑनलाइन टिकट बुकिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। पैक्ड खाना मिलेगा।’’

उन्होंने उम्मीद जताई की एसओपी का पालन होगा और लोग 15 अक्टूबर से सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देख सकेंगे। इसके लिए उन्होंने सभी को शुभकामनाएं भी दीं।

सिनेमाघर में लागू मानक प्रक्रिया के अनुसार हॉल में एक सीट छोड़कर बैठने की व्यवस्था होगी। हॉल और सार्वजनिक क्षेत्र में लोगों के बीच 6 फीट की दूरी , हॉल और सार्वजनिक क्षेत्र में मास्क लगाना , प्रवेश द्वार और निकास द्वार पर टेम्परेचर की जांच करना और सैनिटाइजर रखना अनिवार्य होगा।

सभी सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रसारण से पहले और इंटरवेल में कोरोना को लेकर जागृति वाली एक मिनट की फिल्म या उद्घोषणा दिखाना अनिवार्य होगा। फिल्म के दो शो के बीच में आवश्यक अतंराल हो ताकि हॉल को अच्छी तरह सैनिटाइज किया जा सके।

सिंगल स्क्रीन वाले हॉल में टिकट खिड़कियों की संख्या को बढ़ाना होगा, टिकट बुकिंग के लिए ऑनलाइन मोड को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सिनेमा हॉल में सिर्फ पैकड फूड ही बेचा जा सकेगा। साथ ही हॉल में 23 से 25 डिग्री तापमान बनाए रखना होगा। इसके साथ ही हवा की आवाजाही बेहतर होनी चाहिए। हर दर्शक का टेंपरेचर मापा जाएगा उसके बाद ही उसे एंट्री दी जाएगी। सिनेमा हॉल में कार्य कर रहे कर्मचारियों को सभी नियमों का पालन करना होगा जिसमें मास्क, ग्लव्स पहनना अनिवार्य होगा।

मंत्रालय के मानक प्रक्रिया के अनुसार कंटेनमेंट जोन में सिनेमाघर नहीं खोले जा सकेंगे। राज्य सरकारें इन उपायों के साथ स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अतिरिक्त दिशा निर्देश जारी कर सकते हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 30 सितंबर को जारी दिशा निर्देशों में पचास फीसदी क्षमता के साथ सिनेमाघरों को खोलने की अनुमति दी थी

रिकार्डिंग के रिकाॅर्डधारी प्रख्यात गायक एस पी बालासुब्रमण्यम:16 भारतीय भाषाओं में 40 हजार से ज्यादा गाने का रिकॉर्ड,, एक दिन में सबसे ज्यादा 21 गाने रिकॉर्ड करने का रिकॉर्ड ,गिनीज बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज हैं नाम attacknews.in

अपनी गायकी से दिलों को जीतने वाले सुरों के जादूगर

16 भारतीय भाषाओं में 40 हजार से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए हैं, इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक आफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया

एक दिन में सबसे ज्यादा 21 गाने रिकॉर्ड करने का रिकॉर्ड भी उन्होंने उसी दौर में बनाया

खनकती एवं सुरीली आवाज से गायकी की दुनिया में अलग पहचान बनाने वाले लोकप्रिय पार्श्वगायक एस पी बालासुब्रमण्यम का शुक्रवार 25 सितम्बर 2020 को कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।

कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद श्री बालासुब्रमण्यम को पांच अगस्त को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गाया था।

संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह श्री बालासुब्रमण्यम की लाजवाब एवं सुरीली आवाज ने विश्वभर के संगीत प्रेमियों को उनका दीवाना बना दिया था। पांच दशक तक उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

अपनी आवाज के जादू से करीब पांच दशक तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले एसपी बालासुब्रमण्यम इंजीनियर बनना चाहते थे।

पार्श्व गायक एस पी बालासुब्रमण्यम ने अपनी सुरीली आवाज से कई पीढ़ियों के दिलों पर राज किया। उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगू समेत विभिन्न भाषाओं में गाने गाए और कई पुरस्कार भी जीते ।उन्होंने तमिल और अपनी मातृभाषा तेलुगू, हिंदी समेत 16 भाषाओं में गाने गए ।उन्होंने अपने करियर में कई पीढ़ी के संगीतकारों के साथ काम किया और 40,000 से ज्यादा गाने गाए । बाद के दिनों में वह कई रियल्टी शो से भी जुड़े।

04 जून 1946 को तमिलनाडु के तिरिवल्लुवर जिले में जन्में श्रीपति पांडीतराधुल्या बाला सुब्रमणयम (एसपी बालासुब्रमण्यम) के पिता नाटकों में काम किया करते थे। एसपी बालासुब्रमण्यम इंजीनियर बनना चाहते थे और इसके साथ ही उनका रूझान संगीत की ओर भी था। उन्होंने आंध्रप्रदेश में अनंतपुर की जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला भी ले लिया लेकिन उनकी तबीतय अधिक खराब हो गयी और उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ने के बाद एसपी बालसुब्रमण्यम संगीत की शिक्षा लेते रहे।

वर्ष 1964 में एसपी बालासुब्रमण्यम को ‘एम्चयोर’ गायक के तौर पर एक ‘कॉम्पटीशन’ में पहला इनाम मिला। बतौर पार्श्वगायक उन्होंने अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1966 में प्रदर्शित तेलुगु फ़िल्म श्री श्री मर्यादा रामान्ना से शुरू की। इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिये कई गीत गाये।

वर्ष 1981 में प्रदर्शित ‘एक दूजे के लिए’ से उन्होंने हिंदी फिल्म में भी आगाज कर दिया। दिलचस्प बात है कि इसी फिल्म से कमल हसन और रति अग्निहोत्री ने भी हिंदी में अपने सिने करियर की शुरूआत की थी। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हिट साबित हुयी। फिल्म के गीत तेरे मेरे बीच में, हम बने तुम बने आज भी सुपरहिट हैं। इस फिल्म के लिये वह सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये।

एसपी बालसुब्रमण्यम ने आठ फरवरी 1981 को एक अद्भुत काम किया। उन्होंने सुबह नौ बजे से रात नौ बजे के बीच कन्नड़ में 21 गाने रिकॉर्ड किए। तमिल में वो एक दिन में 19 और हिंदी में 16 गाने रिकॉर्ड कर चुके हैं। एक समय वो इस कदर व्यस्त थे कि 15-16 गाने प्रति दिन रिकॉर्ड करना रूटीन की तरह हो गया था।

उन्होंने कमल हासन जैसे मशहूर कलाकार के लिए डबिंग भी की। एक दिन में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने का रिकॉर्ड भी उन्होंने उसी दौर में बनाया।

एसपी बालसुब्रमण्यम को कमल हसन के अलावा सलमान खान की आवाज भी कहा जाता है। सलमान खान के करियर की शुरुआती फिल्म मैंने प्यार किया के सारे गाने एसपी बालसुब्रमण्यम ने ही गाये थे। फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ के बाद एसपी बालसुब्रमण्यम ने सलमान खान की कई फिल्मों के लिये पार्श्वगायन किया।

कई राष्ट्रीय और राज्यों के पुरस्कार के साथ ही पद्म श्री और पद्म भूषण से भी उन्हें नवाजा गया। उन्होंने पांच दशक के अपने करियर में कई पीढ़ी के संगीतकारों के साथ काम किया और 40,000 से ज्यादा गाने गाए । बाद के दिनों में वह कई रियल्टी शो से भी जुड़े।

एस पी बालासुब्रमण्यम का पूरा नाम श्रीपति पंडिताराध्याउला बालासुब्रमण्यम था।

मोहम्मद रफी के गानों से प्रभावित बालासुब्रमण्यम ने हजारों सदाबहार गाने गाए । सभी तरह के गानों को उन्होंने अपनी आवाज दी, चाहे खुशी के नगमें हो या दर्द भरे गीत। उन्होंने 1966 में पहला गीत गाया था।

वर्ष 1969 में एमजीआर अभिनीत ‘अदिमाईपेन’ में उनका गाया ‘अयराम निलावे वा’ बहुत लोकप्रिय रहा और उसके बाद वह बुलंदियों को छूते गए ।

शास्त्रीय गायन में औपचारिक प्रशिक्षण नहीं होने के बावजूद उन्होंने जिन ऊंचाइयों को छुआ , वहां तक कई प्रशिक्षित गायक भी नहीं पहुंच पाते हैं ।

उनका जन्म आंध्रप्रदेश के नेल्लौर में चार जून 1946 को हुआ था। प्रख्यात संगीतकार इलैयाराजा समेत उनके कई दोस्त उन्हें प्यार से ‘बालू’ कहकर बुलाते थे।

पिछले वर्षों में बालासुब्रमण्यम ने कहा था, ‘‘मैं सिनेमा जगत में नहीं आना चाहता था। साठ के दशक में मैं एक इंजीनियर बनना चाहता था। चाहता था कि 250 रुपये वेतन मिले और मेरे पास एक जीप हो । ’’

उन्होंने एम एस विश्वनाथन, इलैया राजा, ए आर रहमान समेत कई संगीतकारों के साथ काम किया और पी सुशीला, एस जानकी, वाणी जयराम और चित्रा समेत अन्य गायिकाओं के साथ युगल गाने भी गाए ।

बालासुब्रमण्यम को गानों के लिए छह राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने एक से बढ़कर एक गाने गाए जिनके श्रोता आज भी कायल हैं । इसके अलावा उन्होंने भक्ति गाने भी गए ।

संगीतकार इलैयाराजा के साथ उनकी बहुत प्रगाढ दोस्ती थी।

गायक के जे येसुदास के प्रति भी वह बहुत स्नेह रखते थे और उन्हें ‘गुरु’ कहकर पुकारते थे ।

बालासुब्रमण्यम की बहन एस पी शैलजा भी गायिका हैं । बालासुब्रमण्यम के पुत्र चरण भी सिनेमा-संगीत क्षेत्र में सक्रिय हैं ।

एसपी बालासुब्रमण्यम ने 16 भारतीय भाषाओं में 40 हजार से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए हैं। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक आफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया। सिंगिंग के लिए साउथ सिनेमा और बॉलीवुड के लगभग सभी अवॉर्ड उन्हें हासिल हो चुके हैं। बालासुब्रमण्यम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से 2001 में पद्मश्री और 2011 में पद्म भूषण से नवाजा गया।एसपी बालासुब्रमण्यम ने सिंगर के अलावा एक्टर, म्यूजिक डायरेक्टर, डबिंग आर्टिस्ट और फिल्म प्रोड्यूसर के रूप में भी काम किया है।

ड्रग्स मामले में दीपिका पादुकोण,सारा अली, समेत चार अभिनेत्रियों को एनसीबी का समन, अभिनेत्री पायल घोष के आरोपों के बाद निर्देशक अनुराग कश्यप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज attacknews.in

मुंबई 23 सितंबर । बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग्स कनेक्शन की जांच कर रहे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने बुधवार को मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण समेत सारा अली खान, श्रद्धा कपूर और रकुल प्रीत सिंह को ब्यूरो के समक्ष पेश होने के लिए समन जारी किया है।

इससे पहले एनसीबी ने इस मामले में सुशांत सिंह राजपूत की गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया था जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

एनसीबी ने इसके अलावा दीपिका की मैनेजर करिश्मा प्रकाश और प्रतिभा प्रबंधन एजेंसी के सीईओ ध्रुव चिटगोपेकर को भी तलब किया है।

अभिनेत्री के आरोपों के बाद निर्देशक अनुराग कश्यप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

इधर अभिनेत्री पायल घोष के बलात्कार का आरोप लगाने के बाद मुम्बई पुलिस ने फिल्मकार अनुराग कश्यप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

कश्यप पहले ही इन आरापों को ‘‘ निराधार’’ बता चुके हैं।

अधिकारी ने बताया कि अभनित्री के अपने वकील नितिन सातपुते के साथ पुलिस से शिकायत करने के बाद वर्सोवा पुलिस थाने में मंगलवार देर रात प्राथमिकी दर्ज की गई।

अधिकारी ने बताया कि भादंव की धारा 376 (I), 354, 341 और 342 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की जांच जारी है।

उन्होंने बताया कि सात साल पुराने (2013 के) मामले में पूछताछ के लिए कश्यप को बुलाया जाएगा।

अभिनेत्री ने अपनी शिकायत में कश्यप पर 2013 में वर्सोवा में यरी रोड स्थित एक स्थान पर उनके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया है।

अधिकारी ने बताया कि अभिनेत्री और उनके वकील सोमवार को ओशिवारा पुलिस थाने गए थे। वहां उन्हें वर्सोवा पुलिस थाना जाने को कहा गया क्योंकि घटना उसी न्यायिक क्षेत्र की है।

वे ओशिवारा पुलिस थाने इसलिए गए थे क्योंकि कश्यप का कार्यालय उस इलाके में है।

सातपुते ने मंगलवार रात ट्वीट किया, ‘‘ अंतत: आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म, गलत तरीके से रोकने…. और महिला का शील भंग करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई।’’

अभिनेत्री ने शनिवार को ट्वीट कर कश्यप के खिलाफ उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।

वहीं, कश्यप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इस उन्हें ‘‘खामोश’’ करने का प्रयास करार दिया है।

कश्यप के वकील ने ट्वीट किया, ‘‘ मेरे मुवक्किल अनुराग कश्यप, इन गलत आरोपों से बेहद दुखी हैं, ये पूरी तरह से झूठे, निंदनीय और गलत हैं।’’

उत्तरप्रदेश देने जा रहा है दुनिया को ‘पूर्ण’ फिल्मसिटी का उपहार,योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक में प्रख्यात फिल्मकारों ने एक सुर में इसे शीघ्रता से पूर्ण करने की सहमति दी attacknews.in

लखनऊ 22 सितम्बर । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्म जगत को आश्वस्त करते हुये कहा कि 50 साल की जरूरतों का ध्यान में रखकर राज्य में फिल्म सिटी का निर्माण किया जायेगा जो न सिर्फ सिनेमा जगत की कसौटी पर खरी उतरेगी बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक नजीर पेश करेगी।

यमुना एक्सप्रेस-वे सेक्टर-21 में लगभग 1,000 एकड़ में प्रस्तावित फिल्म सिटी को लेकर श्री योगी ने मंगलवार को सिनेमा जगत की महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ बैठक में कहा उत्तर प्रदेश में अपूर्णता का कोई स्थान नहीं। यहां अधूरा कुछ नहीं होता। यह राम की अयोध्या, कृष्ण की मथुरा, शिव की काशी के साथ ही बुद्ध, कबीर और महावीर की भी धरती है। गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। पूर्णता का प्रतीक यह राज्य दुनिया को आधुनिक साज सज्जा के साथ फिल्म सिटी का तोहफा देगा।

श्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति, सभ्यता और समृद्ध परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है। यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में जहां यह फ़िल्म सिटी विकसित करने का विचार है, वह भारत के ऐतिहासिक, पौराणिक इतिहास से सम्बद्ध है। यह हस्तिनापुर का क्षेत्र है। हमारे दिव्य-भव्य कुंभ से पूरी दुनिया आह्लादित है। फ़िल्म सिटी भी सभी की उम्मीदों को पूरा करने वाली होगी।

इस मौके पर यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ अरुनवीर ने प्रस्तावित फ़िल्म सिटी के संबंध में एक प्रस्तुतिकरण दिया और बताया कि यमुना एक्सप्रेस-वे सेक्टर-21 में लगभग 1,000 एकड़ भूमि पर इसका विकास होगा। इसमें 220 एकड़ कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए आरक्षित होगा। यह मथुरा-वृंदावन से 60 और आगरा से 100 किमी की दूरी पर है। हम यहां फ़िल्म सिटी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ 35 एकड़ में फ़िल्म सिटी पार्क भी विकसित करेंगें।

ताजमहल की तरह दुनिया को आकर्षित करेगी यूपी में फिल्म सिटी

उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के सिलसिले में विचार विमर्श के लिये लखनऊ आये फिल्मी दुनिया की हस्तियों ने एक सुर में कहा कि उन्हे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क्षमता पर पूरा भरोसा है और हिन्दी भाषी राज्य में प्रस्तावित फिल्म सिटी सफलता के नये आयाम स्थापित करेगी।

रंगमंच और हिन्दी फिल्मों के मशहूर अभिनेता अनुपम खेर ने कहा “ आज का मौका उत्सव का है। श्री योगी की क्षमता पर सभी को भरोसा है। यूपी की फ़िल्म सिटी यूपी में तो होगी लेकिन पूरी दुनिया इसे अपना मानेगी। यह ताजमहल की तरह ही दुनिया भर को आकर्षित करने वाली होगी। इसकी स्थापना की पहली बैठक में आमंत्रित कर योगी ने हमें इतिहास में दर्ज कर दिया। उनके इस सपने को साकार करने में अगर मैं भी भागीदार हो सका तो यह मेरा सौभाग्य होगा।”

नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के चेयरमैन परेश रावल ने कहा फ़िल्म पटकथा लेखन को लेकर योगी कोई प्रयास करें तो बहुत सहायता मिलेगी। यह रीजनल सिनेमा को भी पुनर्जीवन देने वाला आयाम सिद्ध होगा।”

उत्तर प्रदेश फ़िल्म बन्धु के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव ने कहा “ श्री योगी ने फ़िल्म जगत को नया विकल्प देने की दिशा में कोशिश की है। यह छोटे-छोटे शहरों की अद्भुत प्रतिभाओं के हौसलों, सपनों को पंख देने वाला होगा। मैं हर समय, पूरी क्षमता के साथ सेवा के लिए प्रस्तुत रहूंगा। ”

दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत की पुत्री एवं अभिनेत्री सौंदर्या ने कहा “ भारत में अब भी एनिमेशन इंडस्ट्री नहीं है। आज की फिल्मों में इसका बड़ा असर है। योगी अगर इस दिशा में कोशिश हो, तो बड़ी सुविधा होगी। फ़िल्म सिटी की स्थापना की घोषणा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बहुत धन्यवाद।”

फिल्म अभिनेता मनोज जोशी ने कहा “ अद्भुत और अनुपम प्रयास है। पंजाबी, बंगाली, हिंदी, सहित 12 भारतीय भाषाओं के फिल्मोद्योग का महाद्वार होगी यह फ़िल्म सिटी। इसे इको-फ्रेंडली बनाने की कोशिश हो। आज ओटीटी प्लेटफार्म पर हिंदी पट्टी की कहानियां छायी हुई हैं। आज 70 फीसदी टेक्नीशियन उत्तर प्रदेश के हैं। रंग कर्म में यूपी अत्यंत समृद्ध है। इन सभी को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में यह नवीन फ़िल्म सिटी अत्यंत उपयोगी हो सकती है। यह प्रदेश के औद्योगिक, पर्यटन विकास को नई दिशा प्रदान करने वाली होगी।”

भजन गायक अनूप जलोटा ने कहा “ बहुत अभिनन्दनीय प्रयास है। इसके लिए पूरी दुनिया के फ़िल्म सिटीज का अध्ययन किया जाना चाहिए। उनकी खूबियों, कमियों को समझना चाहिए। आवश्यकताओं के लिहाज से सुविधाएं दी जाएं। यह दुनिया के लिए महत्वपूर्ण प्रयास है। ”

गायक कैलाश खेर ने कहा “ आज जब योगी स्वयं नेतृत्व कर रहे हैं, तो कोई भी कार्य असाध्य नहीं है।दुनिया में फ़िल्म सिटी के नाम पर लाखों किले खड़े हैं, लोगों ने 70 साल में क्या हाल कर दिया कि घिन आती है, शर्म आती है। उत्तर प्रदेश देवताओं की पुण्य भूमि है। दुनिया को राह दिखाने वाली है।योगी जी की यह दुनिया भारतीय संस्कृति को पोषित करने वाली हो। कला साधकों को सम्मान मिले। ऐसा जरूर होगा, यह मेरा विश्वास है। बाकी योगी आदेश करें, हम धावक हैं दौड़ पड़ेंगे।”

निर्माता निर्देशक सतीश कौशिक ने कहा “ यूपी शूटिंग फ्रेंडली जगह रही है। मैंने बहुत काम किया है यहां। आज का दिन पूरी दुनिया के कला क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है। योगी फ़िल्म जगत को एक नवीन विकल्प दे रहे हैं। आज जो प्रेजेंटेशन दिखाया गया, वह हमें एक बेहतर भविष्य की छवि दिखा गया। आपने हम कलाकारों को एक नया आधार दिया है। यूपी की संस्कृति ने भारतीय फिल्मों को शुरू से ही प्रभावित किया है, अब यहां की फ़िल्म सिटी पूरी दुनिया को प्रभावित करेगी।”

पार्श्व गायक उदित नारायण ने कहा “ योगी ने बहुत कम समय में बहुत खूबसूरत काम किया है। ऐसे में फ़िल्म सिटी की घोषणा से हम सभी का उत्साहित होना लाजिमी है। मैं 40 साल फ़िल्म जगत का हिस्सा रहा हूँ। योगी के इस बड़े सपने को साकार करने में अगर मैं भी कुछ योगदान कर सका तो जीवन को धन्य समझूंगा। ”

गीतकार मनोज मुन्तशिर ने कहा “ योगी ने करोड़ों प्रतिभाओं को पंख दे दिए। 75 साल से हिंदी पट्टी इसका इंतजार कर रही थी। यूपी की भाषा तो दुनिया में फैल गई, लेकिन यूपी की कहानियां नहीं सुनाई गईं। योगी से अनुरोध है कि एक फ़िल्म इंस्टिट्यूट और म्यूजिक इंस्टिट्यूट की स्थापना की दिशा में भी विचार करें। आल्हा ऊदल, महामना मालवीय जैसे महामानवों से नई पीढ़ी को परिचित कराने की कोशिश हो।मुझे आज यूपी वाला होने पर बहुत गर्व है।”

फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि योगी की अभिनव सोच और तत्परतापूर्ण क्रियान्वयन को प्रणाम। बहुत ज़रूरी और बहुप्रतीक्षित प्रयास है। हिंदी फिल्मोद्योग को एक नवीन आधार मिलेगा। ”

कला निर्देशक नितिन देसाई ने कहा “फ़िल्म केवल नृत्य-संगीत ही नहीं है। लाखों को रोजगार, अरबों का व्यापार, हुनर और हौसलों को सलाम भी है। जो प्रस्ताव यूपी का है वह इंटरनेशनल फ़िल्म जगत को आकर्षित करने वाला है। देवताओं की जन्मस्थली है उत्तर प्रदेश। धर्म, संस्कृति, कला का अद्भुत संगम है यहां। यह फ़िल्म सिटी यूपी को और समृद्ध करेगी।हम सभी इस विजन को सफल करने में हम संभव मदद करने के लिए तैयार हैं।”

फिल्मलैंड के लिए मुफीद है चंबल की वादियां:

उत्तर प्रदेश में फिल्मसिटी के निर्माण के लिये जारी कवायद के बीच इटावा के बाशिंदो काे भरोसा है कि नैसर्गिक सुंदरता की पर्याय चंबल घाटी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फिल्मलैंड के सपने में चार चांद लगाने में मददगार साबित हो सकती हैं।

वैसे चंबल के बीहड़ मायानगरी के निर्माता निर्देशकों के लिये दशकों से आकर्षण का केन्द्र बने रहे है। कई नामी गिरामी फिल्मों की शूटिंग चंबल के दुर्दांत दस्यु सरगनाओ के जीवन पर फिल्माई जा चुकी है जबकि यहां की नैसर्गिक सुंदरता कश्मीर की वादियों को कई मायनों पर टक्कर देती है। इस लिहाज से चंबल फिल्मलैंड के लिए सबसे मुुफीद मानी जा रही है ।

फिल्म निर्माण से जुड़ी कई हस्तियाें का मानना है कि प्राकृतिक तौर पर बेहद आंनदमयी चंबल घाटी को फिल्मलैंड के रूप मे स्थापित कर फिल्मकारो के लिए एक नया रास्ता खोला जा सकता है ।

तेलंगाना के जानेमाने फिल्मकार,गजलकार डा.गजल श्रीनिवास का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह है कि अगर फिल्मसिटी चंबल घाटी मे बनाया जाता है तो फिल्मकारो को शूटिंग के लिहाज से बहुत ही अधिक फायदा होगा क्योंकि यहाॅ पर बहुत ही सुकुन है। लोकेशन बहुत ही शानदार है जो किसी भी फिल्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण है ।

श्री निवास कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच नदियों के संगम स्थल पशनदा को पर्यटक स्थल बनाने का फैसला भी कर चुके है ऐसे में चम्बल को अगर फ़िल्मलैंड की ओर ले जाया जाता है तो निश्चित है यह कोशिश चंबल के लिहाज से बहुत ही सार्थक होगी।

चंबल मे मैला प्रथा पर फिल्म निर्माण कर चुके मास्साब, बंदूक,जैसी सम्मानित और पुरस्कृत फिल्मों के लेखक निर्देशक,तेलुगु फिल्मों के सुप्रसिद्ध अभिनेता आदित्य ओम चंबल घाटी को फिल्म निर्माण के लिए सबसे बेहतर मानते है । ओम कहते है कि चंबल घाटी मे शूटिंग हर लिहाज से बेहतर है । चाहे वो लोकशन हो या फिर कोई और भी जरूरत हर जरूरत आपकी पूरी हो सकती है । चंबल घाटी की नैसर्गिक सुंदरता विदेश के खूबसूरत पर्यटन स्थलो को भी मात देती है। इसी धरोहर को आज ना केवल सुरक्षित रखने की जरूरत है बल्कि उसको लोकप्रिय भी बनाना है ।

के.आफिस चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिबल के चैयरमैन मोहनदास का मानना है कि अगर चंबल घाटी को फिल्मलैंड का दर्जा मिलता है तो चंबल मे विकास के नये आयमो का सृजन तो होगा ही साथ ही रोजगार की भी नई संभावनाए जरूर बनेगी ।

अखिलेश सरकार मे फिल्म विकास परिषद के सदस्य रहे विशाल कपूर ने कहा “ उत्तर प्रदेश मे फिल्म सिटी की बात चली है, तो यह जान लीजिए अगर दूसरा कार्यकाल अखिलेश यादव को मिला होता,तो अब तक फिल्म रिलीज का वक्त आ जाता। अखिलेश यादव ने जिस भी काम मे हाथ डाला,अपने सधे हुए हुनरमंद हाथों से उस काम को तय वक्त में पूरा किया। ”

चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम ने कहा कि एक दौर ऐसा आया जब देश में बनने वाली हर चैथी फिल्म की कहानी या लोकेशन चंबल घाटी होती रही है । इसी वजह से चंबल घाटी को फिल्मलैंड कहा जाता है। जमींदारों के अत्याचार, आपसी लड़ाई और जर, जोरू और जमीन के झगड़ों को लेकर 1963 में आई फिल्म मुझे जीने दो के बाद इस विषय पर सत्तर के दशक में बहुत सारी फिल्में, चंबल के बीहड़ और बागियों को लेकर बनीं जिनमें डाकू मंगल सिंह -1966, मेरा गांव मेरा देश-1971, चम्बल की कसम-1972, पुतलीबाई-1972, सुल्ताना डाकू-1972, कच्चे धागे-1973 , प्राण जाएँ पर बचन न जाए-1974, शोले-1975, डकैत-1987,बैंडिट क्वीन-1994, वुंडेड -2007, पान सिंह तोमर- 2010, दद्दा मलखान सिंह और सोन चिरैया-2019 और निर्भय सिंह आदि प्रमुख हैं। इन फिल्मों में से कुछ फिल्मों में चंबल की वास्तविक तस्वीर बड़ी विश्वसनीयता के साथ अंकित हुई है। शाह बताते है कि घाटी में फिल्मांकन की दृष्टि से पीला सोना यानी सरसों से लदे खेत, इसके खाई-भरखे, पढ़ावली-मितावली, बटेश्वर, सिंहोनिया के हजारों साल पुराने मठ-मन्दिर, सबलगढ़, धौलपुर, अटेर, भिंड के किले, चंबल सफारी में मगर, घड़ियाल और डाल्फिनों के जीवन्त दृश्य और चाॅदी की तरह चमकती चंबल के रेतीले तट और स्वच्छ जलधारा । इसके अलावा और भी बहुत कुछ है चम्बल में, जिस पर फिल्मकारों और पर्यटकों की अभी दृष्टि पड़ी नहीं है। चंबल बहुत ही उर्वर है इस मामले में नए फिल्मकारों को इसका लाभ उठाना चाहिये।

खूंखार डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर दशकों तक कुख्यात रही प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर चंबल घाटी फिल्म फिल्मकारो के आकर्षण बडा केंद्र बनाई जा सकती है ।

भारतीय सिनेमा इतिहास मे अभी तक डाकुओ के जीवन या फिर डाकुओ से जुडी हुई फिल्मो को बनाने के दौरान इस बात का ध्यान जरूर रखा गया है कि निर्माता निर्देशको ने चंबल के बीहडो का ही रूख किया है । हिंदी फिल्मकारों के लिए डकैत और बीहड़ शुरू से ही पसंदीदा विषय रहे हैं । ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘मुझे जीने दो’, ‘बिंदिया और बंदूक’, ‘डकैत’ ‘शोले’ जैसी कई फिल्मों में खूबसूरत बीहड़ और डकैतों के जुल्म की दास्तां को पर्दे पर उतारा गया है । इससे पहले डाकू हसीना,डाकू सुल्ताना,मदर इंडिया,डाकू मंगल सिंह,डाकू सुल्ताना,जीने नही दूंगा,मेरा गांव मेरा देश, के अलावा सिनेमा निर्माताओ को कोई नाम नही सूझा तो चंबल की कसम और चंबल के डाकू नाम से ही फिल्मे बना दी गई ।

यह तो सिर्फ बानगी भर थी यही कारण है कि प्रकृति की इस अद्भुत घाटी को दुनिया भर के लोग सिर्फ और सिर्फ डकैतों की वजह से ही जानते हैं । इसी के कारण बालीबुड भी मुंबई की रंगीनियों से हटकर चंबल की इन वादियों की ओर आकर्षित हुआ और फिल्मों ने दुनिया भर के दर्शकों का मनोरंजन किया ।

चंबल के डकैतों पर आधारित सौ से अधिक फिल्में बन चुकी हैं । बीहड़ न सिर्फ विकास में बल्कि इतिहास में भी उपेक्षा झेलता आया है। आज बीहड़ की पहचान उसकी बदनामी से ही होती है । पीले फूलों के लिए ख्याति प्राप्त रही यह वादी उत्तराखंड की पर्वतीय वादियों से कहीं कमतर नहीं है । अंतर सिर्फ इतना है कि वहां पत्थरों के पहाड़ हैं तो यहां मिट्टी के पहाड़ है । बीहड़ की ऐसी बलखाती वादियां समूची पृथ्वी पर अन्यत्र कहीं नहीं देखी जा सकतीं हैं।

तिग्मांशु धूलिया बालीवुड के ऐसे फिल्मकार है जो किसी भी परिचय के मोहताज नही है । जहाॅ बालीवुड के ज्यादातर डायरेक्टर विदेशी लोकेशन को पंसद करते है वही धूलिया का लगाव अपने देश की कुख्यात चंबल घाटी से है । चंबल घाटी के प्रति उनकी दीवानगी का आलम यह देखा जा रहा है कि चंबल घाटी की तुलना वे अमरीका के ग्रांड कैनीयन से करने से भी पीछे नही है लेकिन चंबल के बदलते मिजाज से परेशान घूलिया यह कहने से भी नही चूकते कि अगर समय रहते चंबल के लिये कुछ किया नही गया तो देश के बेहतरीन पर्यटन केंद्र को हम लोग खो देगे ।

नेशनल ज्यॉग्रेफिक पर मेगा आइकॉन का दूसरा सीजन शुरू: रतन टाटा,दीपिका पादुकोण, कल्पना चावला सहित अन्य हस्तियां उजागर करेंगी अपनी सफलता का राज attacknews.in

नयी दिल्ली 11 सितंबर । क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों करोड़ों में से गिने-चुने लोग ही साधारण स्तर से ऊपर उठकर मेगा आइकॉन बन पाते हैं? मेगा आइकॉन्स के कामयाब पहले सीजन में इन हस्तियों के बारे में ऐसी सच्चाइयां उजागर की गई थीं। उस दौरान विराट कोहली, एपीजे अब्दुल कलाम जैसी कई मशहूर शख्सियतों की कहानियां शामिल हुई थीं। इस कामयाबी की बुनियाद पर नेशनल जियोग्राफिक शानदार कहानी कहने की अपनी समृद्ध विरासत के साथ मेगा आइकॉन्स का दूसरा सीजन लेकर वापस आ रहा है।

‘मेगा आइकॉन्स’ सीजन 2 का प्रीमियर 20 सितंबर को होने वाला है। यह बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, उद्योगपति रतन टाटा, फिल्मी हस्ती ए.आर.रहमान और कल्पना चावला सरीखे भारत के सबसे बड़े आइकॉन्स के जिंदगी के सफर में गहराई से जाकर उनकी उपलब्धियों को समझने की कोशिश करेगा, जिन्होंने उनकी सफलता तय की।

जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से दुनिया भर में सराहे जाने वाले आइकॉन्स को शामिल करते हुए मेगा आइकॉन्स का सीजन 2 ज्यादा बड़ा और बेहतर होने का भरोसा दिलाता है।

आइकॉन्स और उनके करीबियों के एक्सक्लूसिव और अंतरंग साक्षात्कारों के जरिए यह सीरीज दर्शकों को इन आइकॉन्स के और करीब लेकर जाएगी।

सिनेमाई रंग-ढंग का इस्तेमाल करते हुए इसका अनूठा फॉर्मेट यह राज खोलेगा कि किस चीज ने उनकी सफलता की उनकी राह निर्धारित की- क्या वह उनकी कंडीशनिंग, अनुभव और कड़ी मेहनत थी, या फिर चीजों को अलहदा ढंग से देखने वाला उनका नजरिया था। मेगा आइकॉन्स सीजन 2 के लिए ग्लोबल आइकॉन्स का चयन करते वक्त सिनेमा, संगीत, विज्ञान और आंत्रप्रेन्योरशिप जैसे देश के कुछ सबसे बड़े जुनूनों को ध्यान में रखा गया है। चार-भागों की इस सीरीज का उद्देश्य समझदार दर्शकों की उत्सुकता को पूरा करना है, जो सोचते हैं कि आखिर वह क्या है, जिसने इन आइकॉन्स को आज की स्थिति में पहुंचाया है।

प्रामाणिक और दमदार ढंग से कहानी कहते हुए मेगा आइकॉन्स का दूसरा सीजन कुछ प्रभावशाली हस्तियों तक एक्सक्लूसिव पहुंच के लिए ब्रांड की कोशिशों की बानगी है।

इस सीरीज में नजर आएंगे भारत के ‘इस्पात पुरुष’ (मैन ऑफ स्‍टील)- रतन टाटा, दुनिया की जानी-मानी अभिनेत्री और फैशन आइकॉन- दीपिका पादुकोण, बॉलीवुड के आइकॉनिक गायक, संगीतकार और म्यूजिक कंपोजर- ए.आर. रहमान और आसमान से आगे निकल जाने वाली पहली भारतीय महिला- कल्पना चावला (जिनकी कहानी सुनाई है उनके माता-पिता ने)।

स्टार एंड डिज्‍नी इंडिया की इन्फोटेनमेंट और किड्स प्रमुख अनुराधा अग्रवाल ने मेगा आइकॉन्स सीजन 2 के लॉन्च पर कहा, ‘नए और मेगा आइकॉन्स के बेहतरीन प्रेरक समूह के साथ सीजन दो पहले सीजन की कामयाबी की बुनियाद पर तैयार किया गया है। इस शो का उद्देश्य उन समझदार दर्शकों की जिज्ञासा को पूरा करना है जो किसी की सफलता तय करने में जीवन के चुनावों की भूमिका को समझना चाहते हैं। युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए यह सीरीज इन कामयाब हस्तियों के जीवन में गहराई से गोता लगाकर एक मुश्किल सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करती है – आज वे जो भी हैं, उन्हें वह किस चीज ने बनाया?’

सीरीज के बारे में बात करते हुए टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन और टाटा संस के चेयरमैन इमेरिटस, रतन टाटा ने कहा, “मैं नेशनल जियोग्राफिक के प्रकृति, विज्ञान, संस्कृति और इतिहास सहित हर चीज के प्रामाणिक तथ्यात्मक प्रस्तुतिकरण का प्रशंसक रहा हूं। मुझे खुशी है कि मैं आगामी सीरीज का हिस्सा हूं, जिसने हमारे संयुक्त संबंधों को जारी रखा है।”

सीरीज के बारे में ए.आर. रहमान ने कहा,’ रतन टाटा जी, दीपिका पादुकोण और स्वर्गीय कल्पना चावला की जिंदगी के साथ नेशनल जियोग्राफिक की मेगा आइकॉन्स सीरीज का हिस्सा होना खुशी की बात है। मुझे उम्मीद है कि आपको हमारी कहानियों से प्रेरणा मिलेगी।’

दीपिका पादुकोण, ने इस सीरीज के बारे में कहा, “मेरे लिए नेशनल जियोग्राफिक विश्‍वसनीयता और आइकॉनिक होने का प्रतीक है। मैं इस प्रशंसित सीरीज मेगा आइकॉन्‍स का हिस्‍सा बनकर बहुत अधिक सम्‍मानित महसूस कर रही हूं। इससे मुझे दुनिया भर के लोगों के साथ मेरे सफर की झलक के बारे में बताने का मौका मिलेगा।”

मेगा आइकॉन्स सीजन 2 का प्रीमियर 20 सितंबर, 2020 को नेशनल जियोग्राफिक पर होगा और यह डिज्नी और हॉटस्टार पर उपलब्ध होगा। सभी एपिसोड हर रविवार को शाम सात बजे प्रसारित होंगे।

अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने जबर्दस्ती अपराध कबूल करवाने का NCB पर लगाया आरोप,रिया की जमानत याचिका पर फैसला अब शुक्रवार को attacknews.in

मुंबई 10 सितम्बर ।नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रापिक सब्सटन्स (एनडीपीसी) की विशेष अदालत ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े ड्रग (नशीली दवा) मामले में रिया चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर फैसला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया।

विशेष न्यायाधीश जी एन गौरव ने रिया की ओर से पेश 16 पृष्ठों वाले इकबालिया बयान का अध्ययन किया। अदालत ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो(एनसीबी) द्वारा रिया के साथ अब तक की पूछताछ से संबंधित दस्तावेजों का भी अध्ययन किया।

रिया ने याचिका में कहा: दोष स्वीकार करने वाले बयान देने पर मजबूर किया गया

सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मादक पदार्थों के मामले में गिरफ्तार रिया चक्रवर्ती ने मुंबई की अदालत में दायर अपनी जमानत याचिका में आरोप लगाया है कि स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा पूछताछ के दौरान उन्हें ‘‘दोष स्वीकारोक्ति वाले बयान’’ देने को मजबूर किया गया।

बुधवार को सत्र अदालत में दायर याचिका में रिया ने यह दावा भी किया कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है।

रिया की जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई ।

एनसीबी ने तीन दिन तक पूछताछ करने के बाद रिया को मंगलवार को गिरफ्तार किया था। मजिस्ट्रेट अदालत उनकी जमानत याचिका पहले ही खारिज कर चुकी है।

रिया की ओर से वकील सतीश मानशिंदे ने जो जमानत याचिका दी है, उसमें कहा गया है, ‘‘ हिरासत (एनसीबी की) के दौरान याचिकाकर्ता (रिया) को दोष स्वीकारोक्ति वाले बयान देने पर मजबूर किया गया। अभिनेत्री ऐसे सभी कबूलनामे औपचारिक तौर पर वापस लेती हैं।’’

याचिका में रिया ने यह भी कहा कि उनकी गिरफ्तारी ‘‘गैरजरूरी है तथा बिना किसी कारण के की गई है’’।

इसमें कहा गया, ‘‘अभिनेत्री की आजादी पर मनमाने ढंग से रोक लगाई गई।’’

याचिका में यह भी कहा गया कि रिया से पूछताछ के दौरान वहां कोई महिला अधिकारी मौजूद नहीं थी।

रिया फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

रिया के अलावा उनके भाई शौविक तथा मामले में अन्य आरोपी जिन्हें एनसीबी ने पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया था, उनकी जमानत याचिका पर भी बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई ।

विशेष न्यायाधीश जी एन गौरव ने रिया की ओर से पेश 16 पृष्ठों वाले उस इकबालिया बयान का अध्ययन किया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था।

अदालत ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा रिया के साथ अब तक की पूछताछ से संबंधित दस्तावेजों का भी अध्ययन किया।

सुनवाई के दौरान रिया के वकील समीश मानशिंदे ने अदालत से अपनी अपील में कहा कि उनके मुवक्किल को पिछले महीने से हत्या की धमकियां मिल रही है और जेल में उनकी जान को खतरा है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि रिया की गिरफ्तारी के समय उनके पास को कोई ड्रग्स अथवा इससे संबंधित वस्तु नहीं पायी गयी है।

सरकारी वकील अतुल सरपंडे ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि रिया की जमानत पर रिहाई से जांच में बाधा आ सकती है क्योंकि अभी कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जाना शेष है।

रिया को एनसीबी ने आठ सितम्बर को गिरफ्तार किया था और इसी दिन मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को रिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। रिया ने अदालत के इस आदेश काे चुनौती दी है। वह अभी भायखला महिला जेल में बंद है।।